Friday, 24 April 2015

निर्माण के पच्चीस वर्षों के बाद भी उद्घाटन नहीं हुई धनसिंह टोला जलाशय योजना का , स्थानीय लोगों को कोई लाभ नहीं

निर्माण के पच्चीस वर्षों के बाद भी उद्घाटन नहीं हुई धनसिंह टोला जलाशय योजना का , स्थानीय लोगों को कोई लाभ नहीं 
राष्ट्रीय नवीन मेल दिनांक- -२४-४-२२०१५ 


गुमला  l गुमला जिले के बसिया प्रखण्ड के सकेया ग्राम अवस्थित खखराजोर नदी पर लगभग पच्चीस वर्ष पूर्व निर्मित धनसिंह टोला जलाशय योजना का शुभारम्भ अब तक नहीं हो पाने से इसका लाभ स्थानीय ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है ,परन्तु अब क्षेत्र के विधायक सह विधान सभा अध्यक्ष दिनेश उराँव के द्वारा इस मामले में रुचि दिखलाए जाने से स्थानीय कृषकों के दिन बहुरने की उम्मीद की जाने लगी है l धनसिंह जलाशय योजना के निर्माण का आरम्भ वित्तीय वर्ष 1983-84 में हुआ था और वर्ष 1989 में योजना का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया ,परन्तु सिंचाई हेतु खेतों तक जल पहुंचाने के लिए नहरों की खुदाई नहीं हो सकी और प्रशासनिक उदासीनता के कारण इसका उद्घाटन भी नहीं हो सका है दूसरी ओर जलाशय के मुख्य स्पिलवे में मिटटी भरने लगा है l
उल्लेखनीय है कि धनसिंह टोला जलाशय योजना के कार्यान्वयन में विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उराँव अपने राजनीतिक जीवन के प्रारम्भिक कल से ही रुचि रखते रहे हैं l विधानसभा चुनाव 1999-2000 में जब वे प्रथम बार सिसई विस निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गये थे उस समय भी उन्होंने योजना का लाभ ग्रामीणों को शीघ्रातिशीघ्र मिल पाने के उद्देश्य से ही धनसिंह जलाशय का वन विभाग से फारेस्ट क्लियरेंस करवाई थी , लेकिन आज तक जलाशय से क्षेत्र के कृषकों को लाभ नहीं देख अब वे एक बार पुनः इसके लिए प्रयासरत्त हैं l इस बात का पता गत चौदह अप्रैल को परिसदन गुमला में आयोजित प्रेस वार्ता में विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उराँव के द्वारा इस सन्दर्भ में व्यक्त किये उद्गारों से चलता है कि इस मामले को लेकर वे कितने संजीदगी हैं l दिनेश उराँव ने गुमला के परिसदन में प्रेस वार्ता में इस सम्बन्ध में कहा कि धनसिंह जलाशय योजना का लाभ शीघ्र ग्रामीणों को मिलेगा इसमें संदेह नहीं l इसके लिए उन्होंने जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता को नहर के माध्यम से किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने का निर्देश दिया है l विस अध्यक्ष ने कहा कि सत्र के दौरान ही मुख्य अभियंता से कहा गया है कि धनसिंह जलाशय योजना से किसान कैसे लाभान्वित होंगे, इसका प्रैटिक्ल मुझे करके दिखलायें l इस दिशा में युद्ध स्तर पर काम कर किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था करें l विस अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 1999-2000 के सत्र में जब मैं विधायक था। उस दौरान जलाशय का फॉरेस्ट क्लियरेंस कराया था। जलाशय के मुख्य स्पेलवे में मिट्‌टी चली गई है। मैं स्वयं कई बार जलाशय का निरीक्षण कर चुका हूंlजलाशय अर्थात डैम की सभी नहरें उनके विस क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। मुझे जानकारी मिली है कि इस दिशा में कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है। डीपीआर बनना शुरू हो गया है। हालांकि शीघ्र ही वे पुन: मुख्य अभियंता से बात कर पूरी स्थिति से अवगत होंगे।

उधर स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि धनसिंह टोला जलाशय योजना का सरकारी उदासीनता के कारण निर्माण के 25 वर्ष बाद भी उदघाटन नहीं हो सका हैl जबकि जलाशय का निर्माण वर्ष 1983-84 में प्रारम्भ होकर 1989 में ही पूर्ण हो चुकी थी  थीl यह भी उल्लेखनीय है कि  इस जलाशय के निर्माण का उद्देश्य दस हजार परिवार समेत 30 गांवों के कृषकों को लाभान्वित करना थाl परन्तु सिंचाई हेतु नहर और अन्य छोटे-मोटे कार्य विभाग के द्वारा ससमय नहीं किये जाने के कारण जलाशय से ग्रामीणों को कोई लाभ नहीं हो पा रहा वहीँ प्राक्कलन राशि लागत में भी दिनानुदिन वृद्धि हो रही है l  

Tuesday, 21 April 2015

जो भारत को माता नहीं मानता वो हमारा भाई कैसे हो सकता है? - हिन्दू जागरण मंच के प्रदेश संगठन मंत्री डॉ. सुमन कुमार

जो भारत को माता नहीं मानता वो हमारा भाई कैसे हो सकता है? - हिन्दू जागरण मंच के प्रदेश संगठन मंत्री डॉ. सुमन कुमार
राष्ट्रीय नवीन मेल, दिनांक- २१/४/२०१५ 



गुमला l हम धरती , देश अर्थात राष्ट्र और गौ को माता मानते हैं और माँ के समान पूजते हैं l इसलिए हम अपनी धरतीमाता अर्थात भारत भूमि और राष्ट्र भारतमाता को बँटने न देंगे तथा गौमाता को कटने न देंगे l गो हमारी माता है देश धरम से नाता है। अयोध्या किसी की जायदाद नहीं कि उसका बँटवारा किया जाए। बँटवारा धन-दौलत का होता है, और वह भी दो भाईयों में। लेकिन जो भारत को माता नहीं मानता वो हमारा भाई कैसे हो सकता है? अब समय आ गया है कि एक हाथ में माला व दूसरे में भाला। यह अत्यंत दुर्भाग्य की बात है कि हमें अपने ही देश में धार्मिक सम्मेलन आयोजित करने के लिए लोगों पर आश्रित होना पड़ रहा है। यह कतई बर्दाश्त नहीं होगा। हम अपने देश में शान्ति से रहना चाहते हैं। उपरोक्त बातें हिन्दू जागरण मंच के द्वारा १९ अप्रैल रविवार को जिला मुख्यालय से इक्कीस किलोमीटर दूर गुमला प्रखण्ड के फोरी तिगरा ग्राम अवस्थित बगीचा में आयोजित विशाल सरना सनातन महासम्मेलन सह समरसता भोज कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हिन्दू जागरण मंच के प्रदेश संगठन मंत्री डॉ. सुमन कुमार ने कही l  
हिन्दू जागरण मंच के प्रदेश संगठन मंत्री डॉ. सुमन कुमार ने प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वे अच्छी तरह कर्तव्य निभाएं अर्थात डयूटी करें। अन्यथा अंजाम भुगतना होगा l ठगी , भय और प्रलोभन के कारण धर्मान्तरण होता है। यह एक राष्ट्रव्यापी षडयंत्र है।हमें अपने सनातन धर्म पर अडिग रहकर अपने कर्तव्य पथ पर चलना चाहिए , फल की चिंता हमें नहीं करनी चाहिए l विशाल सरना सनातन महासम्मेलन सह समरसता भोज कार्यक्रम में सनातन संस्कृति के प्रतीक स्थलों पर निरंतर हो रहे हमले के पीछे छुपे सत्य को उजागर करते और इस विधर्मी षडयंत्र की घोर निंदा करते हुए स्वामी चैतन्य ने कहा कि कुछ लोग आज हमारे धर्म स्थलों को अपवित्र कर रहे हैं। हमारी मां बहनों को अपमानित कर रहे हैं। और हम टुकुर-टुकुर देखने को विवश हैं l
कार्यक्रम के शुभारम्भ में इससे पूर्व गो व गौरी की पूजा की गई।कार्यक्रम को अन्य अनेक वक्ताओं ने भी संबोधित किया। मौके पर प्रदेश महामंत्री वाणी कुमार राय, राजी पड़हा के केंद्रीय अध्यक्ष भीखा भगत, राँची विश्वविद्यालय के प्रो. चंद्रशेखर द्विवेदी, परवर्तन प्रमुख संजय कमार वर्मा सहित कार्यक्रम स्थल के आस-पास के तीन दर्जन से अधिक गाँवों के हजारों लोग हिन्दू जागरण मंच के द्वारा आयोजित उक्त कार्यक्रम में उपस्थित थे l



बुद्धिजीवियों की बैठक में प्रगतिशील नागरिक मंच का गठन

बुद्धिजीवियों की बैठक में प्रगतिशील नागरिक मंच का गठन 
डालटनगंज (मेदिनिनगर) और राँची से एक साथ प्रकाशित दैनिक राष्ट्रीय नवीन मेल में दिनांक - २१/४/२०१५ को प्रकाशित समाचार -बुद्धिजीवियों की बैठक में प्रगतिशील नागरिक मंच का गठन
राष्ट्रीय नवीन मेल - दिनांक- २१/४/२०१५ 

गुमला l प्रशासनिक उपेक्षा से तंग और परेशान  गुमला के बुद्धिजीवियो ने  सिसई रोड स्थित पोद्दार धर्मशाला में 19 अप्रैल को रविवार को एक आवश्यक बैठक की और कुव्यवस्था के खिलाफ संघर्ष का आह्वान करते हुए प्रगतिशील नागरिक मंच का गठन किया l बैठक की विशेषता यह थी कि इसमें विभिन्न राजनैतिक और सामाजिक संगठनों के लोग गुमला के सर्वांगीण विकास को लेकर एक मंच पर उपस्थित थे  l पूर्वाह्न के साढ़े दस बजे से आरम्भ बुद्धिजीवियों की उक्त बैठक के संयोजक मशहूर समाजसेवी भोला प्रसाद थे और बैठक की अध्यक्षता समाजसेवी और विद्वान् शम्भू नाथ सिंह ने की l गुमला के बुद्धिजीवियों की उक्त बैठक मे प्रशासनिक उपेक्षा का दंश , सरकारी विद्यालयों की गिरती शैक्षणिक स्तर और शिक्षा व्यवस्था तथा निजी विद्यालयों की मनमानी, विधि-व्यवस्था, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं के सम्बन्ध में विस्तृत चर्चा की गई और आये दिन प्रशासनिक उपेक्षा का सामना कर रहे लोगों को राहत पहुँचाने व उन्हे बुनियादी सुविधा मुहैया कराने , शिक्षा के क्षेत्र में आई गिरावट मसलन निजी विद्यालयों द्वारा पुनर्नामांकन, विकास शुल्क अदि के नाम पर की जा रही मनमानी व वसूली शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का खुल्ला उल्लंघन, विधि- व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू करने मे पूलिस व प्रशासन की विफलता तथा बुनियादी सुविधाएँ बिजली, पानी, सडक, पेयजल, बाईपास रोड, स्वास्थ्य, रेल एवं विभिन्न विभागों मे व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सर्वसम्मति से प्रगतिशील नागरिक मंच का गठन किया गया , जिसके कोर कमिटी में इक्कीस सदस्य सर्वसम्मति से रखे गये हैं, जिसमे सर्वसम्मति से विभिन्न राजनैतिक और सामाजिक संगठन के व्यक्ति शामिल किये गए हैं  l सर्वसम्मति से गठित इक्कीस सदस्यीय कोर कमेटी में भोला प्रसाद को मुख्य संयोजक मनोनित किया गया तथा कोर कमिटी में संयोजक भोला प्रसाद के अतिरिक्त राजेन्द्र सिंह,आनन्द किशोर पांडा , शम्भु नाथ सिंह , विश्वनाथ प्रधान , सुनील कुमार दास , तेम्बू उराँव, प्रतिमा चक्रवर्ती , विद्या मिश्र, रणधीर निधि, विजय सिंह , मिशिर कुजूर , बरकत अंसारी , सुधीर कुमार पाण्डेय , विजय मिश्रा , बसंत कुमार , देवकुमार नायक , जगदीश सिंह , डाक्टर कैलू शाहू , एवं संजय वर्मा आदि शामिल किये गए है lशम्भुनाथ सिंह ने कहा कि बिना पदाधिकारी की कमिटी का गठन किया गया ही ताकि पद लोलुपता के कारण टीम में दरार न पड़े आने वाले समय में सामाजिक कार्यों में सक्रिय सभी लोगो को कोर कमिटी का सदस्य बनाया जायेगा | सभी लोग मिलकर बिना भेद भाव के काम करेंगे| न कोई राजा होगा न कोई प्रजा सभी को समान अधिकार प्रगतिशील नगरिक मंच में दिया जायेगा l शम्भुनाथ सिंह ने कहा कि संयोजक  भोला प्रसाद जी निहायत ही शरीफ ओर अछे इन्सान हैं उनकी शालीनता उनका बड़प्पन उनकी पूंजी है जिनकी अगुवाई में अछे ढंग से काम करने में गर्व का अनुभव होगा l आनन्द किशोर पांडा ने कहा कि भोला प्रसाद जैसे समाजसेवी के संयोजकत्व में गठित इस मंच के कोर कमेटी का सदस्य मुझे भी बनाकर मुझे गौरवान्वित महसूस करने का अवसर प्रदान किया गया है , भोलाजी का प्रयास सराहनीय है जो स्वच्छ व सुन्दर गुमला का निर्माण के लिए सभी दलो के लोगो को एक मंच पर ले आये हैं, गुमला की ज्वलंत समस्याओ का निराकरण इस नई कमेटी द्वारा किया जा सकता हैl बैठक ko अन्य कई बुद्धिजीवियों ने भी संबोधित किया और गुमला के विकास से सम्बंधित अपने विचार रखे l प्रायः सभी वक्ताओं ने कहा कि सुन्दर व स्वच्छ गुमला की नव निर्मीण के लिए गठित कोर कमेटी विभिन्न मुद्दों पर आवाज उठाएगी और समस्याओं के समाधान और गुमला के चहुंमुखी विकास के लिए हर-संभव प्रयास करेगी l शिक्षा की ज्वलंत समस्या पर अपने उदगार व्यक्त करते हुए सभी ने कहा कि बच्चो की शिक्षा पर निजी विद्यालय वणिकवृति बंद करें , अन्यथा अंजाम भुगतने को तैयार रहें l

Monday, 20 April 2015

गुमला में कचरा चुनने वाले बच्चों के लिए उत्प्रेरण केंद्र

गुमला में कचरा चुनने वाले बच्चों के लिए उत्प्रेरण केंद्र 

गुमला :l सरकार की ओर से सड़कों पर कचरा चुनने वाले बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए उत्प्रेरण केंद्र का संचालन किया जा रहा है। गुन्ला में भी उक्त केन्द्र का संचालन किया जारहा है lइसके अंतर्गत गुमला के राजकीयकृत मध्य विद्यालय अंबेडकर नगर गुन्ला में संचालित इस केंद्र में कठिन परिस्थिति में रहने व कामकाजी बच्चों का सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक केंद्र में ठहराव सुनिश्चित कर शिक्षा से जोड़ने का काम किया जा रहा है। इसके तहत सत्रह अप्रैल शुक्रवार को केंद्र के 30 बच्चों को शैक्षणिक भ्रमण कराकर शिक्षा के प्रति उनमें लगाव पैदा करने की कोशिश की गई। बच्चों को पार्क, विज्ञान भवन, म्यूजियम व प्राकृतिक स्थल का भ्रमण कराया गया।
विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष मो. इम्तियाज व उपाध्यक्ष सफीना खातून ने बताया कि बच्चे भ्रमण के दौरान काफी खुश हुए और उनमें शिक्षा के प्रति ललक देखी गई। वहीं दूसरी ओर विद्यालय में स्कूल चलें, चलाएं अभियान के तहत बाल संसद के सदस्यों व बच्चों की बैठक भी हुई। बैठक में 24 से 25 अप्रैल तक पोषक क्षेत्र में अभियान चलाकर अनामांकित  बच्चों को स्कूल में नामांकन कराने व ठहराव सुनिश्चित करने का निर्णय लिया गया। इस अवसर पर विद्यालय प्रधानाध्यापक रजा अहमद, शिक्षक मो. जलील, नीरु कुमारी, नीरा देवी, जयंती तिर्की, दिव्या सरिता मिंज सहित अन्य शिक्षक व छात्र उपस्थित थे।

गुमला में विद्युतकर्मियों की मनमानी चरम पर , विद्युत् खम्भों को भी उखाड़कर यत्र-तत्र करने नहीं डरते -रणधीर निधि

गुमला में विद्युतकर्मियों की मनमानी चरम पर , विद्युत् खम्भों को भी उखाड़कर यत्र-तत्र करने नहीं डरते 
-रणधीर निधि 

