गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी के लिए प्रसिद्ध आदिवासी-पिछड़ा बहुल गुमला जिला मानव तस्करी के शिकंजे में
-रणधीर निधि
गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी के लिए प्रसिद्ध चतुर्दिक जंगलों-पहाड़ों से घिरा आदिवासी-पिछड़ा बहुल गुमला जिला मानव तस्करी के शिकंजे में फंसा हुआ है । जिले में गरीबी,भूखमरी व बेरोजगारी का आलम यह है कि मात्र पेट भरने अथवा चन्द पैसों के लिए लोग अपनों को बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं । और अब तो जिले से लड़कियों को जबरन बच्चे पैदा करने के लिए भी दिल्ली और अन्य शहर ले जाने की बात भी सामने आ चुकी है ।वर्षों तक परदेश अर्थात प्रदेश कमाने जाने की बात तो यहाँ सामान्य सी बात मानी जाती है और जिले के प्रत्येक ग्राम में कुछ परिवारों में यह परदेश कमाने की परिपाटी वर्षों से चली आ रही है । लोगों की इस कमजोरी का लाभ उठाते हुए यहाँ परदेश कमाने भेजने अथवा ले जाने के लिए दलालों, बिचौलियों और मानव तस्करों का सुदृढ़ व संगठित तंत्र कार्य करती हैं , जिनके सूत्र जिले के गाँव-देहात से लेकर प्रदेश की राजधानी राँची और देश की राजधानी दिल्ली तक जुड़े हुए है । इस कार्य में देश की राजधानी दिल्ली में अवस्थित कई संस्थाएं तक लगी हुई हैं और गुमला सहित सम्पूर्ण झारखण्ड के मानव सम्पदा की बलि चढ़ाकर अपनी स्वार्थपूर्ति कर रही हैं ।इस प्रकार की दर्जनों मामले सामने आने के बाद भी इस मानव सम्पदा के तस्करी के मुद्दे पर किसी भी स्तर से कोई सार्थक पहल नहीं हो सकी है जिसके कारण जिले में लोगों को बाहर प्रदेश के अन्यत्र शहरों में ले जाकर कार्य दिलाने के नाम पर लोगों को ले जाकर उन्हें विक्री कर देने अथवा अनैतिक कार्यों में लगा देने वालों का तंत्र आज भी सक्रिय है और आये दिन जिले के लोगों को बाहर ले जाते हुए दलालों , बिचौलियों को पकडे जाने , फरार हो जाने , वर्षों पूर्व गायब हुई कन्याओं के मिलने , मानव तस्करों को पिटे जाने और फिर पुलिस को सुपुर्द किये जाने की खबरें पत्र-पत्रिकाओं और खबरिया चैनलों में आये दिन सुर्खियाँ बनती ही रहती हैं। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष पालकोट प्रखण्ड के गाँवों से कन्याओं के भारी संख्या में तस्करी ,प्रमुखतः बंगरू नामक एक ही गाँव से पाँच दर्जन नाबालिग बच्चियों के तस्करी का मामला प्रकाश में आने पर इस सम्बन्ध में हेमन्त सोरेन की झामुमो-काँग्रेस सरकार द्वारा कड़े कदम उठाये जाने के बाद पुलिस यह पता लगाने में सख्ती से जुट गई थी कि किन-किन गाँवों से बच्चियां गायब है? इसी क्रम में पुलिस के कड़े रूख से मानव तस्करी के कई मामलों का उद्भेदन और पटाक्षेप होने की खबरें आम हो गई हैं ,परन्तु इस समस्या के समाधान हेतु सरकारी स्तर पर हो सकने वाली काररवाइयों के अभाव में पुलिसिया अभियान सफल नहीं हो पा रही है ।
