Friday, 17 April 2015

अन्ततः गुमला नगर पंचायत अध्यक्ष आदिवासियत की बलि चढ़ गये

अन्ततः गुमला नगर पंचायत अध्यक्ष आदिवासियत की बलि चढ़ गये 

गुमला l अन्ततः गुमला नगर पंचायत अध्यक्ष आदिवासियत की बलि चढ़ गये , और नपं अध्यक्ष धीरेन्द्र प्रसाद सिंह पर उपायुक्त ने दे ही दिया प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश।  धीरेंद्र प्रसाद सिंह पर खतियान में छेड़छाड़ कर खुद को अनुसूचित जनजाति समुदाय का होने का प्रमाण पत्र हासिल करने का आरोप लगने के बाद अब दोषी पाया गया है । बतलाया जा रहा है कि गुमला के नगर पंचायत अध्यक्ष धीरेंद्र प्रसाद सिंह की जाति क्षत्रिय है। परन्तु अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित गुमला नगर पंचायत के अध्यक्ष पद पर धीरेंद्र प्रसाद सिंह ने स्वयं को अनुसूचित जनजाति का होने का प्रमाण देते हुए चुनाव में नामांकन कराकर जीत हासिल की थी। परन्तु धीरेंद्र प्रसाद सिंह के अनुसूचित जनजाति समुदाय का नहीं होने की जन शिकायत के आधार पर अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उराँव व आदिवासी छात्र संघ के अशोक भगत ने इसकी शिकायत राज्य निर्वाचन आयोग से की थी। फर्जी जाति प्रमाणपत्र के बूते चुनाव जीतकर नगर पंचायत अध्येक्ष बने धीरेन्द्र प्रसाद सिंह के खिलाफ कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन ने चुनाव आयोग से निर्देश मांगा था । गुमला के तत्कालीन उपायुक्त वीणा श्रीवास्तव ने विधिसम्मत कार्रवाई हेतु सरकारी अधिवक्ता, व्यवहार न्यायलय गुमला से प्राप्त मंतव्य के अनुसार राज्य निर्वाचन आयोग, झारखण्ड सचिव को पत्र लिखकर ध्यानाकृष्ट कराया था । आयोग के निर्देश पर धीरेंद्र प्रसाद सिंह की जाति के संबंध में आवश्यक जांच पड़ताल कराई गई। जाँच में धीरेंद्र प्रसाद की ओर से खतियान में छेड़छाड़ करते हुए खुद को अनुसूचित जनजाति समुदाय का होने का प्रमाण पत्र हासिल करने का दोषी पाया गया था। जाँच में यह भी कहा गया कि धीरेंद्र प्रसाद की जाति क्षत्रिय है।

उल्लेखनीय है कि फर्जी अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र के आधार पर नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीतने के लगे आरोप के सन्दर्भ में पत्रांक - 451 आई टी डी ए 24 अक्टूबर प्रासंगिक पत्र के द्वारा पत्रांक-03 निर्वाचन आयोग 20.09.2013 के सन्दर्भ में धीरेन्द्र प्रसाद सिंह नगर पंचायत अध्यक्ष के सम्बन्ध में वंचित प्रतिवेदन संलग्न कर भेजी गयी थी । उसके अनुसार सिंह खेरवार जाति का शपथ पत्र दायर कर अध्यक्ष का चुनाव जीता, परन्तु निर्वाचन आयोग के स्तर से अबतक मार्गदर्शन निर्देश प्राप्ति न होने के कारण आगे कि कार्रवाई लंबित था । उपायुक्त गुमला ने दिनांक 30.10.2013 को उसी पत्र में नगरपंचायत पदाधिकारी गुमला को सूचनार्थ प्रेषित करते हुए निर्देश दिया था कि आयोग से आदेश प्राप्त होने तक अध्यक्ष को किसी भी तरह के सरकारी कार्यों के निष्पादन से दूर रखा जाय।प्राप्त जानकारी के अनुसार बाद में उन्हें पंचायत के कार्यों के निष्पादन की आदेश दी जाने के पश्चात धीरेन्द्र सिंह पंचायत के कार्यों को निष्पादित करने लगे थे,परन्तु अब चुनाव आयोग के निर्देश के पश्चात धीरेंद्र प्रसाद के कार्यों पर रोक व प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया है।फर्जी प्रमाण पत्र पर नगर अध्यक्ष का चुनाव जीतने की बात जांच में पुष्टि होने के बाद उपायुक्त ने धीरेंद्र प्रसाद के अध्यक्ष के रूप में कार्य करने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए थाना में प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश नगर पंचायत गुमला के कार्यपालक पदाधिकारी को दिया है। उपायुक्त के आदेश के आलोक में कार्यपालक पदाधिकारी ने  विभागीय सचिव को पत्र लिखकर उचित निर्देश देने का अनुरोध किया है। उधर जिले के धीरेन्द्र प्रसाद सिंह के समर्थकों का कहना है कि धीरेन्द्र सिंह आदिवासियत के बलि चढ़ गये। उल्लेखनीय है कि गुमला नगर पंचायत अध्यक्ष पूर्व में झारखण्ड विधान सभा चुनाव भी लड चुके हैं लेकिन उस समय उनके चुनाव लड़ने का खामियाजा भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवारों को पड़ा इसलिए आदिवासियत समर्थक चुप रहे लेकिन चूँकि इस बार धीरेन्द्र सिंह नगर पंचायत चुनाव में भाजपा के समर्थन से चुनाव जीत गये इसलिए आद्विवासियत के पुरोधाओं ने उनकी जाति प्रमाण पत्र को मुद्दा बनाकर उन्हें अध्यक्ष पद से पदच्युत कर दिया ।कुछ लोगों का कहना है कि नगर पंचायत अध्यक्ष बनने से पहले क्या वे आदिवासी थे और क्या अब वे आदिवासी से अचानक क्षत्रिय कुल सुशोभित करने लगे हैं ?

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