गुमला l  गुमला जिले में विद्युत् विभाग की गजब की मनमानी चलती है l जो चाहा सो किया कोई देखने सूनने वाला नहीं l विद्युतकर्मी पूरे के पूरे निरंकुश हो गए हैं l जिला मुख्यालय की स्थिति तो और भी ख़राब है, यहाँ  अधिकाँश कर्मचारी अनुबंध व दिहाड़ी पर कम करने वाले हैं , जिन्हें नौकरी की कोई डर नहीं इसलिए जो चाहते हैं सो करते हैं l कौन विभागीय कर्मचारी है और कौन विभाग का नहीं कोई पहचान नहीं होने के कारण कुछ पत्ता नहीं चलता और जो चाहता है सो विद्युत् खम्भों पर चढ़कर घरों के विद्युत् संयोजन को जब चाहे तब काट देता है और फिर पैसे की वसूली कर विद्युत् संयोजन बहाल करना अपना परम धरम समझने लगता है l घरों में विद्युत् संयोजन करने , विद्युत् संयोजन काट देने , मीटर पठन करने, बिल प्रपत्र पहुँचाने, घरों पर जाकर बिल की वसूली करने में मनमानी तो करते ही हैं , जब इच्छा हो मुहल्लों , सड़कों के किनारे गड़े विद्युत् खम्भों को भी अपने लाभ के  लिए कभी यहाँ तो कभी वहाँ उखाड़कर - कबाड़कर गाड़ने से भी नहीं चुकते l विद्युत् खम्भों को उखाड़कर इधर से उधर करने के लिए निर्धारित मापदंडों और विभागीय प्रावधानों  का उल्लंघन करते हुए उच्चाधिकारियों से इसकी अनुमति लेना तक उचित नहीं समझते और निजी लाभ में खम्भों को यत्र-तत्र उखाड़ कर गाड़ते रहते हैं l और तो और उच्चाधिकारियों को इस बात की भनक तक नहीं लगने देते और खम्भा को यहाँ से वहाँ अपनी लाभ के लिए कर देते हैं l ऐसा ही एक मामला गुमला नगर पंचायत के वार्ड संख्या चौदह के करमटोली मुहल्ला के तालाब के पास कुछ दिनों से देखने को मिल रही है l जानकारी के अनुसार गुमला नगर पंचायत के वार्ड संख्या चौदह के करमटोली मुहल्ला के तालाब के पास वर्षों से विद्युत् खम्भा लगा हुआ था जिससे वहां के वाशिंदों के घरों में विद्युत् संयोजन दी गई थी l बतलाया जा रहा है कि गुमला जिला मुख्यालय-करमटोली- बाँसडीह पथ पर स्थित करमटोली तालाब के कोने पर तालाब के मेड़ पर ही वर्षों से लगे विद्युत् खम्भे को छः माह पूर्व एक बाराती वाहन ने टक्कर मार दी जिससे किसी को कोई क्षति तो नहीं पहुंची , लेकिन विद्युत् खम्भा टूटकर गिर गया l यह देख वहाँ पर स्थित घरों के लोगों ने बाराती वाहनों को वहाँ पर रोक दिया और टूटे खम्भे के स्थान पर नए खम्भे के लगाने के लिए पैसे की माँग करते हुए बारातियों और वाहनों को कब्जे में ले लिया l वाहन मालिक और बारातियों के द्वारा बहुत मान-मनौवल और आरजू विनती के बाद दस हजार रूपये लेकर वहाँ के लोगों ने बारातियों को छोड़ा l बाद में स्थानीय लोगों ने मोहल्ले के दुसरे छोर पर स्थित और बेकार पड़े एक विद्युत् खम्भे को अपनी मनमानी से उखाड़कर कई लोगों की सहायता से ढ़ोकर तालाब किनारे तक लाये और पूर्व में लगे खम्भे के विपरीत तालाब के दुसरे छोर पर बगैर विद्युताधिकारियों को सूचित किये ही गाड़ दिया l  खम्भे को तालाब किनारे से दूसरी ओर ले जाने के इस कार्य में वहाँ पर सड़क किनारे स्थित घर के लोगों का मुख्य हाथ था जो अपने फायदे के लिए बगैर विभागीय अनुमति प्राप्त किये ही खम्भे को अपने घर के नजदीक गडवा दिया और वाहन मालिक से प्राप्त दस हजार रूपये को हड़प लिया l बतलाया जा रहा है कि तालाब किनारे के घर का एक सदस्य बिजली मिस्त्री का कार्य करता है उसी का हाथ खम्भों को यत्र-तत्र करने में रहा है और समय स्थानीय मोहल्ला के घरों से भी खम्भा गाड़ने के नाम पर एक प्राइवेट बिजली मिस्त्री से मिलकर उसने प्रति घर दो सौ रूपये की वसूली की थी l खबर है कि सड़क किनारे के घर का वह बिजली मिस्त्री विद्युत् खम्भे को पूर्व के स्थान पर अथवा दुसरे स्थान पर गाड़ने के लिए घर-घर जाकर चंदा वसूली करने में लगा है और मोहल्ले वालों को कह रहा है कि खम्भा को यहाँ से उखाड़कर अब दुसरे जगह गाड़ना है इसके लिए विभाग के अभियंताओं और अधिकारियों को पैसा देना है l इस अम्बन्ध में विभागीय अधिकारियों से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि खम्भे को यहाँ से उखाड़ कर वहाँ गाड़ने की अभी कोई योजना नहीं है और न ही इस प्रकार की कोई सूचना ही है l खम्भों को गाड़े जाने के सम्बन्ध में विभागीय नियमों का पालन करना अनिवार्य है और  बेवजह खम्भों को इधर-उधर करना गलत है l इसकी जाँच कर समुचित कारवाई की जाएगी और विभागीय विद्युत् कर्मियों की पहचान कर उन्हें उचित दिशा-निर्देश दिए जायेंगे l

Friday, 17 April 2015

अन्ततः गुमला नगर पंचायत अध्यक्ष आदिवासियत की बलि चढ़ गये

अन्ततः गुमला नगर पंचायत अध्यक्ष आदिवासियत की बलि चढ़ गये 

गुमला l अन्ततः गुमला नगर पंचायत अध्यक्ष आदिवासियत की बलि चढ़ गये , और नपं अध्यक्ष धीरेन्द्र प्रसाद सिंह पर उपायुक्त ने दे ही दिया प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश।  धीरेंद्र प्रसाद सिंह पर खतियान में छेड़छाड़ कर खुद को अनुसूचित जनजाति समुदाय का होने का प्रमाण पत्र हासिल करने का आरोप लगने के बाद अब दोषी पाया गया है । बतलाया जा रहा है कि गुमला के नगर पंचायत अध्यक्ष धीरेंद्र प्रसाद सिंह की जाति क्षत्रिय है। परन्तु अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित गुमला नगर पंचायत के अध्यक्ष पद पर धीरेंद्र प्रसाद सिंह ने स्वयं को अनुसूचित जनजाति का होने का प्रमाण देते हुए चुनाव में नामांकन कराकर जीत हासिल की थी। परन्तु धीरेंद्र प्रसाद सिंह के अनुसूचित जनजाति समुदाय का नहीं होने की जन शिकायत के आधार पर अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उराँव व आदिवासी छात्र संघ के अशोक भगत ने इसकी शिकायत राज्य निर्वाचन आयोग से की थी। फर्जी जाति प्रमाणपत्र के बूते चुनाव जीतकर नगर पंचायत अध्येक्ष बने धीरेन्द्र प्रसाद सिंह के खिलाफ कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन ने चुनाव आयोग से निर्देश मांगा था । गुमला के तत्कालीन उपायुक्त वीणा श्रीवास्तव ने विधिसम्मत कार्रवाई हेतु सरकारी अधिवक्ता, व्यवहार न्यायलय गुमला से प्राप्त मंतव्य के अनुसार राज्य निर्वाचन आयोग, झारखण्ड सचिव को पत्र लिखकर ध्यानाकृष्ट कराया था । आयोग के निर्देश पर धीरेंद्र प्रसाद सिंह की जाति के संबंध में आवश्यक जांच पड़ताल कराई गई। जाँच में धीरेंद्र प्रसाद की ओर से खतियान में छेड़छाड़ करते हुए खुद को अनुसूचित जनजाति समुदाय का होने का प्रमाण पत्र हासिल करने का दोषी पाया गया था। जाँच में यह भी कहा गया कि धीरेंद्र प्रसाद की जाति क्षत्रिय है।

उल्लेखनीय है कि फर्जी अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र के आधार पर नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीतने के लगे आरोप के सन्दर्भ में पत्रांक - 451 आई टी डी ए 24 अक्टूबर प्रासंगिक पत्र के द्वारा पत्रांक-03 निर्वाचन आयोग 20.09.2013 के सन्दर्भ में धीरेन्द्र प्रसाद सिंह नगर पंचायत अध्यक्ष के सम्बन्ध में वंचित प्रतिवेदन संलग्न कर भेजी गयी थी । उसके अनुसार सिंह खेरवार जाति का शपथ पत्र दायर कर अध्यक्ष का चुनाव जीता, परन्तु निर्वाचन आयोग के स्तर से अबतक मार्गदर्शन निर्देश प्राप्ति न होने के कारण आगे कि कार्रवाई लंबित था । उपायुक्त गुमला ने दिनांक 30.10.2013 को उसी पत्र में नगरपंचायत पदाधिकारी गुमला को सूचनार्थ प्रेषित करते हुए निर्देश दिया था कि आयोग से आदेश प्राप्त होने तक अध्यक्ष को किसी भी तरह के सरकारी कार्यों के निष्पादन से दूर रखा जाय।प्राप्त जानकारी के अनुसार बाद में उन्हें पंचायत के कार्यों के निष्पादन की आदेश दी जाने के पश्चात धीरेन्द्र सिंह पंचायत के कार्यों को निष्पादित करने लगे थे,परन्तु अब चुनाव आयोग के निर्देश के पश्चात धीरेंद्र प्रसाद के कार्यों पर रोक व प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया है।फर्जी प्रमाण पत्र पर नगर अध्यक्ष का चुनाव जीतने की बात जांच में पुष्टि होने के बाद उपायुक्त ने धीरेंद्र प्रसाद के अध्यक्ष के रूप में कार्य करने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए थाना में प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश नगर पंचायत गुमला के कार्यपालक पदाधिकारी को दिया है। उपायुक्त के आदेश के आलोक में कार्यपालक पदाधिकारी ने  विभागीय सचिव को पत्र लिखकर उचित निर्देश देने का अनुरोध किया है। उधर जिले के धीरेन्द्र प्रसाद सिंह के समर्थकों का कहना है कि धीरेन्द्र सिंह आदिवासियत के बलि चढ़ गये। उल्लेखनीय है कि गुमला नगर पंचायत अध्यक्ष पूर्व में झारखण्ड विधान सभा चुनाव भी लड चुके हैं लेकिन उस समय उनके चुनाव लड़ने का खामियाजा भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवारों को पड़ा इसलिए आदिवासियत समर्थक चुप रहे लेकिन चूँकि इस बार धीरेन्द्र सिंह नगर पंचायत चुनाव में भाजपा के समर्थन से चुनाव जीत गये इसलिए आद्विवासियत के पुरोधाओं ने उनकी जाति प्रमाण पत्र को मुद्दा बनाकर उन्हें अध्यक्ष पद से पदच्युत कर दिया ।कुछ लोगों का कहना है कि नगर पंचायत अध्यक्ष बनने से पहले क्या वे आदिवासी थे और क्या अब वे आदिवासी से अचानक क्षत्रिय कुल सुशोभित करने लगे हैं ?

गुमला में शुभ शुक्रवार पर गिरजाघरों में प्रार्थना सभा

गुमला में शुभ शुक्रवार पर गिरजाघरों में प्रार्थना सभा

गुमला । गुमला में शुक्रवार को इसाई धर्मावलम्बियों  द्वारा शुभ शुक्रवार अर्थात गुडफ्राइडे का पर्व मनाया गया। गुमला स्थित उर्सुलाइन चर्च ,  जीइएल चर्च सहित सभी गिरजाघरों में विशेष प्राथना सभा का आयोजन किया गया। गुडफ्राइडे को मनाने के लिए महाउपवास काल विगत चालीस दिनों से चला आ रहा था । जिले के सभी गिरजाघरों में प्रार्थना सभा आयोजित किए जाने की खबर है । जिसमें महिलाएं, बच्चे, पुरुष सभी ने हिस्सा लिया। मौके पर पादरियों ने  प्रभु के संदेश को सभी भक्तों की बीच रखा। उन्होंने कहा कि इस दिन सारे जगत के लिए प्रार्थना की जाती है। जिससे संसार में शांति कायम रहे। उल्लेखनीय है कि गुडफ्राइडे ईस्टर के मद्देनजर ईसाई धर्मावलंबियों ने बड़ी तैयारी की थी । लोगों ने उत्साह पूर्वक अपने घरों की साफ-सफाई की है । शहर और गाँवों में निकट के कब्रिस्तानों में इसाई धर्मावलम्बियों ने  अपने पूर्वजों की कब्र की सफाई और मरम्मत का काम भी किया । जिले के गुमला , चैनपुर, डुमरी , जारी आदि प्रखंडों में भी गुड फ्राइडे मनाये जाने की सूचना है ।

न्यूटन ट्युटोरियल द्वारा गुमला में कैरियर काउंसिलिंग कार्यक्रम का आयोजन

न्यूटन ट्युटोरियल द्वारा गुमला में कैरियर काउंसिलिंग कार्यक्रम का आयोजन 

गुमला। न्यूटन ट्युटोरियल मैग्नम ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड शिक्षण संस्था राँची द्वारा तीन अप्रैल दिन शुक्रवार को गुमला जिला मुख्यालय के लोहरदगा रोड स्थित माहेश्वरी धर्मशाला में विद्यार्थियों के कैरियर काउंसिलिंग का आयोजन किया गया । पूर्वघोषित कार्यक्रमानुसार आयोजित कैरियर काउंसिलिंग में गुमला के नेट्रोडेम विद्यालय गुमला , सरस्वती विद्या मंदिर गुमला और डॉनबोस्को विद्यालय गुमला आदि विद्यालयों के विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों ने भाग लेकर कार्यक्रम का लाभ उठाया । इस कैरियर काउंसिलिंग में  न्यूटन ट्युटोरियल के प्राध्यापकों अर्थात प्रोफेसरों द्वारा इंटरमिडीएट की शिक्षा प्राप्ति के दौरान तथा इंटरमिडीएट उत्तीर्णोपरान्त विद्यार्थी कैसे और किस प्रकार अभियान्त्रिकी और चिकित्सीय शिक्षण संसथानों में प्रवेश की तैयारी करें, इस सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी गई ।क्षमता वर्द्धन और तार्किक प्रश्नों को हल करने की विधि को कार्यक्रम में विस्तारपूर्वक बतलाया गया । कार्यक्रम में आयोजकों ने कहा की किसी भी कार्य को करने के लिए उस पर ध्यान केन्द्रित किया जाना आवश्यक है ,तब ही सफलता मिलने की उम्मीद की जा सकती है  । प्रबंधकों ने कहा कि पूर्व में ही गुमला के सीबीएसई पाठ्यक्रम संचालित विद्यालयों में विद्यार्थियों की एक जांच  परीक्षा का आयोजन किया गया था । उक्त लिखित जांच परीक्षा में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण विद्यार्थियों को सम्मानित करते हुए प्रमाण पत्र दिया जा रहा है इन्हें संस्था द्वारा संचालित पाठ्यक्रमों में शुल्क की छूट भी दी जाएगी । कार्यक्रम में जांच परीक्षा में उत्तीर्ण हुए विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र दिया गया । कैरियर काउंसिलिंग कार्यक्रम में नेट्रोडेम विद्यालय गुमला , सरस्वती विद्या मंदिर गुमला और डॉनबोस्को विद्यालय गुमला आदि विद्यालयों के विद्यार्थियों के साथ ही जिला मुख्यालय के अन्य विद्यालयों के विद्यार्थी, शिक्षक , अभिभावक और  न्यूटन ट्युटोरियल मैग्नम ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड शिक्षण संस्था रांची के शिक्षक और प्रबंधकों ने भाग लिया ।भाग लेने वाले सभी विद्यार्थियों को न्यूटन ट्युटोरियल मैग्नम ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड शिक्षण संस्था राँची के प्रबंधन की ओर से कलम , लिखने की कागज और संस्था से सम्बंधित एक पुस्तिका प्रदान किया गया ।कार्यक्रम के आयोजन में संस्थान के निदेशक इमरान अली , आर के मिश्र व उनके सहयोगियों का मुख्य योगदान रहा।