मानव तस्करी की इसी प्रकार की वर्षों पूर्व घटी एक घटना का पटाक्षेप करते हुए गुमला जिले के बसिया थाना की पुलिस की टीम ने गत दो फरवरी सोमवार को हरियाणा पुलिस के सहयोग से बाईस वर्ष पूर्व मानव तस्करी की शिकार हुई उनतीस वर्षीय युवती एतवारी उर्फ रीता को हरियाणा के हाई प्रोफाइल महिला के घर से बरामद कर गुमला लाई। बाईस वर्ष पूर्व एतवारी जब सात वर्ष की थी तब उसे गाँव के ही एक व्यक्ति राम साहु द्वारा हरियाणा के याकुब मैथ्यू के हाथों बेच दिया गया था। याकूब मैथ्यू धनाढ्य व्यक्ति हैं जो अधिकांशतः समय अमेरिका में व्यतीत करते हैं। भारत आने पर एतवारी उर्फ रीता को अपने साथ रखते थे तथा अमेरिका जाने से पूर्व वे एतवारी को अपने रिश्तेदार के यहाँ छोड़ जाते थे। पिछले वर्ष पालकोट प्रखण्ड के गांवों से नाबालिग बच्चियों के तस्करी का मामला प्रकाश में आने पर इस सम्बन्ध में पुलिस द्वारा पता लगाई गई थी कि किन-किन गाँवों से बच्चियां गायब है। इसी क्रम में 1992 से लापता एतवारी के बारे भी पुलिस को जानकारी प्राप्त हुई। अनुसंधान के उपरांत एतवारी का पता चला। इस पर गुमला के पुलिस अधीक्षक भीमसेन टूटी द्वारा टीम बनाकर बसिया पुलिस को हरियाणा भेजा गया था। हरियाणा में ढूंढने पर पुलिस को एतवारी उर्फ रीता हरियाणा के गुड़गांव स्थित गोल्फ क्रास रोड निवासी रैना रिबेलो के घर पर मिली, जो मैथ्यू के रिश्तेदार है। जहाँ से बरामद कर एतवारी को अपने साथ लेकर पुलिस गुमला आई ।
एतवारी की माँ बिरसमुनी देवी, भाई किशोर किसान एतवारी से मिलकर रो पड़े। एतवारी ने भी अपनी माँ को पहचान लिया। पूछे जाने पर बिरसमुनी ने बताया कि उन दिनों गरीबी की हालत थी। दाने-दाने के मोहताज थे। मैं और मेरे पति स्व. फेकू किसान नौकर व नौकरानी का काम करते थे। हमारी गरीबी को देखकर गाँव के एक व्यक्ति ने कहा कि तुम्हारी बच्ची को एक-दो वर्ष के लिए दे दो साहब को काम करने वाली चाहिए। इसके बाद बेटी गई फिर लौट कर नही आई। हम लोगों ने भी बेटी के आने का आस छोड़ दिया था। इधर एतवारी ने बताया कि परिवार से मिलकर अच्छा लग रहा है। गाँव जाने के बाद सोचूंगी की क्या करना है? उसने यह भी बताया कि पढ़ने लिखने का ज्ञान है। मुझे कभी घर से बाहर निकलने नहीं दिया जाता था । हर-हमेशा डांट- फटकार मिलती थी । बाईस-तेईस साल तक काम करने के बावजूद मजदूरी के नाम पर फूटी कौड़ी नहीं मिली।बाल कल्याण समिति अध्यक्ष ताग्रेन पन्ना ने कहा था कि एतवारी को उसके परिजनों को सौंप दिया गया है, लेकिन वह अभी बाल कल्याण समिति के कस्टडी में ही रहेगी। गाँव में एतवारी रहना चाहेगी तो ठीक है यदि गाँव में नहीं रहना चाहेगी तो उसके लिए सोचा जाएगा। एतवारी को उसका हक व अधिकार दिलाया जाएगा, परन्तु एतवारी के बरामदगी के एक माह गुजर जाने के बाद भी एतवारी के पुनर्वास के लिए प्रशासन अथवा सरकार द्वार अब तक किसी प्रकार की कोई पहल नहीं की जा सकी है ।
तस्करी की इसी प्रकार की एक अन्य घटना में जिले की बसिया पुलिस की टीम ने दो फरवरी दिन सोमवार को ही मानव तस्करी की शिकार हुई एक नाबालिग बच्ची व एक युवती को दिल्ली से लेकर बाल कल्याण समिति गुमला को सौंप दिया। नाबालिग बच्ची कामडारा कटहलटोली की रहनेवाली है। जिसे गाँव के कुन्नु लोहरा ने 23 जून 2014 को दिल्ली ले जाकर प्लेसमेंट एजेंसी को बेच दिया था। इस सम्बन्ध में थाना प्रभरी विपिन कुमार दूबे ने बताया कि कुन्नू लोहरा ने गाँव की दो चचेरी बहनों को दिल्ली ले जाकर बेच दिया था। इस समबन्ध में थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इनमें से एक बहन भागकर घर वापस आ गई थी। भाग कर आई बच्ची से पूछताछ के बाद दूसरी बच्ची के लोकेशन का पता चल गया। गुमला के पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार 26 जनवरी को पुलिस की टीम दिल्ली के लिए रवाना हुई तथा बच्ची को बरामद कर गुमला लाया गया।
