Sunday, 29 March 2015

जर्जर सडकों से आवागमन में परेशानी

जर्जर सडकों से आवागमन में परेशानी

गुमला । गुमला जिले के मुख्य सडकों के जर्जर होने के कारण राहगीरों, वाहन चालकों को आवागमन में काफी परेशानी होती है। जिले की जर्जर सड़के हादसों का कारण बन रही हैं। गुमला  शहर सहित आसपास के ग्रामीण अंचलो के मार्ग जर्जर होने के कारण जानलेवा साबित हो रहे है। शहर के जशपुर जाने वाली ,सिसई होकर राँची जाने वाली मुख्य मार्गो एवं ग्रामीण क्षेत्रों कि सडकों में में जगह-जगह गड्ढे हो गये हैं जिससे आये दिन दुर्घटनाएँ हो रही हैं। .
गुमला से पालकोट होकर सिमडेगा जाने वाली राष्ट्रीय उच्च पथ की हालत कई स्थानों पर अत्यन्त खराब हो गई है । गुमला से सिर्फ पालकोट तक की दूरी तय करने में  सड़क की हालत खराब होने से वाहन चालकों को अतिरिक्त समय के गंवाने के साथ ही भारी परेशानी उठानी पड़ती है। डुमरडीह, अम्बेराडीह, मर्दा नदी के पुल के पास , बघिमा के स्वास्थ्य केन्द्र के समीप,बघिमा से आगे जबरा पुल , पिंजरा डिपा और अन्य स्थानों पर सड़क की स्थिति अत्यन्त जर्जर है । जबरा पुल और पिंजराडिपा में पुल निर्माण हेतु अपव्यवर्तित मार्ग अर्थात डाईवर्शन बनाये गये हैं परन्तु पुल निर्माण में हो रहे विलम्ब और डाईवर्शन की स्थिति ठीक नहीं होने के परिणामस्वरूप वाहन चालकों को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। गुमला जिला मुख्यालय से करमटोली होते हुए बाँसडीह , परसा , माँझाटोली आदि सडकों की स्थिति वर्षों से जर्जर है परन्तु जिले की इन जर्जर सड़कों की सुध सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा आज तक नहीं ली गई है। कई जगह सड़कें गहरे गड्ढों से पट गई हैं। गुमला –घाघरा पथ भी कई जगहों पर अत्यन्त खराब स्थिति में पहुँच चुकी है ,जहाँ आवागमन करने वाले लोगों और वाहन चालकों को भारी परेशानी हो रही है ।उधर घाघरा-लोहरदगा मुख्य पथ की जर्जर स्थिति से ग्रामीणों को आवागमन में काफी परेशानी का सामना होने का मुद्दा अखबारों में सदैव ही सुर्खियाँ बनता रहा है। इस सड़क पर प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में वाहनों का आवागमन होने से लोगों को धूल की समस्या का सामना तो करना पड़ता ही है। लेकिन इससे भी गंभीर बात यह है कि वाहनों के गुजरने के दौरान सड़क से पत्थर के टुकड़े भी इधर-उधर छिटक कर दुकानों में प्रवेश कर जाते हैं। घाघरा के उच्च व मध्य विद्यालयों के समीप उक्त सड़क पर लगभग दो फीट के गड्ढे बन गए हैं। जिससे हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। जबकि इसी रास्ते से प्रतिदिन हजारों की संख्या में छात्र-छात्राओं का आवागमन होता है। इस जब वाहन सड़क से गुजरता है तब छात्रों को धूल से बचने के लिए चेहरे पर कपड़ा या रूमाल रखना पड़ता है। गत तीन वर्षों से जर्जर सड़क के पुनर्निर्माण की मांग को लेकर कई बार ग्रामीणों के द्वारा आन्दोलन किया जा चुका है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नही हुई है। तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुण्डा के घाघरा दौरे के के क्रम में भी ग्रामीणों ने इसकी जानकारी देते हुए सड़क का जीर्णोद्धार करने की माँग की थी। इसके बावजूद इस सड़क के जीर्णोंद्धार को लेकर सरकार व प्रशासन गंभीर नहीं है। घाघरा वासियों का कहना है कि सड़क के किनारे दुकान लगाने वाले दुकानदारों को इससे काफी परेशानी होती है। दुकान के भीतर धूल कण जमा हो जाता है। यदि जल्द इस दिशा में ठोस कदम नही उठाया गया तो चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा।घाघरा –बिशुनपुर , घाघरा-अरंगी पथों की भी यही स्थिति है। जिले के कई स्थानों पर सड़क मार्ग के टूट जाने के कारण ग्रामीणों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।


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