जिला उद्यान्न विभाग द्वारा संचालित सब्जी बीज विक्रय केंद्र बंद

जिला उद्यान्न विभाग द्वारा संचालित सब्जी बीज विक्रय केंद्र बंद 

गुमलाl गुमला जिले में बिना लक्ष्य निर्धारित किए और बगैर कार्यक्रम निर्माण तथा परिणाम की चिंता किए बिना ही योजनायें बनायी जाती हैं । यही कारण है कि योजनाओं का लोगों को समुचित लाभ नहीं मिल पाता और सरकारी निधि व्यर्थ चली जाती है । इसका एक जीता-जागता उदाहरण है - जिला उद्यान्न विभाग द्वारा संचालित सब्जी बीज विक्रय केंद्र बंद गुमला के लोगों का ताजी सब्जी व बीज उपलब्ध कराने के लिए खोला गया सब्जी बीज विक्रय केंद्र बंद होने से लोगों को ताजी एवं निर्धारित दर पर सब्जी उपलब्ध नहीं हो पा रही है। जिला उद्यान्न विभाग द्वारा प्रोत्साहन योजना के तहत लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व लोगों को रोजाना ताजी सब्जी उपलब्ध कराने के लिए राँची की मशहूर वेनफेड संस्था को सब्जी बीज विक्रय केंद्र भवन का निर्माण कर संचालन की जिम्मेवारी दी गई थी। कुछ महीने तक  तो सब्जी बीज विक्रय केंद्र का संचालन हुआ लेकिन इसके बाद केद्र में ताला लटक गया। उल्लेखनीय है कि जिला उद्यान्न विभाग द्वारा प्रोत्साहन योजना के तहत सब्जी बीज विक्रय केंद्र का उद्घाटन दो सितंबर 2013 को जिला परिषद् गुमला की अध्यक्ष सतवंती देवी, उद्यान्न सह राज्य बागवानी मिशन के निदेशक प्रभाकर सिंह द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। उद्यान्न विभाग से मिली जानकारी के अनुसार केन्द्र में संस्था द्वारा बिक्री के लिए रखे गए सब्जी की दर निर्धारित होने तथा बाजार में मोल भाव के तहत सब्जी की खरीद कम मूल्य में होने के कारण केन्द्र से सब्जी व बीज खरीदने वाले ग्राहकों की लगातार कमी होने लगी। इस कारण केंद्र का संचालन करना कठिन हो गया था। संस्था द्वारा कर्मियों के वेतन व अन्य चीजों पर ज्यादा खर्च होने के कारण केंद्र को बंद कर देना पड़ा।

पेयजल व स्वच्छता विभाग के अधिकारियों से बैठक

पेयजल व स्वच्छता विभाग के अधिकारियों से बैठक 
गुमलाl गुमला विधायक शिवशंकर उराँव ने जिले में पेयजल की समस्या से लोगों को निजात दिलाने को लेकर 5 अप्रैल रविवार को परिसदन में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अभियंताओं के साथ भी एक महत्वपूर्ण बैठक की। उन्होंने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अभियंताओं अधिकारियों से कहा कि वे जनता की सेवा के लिए आये हैं वे जनता की सेवा करें। पानी के लिए पब्लिक हमें धमकाएंगे तो हम आपको नहीं छोड़ेंगे। पानी की आपूर्ति निर्बाध रूप से होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पैसा की कमी नहीं है, इसलिए बहानेबाजी नहीं चलेगा। जहां बिजली नहीं है वहां सोलर लगाएं। जिला में चल रहे छात्रावास, आश्रम, शैक्षणिक संस्थाओं में पर्याप्त पानी की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। विधायक ने आगाह करते हुए अधिकारियों से कहा कि पंद्रह अप्रैल तक पूरे जिला में पानी की व्यवस्था दुरूस्त कर लेंअन्यथा परिणाम भुगतने को तैयार रहें । शहर में जल आपूर्ति  में हो रही समस्याओं पर विधायक ने कहा कि वे समय निकालकर शहर का भ्रमण करेंगे। बैठक में पेयजल एवं स्वच्छता के कार्यपालक अभियंता त्रिभुवन बैठा ने बताया कि बिजली की आपूर्ति सही ढंग से नहीं होने के कारण जलापूर्ति में परेशानी होती है। इस पर विधायक ने कहा कि वे बिजली विभाग व नगर पंचायत के अधिकारियों के साथ बैठक कर आपसी तालमेल बनाकर कार्य करें। ताकि लोगों के घरों तक जलापूर्ति हो सके। बैठक में मुख्य रूप से सहायक अभियंता राम उराँव, भाजपा नेता निर्मल कुमार, शकुंतला देवी, शैल मिश्रा सहित दर्जनाधिक भाजपा कार्यकर्ता मौजूद थे।

बैठक .कार्यक्रम व विविधायोजन में ताबड़तोड़ भाग ले रहे हैं गुमला विधायक शिवशंकर उराँव -रणधीर निधि

बैठक .कार्यक्रम व विविधायोजन में ताबड़तोड़ भाग ले रहे हैं गुमला विधायक शिवशंकर उराँव 
-रणधीर निधि 

गुमला । गुमला विधायक शिवशंकर उराँव ताबड़तोड़ बैठक, विविध कार्यक्रम और आयोजनों में भाग ले रहे हैं । मिलनसार और सबके सुख-दुःख में शामिल होने वाले सर्वप्रिय विधायक विधानसभा के स्तर के समाप्ति के बाद से ही अपने क्षेत्र के पर्व-त्योहारों , सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजनों में ताबड़तोड़ हिस्सा ले रहे हैं। 4 अप्रैल शनिवार को अमर बलिदानी बख्तर सहाय व मुंडल सिंह के बलिदान दिवस के कार्यक्रमों अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने के बाद 5 अप्रैल रविवार को जिला मुख्यालय में पेयजल व स्वच्छता विभाग के अभियंताओं , अधिकारीयों के साथ बैठक कर जनता को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए समुचित निर्देश दिए तत्पश्चात स्थानीय परिसदन में पत्र-पत्रिकाओं और खबरिया चैनल के संवाददाताओं से बात-चीत भी की। जिला की समस्याओं को लेकर गंभीर गुमला विधायक शिवशंकर उराँव ने पत्र-पत्रिकाओं और खबरिया चैनल के संवाददाताओं के प्रश्नों का उतार देते हुए कहा कि जिला में समस्याएं हैं, परन्तु शीघ्र ही हर-हाल में उन समस्याओं का समाधान किया जाएगा । गुमला विधायक शिवशंकर उराँव ने स्वयं को घुड़सवार और अधिकारीयों को घोड़ा बतलाते हुए कहा कि गुमला के लोगों ने अच्छा सरपट दौडाने वाला घुड़सवार चुना है। अगर अच्छा घुड़सवार हो तभी घोडा को समुचित रूप से काबू में रखा जा सकता है और घोडा भी ठीक ढंग से तेजी से दौड़ लगा सकता है । विधायिका जैसा होगा वैसा ही काम भी दिखेगा। शीघ्र ही इस घुड़सवारी का अच्छा परिणाम भी लोगों को दिखलाई देगा । दैनन्दिनी व सामयिक समस्याओं से सम्बंधित प्रश्न का उत्तर देते हुए शिवशंकर उराँव ने कहा कि चाहे पानी की समस्या हो या फिर बिजली व सड़क की सभी समस्याओं का समाधान होगा। राज्य में अभी चर्चा-ए-गर्म मुद्दे स्थानीयता से सम्बंधित मुद्दे पर चर्चा करते हुए श्री उराँव ने कहा कि शीघ्र ही लिए स्थानीय नियोजन नीति तैयार की जाएगीऔर फिर झारखण्ड में भारी संख्या में नियुक्तियाँ होगी। इसके लिए सात अप्रैल को रांची में सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। जिसमें स्थानीय नियोजन नीति तैयार की जाएगी।

विधायक ने कहा कि वे गुमला जिला को शिक्षा हब बनाना चाहते हैं। यहाँ कल-कारखाने नहीं है। यहाँ के लोग अच्छी शिक्षा ग्रहण करें इसके लिए प्रयास जरुरी है। इसके लिए एनी कार्यों के साथ ही झारखण्ड-छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्वायत्तशासी विश्वविद्यालय निर्माण का कार्य जल्द प्रारंभ किया जाएगा । इसकी प्रक्रिया चल रही है। निजी विद्यालयों की मनमानी पर उन्होंने कहा कि सत्र में विधायकों द्वारा आवाज उठाई गई थी। इसके लिए एक समिति बनाकर जांच करायी जाएगी। निजी विद्यालय में 25 प्रतिशत गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले अर्थात बीपीएल परिवार के बच्चों को लेना है इसे सख्ती से लागू किया जाएगा। चाहे कितना बड़ा ही शिक्षण संस्थान क्यों न हो बीपीएल परिवार के बच्चों का नामांकन लेना अनिवार्य होगा। पत्रकार वार्ता के अवसर पर भाजपा नेता निर्मल कुमार, जगनारायण सिंह, जगदीश सिंह, शकुन्तला उराँव, शैल मिश्रा, दामोदर कसेरा, छोटे सोनी, परमेश्वर महतो, अरविन्द मिश्र आदि भाजपाई उपस्थित थे ।


गुमला के कई क्षेत्रों में विद्युत व्यवस्था चरमराई

गुमला के कई क्षेत्रों में विद्युत व्यवस्था चरमराई 

गुमला। गुमला शहर सहित सम्पूर्ण जिले में विगत कुछ दिनों से विद्युत व्यवस्था चरमरा गई है। बार-बार बिजली रानी के आँखमिचौली खेलने से इसके चहेते अतिरिक्त रूप से परेशान हो रहे हैं । शहर में तो लोग कुछ घंटों की लोडशेडिंग से परेशानी महसूस कर रहे हैं, परन्तु खबर है कि जिले के कई क्षेत्रों में प्रतिदिन मात्र 2 -3 घंटे ही बिजली की आपूर्ति होती है। इससे ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। छात्रों का पाठन-पाठन के अतिरक्त व्यापारियों का कार्य भी बिजली के अनियमित आपूर्ति के कारण बाधित होता है। बिजली नहीं होने के कारण पेयजल की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावे गर्मी से भी राहत नहीं मिल पा रही। घर में लगा हुआ पंखा व कूलर बेकार साबित हो रहा है। जिले के ग्रामीणों ने विद्युत विभाग के अधिकारियों से ग्रामीण क्षेत्रों में भी नियमित रूप से बिजली आपूर्ति करने की मांग की है ताकि गर्मी के मौसम में समस्याओं से निजात मिल सके।

अमर बलिदानी बख्तर साय एवं मुंडल सिंह की बलिदान दिवस के आयोजनों की धूम -रणधीर निधि

अमर बलिदानी बख्तर साय एवं मुंडल सिंह की बलिदान दिवस के आयोजनों की धूम 
-रणधीर निधि 

गुमलाl  गुमला में चार अप्रैल दिन शनिवार को अमर बलिदानी अर्थात शहीद बख्तर साय एवं मुंडल सिंह के बलिदान दिवस के आयोजनों की धूम रही l रायडीह प्रखंड के शहीद चौक नावागढ़ पतराटोली में शनिवार को अमर बलिदानी बख्तर साय एवं अमर शहीद मुंडल सिंह के बलिदान दिवस का आयोजन किया गया l इस अवसर पर केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री सुदर्शन भगत, गुमला विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय विधायक शिव शंकर उराँव , पूर्व विधायक कमलेश उराँव मुख्य रूप से उपस्थित थे l कार्यक्रम के शुरुआत में आगत अतिथियों का भव्य स्वागत छऊ नृत्य मंडली के द्वारा स्वागत गान व नृत्य के साथ किया गया। तत्पश्चात बलिदानीद्वय बख्तर साय एवं मुंडल सिंह की प्रतिमा  पर माल्यार्पण किया गया। मुख्य कार्यक्रम का शुभारम्भ वैदिक मन्त्रों से पुरोहित नरसिंह होता के द्वारा किया गया l इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में शहीद बख्तर साय और मुंडल सिंह की जीवनी पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डालते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री सुदर्शन भगत ने कहा कि देश की स्वाधीनता में इन वीर पुरुषों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इन्होंने अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए उनके दांत खट्टे कर दिए थे। बासुदेव कोना को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा करते हुए केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री ने कहा कि बासुदेव कोना धार्मिक पौराणिक और ऐतिहासिक स्थल है। इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा l वीर शहीदों के परिजनों को सरकार की ओर सुविधा मुहैया कराने का भी प्रयास मैं अपने स्तर से करूँगा l गुमला विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय विधायक शिवशंकर उराँव ने गुमला को वीरभूमि की संज्ञा देते और अमर बलिदानी अर्थात शहीद बख्तर साय एवं मुंडल सिंह की स्वाधीनता संग्राम की कथा को स्मरण करते और बलिदानीद्वय को नमन करते हुए कहा कहा कि गुमला की वीरभूमि ने कई वीरों को जन्म दिया है, जिन्होंने देश और धर्म के लिए अपने प्राणों को बलिदान कर दिया l गुमला सहित समस्त झारखण्ड के वीर बलिदानियों की बलिदानियत अर्थात शहादत को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा l इस अवसर पर अखिल भारतीय रौतिया समाज विकास परिषद के अध्यक्ष रामशंकर सिंह रौतिया जाति के रहन –सहन ,रीति-रिवाज आदिके बारे में विस्तार से प्रकाश डालते और समाज व देश के ले लिए रौतिया जाति के पूर्वजों द्वारा किए गये सद्कार्यों को उल्लेख करते हुए कहा कि रौतिया समाज को एक जुट होने की आवश्यकता है। रौतिया समाज को आदिवासी का दर्जा मिलना चाहिए। उन्होंने बलिदानीद्वय बख्तर साय एवं मुंडल सिंह को नमन करते हुए कहा कि वीर के परिजनों को सरकार की ओर से सुविधाएं दिया जाना चाहिए। आयोजन को पूर्व विधायक कमलेश उराँव,लाल प्रवीर नाथ शाहदेव, वसन्त कुमार लाल, रायडीह प्रखंड की प्रमुख यशोदा उराँव आदि ने वीर बख्तर साय एवं मुंडल सिंह के कार्यों और जीवनी पर प्रकाश डालते हुए अपनी बातें रखीं l

कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा बलिदानीद्वय बख्तर साय एवं मुंडल सिंह के परिजनों की पगड़ीपोशी भी की गई l मुख्य रूप से बख्तर साय के परिजन जगमोहन सिंह, फुटला सिंह, बहादुर सिंह, कृपाल साय, करमपाल सिंह और मुंडल सिंह के परिजन बालेश्वर सिंह, रामजनम सिंह, बंधन सिंह, पंचम सिंह, विश्वनाथ सिंह को आगत अतिथियों के द्वारा पगड़ीपोशी कर सम्मानित किया गया l कार्यक्रम में अनुमंडल अधिकारी चैनपुर सीमा कुमारी उदयपुरी, अनुमंडल दण्डाधिकारी समीर कच्छप, विनय कुमार लाल, गजाधर सिंह, लालदेव सिंह, जगनारायण सिंह, घनश्याम सिंह, मांगू उरांव, शक्ति साहू, कुर्बान राय, बहादुर सिंह, पहलवान सिंह, गणेश सिंह, बालमुकंद सिंह, जगरनाथ सिंह, लक्ष्मण सिंह, मघई, बुधनाथ सिंह, कुलदीप सिंह, ईश्वर साय सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित थे l


उधर जिले के पालकोट प्रखंड के  बिलिंगबिरा पंचायत के खरवाडीह स्कूल मैदान में वीर अमर बलिदानी बख्तर साय और मुंडल सिंह की बलिदानी अर्थात शहादत दिवस सह सांस्कृतिक मेला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन झारखण्ड इकाई के केंद्रीय संयोजक के एन पंडित ने बख्तर और मुंडल के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया। के एन पंडित ने कहा कि हमारी खुशियां और चल अचल संपत्ति को वापस पाने के लिए हमारे शहीदों ने कुर्बानी देकर हमें स्वाधीनता दिलाई है। हम शहीदों की कुर्बानी को बेकार नहीं जाने देंगे। वीरों की कुर्बानी पर हमारे देश से अंग्रेज गये है। केएन पंडित ने कहा कि हमें बख्तर और मुंडल के पदचिन्हों पर चलकर अपनी जमीन को बचाना होगा। कार्यक्रम को त्रिदेव घोष, जीतन मरांडी, सुरेंद्र सिंह और मुखिया मायावती देवी आदि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न क्षेत्र से आये युवक-युवतियां महिला समूह की महिलाओं ने वीर शहीदों पर आधारित झांकी, सांस्कृतिक नाच, आधुनिक नाच, नुक्कड़ नाटक, आदि प्रस्तुत किया गया। इससे पूर्व खरवाडीह बस स्टैण्ड से ग्रामीण महिला समूह द्वारा लोटापानी के साथ मांदर की थाप पर आगंतुक अतिथियों का स्वागत करते हुए मंच तक लाया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से शेषनाथ वर्णवाल, मुखिया मायावती देवी, चंदन भगत, सुरेंद्र सिंह, बजरंग सिंह, रामप्रताप सिंह, वासुदेव साव, साधु प्रधान, रामप्रसाद सिंह, लक्ष्मीनाथ सिंह, नन्दकुमार साहू, देवपाल खड़िया, बसंत सिंह, जीतू सिंह, दुर्गा सिंह, शंकर सिंह, बहाल सिंह, अमरनाथ सिंह, बिरसमनी देवी, गोवर्धन सिंह, जनार्दन सिंह, मुकुंद सिंह, फलिंद्र बड़ाईक, नारायण बड़ाईक, डुमनेश्वर सिंह, मंगल सिंह, राधे प्रधान, बिरसु सिंह, संतोषी देवी, अमृता देवी, दिनेश सिंह, रामेश्वर सिंह, मुकेश्वर साहू, सोमरा खड़िया, तेतरू सिंह, सुरेश सिंह, कल्लू सिंह आदि सैंकड़ों लोग उपस्थित थे। 

पालकोट में एकमात्र राष्ट्रीयकृत बैंक होने के कारण बैंक और ग्राहक दोनों की ही बढ़ी परेशानी

पालकोट में एकमात्र राष्ट्रीयकृत बैंक होने के कारण बैंक और ग्राहक दोनों की ही बढ़ी परेशानी 