मानव तस्करी और मानव सम्पदा के क्षरण के इस दुर्भाग्यपूर्ण मामले का हैरतंगेज पहलू यह उभर कर सामने आया कि गुमला जिले से लड़कियों को घरेलू काम दिलाने के बहाने दिल्ली ले जाकर लड़कियों से बच्चे पैदा करवाए जाते हैं और फिर उन बच्चों को अच्छे कीमत में बेच दिया जाता है ।इस सम्बन्ध में प्राप्त जानकारी के अनुसार गुमला जिले से लड़कियों को दिल्ली ले जाकर घरेलू काम दिलाने के बहाने उनपर अत्याचार किया जाता है , बच्चा पैदा करवाया जाता है। दिल्ली से वापस लौटी बसिया प्रखण्ड की मोरेंग ग्राम पंचायत की पतुरा गाँव की सुमति ने बताया कि झारखण्ड से ले जाई गई युवतियों को बिना शादी कराए बच्चा पैदा करने के लिए विवश किया जाता है। सुमति ने बताया कि फिर उनके बच्चे को मोटी रकम लेकर बेच दिया जाता है।
इस कार्य में संलग्न लोगों और संस्थाओं का उद्भेदन करते हुए सुमति ने बताया कि दिल्ली की झारखण्ड मैन पॉवर ब्यूरो नामक प्लेसमेंट एजेंसी ऐसे कार्य में संलग्न है। इस एजेंसी को नैना कुमारी उर्फ मालती चलाती है। वह इस क्षेत्र की लड़कियों को अच्छी तनख्वाह का लालच देकर अपने एजेंटों के माध्यम से घरेलू काम के बहाने दिल्ली ले जाती है। वहाँ डरा-धमकाकर उनका शारीरिक शोषण करते हैं और जबरन बच्चे पैदा कराते हैं। सुमति ने यह भी बतलाया कि करीब सात साल पहले गाँव का ही चैन सिंह उसे अच्छा काम दिलाने की बात कर दिल्ली ले गया और नैना कुमारी के हवाले कर दिया। नैना ने चैन सिंह को उसके एवज में दस हजार रुपए दिए। नैना में उसे पीतमपुरा में राजेश सिंह के घर तीन साल तक काम कराया।
इस दौरान उसे एजेंसी के द्वारा एक पैसा भी नहीं दिया गया। फिर वहाँ से हटाकर कीर्तिनगर में संजय नरुल्ला के घर बतौर नौकरानी लगा दिया, जहाँ करीब चार साल काम किया लेकिन वहाँ भी उसे पारिश्रमिक नहीं मिला। वह नैना के एजेंसी गई, जहाँ अन्य लड़कियों को बच्चे पैदा करने के लिए ग्राहकों के पास भेजा जाता था। उस पर इस काम के लिए दबाव डाला गया, लेकिन वह तैयार नहीं हुई। तीन महीने पहले घर जाने की जिद करने पर उसे चैन सिंह के साथ पन्द्रह हजार रुपए देकर भेज दिया गया।
पीड़िता मूलरूप से झारखण्ड राज्य के सिमडेगा जिले के सिकोरला राजूटोली कोलेबिरा की रहने वाली है। वह कई साल से अपने दीदी के साथ गुमला के बसिया प्रखण्ड स्थित पतुरा गाँव में रहती थी। मामला के मामले में सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है। सीआईडी के आईजी संपत मीणा ने बताया कि पीड़ित का बयान लेकर मामला दर्ज किया जाएगा।
मानव तस्करी की इसी प्रकार की एक अन्य घटना में गुमला जिले के रायडीह प्रखण्ड की एक नाबालिग लड़की को दिल्ली में काम दिलाने के बहाने ले जाकर बेचने के आरोपी भलमंडा निवासी छोटू लोहरा को रायडीह पुलिस ने पाँच फरवरी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। छोटू के खिलाफ लड़की के पिता ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में चार फरवरी को शिकायत दर्ज कराई थी। उसने आरोप लगाया था कि उसकी तेरह वर्षीय बेटी छठी कक्षा की छात्रा है एवं बीते पन्द्रह अगस्त