बिशुनपुर में पर्यावरण संरक्षण, सतत विकास एवं राजनीतिक उत्तरदायित्व पर द्विदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
गुमला । विश्व विद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली एवं विकास भारती बिशुनपुर के सहयोग से कार्तिक उरांव महाविद्यालय गुमला के द्वारा रविवार को विशुनपुर स्थित विकास भारती परिसर के तक्षशिला सभागार में द्विदिवसीय पर्यावरण संरक्षण, सतत विकास एवं राजनीतिक उत्तरदायित्व पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का उद्घाटन नेशनल लॉ यूनिर्वसिटी के पूर्व कुलपति बी.सी. निर्मल ने दीप प्रज्वलित कर किया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए बी.सी निर्मल ने कहा कि पूरे विश्व में बढ़ते हुए तापमान और गिरता हुआ जल स्तर चिंता का कारण बना हुआ है। पर्यावरण की रक्षा करना हम सभी का दायित्व है। आज देश में पर्यावरण एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है। इसके निराकरण के लिए इस प्रकार के सेमीनार का आयोजन एक सराहनीय प्रयास है। हम अपने सुविधा के लिए पर्यावरण को दूषित करते हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। हम सभी का दायित्व है कि अपने विकास के साथ आसपास के प्रदूषण को ठीक रखे एवं इसका संरक्षण करने के लिए आगे आए। उन्होंने कहा कि विकास का अधिकार सिर्फ उद्योगपतियों को नहीं बल्कि देश के सभी लोगों का है। उन्होंने सरकार को भी विकास नीति पर्यावरण को ध्यान में रखकर तैयार करने की सलाह देते हुए कहा कि कहा कि सरकार सिर्फ ट्रस्टी का काम कर सकती है। हम सरकार से सहयोग लेकर अपने पर्यावरण को बचा सकते हैं। उन्होंने समग्र विकास पर चर्चा करते हुए कहा कि समग्र विकास का सिद्धांत नया नहीं है। हम सभी को राइट टू डेवलपमेंट का अधिकार प्राप्त है।
रांची विश्व विद्यालय के कुलपति एम. राजउद्दीन ने कहा कि कीटनाशक एवं रेडिएशन के माध्यम से आज वातावरण काफी दूषित हो रहा है। इसका परिणाम यह है कि गौरेया, गिद्ध जैसे महत्वपूर्ण पक्षी विलुप्त होते जा रहे हैं। उन्होंने लोगों से पर्यावरण के संरक्षण व संर्वद्धन के लिए लोगों को आगे आने की बात कही। विकास भारती के सचिव अशोक भगत ने कहा कि कुदरत सबका पेट सकता है और हवस किसी एक का। हवस के कारण ही आज पर्यावरण की क्षति हो रही है। इसके लिए उन्होंने लोगों के संयम व व्यवहार परिवर्तन करने की सलाह दी। इस मौके पर दीन दयाल विश्व विद्यालय गोरखपुर के भूगोल शास्त्री जगदीश सिंह, विरमित्रापुर महाविद्यालय के राजनीति शास्त्र के बी.सी चौधरी, रांची विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र के एस.पी सिंह, केओ कॉलेज गुमला के प्रभारी प्रचार्य डा. शशिभूषण ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण नामक पुस्तिका का विमोचन भी अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
लखनऊ से आए प्रो. जगदीश सिंह ने कहा कि पर्यावरण को हानि पहुंचाए बिना हम विकास कैसे कर सकेंगे। इसका उपाय बताते हुए उन्होंने कहा कि उपयोगितावादी विचार को छोड़कर हमें विकास की बातें करनी होगी। समाज में किसी एक व्यक्ति के पूंजीपति होने से उसके नीचे हजारों गरीब पैदा हो जाते हैं, जो गलत है। हमें विकास का मतलब जन सामान्य को सुखी बनाना है। उन्होंने सुखी समाज की कल्पना करते हुए कहा कि समाज में रोजगार की व्यवस्था करना, सुरक्षा का भाव पैदा करना, सामाजिक गरिमा का विकास करना, सामाजिक मेलजोल बढ़ाना और आत्मनिर्भरता इसके मुख्य तत्व हैं। उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रकृति में सौर ऊर्जा, प्राण ऊर्जा, पानी में असीम ऊर्जा की संभावनाएं हैं। इसका विकास कर हम पर्यावरण प्रदूषण से बच सकते हैं। विकास भारती बिशुनपुर के सचिव अशोक भगत ने कहा कि झारखंड प्राकृतिक परिसंपदा से परिपूर्ण है। यहां के रहने वाले आदिम जनजाति के लोग प्रकृति के साथ जुड़कर उसका सही उपयोग करना जानते हैं। हमने विरासत को बचाकर रखा है। लेकिन बोक्साईट आदि माइंस के खुल जाने से पेड़-पौधों का कटना शुरू हो गया है। इससे अब झारखंड भी प्रदूषण की चपेट में आने लगा है। सेमिनार को अन्य कई वक्ताओं ने संबोधित किया और इस विषय पर अपने विचार रखे।
इस अवसर पर बीसी निर्मल, अशोक भगत, रजीउद्दीन, जगदीश सिंह ने संयुक्त रूप से पर्यावरण संरक्षण नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर प्रवीण सिंह, प्रो. एसपी सिंह, प्रो. बीसी चौधरी, प्रो. शशिभूषण, प्रो. शिमला कुमारी, प्रो. ग्रेस मिंज, प्रो. सीमा कुमार, डॉ संजय पांडेय, महेंद्र भगत सहित बिहार, ओडिशा, उत्तरप्रदेश, झारखंड के कई विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, छात्र आदि मौजूद थे।