गुमला l गुमला जिले के पालकोट प्रखंड मुख्यालय में राष्ट्रीयकृत बैंक की एकमात्र शाखा होने के कारण बैंक पर काम का दबाव बढ़ गया है वहीँ ग्राहकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है l उल्लेखनीय है कि पालकोट प्रखंड मुख्यालय में राष्ट्रीयकृत बैंक की एकमात्र शाखा है,और वह शाखा है बैंक ऑफ़ इंडिया की l इसके अतिरिक्त पालकोट प्रखंड मुख्यालय सहकारिता बैंक की एक शाखा है l इसके साथ ही ग्रामीण बैंक की दो शाखाएं प्रखंड के बघिमाँ और पोजेंगा में कार्यरत हैंl परन्तु मुख्यालय में अवस्थित बीनक ऑफ़ इंडिया की एकमात्र शाखा पर ही सरकारी और वाणिज्यिक कार्यों की निर्भरता के कारण बैंक पर कार्यों का दबाव बढ़ गया है lइस शाखा से ही सरकारी कर्मियों के वेतन , मानदेय, इंदिरा आवास और अन्यान्य सरकारी विकास योजनाओं के लाभुकों का भुगतान, ग्रामीणों व व्यापारियों और पेंशनधारियों का भुगतान आदि किये जाते हैं, और खाताधारियों की संख्या अत्यधिक होने के कारण बैंक में प्रतिदिन लम्बी कतार लगी रहती है l परिणाम स्वरुप बैंक में अपने कार्यों को लेकर आने वाले लोगों , ग्राहकों को भारी परेशानी होती हैl ऐसी परिस्थिति में सर्वाधिक परेशानी वृद्धावस्था पेंशन के लाभुकों को हो रही है l ग्राहकों को बैंक के अन्दर खच्चमखच्च भीड़ होने के कारण बाहर चिलचिलाती धूप में बैठकर इंतजार करना पड़ता हैl सर्वाधिक परेशानी कार्य न होने पर बैरंग वापस लौटने पर होती है क्योंकि पुनः दुसरे दिन इस परेशानी से दो-चार होना उनकी नियति है l कुछ दिन पूर्व बैंक में हो रही भीड़ से निपटने के लिए बैंक के द्वारा बैंक के बगल में ही एटीएम लगाईं गई थी ,परन्तु अक्सर ही लिंक फेल होने के कारण उसका लाभ ग्राहकों को नहीं मिल पाता था  l अंततः वह भी बंद पड़ी है l

विद्यालय चलें, विद्यालय चलायें अभियान को लेकर कार्यशाला

विद्यालय चलें, विद्यालय चलायें अभियान को लेकर कार्यशाला 

 गुमला l यह चिन्ता का विषय है कि गुमला जिले में 17199 बच्चे अब तक विद्यालय नहीं जा सके हैं। इसमें सबसे ज्यादा गुमला प्रखंड में 2677 तथा भरनो प्रखंड में 951 बच्चे शामिल हैं l विद्यालय चलें, विद्यालय चलायें अभियान के तहत अब तक विद्यालय का मुख देख न सकने वाले जिले के सभी बच्चों का विद्यालय में नामांकन सुनिश्चित कराया जाएगाl इस कार्य में सबके सहयोग की नितांत आवश्यकता है और सभी के प्रयास से ही अभियान को सफल बनाया जा सकता है l यदि कोई बच्चा विद्यालय नहीं जा रहा है तो इसके लिए उसका अभिभावक जिम्मेदार है , विद्यालय चलें, विद्यालय चलायें अभियान को गाँव-गाँव तक ले जाना है और अभियान को सफल बनाना है l आइये सभी मिलकर इस अभियान के तहत सभी बच्चों का विद्यालय में नामांकन सुनिश्चित करें l उपरोक्त बातें गुमला के उपायुक्त गौरीशंकर मिंज ने सोमवार को विद्यालय चलें, विद्यालय चलायें अभियान के अंतर्गत नगर भवन गुमला में आयोजित जिलास्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कहीl उपायुक्त गौरीशंकर मिंज ने अभियान के सम्बन्ध में आवश्यक दिशा-निर्देश और प्रत्येक सरकारी कर्मी को एक-एक विद्यालय गोद लेने के का निर्देश देते हुए कहा कि प्रत्येक सरकारी कर्मी को एक विद्यालय गोद लेने के लिए शीघ्र आदेश निर्गत किया जाएगाl अधिकारी सप्ताह में एक दिन अपने गोद लिए विद्यालय का स्वयं निरीक्षण करें, विद्यलय कि समस्याओं से अवगत हों और तत्संबंधी समाधान के लिए कारर्वाई करें l इसके पूर्व उपायुक्त ने विद्यालय चलें, विद्यालय चलायें अभियान के एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित कर किया l कार्यशाला में उपस्थित शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों और शिक्षकों कोअभियांकी जानकारी प्रोजेक्टर के माध्यम से दी गई l कार्यक्रम को जिला शिक्षा अधीक्षक नीरू पुष्पा टोप्पो ने संबोधित कियाl नीरू पुष्पा टोप्पो ने अभियान के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए कहा कि अभियान के अंतर्गत तीन से छह वर्ष तक के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र में नामांकन कराया जायेगा और छः से चौदह के वर्ष तक के बच्चों का विद्यालय में नामांकन किया जाना हैl अभियान 17 से 30 अप्रैल तक दो चरणों में संचालित होगा। इस दौरान विद्य्ल्यों में अनेक प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे l कार्यक्रम को अन्य कई अधिकारियों ने भी सम्बोधित किया l इस अवसर पर इस निमित एक जागरूकता रथ जिले के प्रखंडों के भ्रमण के लिए भेजा गया जिसकी रवानगी उपायुक्त ने हरी झंडी दिखलाकर की l इस अवसर पर उपरोक्त के अतिरिक्त उपविकास आयुक्त अंजनी कुमार, जिला शिक्षा अधीक्षक गुमला सच्चिदानंद तिग्गा, जिला कल्याण पदाधिकारी मधुमिता कुमारी, जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी सुनीता धान, जिला परिषद् सदस्य हान्दु भगत, सुनील कुल्लू , नगर पंचायत अध्यक्ष मुशर्रत प्रवीन आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे  l 

निजी विद्यालयों की मनमानी पर अंकुश के लिए प्रशासनिक कवायद तेज

निजी विद्यालयों की मनमानी पर अंकुश के लिए प्रशासनिक कवायद तेज


गुमलाl झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा दिए गये निर्देश के आलोक में गुमला जिला में निजी विद्यालयों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए प्रशासनिक कवायद तेज हो गई है l निजी विद्यालयों मे प्रतिवर्ष नामांकन, पुनर्नामांकन,विकास शुल्क, वाहन शुल्क, विद्यालय परिधान आदि के नाम पर वसूल की जानेवाली शुल्क पर रोक के लिए गुमला जिला प्रशासन ने भी कमर कस लिया हैl इसी निमित एक बैठक ग्यारह अप्रैल शनिवार को विकास भवन के सभागार में उपायुक्त गुमला गौरीशंकर की अध्यक्षता में हुई जिसमें प्रशासनिक अधिकारीयों के साथ ही गुमला के निजी विद्यालयों के प्रधानाचार्यों और अभिभावकों ने भाग लिया lबैठक में विद्यालय चलें , विद्यालय चलायं् अभियान के संचालनार्थ आवश्यक निर्णय लिए गये और तत्सम्बन्धी आदेश दिए गयेl बैठक की शुरुआत में ही विद्यालय प्रधानों ने अपने-अपने विद्यालय में ली जाने वाली शुल्क का ब्योरा सबसे सामने रखा वहीं अभिभावकों द्वारा इसका पुरजोर विरोध करते हुए शिक्षा को पूर्ण रूप से व्यवसायी करण करने का आरोप विद्यालय प्रबंधन पर लगाया गयाl  शिक्षा का अधिकार के सम्बन्ध में बात शुरू होते ही बैठक मे उपस्थित निजी विद्यालय प्रधानाध्यापकों एवं अभिभावकों के मध्य विद्यालय में वसूली जा रही शुल्कों एवं अन्यान्य सुविधाओं को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला l सबकी बातों को सुनने के पश्चात उपायुक्त ने कहा कि निजी विद्यालयों के क्रिया-कलापों को लेकर राज्य सरकार भी काफी गंभीर है एवं जिला के विद्यालयों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम सुनिश्चित कराने की जिम्मेवारी जिलाधिकारी को दी गई हैl उन्होंने विद्यालयों द्वारा लिए जाने वाले विभिन्न प्रकार के शुल्क के सम्बन्ध में सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों से शुल्क विवरणी का प्रस्ताव जिला शिक्षा अधीक्षक के पास जमा कराने एवं अगले आदेश तक छात्रों से ली जाने वाली वार्षिक शुल्क की राशि लेने पर रोक लगाने का आदेश दियाl उपायुक्त ने कहा कि शुल्क वृद्धि का निर्णय विद्यालय प्रबंधन व अभिभावकों की बैठक करके आपसी सहमति से किया जाए एवं अगले पंद्रह दिनों के अंदर हर हाल में प्रबंधन समिति का गठन कर उसकी जानकारी जिला शिक्षा अधीक्षक के पास जमा करेंl उपायुक्त ने कहा कि विद्यालयों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम अर्थात आरटीई लागू करने के लिए सभी निजी विद्यालय अखबारों में कक्षावार रिक्ति से संबधित विज्ञापन अखबार में प्रकाशित कराएंगे तथा इसके अनुसार कक्षा में तय छात्र संख्या का पच्चीस प्रतिशत गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले परिवारों के बच्चों का नामांकन सुनिश्चित किया जाएl विद्यालय के बसों में क्षमता से ज्यादा छात्र नहीं बैठाने, छात्र-छात्राओं को किताब, ड्रेस व बैग किसी भी तय दुकान से खरीदने के लिए बाध्य करने की प्रवृति पर तत्काल रोक लगाई जाएl यदि इस तरह का कोई भी मामला पकड़ में आता है तो कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी  l बैठक में उपायुक्त के साथ ही उपविकास आयुक्त अंजनी कुमार , अनुमण्डल पदाधिकारी गुमला नेहा अरोड़ा, जिला शिक्षा पदाधिकारी नीरू पुष्प टोप्पो, जिला शिक्षा अधीक्षक एस तिग्गा व जिला के निजी विद्यालय प्रधानाध्यापकों और भारी संख्या में अभिभावकों ने भाग लिया  l

गुमला सदर अस्पताल की स्थिति दयनीय, जीवन रक्षक दवाएं खत्म,एंटी रैबिज भी नहीं, मरीज व परिजन परेशान -रणधीर निधि

गुमला सदर अस्पताल की स्थिति दयनीय, जीवन रक्षक दवाएं खत्म,एंटी रैबिज भी नहीं, मरीज व परिजन परेशान 
-रणधीर निधि 

गुमलाl गुमला जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति ठीक नहीं lप्रखण्ड मुख्यालयों में अवस्थित प्राथमिक स्वाथ्य उपकेंद्रों को तो जाने दीजिए, गुमला मुख्यलय में अवस्थित सदर अस्पताल तक की स्थिति भी दयनीय कही जा सकती है l सदर अस्पताल गुमला के सम्बन्ध में यह खबर आश्चर्यजनक खबर छन कर आई है कि सदर अस्पताल गुमला में जीवन रक्षक दवाएं तक उपलब्ध नहीं हैं और यह स्थिति विगत वित्तीय वर्ष के दो माह पूर्व से बनी हुई है l कहा जा रहा है कि अस्पताल में दवाएं नहीं मिलने के कारण मरीज और उनके परिजन परेशान हैंl घबराहट की बात यह भी बतलाई जा रही है कि अभी यह स्थिति आगामी दो माह तक बने रहने की उम्मीद है l सरकार से आवंटन प्राप्ति की जो स्थिति गत वर्षों तक रही है , वही विलम्ब की स्थिति अब भी कायम हैl आवंटन प्राप्ति तत्पश्चात दवा खरीदगी तक मरीज व उनके परिजनों को इस स्थिति से जूझना पड़ेगा , इसमें कोई संशय नहींl खबर तो यह भी है की सदर अस्पताल में एंटी रैबीज वैक्सीन देने की सीरिंज तक नहीं है और सिरिंज नहीं रहने के कारण जिले भर के रोगियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है l कारण यह है कि जिले भर में फिलवख्त सदर अस्पताल में ही एंटी रैबीज वैक्सीन उपलब्ध है l फलतः जिले भर के कुक्कुर कटे यहीं आ रहे हैं l
जानकारी के अनुसार अस्पताल प्रवंधन द्वारा दवा खरीदगी मद में मांगी गई आवंटन के विरूद्ध सरकार से कम राशि प्राप्त होना दवाओं की कमी का मुख्य कारण रहा है l इसके साथ ही प्राप्त राशि का समय पर उपलब्ध नहीं होना भी दवाओं का सदैव उपलब्ध नहीं होने का एक कारण है l अस्पताल प्रबंधन द्वारा उपलब्ध कराई जा रही आंकड़ों के अनुसार मांगी गई राशि से कम आवंटन उपलब्ध होने की यह स्थिति विगत सात –आठ वर्षों से निरंतर बनी हुई है, जबकि इस अस्पताल में प्रतिदिन औसतन तीन सौ रोगी अपनी इलाज के लिए आते हैं और यह जगजाहिर है कि इसमें से अधिकांश एक अनुमान के अनुसार ८० प्रतिशत गरीब परिवारों से आते हैं,जिनके पास साधारणतया इलाज कराने और दवा खरीदने के लिए पैसे नहीं होतेl ऐसे लोग बीमार पड़ने की स्थिति में सरकारी अस्पताल पर ही निर्भर करते हैं और सरकारी अस्पतालों की स्थिति तो उनमे दो माह से जीवन रक्षक दवाओं तक के नदारद रहने की खबर से ही जानी जा सकती है l सदर अस्पताल में सौ शैय्या की यह व्यवस्था है , परन्तु अस्पताल मे आने वाले रोगियों की संख्या के अनुपात में यह कम पड़ता है l अतः शैय्याओं की संख्या में वृद्धि के साथ ही अन्य सुविधाएं भी अपेक्षित हैं l सदर अस्पताल में ही अवस्थित जन औषधि केंद्र भी की दिनों से बंद नजर अ रहा है l अस्पताल के कुछ लोगों के द्वारा सरकार की अति महत्वकांक्षी योजना जन औषधि केंद्र की यह स्थिति भी दवाओं का उपलब्ध नहीं होना ही बतलाया जा रहा है l
जिले में कुक्कुर कटे की दवा एंटी रैबीज वैक्सीन के सिरिंज के सम्बन्ध में सनसनाती खबर है कि जिले के प्रायः स्वास्थ्य उपकेंद्रों और रेफरल अस्पतालों में कुक्कुर कटे की दवा एंटी रैबीज वैक्सीन की उपलब्धता नहीं होने के कारण जिले भर के कुक्कुर कटे सदर अस्पताल पहुँच रहे हैं l सदर अस्पताल में एंटी रैबीज वैक्सीन तो उपलब्ध है परन्तु इसे देने के लिए सूई अर्थात सिरिंज ही नहीं है l परिणाम स्वरुप कुक्कुर काटों के साथ ही उनके परिजन भी हाल-बेहाल, परेशान हैं l बताया जा रहा है कि यहाँ एंटी रैबीज वैक्सीन तो अभी उपलब्ध है , परन्तु एंटी रैबीज दवा के लिए उपयोग में आने वाली प्वाइंट वन एमएल की सिरिंज नहीं है l खबर है कि अकेले सोमवार को गुमला, सिसई, घाघरा, गुमला, बसिया व कामडारा आदि प्रखंड क्षेत्रों से दो दर्जन से अधिक कुक्कुर कटे मरीज कुत्ता काटने के पश्चात् सदर अस्पताल आये थे, परन्तु सिरिंज उपलब्ध नहीं होने कारण बैरंग वापस हो गए l
इस सम्बन्ध में पूछे जाने पर असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी गुमला शेष नारायण झा ने स्वीकार किया कि आवंटन नहीं रहने के कारण जीवन रक्षक व अन्य दवाएं कमी है l जिसके कारण लोगों को कठिनाई हो रही हैlविगत वित्तीय वर्ष के मई जून में आठ लाख रूपये आया हुआ था l जिससे दवाओं की खरीदगी की गई थी तत्पश्चात तत्कालीन असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी गुमला ने पन्द्रह लाख रूपये की मांग की गई, परन्तु आवंटन प्राप्त नहीं होने के कारण दवाइयां समाप्तप्राय है l श्री झा ने यह भी स्वीकार कि कुछ दिन पूर्व एंटी रैबीज वैक्सीन में उपयोग में आने वाली सिरिंज की कमी थी, परन्तु एंटी रबिज की दवा व सिरिंज अब उलब्ध है l  इस सम्बन्ध में सरकार से पत्राचार किया गया है आवंटन प्राप्त होते ही सारी व्यवस्था कर ली जाएगी l








गुमला शहर में गर्मी के आहट के साथ ही पेयजल समस्या शुरू

गुमला शहर में गर्मी के आहट के साथ ही पेयजल समस्या शुरू 
-रणधीर निधि की राष्ट्रीय नवीन मेल प्रकाशित

गुमला । गुमला शहर में गर्मी के आहट के साथ ही पेयजल समस्या फिर से सुरसा के मुंह की भान्ति आ खड़ी हुई हैं। शहर में पेयजल की समस्या गहराने लग गई है। कुछ वार्डों में पाइप लाइन बिछी हुई है पर समस्या बनी हुई है।गर्मी के दस्तक देते ही शहर के पिछड़ी बस्ती वाले इलाकों में जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है। शहर के कुछ वार्ड ऐसे हैं, जहां पिछड़ी बस्ती में रहने वालों को बारह महिने पेयजल की समस्या से जूझना पड़ता है। गर्मी के दिनों में यह समस्या और भी बढ़ जाती है। शहर में दर्जनों इंडिया मार्का नल खराब पड़े हैं। पानी की समस्या में कमी होने का इजाफा नहीं दिखाई दे रहा है बल्कि समस्या और बढ़ती जा रही है। दर्जन भर से अधिक स्थानों में नल तो लगे हैं, परन्तु उसमें पानी की जगह हवा ही निकलती है। क्षेत्र में कई ऐसे भी स्थान है जहा नल में बालू आने से पानी पीने योग्य नहीं हैं। कई जगहों पर पानी के साथ पीले रंग के कण निकलते हैं । कई नल खराब पड़े हैं। जिससे उन जगहों की गरीब जनता को पानी पीने की किल्लत हो रही है। अनेक जरुरी वाले स्थानों पर एक अदद नल भी नहीं लगा है। जिसके कारण उन स्थानों पर कार्य के लिए आने वाले बाहरी लोगों को जब प्यास लगती है तो इंडिया मार्का नल की कमी खलती है। खराब पड़े ऐसे कई इंडिया मार्का नल प्यास से बेहाल नागरिकों को मुंह चिढ़ा रहे हैं। इस समस्या के बावत शहरियों ने नगर पंचायत के कार्यपालक अधिकारी से इसके निराकरण की माग की किंतु समाधान के नाम पर आश्वासन की घुट्टी पिलाई जा रही है।पेयजल की किल्लत को लेकर कई स्थानों पर  हैंडपम्प पर लम्बी लाइन लग जाती है और विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है ।
उधर शहर के पुराने बुजुर्ग वाशिंदे कहते हैं कि गुमला शहर में इस गर्मी के मौसम में पेयजल की समस्या विकराल होगी। शहरी जलापूर्ति योजना का निर्माण कछुआ की गति से होने के कारण शहर के कि क्षेत्रों के लोगों को पेयजल के लिए पूर्व की ही भान्ति इस बार भी घंटो हैंडपंपो पर लाइन में खड़े होकर अपनी बारी आने की प्रतीक्षा करनी होगी। विभागीय सूत्रों के अनुसार शहर की बढ़ती आबादी को देखते हुए नगर विकास द्वारा चार वर्ष पूर्व शहरी जलापूर्ति योजना की स्वीकृति प्रदान की गई थी एवं शहर में तीन जलमीनारों के निर्माण के साथ मुहल्लों में घरेलू जलापूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछाने की योजना पर काम शुरू हुआ था। योजना का क्रियान्वयन शुरू होने पर शहर के लोगों में पेयजल संकट दूर होने की आशा का संचार हुआ था। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया उक्त तीन जलमीनारों के निर्माण के काम की गति धीमी होती चली गई। दुंदुरिया में रॉक गार्डेन के समीप, करमटोली में शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय परिसर के समीप एवं पालकोट रोड में जलमीनारों के निर्माण का काम शुरू हुआ। दुंदुरिया में जलमीनार बनकर तैयार है लेकिन करमटोली में जलमीनार का निर्माण कछुए की धीमी गति से चल रहा है। उधर पालकोट रोड में जमीन विवाद के कारण जलमीनार का निर्माण ही शुरू नहीं हो सका है। बताया जा रहा है कि पालकोट रोड में बननेवाले जलमीनार निर्माण में भूमि विवाद होने से इस कार्य में थोड़ा विलंब हो रहा है।इसी तरह शहर के कुछ मुहल्लो में पाइप लाईन बिछाया गया है, पर अधिकांश मुहल्लों में पाइप लाईन बिछाने का काम शुरू नहीं हो सका है। पाइप लाईन नहीं बिछने के कारण अधिकांश घरों में पानी का कनेक्शन ही नहीं है। शहरी क्षेत्र के आबादी लगभग पचास हजार के करीब है एवं रोजाना इतनी आबादी के लिए दो लाख लीटर से ज्यादा पानी की आवश्यकता पड़ेगी। ऐसे में जलमीनारों का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं होने की स्थिति में शहर की आधा से ज्यादा आबादी को पेजयल की समस्या का सामना करना पड़ेगा।
शहर में कुओं की स्थिति और भी खराब है ।प्रशासनिक स्तर पर पेयजल हेतु कुएँ शहर में नहीं बनाये गये हैं उधर शहरवासियों ने व्यक्तिगत स्तर पर कुछ कुओं का निर्माण अपनी भूमि पर अपने घरों में करवाए हैं ,परन्तु वे पर्याप्त नहीं हैं और गर्मी के शुरुआत में ही वे सूखने लगते हैं ।शहर वासियों ने गर्मी को देखते हुए पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था प्रशासनिक स्तर पर करने की माँग की है।

गर्मी के दस्तक देने से पूर्व ही जिला में जल संकट के आसार नजर आ रहे हैं। कूप, हैंडपंप आदि के जलस्तर तेजी से नीचे जा रहे हैं। जल समस्या से निपटने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग अभी से इसकी तैयारी में जुट गई है।
विभाग के कार्यपालक अभियंता त्रिभुवन बैठा ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले में कुल 15796 हैंडपंप है। इनमें से कुछ खराब पड़े हुए हैं। इसके लिए मार्च माह में सर्वे कराया जाएगा तथा जल्द की खराब हैंडपंपों को दुरूस्त कराने का कार्य किया जाएगा। जिले में कुल 93 स्थानों पर मिनी जलापूर्ति प्रारंभ किया गया है। इनमें से कुछ के खराब होने की सूचना हैं। कुछ स्थानों पर लो वोल्टेज के कारण जलापूर्ति नहीं हो पा रहा है। जहां वोल्टेज की समस्या वहां सोलर सिस्टम लगाकर जलापूर्ति किया जाएगा ताकि लोगों को पानी की सुविधा प्राप्त हो सके। गुमला जिले में भरनो प्रखंड को छोड़कर सभी प्रखंड मुख्यालय में जलापूर्ति सुचारू रूप से चल रहा है। भरनो में जल्द कार्य प्रारंभ किया जाएगा।

गुमला में खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लेकर खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय की अधिकारियों के साथ बैठक व प्रेस वार्ता

गुमला में खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लेकर खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय की अधिकारियों के साथ बैठक 

 गुमला l  खाद्य सुरक्षा अधिनियम को प्रभावी बनाने और इसका समुचित लाभ जरुरतमंदों को सुनिश्चित कराने को लेकर झारखण्ड के खाद्य आपूर्ति एवं संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने 12 अप्रैल रविवार को गुमला जिले के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ परिसदन गुमला में बैठक की l बैठक में एक जुलाई से प्रदेश में लागू होने वाली खाद्य सुरक्षा अधिनियम के सम्बन्ध में विस्तार से चर्चा करते हुए सरयू राय ने कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम को जिला सहित सम्पूर्ण झारखंड में सशक्त व पारदर्शी बनाने की नितांत आवश्यकता है ताकिग्रीब व जरूरतमंदों को इसका समुचित लाभ मुहैय्या करायी जा सक l इसके लिए गरीबी रेखा से नीचे और ऊपर जी रहे सभी परिवारों का सर्वेक्षण और प्राप्त आंकड़ों का सत्यापन करना आवश्यक हैl इस कार्य में क्षेत्र और क्षेत्र के वाशिंदों को बखूबी रूप से जानने वाले चुनाव आयोग के मतदान केंद्र स्तरीय अधिकारियों अर्थात बी एल ओ को लगाया है जो पूर्व से ही उस गाँव के विधानसभा क्षेत्र की निर्वाचक नामावली से सम्बन्धित कार्य को नियमित रूप से निष्पादित करते रहे हैं l इसलिए बी एल ओ को इस सम्बन्ध में आश्यक दिशा-निर्देश देने और उसे सख्ती से पालन किए जाने की आवश्यकता है l खाद्य आपूर्ति व संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने अधिकारीयों को हिदायत देते हुए कहा कि कई स्थानों से परिवार के सदस्यों का नाम सर्वेक्षण सूची से गायब होने की शिकायतें मिल रही हैं l कहीं-कहीं से सिरे से अर्थात पूरे परिवार का नाम सूची से नदारद होने की बातें भी सामने आ रही हैं , इस समस्या के समाधान के लिए ग्राम सभा के सहयोग से  अधिनियम सम्मत कारर्वाई कर इसे ठीक अर्थात दुरुस्त किए जाने की आवश्यकता हैl  खाद्य सुरक्षा अधिनियम का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किए जाने की व्यवस्था राज्य सरकार की है इसलिए यह प्रशासनिक अधिकारियों की सम्पूर्ण जिम्मेवारी में खाद्यानों का भंडार गृह अर्थात गोदाम से जन वितरण की दूकान तक और दूकान से सीधे लाभुक के हाथों तक पहुँचने तक पूरी पारदर्शिता होनी चाहिएl बैठक में उपयुक्त गुमला गौरी शंकर मिंज, अनुमण्डल अधिकारी गुमला नेहा अरोड़ा, भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारी सूरज कुमार, जिला आपूर्ति पदाधिकारी गुमला विनोद शंकर मिश्र आदि उपस्थित थे l
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झारखण्ड के खाद्य आपूर्ति व संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय की पत्रकार वार्ता 

गुमला l झारखण्ड के खाद्य आपूर्ति व संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने गुमला में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक करने के पश्चात् गुमला के पत्र-पत्रिकाओं व खबरिया चैनल के प्रतिनिधियों से अलग से खाद्य सुरक्षा अधिनियाम्के सम्बन्ध में विस्तृत वार्तालाप कीl जिसमे जिले के अधिकारियों को दिए गये उपरोक्त निर्देश ही अधिकांशतः शामिल थेl  l खडी आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के कई प्रदेशों में खाद्य सुरक्षा अधिनियम पूर्व में ही लागू हो चुका है , परन्तु झारखण्ड के लिए यह दुर्भाग्य है कि यहाँ यह आगामी एक जुलाई से प्रारम्भ हो सकेगी l फिर भी इसे प्रथ्मिलता के रूप में लेकर सबके सहयोग से मंजिल तक ले जाने कि आवश्यकता है, और झारखण्ड व केंद्र की सरकार इसके लिए कृतसंकल्पित है l अधिनियम को सशक्त बनाने के लिए अत्याधुनिक तरीके से खाद्यान्न की आपूर्ति की जायेगी l भारतीय खाद्य निगम की भण्डार गृह से खाद्यान लेकर निकलने वाहनों व ट्रकों में जी पी एस यंत्र लगे होंगे जिससे वे खान जायेंगे और कहाँ रुकेंगे यह सब मुख्यालय में प्रदर्शित होता रहेगा l इसके साथ ही भण्डार गृह से दूकान दार के यहाँ जाने के लिए वाहन के निकलते के साथ ही दूकान दार को एक सन्देश अर्थात मेसेज प्राप्त होगा, जिससे वह जान जायेगा कि खाद्यान भंडार गृह से चल चुका है lइसी तरह दूकान दार के पास खाद्यान्न के पहुँचते ही लाभुक को सन्देश पहुँच जाएगाl  सरयू राय ने आगे कहा कि अब जन वितरण प्रणाली की दूकानें एक दिन छोड़कर पूरी सप्ताह खुली रहेंगी l उक्त दूकान में दूकान दार प्रणाली की वस्तुओं के साथ ही अन्य सामानें भी बेच सकेंगे l दूकानदारों के माध्यम से अब चावल के अतिरिक्त गेहूं व चीनी भी खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत लाभुकों को मुहैय्या करायी जाएगी  l इसके साथ ही अधिनियम के अंतर्गत उनका खाद्यान्न की वस्तुओं पर कमीशन भी बढ़ाया जायेगा l प्रणाली की दूकाने अब बायोमीट्रिक्स प्रणाली से संचालित की जाएँगी और पूरी पारदर्शिता के विभाग के अंतरजाल संकेत स्थल अर्थात वेबसाईट पर विवरणियान दर्ज अर्थात अपलोड की जाएँगी l  इस अवसर पर लोहरदगा संसदीय क्षेत्र के सांसद सह केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री सुदर्शन भगत, गुमला के स्थानीय विधायक शिवशंकर उराँव, पूर्व विधायक कमलेश उराँव, भाजपा के गुमला जिलाध्यक्ष बिजय मिश्र, निर्मल कुमार , शकुन्तला देवी आदि भाजपाई उपस्थित थे l 

Sunday, 29 March 2015

गुमला जिले में श्रीरामनवमी हर्षोल्लासपूर्वक सम्पन्न

गुमला जिले में श्रीरामनवमी हर्षोल्लासपूर्वक सम्पन्न



गुमला । गुमला जिले के सभी प्रखण्डों में मर्यादा पुरुषोत्तमभगवान श्रीराम का प्राकट्य महोत्सव श्रीरामनवमी चैत्र मास की शुक्ल पक्ष नवमी दिन शनिवार को आस्था, श्रद्धा व हर्षोल्लास पूर्वक परम्परागत रूप से मनायी गई । इस निमित शनिवार को लोगों ने अपने-अपने घरों में , मन्दिरों में और श्रीरामनवमी पूजन स्थलों में पूजा अर्चना की। वहीं कुछ व्यवसायी वर्ग अपने प्रतिष्ठानों में पूजा अर्चना कर नए खाता-बही का श्री गणेश किया। इस दौरान विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। मंदिरों में पूजा अर्चना के विशेष कार्यक्रम हुए वहीं घरों में भी श्रीराम का पूजा-अर्चना  श्रद्धा के साथ किया गया।  जिला मुख्यालय के महावीर मंदिर और श्रीरामनवमी पूजन स्थलों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। जिले में कई जगहों पर अवस्थित हनुमान मन्दिरों और श्रीरामनवमी पूजा समिति के अखाड़ों में परंपरा अनुसार बजरंग बली की विशालकाय ध्वजाओं को फहराकर कर पूजा-अर्चना की गई। जिला मुख्यालय में अन्य मंदिरों में भी श्रद्धालुओं द्वारा पूजा-अर्चना की गई। शनिवार २८ मार्च को दोपहर से ही गुमला के विभिन्न मुहल्लों और शहर से लगे ग्रामीण क्षेत्रों  में अवस्थित श्रीराम नवमी पूजन स्थलों से भक्तजन कपिध्वज अर्थात रामनवमी झण्डे को लेकर जय जय हनुमान , श्रीराम भक्त हनुमान की जय, जय हो बजरंग बली की जय , बोलो सियावरराम चन्द्र की जय आदि नारों की गूँज के साथ श्रीराम कीर्तन करते और पारम्परिक हथियारों के करतब दिखलाते हुए गुमला के मुख्य पथ पर महाबीरी झण्डे के मिलन के प्रस्थान करना शुरू दिया ।मुख्य मिलन कार्यक्रम स्थल पर पूजन समितियों के पहुंचते और मिलन कार्यक्रम के समापन में शनिवार को देर रात्रि हो जाने की संभावनाओं के मद्देनजर शहर के मुख्य पथ के साथ ही सिसई पथ, पालकोट पथ , जशपुर छतीसगढ़ पथ , लोहरदगा पथ और डीएसपी पथ और थाना पथ आदि सम्पूर्ण शहर को  निकाली जाने वाली शोभा यात्रा के लिए विशेष रूप से सजाई गई है। गुमला के श्रीरामनवमी पूजन समिति के केन्द्रीय मण्डल के सदस्यों ने  बताया कि यात्रा का गुमला के विशिष्ट जन भगवा ध्वज के साथ शुभारंभ किया  तथा गुमला के अनेक गणमान्य अतिथि, पूज्य संत व राम भक्त , हनुमान भक्तों ने शोभा यात्रा को सुशोभित किया ।अनेक धार्मिक, राजनैतिक,सामाजिक, शैक्षणिक व सांस्कृतिक संगठनों के वरिष्ठ पदाधिकारी शोभा यात्रा में भाग लिया । धार्मिक –आध्यात्मिक और सामाजिक समरसता की झांकी, महिला सशक्तिकरण की अनूठी पहचान , पूजन समितियों के संकीर्तन टोली उत्साही युवकों का शौर्य प्रदर्शन इस बार आकर्षण का केंद्र रहा । वहीं श्रद्धालुओं द्वारा गाजे-बाजे के साथ शोभा यात्रा भी निकाली गई गुमला शहर में भगवान श्रीराम की शोभायात्रा विभिन्न मार्गों से होते हुए गुमला शहर के मुख्य पथ पर मिलन समारोह के पश्चात देर रात्रि जाकर सम्पन्न होगी।