गुमला । विश्व विद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली एवं विकास भारती बिशुनपुर के सहयोग से कार्तिक उरांव महाविद्यालय गुमला के द्वारा रविवार को विशुनपुर स्थित विकास भारती परिसर के तक्षशिला सभागार में द्विदिवसीय पर्यावरण संरक्षण, सतत विकास एवं राजनीतिक उत्तरदायित्व पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का उद्घाटन नेशनल लॉ यूनिर्वसिटी के पूर्व कुलपति बी.सी. निर्मल ने दीप प्रज्वलित कर किया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए बी.सी निर्मल ने कहा कि पूरे विश्व में बढ़ते हुए तापमान और गिरता हुआ जल स्तर चिंता का कारण बना हुआ है। पर्यावरण की रक्षा करना हम सभी का दायित्व है। आज देश में पर्यावरण एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है। इसके निराकरण के लिए इस प्रकार के सेमीनार का आयोजन एक सराहनीय प्रयास है। हम अपने सुविधा के लिए पर्यावरण को दूषित करते हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। हम सभी का दायित्व है कि अपने विकास के साथ आसपास के प्रदूषण को ठीक रखे एवं इसका संरक्षण करने के लिए आगे आए। उन्होंने कहा कि विकास का अधिकार सिर्फ उद्योगपतियों को नहीं बल्कि देश के सभी लोगों का है। उन्होंने सरकार को भी विकास नीति पर्यावरण को ध्यान में रखकर तैयार करने की सलाह देते हुए कहा कि कहा कि सरकार सिर्फ ट्रस्टी का काम कर सकती है। हम सरकार से सहयोग लेकर अपने पर्यावरण को बचा सकते हैं। उन्होंने समग्र विकास पर चर्चा करते हुए कहा कि समग्र विकास का सिद्धांत नया नहीं है। हम सभी को राइट टू डेवलपमेंट का अधिकार प्राप्त है।
रांची विश्व विद्यालय के कुलपति एम. राजउद्दीन ने कहा कि कीटनाशक एवं रेडिएशन के माध्यम से आज वातावरण काफी दूषित हो रहा है। इसका परिणाम यह है कि गौरेया, गिद्ध जैसे महत्वपूर्ण पक्षी विलुप्त होते जा रहे हैं। उन्होंने लोगों से पर्यावरण के संरक्षण व संर्वद्धन के लिए लोगों को आगे आने की बात कही। विकास भारती के सचिव अशोक भगत ने कहा कि कुदरत सबका पेट सकता है और हवस किसी एक का। हवस के कारण ही आज पर्यावरण की क्षति हो रही है। इसके लिए उन्होंने लोगों के संयम व व्यवहार परिवर्तन करने की सलाह दी। इस मौके पर दीन दयाल विश्व विद्यालय गोरखपुर के भूगोल शास्त्री जगदीश सिंह, विरमित्रापुर महाविद्यालय के राजनीति शास्त्र के बी.सी चौधरी, रांची विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र के एस.पी सिंह, केओ कॉलेज गुमला के प्रभारी प्रचार्य डा. शशिभूषण ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण नामक पुस्तिका का विमोचन भी अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
लखनऊ से आए प्रो. जगदीश सिंह ने कहा कि पर्यावरण को हानि पहुंचाए बिना हम विकास कैसे कर सकेंगे। इसका उपाय बताते हुए उन्होंने कहा कि उपयोगितावादी विचार को छोड़कर हमें विकास की बातें करनी होगी। समाज में किसी एक व्यक्ति के पूंजीपति होने से उसके नीचे हजारों गरीब पैदा हो जाते हैं, जो गलत है। हमें विकास का मतलब जन सामान्य को सुखी बनाना है। उन्होंने सुखी समाज की कल्पना करते हुए कहा कि समाज में रोजगार की व्यवस्था करना, सुरक्षा का भाव पैदा करना, सामाजिक गरिमा का विकास करना, सामाजिक मेलजोल बढ़ाना और आत्मनिर्भरता इसके मुख्य तत्व हैं। उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रकृति में सौर ऊर्जा, प्राण ऊर्जा, पानी में असीम ऊर्जा की संभावनाएं हैं। इसका विकास कर हम पर्यावरण प्रदूषण से बच सकते हैं। विकास भारती बिशुनपुर के सचिव अशोक भगत ने कहा कि झारखंड प्राकृतिक परिसंपदा से परिपूर्ण है। यहां के रहने वाले आदिम जनजाति के लोग प्रकृति के साथ जुड़कर उसका सही उपयोग करना जानते हैं। हमने विरासत को बचाकर रखा है। लेकिन बोक्साईट आदि माइंस के खुल जाने से पेड़-पौधों का कटना शुरू हो गया है। इससे अब झारखंड भी प्रदूषण की चपेट में आने लगा है। सेमिनार को अन्य कई वक्ताओं ने संबोधित किया और इस विषय पर अपने विचार रखे।
इस अवसर पर बीसी निर्मल, अशोक भगत, रजीउद्दीन, जगदीश सिंह ने संयुक्त रूप से पर्यावरण संरक्षण नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर प्रवीण सिंह, प्रो. एसपी सिंह, प्रो. बीसी चौधरी, प्रो. शशिभूषण, प्रो. शिमला कुमारी, प्रो. ग्रेस मिंज, प्रो. सीमा कुमार, डॉ संजय पांडेय, महेंद्र भगत सहित बिहार, ओडिशा, उत्तरप्रदेश, झारखंड के कई विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, छात्र आदि मौजूद थे।
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