जिले के सिसई, भरनो , बसिया,घाघरा, बिशुनपुर , रायडीह आदि प्रखण्ड क्षेत्र में रामनवमी धूमधाम से मनाये जाने की सूचना है ।लोगों ने शनिवार को पूजा-अर्चना के पश्चात अपने-अपने घरों में ध्वजा को प्रतिष्ठापित किया। । मालूम हो कि प्रतिवर्ष की भान्ति इस वर्ष भी सिसई के कुम्हार मोड़ में स्थापित बजरंग बली की विशालकाय मूर्ति की पूजा-अर्चना की गई । इस मौके पर मेले का भी आयोजन किया जाता है। वहीं विगत कई वर्षो से चली आ रही परिपाटी अनुसार राम जनमोत्सव पर पूजन समितियों द्वारा समिति पदाधिकारियों के नेतृत्व में गाजे-बाजे, हाथी घोड़ा के साथ भगवान राम की झांकी निकाली गई। जिले के सर्वाधिक प्राचीन ग्रामों में से एक मुरूनगुर आज के मुरगु में श्रीरामनवमी पर करीब दर्जनों स्थानों पर श्रीहनुमान के विशेष पूजन हेतु निर्मित चबूतरादी स्थलों पर भक्तों ने वानरकेतन लहराकर अष्टमी की रात्रि को ही हनुमदुपसना प्रारंभ की जो आज दोपहर को विसर्जन के बाद समाप्त हुई ।तत्पश्चात शोभायात्रा निकाली गई जिसमें मुरगु सहित आस-पास के दर्जनाधिक गाँवों के श्रीरामनवमी पूजन समिति के अधिकारी , सदस्य व स्थानीय ग्रामीणों ने भाग लिया और श्रीराम और हनुमान के जय- जयकारे लगाये। निर्मित ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखी गई। गुमला, बसिया और चैनपुर अनुमंडल अंतर्गत रामनवमी का पर्व हर्षोल्लास व शांतिपूर्ण माहौल में मनाया गया। स्थानीय पूजा समिति स्थलों और  दुर्गा मण्डपों सहित विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना श्रद्धालु भक्तों ने की। जिले के सभी क्षेत्रों में रामनवमी का पर्व काफी धूमधाम से मनाया गया। रामनवमी के अवसर पर लोगों ने अपने घरों के अलावा नजदीक के मंदिरों में पूजा-अर्चना की। गुमला थाना क्षेत्र में रामनवमी का पर्व भक्तिमय माहौल में सम्पन्न हो गया। पर्व को ले सबों ने अपने-अपने तरीके से पूजा-अर्चना की। पर्व को ले ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न मंदिरों में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखी गई ।सबों ने इस अवसर पर अपने-अपने तरीके से देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की। जिले में रामनवमी पर्व को ले शनिवार को सबेरे से ही लोग नहा-धो पूजा-अर्चना में जुट गए। इस मौके पर कई जगह भजन की‌र्त्तन का भी आयोजन किया गया।
 जिले के विभिन्न क्षेत्रों के पूजा स्थलों, मन्दिरों में भगवान श्री राम जी के जन्म दिवस पर दोपहर में श्रद्धालुओं के बीच बड़े हर्षोल्लास से श्रीराम जी आरती, प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम सम्पन्न किया गया । वैसे भी शनिवार को बजरंगवली की पूजा के लिए खास दिन माना जाता है,ऐसे में मंगलवार को ही रामनवमी पड़ने के कारण श्रीराम भक्त व दूत हनुमान के श्रद्धालु भक्तों में खासा उत्साह देखने को मिला , वे हनुमान के चरित्र को उजागर करने वाले भान्ति-भान्ति के प्रतिरूपों में दिखलाई दिए ।
अनेक जगहों पर इस पावन अवसर पर भक्तगण पुरे दिन रामायण का पाठ करते रहे। कई स्थानों पर इस दिन हर्षोल्लास पूर्वक भगवन राम, सीता, लक्ष्मण, और भक्त हनुमान की शोभा यात्रा निकली गई, जिसमे हज़ारो की संख्या में श्रद्धालुओं ने  भाग लिया ।


श्रीरामनवमी के अवसर पर गुमला प्रखण्ड के खोरा गाँव स्थित पञ्चमुखी हनुमान मन्दिर में भी हनुमदुपासना हेतु विशेष आयोजन किए जाने की सूचना है । गुमला प्रखण्ड मुख्यालय से बीस किलोमीटर दूर आंजन गांव में विशेष रूप से श्रीराम और श्रीराम के दूत हनुमान की पूजा –अर्चा की गई । आंजन के अलावा जिले के गांव-गांव में महावीरी झंडा की पूजा कर लोग अस्त्र-शस्त्र चालन का करतब दिखलाया । वहीं कई गांवों में रामनवमी के मौके पर झंडा मिलन समारोह भी आयोजित किया गया । के गुमला जिले के सदर थाना क्षेत्र अंतर्गत आंजन गांव रामभक्त हनुमान की जन्मस्थली है। ऐसी मान्यता है कि रामभक्त हनुमान का जन्म आंजन गांव में ही हुआ था। यही कारण है कि यहाँ सालों भर हर शुभ -पावन अवसर पर यहां गुमला ही नहीं बड़ी संख्या में आसपास के भक्त भी आंजन गांव पहुंचते है। राम नवमी के अवसर पर झारखण्ड की राजधानी राँची से श्रीराम भक्त भारी संख्या में आये थे , जिन्होंने 1953 में आंजन पहाड़ी मे निर्मित हनुमान मन्दिर में विशेष साफ-सफाई और साज-सजावट और पूजन की व्यवस्था स्थानीय ग्रामीणों से मिलकर की ।



जिले भर में नवरात्र पर्व के शनिवार को अन्तिम दिन देवी मंदिरों में दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मंदिरों में अनेक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। नवमी के दिन मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना के साथ ही नवरात्र पर्व का समापन हो गया।  शहर में स्थित देवी मंदिरों में सुबह से ही भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हुआ जो देर शाम तक जारी रहा। पिछले नौ दिनो से चले आ रहे नवरात्र महोत्सव का समापन भी शनिवार को धूमधाम के साथ हुआ।


चेंबर ऑफ कॉमर्स गुमला का सरकारी भवन में चलता है कार्यालय

चेंबर ऑफ कॉमर्स गुमला का सरकारी भवन में चलता है कार्यालय

 गुमला । गुमला भी गजब का जगह है ।यहाँ किसी का विरोध और प्रतिरोध कौन और कब कर देगा कहा नहीं जा सकता ? अब देखिए न जो कल तक जिस व्यावसायिक संस्था के प्रमुख हुआ करते थे आज वे उसी संस्था के कार्य प्रणाली के विरोध पर उतर नाराजगी जता रहे हैं और विरोध भी उस कार्य स्थल पर कार्यालय होने का कर रहे हैं ,जहाँ वे अपने कार्यकाल में बैठकर उस संस्था के कार्यों को निष्पादित करते  रहे हैं ।
उल्लेखनीय है कि गुमला चेंबर ऑफ कॉमर्स का अपना कोई भवन नहीं है इसलिए चैम्बर का कार्यालय एक सरकारी भवन में संचालित होता है। जानकारी यह भी है कि विगत कई वर्षों से लगातार चेंबर के अपने भवन के लिए जमीन की तलाश की जा रही है , परन्तु जमीन के खोज के नाम पर की जा रही सिर्फ खानापूर्ति पर अब चेंबर के सदस्यों ने ही विरोध करना शुरू कर दिया है। और चेम्बर के कुछ सदस्यों ने ही जिला प्रशासन से जशपुर पथ  में  अवस्थित स्टेडियम प्रबंधन की देखरेख वाले भवन में संचालित चेंबर के कार्यालय को खाली कराने की मांग प्रशासन से कर दी है। पत्र-पत्रिकाओं और कह्बरिया चैनलों कोडी वयान में भूतपूर्व चेंबर अध्यक्ष रमेश कुमार चीनी ने अब तक चेंबर के लिए जमीन की खरीदगी नहीं हो पाने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि चेंबर पूर्ण रूप से एक व्यापारिक संस्था है एवं चेम्बर के द्वारा व्यापारियों के हित के लिए काम किया जाता है। चेंबर के सदस्यों से वार्षिक शुल्क लिया जाता है। चेंबर के कई सदस्य करोड़पति व लखपतिभी हैं। ऐसे में आज तक इस जिला में चेंबर का अपना भवन नहीं होना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है।
गुमला चेंबर ऑफ कॉमर्स के भूतपूर्व चेंबर अध्यक्ष रमेश कुमार चीनी ने कहा कि सरकारी संपत्ति का उपयोग सामाजिक हित के लिए किया जा सकता है चाहे उसके लिए किराया देने का ही प्रावधान क्यों न हो। लेकिन व्यापारियों की एक मजबूत संस्था को काफी कम किराया पर सरकारी भवन देना ठीक नहीं है। उधर कुछ और व्यवसायियों ने कहा कि जब तक चेंबर का कार्यालय प्रशासन वापस नहीं लेती चेंबर के भवन निर्माण के लिए जमीन खरीद के कार्य में चेंबर के अधिकारी कोई रुचि नहीं लेंगे। प्रशासन को अविलंब चेंबर ऑफ कॉमर्स को उपयोग के लिए दिया भवन वापस लेकर उसके समाजिक कार्य करने वाले संस्था को आवंटित कर देना चाहिए। जिले के एक अन्य समाजसेवी और गुमला नगरपालिका के भूतपूर्व वार्ड आयुक्त राजेंद्र प्रसाद गुप्ता ने इस मामले पर खेद व्यक्त करते हुए कहा कि जिस सरकारी भवन में चेंबर का भवन संचालित होता है उस भवन का निर्माण खिलाड़ियों के ड्रेसिंग कक्ष के रूप में हुआ था, लेकिन प्रशासन द्वारा खिलाड़ियों की उपेक्षा करते हुए कुछ किराया वसूल करने के लिए एक व्यवसायिक संस्था चेंबर को कार्यालय के रूप मेंउपयोग करने के लिए दे दिया गया है। चेंबर के अन्य सदस्यों ने भी चेंबर के अपने भवन के लिए जमीन की खरीद किए जाने एवं जल्द से जल्द सरकारी भवन में संचालित कार्यालय को हटाने की मांग की है।उधर इस मामले पर गुमला चेंबर ऑफ कॉमर्स के वर्तमान चेंबर अध्यक्ष मो. शब्बु का कहना है कि निश्चित रूप से चेंबर एक व्यवसायिक संगठन है, परन्तु  जिस भवन में चेंबर का कार्यालय संचालित है उस भवन के उपयोग के एवज में प्रशासन को किराया दिया जाता है एवं कार्यालय का उद्घाटन तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा किया गया था। उन्होंने बताया कि चेंबर के भवन के लिए भूमि की तलाश की जा रही है। कुछ लोग बेवजह इसे मुद्दा बनाकर तूल देते रहते हैं।

गुमला में राम नवमी शोभा यात्रा की तैयारियां ज़ोरों पर

गुमला में राम नवमी शोभा यात्रा की तैयारियां ज़ोरों पर


गुमला।  राम नवमी की विशाल शोभा यात्रा की तैयारियाँ गुमला जिले में इन दिनों ज़ोरों पर हैं। गुमला के विभिन्न मार्गों से शनिवार बारह बजे से निकलेगी भव्य शोभा यात्रा। शनिवार २८ मार्च को दोपहर बारह बजे से गुमला के विभिन्न मुहल्लों और शहर से लगे ग्रामीण क्षेत्रों  में अवस्थित श्रीराम नवमी पूजन स्थलों से भक्तजन कपिध्वज अर्थात रामनवमी झण्डे को लेकर जय जय हनुमान , श्रीराम भक्त हनुमान की जय, जय हो बजरंग बली की जय , बोलो सियावरराम चन्द्र की जय आदि नारों की गूँज के साथ श्रीराम कीर्तन करते और पारम्परिक हथियारों के करतब दिखलाते हुए गुमला के मुख्य पथ पर महाबीरी झण्डे के मिलन के प्रस्थान करना शुरू करेंगे ।मुख्य मिलन कार्यक्रम स्थल पर पूजन समितियों के पहुंचते और मिलन कार्यक्रम के समापन में शनिवार को देर रात्रि हो जाने की संभावनाओं के मद्देनजर शहर के मुख्य पथ के साथ ही सिसई पथ, पालकोट पथ , जशपुर छतीसगढ़ पथ , लोहरदगा पथ और डीएसपी पथ और थाना पथ आदि सम्पूर्ण शहर को  निकाली जाने वाली शोभा यात्रा के लिए विशेष रूप से सजाए जाने की बृहद योजना बनाई गई है। गुमला के श्रीरामनवमी पूजन समिति के केन्द्रीय मण्डल के सदस्यों ने  बताया कि यात्रा का गुमला के विशिष्ट जन भगवा ध्वज के साथ शुभारंभ करेंगे तथा गुमला के अनेक गणमान्य अतिथि, पूज्य संत व राम भक्त उद्घाटन मंच व शोभा यात्रा को सुशोभित करेंगे।अनेक धार्मिक, सामाजिक, शैक्षणिक व सांस्कृतिक संगठनों के वरिष्ठ पदाधिकारी शोभा यात्रा में भाग लेंगे। धार्मिक –आध्यात्मिक और सामाजिक समरसता की झांकी, महिला सशक्तिकरण की अनूठी पहचान , पूजन समितियों के संकीर्तन टोली उत्साही युवकों का शौर्य प्रदर्शन इस बार आकर्षण का केंद्र रहेगा।गुमला के सभी श्रीराम नवमी पूजा समिति व मंदिरों से संपर्क साधकर कम से कम एक-एक झाँकी और श्री राम भक्तों की शोभा यात्रा  में न्यूनतम सहभागिता सुनिश्चित करने हेतु निवेदन किया गया है। कई एनी प्रकार की परंपरागत व सामयिक झाँकी भी होगी। श्रीराम भक्त हनुमान की जन्म स्थली के रूप मे प्रसिद्ध गुमला जिले व गुमला प्रखण्ड के आंजन ग्राम की पहाड़ी पर अवस्थित आंजन धाम में श्रीरामनवमी को श्रीराम और उनके भक्त श्रीहनुमान के पूजन -अर्चा हेतु विशेष व्यवस्था श्रद्धालुओं के द्वारा किए जाने की खबर है ।
 श्रीराम नवमी को लेकर भान्ति-भान्ति के रंग-विरंगे कपिध्वज , पूजन सामग्रियों , खाद्य वस्तुओं की बाजार में खरीद-बिक्री में अकस्मात वृद्धि होने की सूचना है । पूजन स्थलों की साफ़-सफाई का कार्य समाप्त हो चुका है और सजावट का कार्य और झांकी निर्माण का कार्य जारी है ।प्रतिदिन सायंकाल से लेकर डरे रात्रि तक पूजन स्थलों पर संकीर्तन , वाद्य-यंत्रों के साथ युवक पारम्परिक हथियारों से भान्ति-भान्ति करतब और शौरी प्रदर्शन कार्य को और भी अधिक कुशलता के साथ निष्पादित करने केलिए अथक प्रयास कर रहे हैं ।

बिशुनपुर में पर्यावरण संरक्षण, सतत विकास एवं राजनीतिक उत्तरदायित्व पर द्विदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

बिशुनपुर में पर्यावरण संरक्षण, सतत विकास एवं राजनीतिक उत्तरदायित्व पर द्विदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन


 गुमला । विश्व विद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली एवं विकास भारती बिशुनपुर के सहयोग से कार्तिक उरांव महाविद्यालय गुमला के द्वारा रविवार को विशुनपुर स्थित विकास भारती परिसर के तक्षशिला सभागार में द्विदिवसीय पर्यावरण संरक्षण, सतत विकास एवं राजनीतिक उत्तरदायित्व पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का उद्घाटन नेशनल लॉ यूनिर्वसिटी के पूर्व कुलपति बी.सी. निर्मल ने दीप प्रज्वलित कर किया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए बी.सी निर्मल ने कहा कि पूरे विश्व में बढ़ते हुए तापमान और गिरता हुआ जल स्तर चिंता का कारण बना हुआ है। पर्यावरण की रक्षा करना हम सभी का दायित्व है। आज देश में पर्यावरण एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है। इसके निराकरण के लिए इस प्रकार के सेमीनार का आयोजन एक सराहनीय प्रयास है। हम अपने सुविधा के लिए पर्यावरण को दूषित करते हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। हम सभी का दायित्व है कि अपने विकास के साथ आसपास के प्रदूषण को ठीक रखे एवं इसका संरक्षण करने के लिए आगे आए। उन्होंने कहा कि विकास का अधिकार सिर्फ उद्योगपतियों को नहीं बल्कि देश के सभी लोगों का है। उन्होंने सरकार को भी विकास नीति पर्यावरण को ध्यान में रखकर तैयार करने की सलाह देते हुए कहा कि कहा कि सरकार सिर्फ ट्रस्टी का काम कर सकती है। हम सरकार से सहयोग लेकर अपने पर्यावरण को बचा सकते हैं। उन्होंने समग्र विकास पर चर्चा करते हुए कहा कि समग्र विकास का सिद्धांत नया नहीं है। हम सभी को राइट टू डेवलपमेंट का अधिकार प्राप्त है।
रांची विश्व विद्यालय के कुलपति एम. राजउद्दीन ने कहा कि कीटनाशक एवं रेडिएशन के माध्यम से आज वातावरण काफी दूषित हो रहा है। इसका परिणाम यह है कि गौरेया, गिद्ध जैसे महत्वपूर्ण पक्षी विलुप्त होते जा रहे हैं। उन्होंने लोगों से पर्यावरण के संरक्षण व संर्वद्धन के लिए लोगों को आगे आने की बात कही। विकास भारती के सचिव अशोक भगत ने कहा कि कुदरत सबका पेट सकता है और हवस किसी एक का। हवस के कारण ही आज पर्यावरण की क्षति हो रही है। इसके लिए उन्होंने लोगों के संयम व व्यवहार परिवर्तन करने की सलाह दी। इस मौके पर दीन दयाल विश्व विद्यालय गोरखपुर के भूगोल शास्त्री जगदीश सिंह, विरमित्रापुर महाविद्यालय के राजनीति शास्त्र के बी.सी चौधरी, रांची विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र के एस.पी सिंह, केओ कॉलेज गुमला के प्रभारी प्रचार्य डा. शशिभूषण ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण नामक पुस्तिका का विमोचन भी अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
लखनऊ से आए प्रो. जगदीश सिंह ने कहा कि पर्यावरण को हानि पहुंचाए बिना हम विकास कैसे कर सकेंगे। इसका उपाय बताते हुए उन्होंने कहा कि उपयोगितावादी विचार को छोड़कर हमें विकास की बातें करनी होगी। समाज में किसी एक व्यक्ति के पूंजीपति होने से उसके नीचे हजारों गरीब पैदा हो जाते हैं, जो गलत है। हमें विकास का मतलब जन सामान्य को सुखी बनाना है। उन्होंने सुखी समाज की कल्पना करते हुए कहा कि समाज में रोजगार की व्यवस्था करना, सुरक्षा का भाव पैदा करना, सामाजिक गरिमा का विकास करना, सामाजिक मेलजोल बढ़ाना और आत्मनिर्भरता इसके मुख्य तत्व हैं। उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रकृति में सौर ऊर्जा, प्राण ऊर्जा, पानी में असीम ऊर्जा की संभावनाएं हैं। इसका विकास कर हम पर्यावरण प्रदूषण से बच सकते हैं। विकास भारती बिशुनपुर के सचिव अशोक भगत ने कहा कि झारखंड प्राकृतिक परिसंपदा से परिपूर्ण है। यहां के रहने वाले आदिम जनजाति के लोग प्रकृति के साथ जुड़कर उसका सही उपयोग करना जानते हैं। हमने विरासत को बचाकर रखा है। लेकिन बोक्साईट आदि माइंस के खुल जाने से पेड़-पौधों का कटना शुरू हो गया है। इससे अब झारखंड भी प्रदूषण की चपेट में आने लगा है। सेमिनार को अन्य कई वक्ताओं ने संबोधित किया और इस विषय पर अपने विचार रखे।

इस अवसर पर बीसी निर्मल, अशोक भगत, रजीउद्दीन, जगदीश सिंह ने संयुक्त रूप से पर्यावरण संरक्षण नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर प्रवीण सिंह, प्रो. एसपी सिंह, प्रो. बीसी चौधरी, प्रो. शशिभूषण, प्रो. शिमला कुमारी, प्रो. ग्रेस मिंज, प्रो. सीमा कुमार, डॉ संजय पांडेय, महेंद्र भगत सहित बिहार, ओडिशा, उत्तरप्रदेश, झारखंड के कई विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, छात्र आदि मौजूद थे।





प्रकृतिपर्व सरहुल का त्योहार अर्थात "ख़ेंख़ेल बेंजा" समारोहपूर्वक सम्पन्न

प्रकृतिपर्व सरहुल का त्योहार अर्थात "ख़ेंख़ेल बेंजा" समारोहपूर्वक सम्पन्न 

गुमला । पर्व- त्योहारों के ताने-बानों से सुवासित झारखण्ड के जनजातियों के जीवन चक्र का एक महत्वपूर्ण ऋतुपर्व, प्रकृतिपर्व सरहुल का त्योहार अर्थात "ख़ेंख़ेल बेंजा"  फाल्गुनी रंगों से सजा- संवरा चैत मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को गुमला जिला में समारोहपूर्वक व धूमधाम से संपन्न हुआ । फूलों से लदे सखुआ और पलाश के पेड़ों के मौसम में पर्व के नाम मात्र से जीवन समर्थक, प्रकृति प्रेमी, नैसर्गिक गुणों के धनी और पर्यावरण के स्वभाविक रक्षक आदिवासियों का मन-दिल रोमांचित हो उठा और उन्होंने नाच-गान व नर्तन करते हुए जुलूस के रूप में सम्पूर्ण परिवेश को गूंजायमान करते हुए पूरे नगर का परिभ्रमण किया। युवक-युवतियाँ सखुआ ,पलाशादि के फूलों की डाल लिये हुए थे , युवतियाँ जुड़े के रूप में अपनी बालों पर फूलों की श्रृंगार किए हुए थीं, उन फूलों की भीनी-भीनी महक सारे वातावरण को सुरभित कर प्रकृतिपर्व के आगमन का संकेत दे रहीं थीं।
चैत महीने के पांचवे दिन मनाई जाने वाली सरहुल तैयारी सप्ताह भर पहले ही शुरू हो गई थी । प्रत्येक परिवार से हंडिया बनाने के लिए चावल जमा की गई थी। परम्परा के अनुसार पर्व के पूर्व संध्या से पर्व के अंत तक पहान उपवास करता हैl एक सप्ताह पूर्वसूचना के अनुसार सरहुल की पूर्व संध्या गाँव की ‘डाड़ी’ साफ की जाती है ।उसमें ताजा डालियों डाल की जाती हैl उसमें ताजा डालियाँ डाल दी जाती हैं जिससे पक्षियाँ और जानवर भी वहाँ से जल न पी सकेंl सरहुल के दिन पर्व के प्रात: मुर्गा बांगने के पहले ही पूजार दो नये घड़ों में ‘डाड़ी’ का विशुद्ध जल भर कर चुपचाप सबकी नजरों से बचाकर गाँव की रक्षक आत्मा, सरना बुढ़िया, के चरणों में रखता है। उस सुबह गाँव के नवयुवक चूजे पकड़ने जाते हैं ।चेंगनों के रंग आत्माओं के अनुसार अलग-अलग होते है। किसी – किसी गाँव में पहान और पूजार ही पूजा के इन चूजों को जमा करने के लिए प्रत्येक परिवार जाते हैं।
दोपहर के समय पहान और पूजार गाँव की डाड़ी झरिया अथवा निकट के नदी में स्नान करते हैं।  किसी – किसी गाँव में पहान और उसकी पत्नी पहनाईन नदी में स्नान करते हैं| किसी – किसी गाँव में पहान और उसकी पत्नी पहनाईन को एक साथ बैठाया जाता है ।गाँव का मुखिया अथवा सरपंच उनपर सिंदुर लगाता है। उसके बाद उन पर कई घड़ों डाला जाता है।उस समय सब लोग “ बरसों,बरसों” कहकर चिल्लाते हैं ।यह धरती और सूर्य, आकाश की बीच शादी का प्रतीक है।
उसके बाद गाँव से सरना तक जूलूस निकला जाता है ।सरना पहूंचकर पूजा-स्थल की सफाई की जाती है ।पूजार चेंगनों के पैर धोकर उन पर सिंदुर लगाता है और पहान को देता है ।पहान सरना बुढ़िया के प्रतीक पत्थर के सामने बैठकर चेंगनो को डेन के ढेर से चुगाता है।उस समय गाँव के बुजुर्ग वर्ग अन्न के दाने उन पर फेंकते हुए आत्माओं के लिए प्रार्थनाएँ चढाते हैं कि वे गाँव की उचित रखवाली करें। उसके बाद पहान चेंगनों का सिर काट कर कुछ खून चावल के ढेर पर और कुछ सूप पर चुलता है ।बाद में उन चेंगनो को पकाया जाता है। सिर को सिर्फ पहान खा सकता है।कलेजे यकृत आदि आत्माओं में नाम पर चढ़ाये जाते हैं । बाकी मांस चावल के साथ पकाकर उपस्थित सब लोगों के बीच प्रसाद के रूप में बाँटा जाता है।
आदिवासी परम्पराओं के जानकार प्राचीन ग्राम मुरूनगुर वर्तमान मुरगु के ग्रामप्रधान शंकर पाहन कहते हैं, ईश्वर की सर्वोच्च का सत्ता ख्याल रख कर उनके नाम पर अलग सफेद बलि चढ़ायी जाती है जो कि पूर्णता और पवित्रता का प्रतीक है। अन्य आत्माओं के नाम पर अलग – अलग रंगों के चिंगने चढ़ाये जाते हैं । पहान पूर्व की ओर देखते हुए जिस ओर ईश्वर है, कहता है,  हे पिता ! आप ऊपर हैं, “यहाँ नीचे पंच है और ऊपर परमेश्वर है ।हे पिता आप ऊपर हैं हम नीचे । आप की आंखे हैं, हम अज्ञानी हैं; चाहें अनजाने अथवा अज्ञानतावश हमने आत्माओं को नाराज किया है, तो उन्हें संभाल कर रखिए; हमारे गुनाहों को नजरंदाज कर दीजिए।” प्रसाद भोज समाप्त होने के बाद पहान को समारोह पूर्वक गाँव के पंचगण ढोते हैं । इस समय पहान सखूआ गाछ को सिंदुर लगाता और अरवा धागा से तीन बार लपेटता है जो अभीष्ट देवात्मा को शादी के वस्त्र देने का प्रतीक है।शंकर पाहन ने बतलाया कि कहीं-कहीं  पहान सखूआ फूल, चावल और पवित्र जल प्रत्येक घर के एक प्रतिनिधि को वितरित करता है, उसके बाद सब घर लौटते हैं । पहान को एक व्यक्ति के कंधे पर बैठाकर हर्षोल्लासपूर्वक गाँव लाया जाता है| उसके पाँव जमीन पर पड़ने नहीं दिए जाते हैं, चूंकि वह इस समय ईश्वर का प्रतिनिधि है ।घर पहुँचने पर पहान की पत्नी पहनाइन उसका पैर धोती है और बदले में पति से सखूआ फूल, चावल और सरना का आशीष जल प्राप्त करती है। वह फूलों को घर के अंदर, गोहार घर में और छत में चुन देती है ।पहान के सिर पर कई घड़े पानी डालते वक्त लोग फिर चिल्लाते हुए कहते हैं, - ‘बरसों, बरसो’। चैत्र शुक्ल पञ्चमी के दिन सरहुल मनाने वाले गुमला जिले के प्रायः सभी गाँवों से मिल रही सुच्नाओंके अनुसार सरहुल पर्व को लेकर उपरोक्त सभी क्रिया- कलाप ग्राम पाहन और पूजार की देख-रेख में निष्पादित कर ली गई और फिर जुलूस समारोह पूर्वक निकाली गई, जिसमें क्षेत्र के राजनीतिज्ञ, जनजातीय समाज के स्वनाम धन्य बुद्धिजीवी और पुरोहित तथा जनजातीय संघ सदान युवाओं ने भी जोशोखरोश के साथ भाग लिया। शहर और शहर के समीपस्थ क्षेत्रों के शहरवासियों और क्षेत्रवासियों ने स्थान-स्थान पर सामियाना और पेयजल व शरबत के इंतजाम कर रखे थे,जिनमें जुलूस में शामिल होने के लिए आ रहे युवक-युवतियों, बच्चों और वृद्धों को ठहर कर सुस्ताने और प्यास बुझाने की सुविधाएँ मुफ्त में उपलब्ध कराई जा रही थी । कहीं-कहीं पर बूट अर्थात चने को भींगोकर अर्थात फूलाल बूट भी बाँटे जा रहे थे ।जिनमे नमक नहीं मिलाये गये थे, जिसे चखकर देखने के पश्चात अतिउत्साहित युवा नून अर्थात नमक की माँग कर रहे थे । जुलूस में भान्ति-भान्ति के रंग-विरंगे परिधान युवक-युवतियों ने पहन रखे थे,परन्तु मुख्य आकर्षण के केन्द्र चरका अर्थात सफ़ेद और लाल रंग की पाईर अर्थात बोर्डर वाली साड़ी और लाल ब्लाउज पहनी नृत्य कर रही युवातियाँ और सफ़ेद रंग का धोती और कुरता अथवा गंजी (बनियान) पहने हुए मांदर और अन्य परम्परागत वाद्य बजाते युवक ही थे , जो अपनी बालों में में सखुआ व अन्य वासंतिक फूलों की गुच्छों को सजाये हुए वातावरण में प्राकृतिक सौंदर्य बिखेर रहे थे ।
बताया जा रहा है कि सरहुल की यह उल्लास अभी के दिनों तक चलेगी । सरहुल के दूसरे दिन अर्थात कल पहान प्रत्येक परिवार में जाकर सखूआ फूल सूप से चावल और घड़े से सरना जल वितरित करेगा । गाँव की महिलाएँ अपने-अपने आंगन में एक सूप में दो दोने लिए खड़ी रहेंगी । सूप में रखे एक खाली दोने में सरना जल ग्रहण किया जाता है दूसरे में पाहन को देने के लिए हंडिया होता है, जिसे पाहन को दे दिया जाता है। पाहन से प्राप्त   सरना जल को घर में और बीज के लिए रखे गए धन पर छिड़का जाता है। इस प्रकार पहान हरेक घर को आशीष देते हुए कहता है, “आपके कोठे और भंडार धन से भरपूर होन, जिससे पहान का नाम उजागर हो।” प्रत्येक परिवार में पहान को नहलाया जाता है। वह भी अपने हिस्से का हंडिया प्रत्येक परिवार में पीना नहीं भूलता है ।नहलाया जाना और प्रचुर मात्रा में हंडिया पीना सूर्य और धरती को फलप्रद होने के लिए प्रवृत-प्रवृद्ध करने का प्रतीक है ।सरहुल का यह प्रक्रितिपर्व कई दिनों तक अनवरत चल सकता है क्योंकि बड़ा रजस्व ग्राम अर्थत मौजा होने से फूल, चावल और आशीषजल के वितरण में कई दिन लग सकते हैं।


चेंबर ऑफ कॉमर्स गुमला द्वारा निजी विद्यालयों की मनमानी पर रोक की मांग

चेंबर ऑफ कॉमर्स गुमला द्वारा निजी विद्यालयों की मनमानी पर रोक की मांग


गुमला । गुमला जिला में निजी व गैरसरकारी विद्यालयों की मनमानी चरम पर है । बेहतर शिक्षा के नाम पर जिले के निजी विद्यालयों द्वारा शुल्क के नाम पर अभिभावकों का दोहन किया जा रहा है। शिक्षा अधिकार अधिनियामका भी यहाँ खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। गुमला के विद्यालयों में एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जाने पर भी पुर्ननामांकन के नाम पर बड़ी राशि वसूली जाती है। विद्यालय प्रबंधन की इस तरह की मनमानी पर रोक लगाने के लिए चेंबर ऑफ कॉमर्स गुमला द्वारा उपायुक्त गुमला को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है। उपायुक्त को सौंपे गए ज्ञापन में चेंबर ऑफ कॉमर्स गुमला द्वारा कहा गया है कि निजी विद्यालयों के द्वारा प्रत्येक वर्ष अपने विद्यालय के ही छात्रों से दूसरी कक्षा में जाने पर पुर्ननामांकन के नाम पर हजारों रुपये वसूली जाती है। इसके अतिरिक्त सरकारी नियमों की अनदेखी करते हुए 25 प्रतिशत गरीब बच्चों का नामांकन नहीं लिया जाता, विद्यालय में ही बाजार मूल्य से ज्यादा मूल्य पर छात्रों को किताब, कॉपी, स्कूल यूनिफार्म आदि उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही सालाना कई तरह के फंड के नाम पर राशि वसूली की जाती है। चेंबर द्वारा दिए ज्ञापन में स्कूल बसों का भाड़ा वृद्धि व सीट से ज्यादा छात्रों को बिठाये जाने की बात कही गई है। चेंबर ने उपायुक्त से छात्र व अभिभावक हित में इस पर अविलंब उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। ज्ञापन देने वालों में चेंबर अध्यक्ष मो. शब्बू, सचिव हिमांशु केसरी, अभिजीत जायसवाल आदि चेंबर ऑफ कॉमर्स गुमला के अधिकारी व सदस्य शामिल थे।

गुमला में भूगर्भ जल संरक्षण सरकार व प्रशासन के लिए चुनौती

गुमला में भूगर्भ जल संरक्षण सरकार व प्रशासन के लिए चुनौती


गुमला । चतुर्दिक जंगलों-पहाड़ों, नदी-नालों से घिरे गुमला जिला में कुछ वर्षों से जलस्तर तीव्र गति से नीचे जा रहा है ।गुमला ऐसा जिला है जहाँ बड़ी नदियां नहीं हैं, और अगर दक्षिणी कोयल नदी , शंख , कारों , पारस आदि बरसाती नदियों को बड़ी नदी माना भी जाए तो भी यहाँ के जलस्तर में अब इन नदियों का कोई बड़ा योगदान नहीं रह गया है। गुमला की सम्पूर्ण खेती वर्षा जल अर्थात मानसून पर आधारित है। पिछले कुछ वर्षों में जिले में सामान्य वर्षा तक नहीं हो पाने के कारण यहाँ का भूगर्भ जलस्तर तेजी से नीचे गया है। ऐसे में भूगर्भ जल संरक्षण सरकार व प्रशासन के लिए चुनौती बनी हुई है। दशकों पूर्व यहाँ कोयल- कारो आदि कई वृहत व लघु जलाशय परियोजना को मंजूरी मिली थी। लेकिन विस्थापन की राजनीती करने वालों की यह परियोजनाएं भेंट चढ गईं और सरकारों के लाख प्रयासों के बावजूद कोयल-कारो सरीखी बहुमुखी विकास की परियोजनाएं शुरू होने के पहले ही दम तोड़ गई। जिले में पारस, कंस, दतली , धनसिंह डेम (आदि) आदि कई परियोजनाएं पूर्ण हुईं भी परन्तु कईयों में पूर्ण रूप से सिंचाई नाली ,केनाल आदि का काम बाकी है। कई जगह इसे पूरा होने में बीस-तीस वर्ष तक लग गया। कोयल-कारो जलाशय परियोजना में तो अरबों रूपये खर्च करने के बावजूद अब तक काम भी शुरू नहीं हो सका है। अगर कोयल-कारो परियोजना पूरी हो जाती तो काफी हद तक जिले और अस-पास के प्रमंडल का जल संकट व विद्युत संकट दूर हो सकता था।
जहाँ तक गुमला जिला में जल संरक्षण के लिए महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना अर्थात मनरेगा व लघु सिंचाई परियोजना के तहत काम किया जा रहा है। पिछले नौ वर्षों में यहाँ पचास  हजार कुआँ की स्वीकृति मिली है । उसमें से करीब छतीस हजार कुआँ बनकर तैयार हो गया है। वहीं तालाब व चेक डैम भी हजारों की संख्या में बनाया जाना था। इसमें से करीब साठ प्रतिशत काम पूरा किया जा चुका है। परन्तु इनमें से अधिकाँश  काम तय मानकों पर खरा नहीं उतर रहे।कुंओं, तालाब और चेकडैम में पानी नहीं रहते , नहीं ठहरते ।यही हाल स्वाधीनता प्राप्ति के बाद से निर्मित कुओं, तालाबों व अन्य जलाशयों की पुनर्मरम्मती के अभाव में अब हो चुकी है ।
गुमला शहरी क्षेत्र में कई तालाब का जीर्णोद्धार नहीं किये जाने का भी असर यहां के जल स्तर पर पड़ा है। दो वर्ष पूर्व यहाँ के वन तालाब , करमटोली तालाब , भट्ठी मुहल्ला तालाब ,जवाहर नगर स्थित तालाब का आकार तो नहीं बढ़ाया गया लेकिन खुदाई किये जाने लाभ भी मिल रहा है। परन्तु शहर की इन तालाबों की खुदाई और चौडीकरण का कार्य किए जाने से इन क्षेत्रों के भूगर्भ जलस्तर में वृद्धि की उम्मीद बढ़ सकती थी। जिला मुख्यालय से होकर बहने वाली पुगु नदी कभी गुमला की जल भण्डार की मुख्य स्रोत हुआ करती थी आज शहर से निकली नालियों की पानी पर जीवित है । नदी के स्रोत स्थल पर अतिक्रमण की चोट और शहर की गन्दगी के फेंके जाने से इसका जल उपयोग के योग्य नहीं रह गया है। गुमला जिला मुख्यालय के करमटोली के समीप से निकलकर शहरी क्षेत्र से होकर बहते हुए कई गाँवों से होकर दक्षिणी कोयल नदी में मिलने वाली पुगु नदी जो कभी लबालब भारी होती थी , अतिक्रमण व कूड़ा-कचरा फेंके जाने के कारण आज नाला में तब्दील हो चुकी है। शहर के निकट की नदी के क्षतिग्रस्त और गन्दगी का पर्याय बन जाने का दुष्प्रभाव यहाँ के जलस्तर पर पड़ा है ।पुगु नदी के जीर्णोद्धार से गुमला शहर व आस- पास के क्षेत्र के भूगर्भ जलस्तर में व्यापक बढ़ोतरी की आशा बलवती हो सकती है ।







जर्जर सडकों से आवागमन में परेशानी

जर्जर सडकों से आवागमन में परेशानी

गुमला । गुमला जिले के मुख्य सडकों के जर्जर होने के कारण राहगीरों, वाहन चालकों को आवागमन में काफी परेशानी होती है। जिले की जर्जर सड़के हादसों का कारण बन रही हैं। गुमला  शहर सहित आसपास के ग्रामीण अंचलो के मार्ग जर्जर होने के कारण जानलेवा साबित हो रहे है। शहर के जशपुर जाने वाली ,सिसई होकर राँची जाने वाली मुख्य मार्गो एवं ग्रामीण क्षेत्रों कि सडकों में में जगह-जगह गड्ढे हो गये हैं जिससे आये दिन दुर्घटनाएँ हो रही हैं। .
गुमला से पालकोट होकर सिमडेगा जाने वाली राष्ट्रीय उच्च पथ की हालत कई स्थानों पर अत्यन्त खराब हो गई है । गुमला से सिर्फ पालकोट तक की दूरी तय करने में  सड़क की हालत खराब होने से वाहन चालकों को अतिरिक्त समय के गंवाने के साथ ही भारी परेशानी उठानी पड़ती है। डुमरडीह, अम्बेराडीह, मर्दा नदी के पुल के पास , बघिमा के स्वास्थ्य केन्द्र के समीप,बघिमा से आगे जबरा पुल , पिंजरा डिपा और अन्य स्थानों पर सड़क की स्थिति अत्यन्त जर्जर है । जबरा पुल और पिंजराडिपा में पुल निर्माण हेतु अपव्यवर्तित मार्ग अर्थात डाईवर्शन बनाये गये हैं परन्तु पुल निर्माण में हो रहे विलम्ब और डाईवर्शन की स्थिति ठीक नहीं होने के परिणामस्वरूप वाहन चालकों को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। गुमला जिला मुख्यालय से करमटोली होते हुए बाँसडीह , परसा , माँझाटोली आदि सडकों की स्थिति वर्षों से जर्जर है परन्तु जिले की इन जर्जर सड़कों की सुध सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा आज तक नहीं ली गई है। कई जगह सड़कें गहरे गड्ढों से पट गई हैं। गुमला –घाघरा पथ भी कई जगहों पर अत्यन्त खराब स्थिति में पहुँच चुकी है ,जहाँ आवागमन करने वाले लोगों और वाहन चालकों को भारी परेशानी हो रही है ।उधर घाघरा-लोहरदगा मुख्य पथ की जर्जर स्थिति से ग्रामीणों को आवागमन में काफी परेशानी का सामना होने का मुद्दा अखबारों में सदैव ही सुर्खियाँ बनता रहा है। इस सड़क पर प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में वाहनों का आवागमन होने से लोगों को धूल की समस्या का सामना तो करना पड़ता ही है। लेकिन इससे भी गंभीर बात यह है कि वाहनों के गुजरने के दौरान सड़क से पत्थर के टुकड़े भी इधर-उधर छिटक कर दुकानों में प्रवेश कर जाते हैं। घाघरा के उच्च व मध्य विद्यालयों के समीप उक्त सड़क पर लगभग दो फीट के गड्ढे बन गए हैं। जिससे हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। जबकि इसी रास्ते से प्रतिदिन हजारों की संख्या में छात्र-छात्राओं का आवागमन होता है। इस जब वाहन सड़क से गुजरता है तब छात्रों को धूल से बचने के लिए चेहरे पर कपड़ा या रूमाल रखना पड़ता है। गत तीन वर्षों से जर्जर सड़क के पुनर्निर्माण की मांग को लेकर कई बार ग्रामीणों के द्वारा आन्दोलन किया जा चुका है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नही हुई है। तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुण्डा के घाघरा दौरे के के क्रम में भी ग्रामीणों ने इसकी जानकारी देते हुए सड़क का जीर्णोद्धार करने की माँग की थी। इसके बावजूद इस सड़क के जीर्णोंद्धार को लेकर सरकार व प्रशासन गंभीर नहीं है। घाघरा वासियों का कहना है कि सड़क के किनारे दुकान लगाने वाले दुकानदारों को इससे काफी परेशानी होती है। दुकान के भीतर धूल कण जमा हो जाता है। यदि जल्द इस दिशा में ठोस कदम नही उठाया गया तो चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा।घाघरा –बिशुनपुर , घाघरा-अरंगी पथों की भी यही स्थिति है। जिले के कई स्थानों पर सड़क मार्ग के टूट जाने के कारण ग्रामीणों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।


जंगल में लगाई जा रही आग से पेड़-पौधों सहित जीव-जन्तु , पशु-पक्षियों को क्षति

जंगल में लगाई जा रही आग से पेड़-पौधों सहित जीव-जन्तु , पशु-पक्षियों को क्षति


गुमला । यह सर्वविदित है कि जंगल में आग लगने से पेड़-पौधों सहित जीव-जन्तु , पशु-पक्षियों को क्षति होती है ,फिर भी गुमला जिले व आस-पास के जिलों के जंगलों में महुआ चुनने और अन्य उद्देश्यों को ले जंगल में लगाई जा रही है ।महुआ चुनने को लेकर जंगल में लगाई जा रही आग से पेड़-पौधों सहित जीव-जन्तु , पशु-पक्षियों को क्षति हो रही है।और ऐसा नहीं है कि जंगलों मे यह आग पहली बार लग रही है, जंगलों में यह आग प्रतिवर्ष वसन्त काल में महुआ चुनने और विभिन्न अन्य उद्देश्यों के लिए लगाई जाती है जिससे जंगलों में नए-नए पनप रहे नवीन पादप आग से जल अथवा झुलस कर मर जाते हैं।इन पादपों में जंगली ब्रिक्षों के साथ ही विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियाँ भी शामिल होती हैं।गुमला जिले के जंगलों में आग लगने वाले क्षेत्रों में पालकोट हाथी आश्रयणी के क्षेत्र से लेकर सिमडेगा जिले से होते हुए उडीसा राज्य के सीमान्त क्षेत्र तक , रायडीह , चैनपुर , डुमरी ,जारी प्रखण्ड क्षेत्रों से लेकर सरगुजा के जंगल तक का वन्य प्रान्त , घाघरा , बिशुनपुर प्रखण्ड सहित लोहरदगा जिले से लेकर लातेहार , पलामू ,चतरा आदि के जंगल क्षेत्र तथा बसिया, कामडारा से लेकर राँची , खूंटी , बानो कोलेबिरा, जलडेगा आदि के जंगल प्रमुख हैं । झारखण्ड के प्रायः सभी क्षेत्रों के जंगलों की तरह ही गुमला के जंगलों में भी आग लगती नहीं बल्कि लगाई जाती है ।वह भी आसानी से महुआ के फल चुनने के लिए।लेकिन सिर्फ महुआ चुनने के उद्देश्य से लगायी गई इस आग से महत्वपूर्ण जंगली पादप प्रतिवर्ष जल जाने से इन पादपों के प्रजातियों के नष्ट हो जाने की संकट आन खड़ी हो रही है ।
खबर है कि इस वर्ष भी अभी –अभी पालकोट प्रखण्ड के कोंजाली गाँव के समीप के जंगलों में महुआ चुनने वालों द्वारा आग लगा दिया जा रहा है। गत पन्द्रह मार्च रविवार को पूरे जंगल में आग की लपटे फैलने लगी। जिससे जंगलों में रहने वाले पेड़-पौधों,जीव जंतु, पशु-पक्षियों को हानि पहुंच रही है। बताया जा रहा है कि आज- कल महुआ चुनने को लेकर पालकोट के आसपास के जंगलों में बराबर ही आग लगाई जा रही है। एक ओर वन विभाग द्वारा वन बचाओ का नारा दिया जा रहा है, और इस कार्य पर लाखों रूपये खर्च किए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों द्वारा जंगलों में आग लगा दिए जाने से अमूल्य धरोहरों को क्षति हो रही है। उधर इस बाबत पूछे जाने पर वन विभाग के वनकर्मियो और वन क्षेत्र पदाधिकारी कामाख्या नारायण ने कहा कि वन कर्मियों को आग बुझाने के लिए जंगलों में भेजा जा चुका है। आग लगाए जाने वाले लोगों की पहचान होने पर उनके उपर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। खबर यह भी मिल रही है कि जंगलों में आग लगाये जाने का यह सिलसिला जिले के अन्य वन्य क्षेत्रों में भी शुरू हो चुका है, परन्तु विशेष क्षति अभी तक नहीं होने के कारण यह समाचार नहीं बन रहा हैजिसके कारण वन्य कर्मी राहत महसूस कर रहे हैं।परन्तु यह राहत कब तक ? जिले के अनेक क्षेत्र जंगलों में आग के लिए प्रतिवर्ष चर्चित रहे हैं
विगत वर्ष १२ १३ मार्च को जिले के रायडीह प्रखण्ड कार्यालय के ठीक सामने अवस्थित रानी मुंडी पहाड़ के जंगल में शरारती तत्वों द्वारा आग लगा दिए जाने के कारण जंगल पिछले तीन दिनों आग की लपट में जल रहा था ।उस अगलगी घटना में आग लगने से जहां छोटे पौधे व कीमती लकड़ियां जलकर नष्ट हो गये थे वहीँ जंगलों में रहने वाले जीव जंतु भी आग की चपेट में आ रहे थे । तब वनरक्षी कमलेश प्रसाद सिन्हा व नवागढ़ वन सुरक्षा प्रबंधन समिति के अध्यक्ष जीतू खड़िया के नेतृत्व में भंडारटोली व खीराखांड के पचास की संख्या में लोगों ने आग पर काबू कराने का प्रयास किया लेकिन असफल रहे थे । सूखी पत्तियों के कारण आग तेजी से फै ल रहा था । कई दिनों के अथक प्रयास के पश्चात आग पर काबू पाया जा सका था
 इसके पूर्व २७-२८ मार्च २०१२ को भी रायडीह प्रखंड के रानी मुंडी एवं केराडीह जंगल में दो दिनों से आग लगी हुई थी । आग की लपटें लगातार तेज होते जाने से जंगल के पेड़, मूल्यवान पौधे और जड़ी-बूटी नष्ट हुई थी, वन्य प्राणियों का जीवन भी संकट में आ गया था ।
३१ मार्च २०१४ को रायडीह प्रखंड अंतर्गत मांझाटोली स्थित कुड़ो पहाड़ के जंगल में पिछले दो दिनों से आग लगने की खबर अखबारों में सुर्खियाँ बनने के बाद वनविभाग हरक्कत में आई थी । कहने का अर्थ है जिले के रायडीह ,पालकोट, चैनपुर सहित वन क्षेत्र वाले सभी प्रखण्डों में जंगलों में आग लगाये जाने की खबरें प्रतिवर्ष आम हो चली हैं, परन्तु वन विभाग इस समस्या का समुचित समाधान कर पाने अब तक असफल रहा है ।प्रतिवर्ष की भान्ति इस वर्ष भी जिले के जंगलों में आग लगाये का सिलसिला वसन्त ऋतु के आगमन के साथ ही शुरु हो चला है। आग लगने से पेड़-पौधों,वन्य जीवों पर खतरा उत्पन्न हो गया है। वहीं वन को भी काफी नुकसान हो रहा है। बताया जाता है कि जंगलों को आग से सुरक्षा के लिए गांवों में ग्राम वन सुरक्षा प्रबंधन समिति का गठन किया गया है। परन्तु इनके कोशिशों के बावजूद प्रत्येक वर्ष महुआ के फल लगने के दौरान महुआ चुनने वालों द्वारा जंगल में आग लगा दिया जाता है। पतझड़ के मौसम में सूखी पत्तों में चिंगारी लगने से पूरे जंगल में आग की लपटें फैल जाती है। वन विभाग द्वारा भी आग बुझाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है।जानकर लोग कहते हैं,वन सुरक्षा समिति  सर्फ दिखावे के लिए है,इसका उद्देश्य वनों की रक्षा करना नहीं बल्कि इनके सहयोग, मिलीभगत और हस्ताक्षर से sarkarinidhiसरकारी निधि की सुरक्षित हेराफेरी की जाती है।
वन सुरक्षा समिति के सदस्य भी जंगलों में आग लगने की ओर कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं, बल्कि कई तो स्वयं महुआ चुनने और अपने स्वार्थी इरादों की पूर्ति इसकी आड़ में कर रहे हैं । नतीजतन जंगल में आग की लपटें तेज होती जा रही है। जानकारी के अनुसार गांव के ग्रामीणों का मानना है कि जंगल में गिरे पत्ते में आग लगाने से रुगड़ा का उत्पादन अधिक होता है और इसी अंधविश्वास के कारण कुछ लोग जंगल में आग लगा देते हैं, जिससे भारी नुकसान होता है।
जंगल में लगाई जा रही आग का दिन में तो पता नहीं चलता लेकिन रात होते ही जंगलों में ऊंची लपटे उठते देखी जा रही है। पतझड़ में पेडों से पत्ते सूख कर गिर जाने से लोगों को शिकार करने व महुआ चुनने में काफी परेशानी होती है। इन परेशानियों से बचने के लिए लोग सूखे पत्तों को एकत्र कर आग लगा देते है। लेकिन यही आग देखते ही देखते भयंकर रूप धारण कर पूरे जंगल को अपनी चपेट में ले लेती है। वनों में आग लगने से करोड़ों की वन संपदा जलकर राख हो जाती है। स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वन विभाग की पूरी सक्रियता के बावजूद हर बार आग नियंत्रण कार्य असफल हो जाता है।