को राष्ट्रीय झंडा फहराने अपने विद्यालय गई थी। लेकिन फिर घर वापस नहीं लौटी थी। पूछताछ के दौरान छोटू द्वारा अच्छा काम दिलाने का प्रलोभन देकर उसकी बेटी को दिल्ली ले जाने की बात पता बताई गई । इसके बाद छोटू से उसकी बेटी का वापस लाने का अनुरोध किया वह बार-बार टालता रहा। उसकी बेटी ने कुछ दिन पहले दिल्ली से फोन कर घटना की जानकारी दी एवं तेरह जनवरी को परिजनों ने दिल्ली से उसे लेकर घर लौटे। वहीं प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से आरोपी फरार था। गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
इसी प्रकार की घटना में गुमला जिले की कामडारा पुलिस ने कामडारा की बेटी मोनी कुमारी (काल्पनिक नाम) को दिल्ली से मुक्त करा दो फ़रवरी दिन सोमवार को दिल्ली से गुमला लाने में सफल हुई ।सीडब्ल्यूसी में प्रस्तुत किए जाने पर मोनी ने बताया कि घर जाऊंगी कहने पर मालकिन उसकी खूब पिटाई करती थी।अब वह कभी दिल्ली नहीं जायेगी और न किसी के बहकावे में आयेगी। गुमला पुलिस ने मोनी को दिल्ली बेचने के मामले में दो मानव तस्करों पुन्नू लोहरा व कृष्णा कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जानकारी के अनुसार मोनी को दिल्ली में बेचने की प्राथमिकी उसके पिता के द्वारा थाने में करायी जाने के बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की और पुलिस अधीक्षक भीमसेन टुटी के निर्देश पर बसिया थाना के एएसआइ विपिन कुमार दुबे, महिला सिपाही रेणु बेंजामिन, जरमीना खलखो व कांस्टेबल सोहन लाल यादव छब्बीस जनवरी को दिल्ली गये। इसके बाद वहाँ के कुछ संस्था व पुलिस से मिल कर मोनी को मुक्त करा कर वापस गुमला लाया।आठ महीने बाद मोनी वापस लौटी मोनी ने बताया कि उसे 23 जून 2014 को पुन्नू लोहरा ने दिल्ली में ले जाकर बेच दिया था। उसके साथ कांति को भी बेचा गया था, परंतु कांति भाग कर पहले ही गुमला आ गयी है. मोनी ने कहा कि काम के लिए उसे दो स्थानों पर बेचा गया. दोनों जगह उसके साथ मारपीट हुई है। जितना दिन काम की, उसका मजदूरी भी नहीं मिला।
घरेलू कार्य करने के नाम पर बाहर गई लड़कियों के साथ मार-पीट, अत्याचार , शारीरिक शोषण और पारिश्रमिक नहीं दिए जाने की बात भी आम है ।दिल्ली से भाग कर आई जिले की रायडीह प्रखण्ड एक युवती तेतरी कुमारी (काल्पनिक नाम) ने बताया कि दिल्ली में शोषण हुआ है। उसे हर काम पर मालकिन पीटती थी। खाने के लिए भी भरपेट भोजन नहीं मिलता था। वह किसी प्रकार वहाँ से भाग कर गुमला आयी है ।दो फरवरी सोमवार को आशा महिला विकास मांझाटोली की सिस्टर सुशीला व सिस्टर इलिसा उसे गुमला लेकर आयी यहाँ तेतरी को सीडब्ल्यूसी के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जहाँ तेतरी ने दिल्ली में हुए शोषण की जानकारी दी। उसने कहा कि उसे रायडीह प्रखण्ड के भलमंडा निवासी छोटू लोहरा 15 अगस्त 2015 को दिल्ली ले जाकर बेच दिया ।उसके साथ ही गाँव की संगीता भी गयी थी ,परन्तु वह भाग कर गुमला आ गयी ।उसे दो स्थानों पर काम के लिए बेचा गया ।जहाँ उसके साथ मारपीट होता था ।
ईंट भट्ठा में पुत्री को बंधक बनाकर रखने का आरोप लगाते हुए गुमला जिले के सिसई प्रखण्ड के बोंडो अंबाटोली ग्राम निवासी बंडा उराँव ने उत्तर प्रदेश के अमला स्थित पीके मार्का ईट के मालिक जाहिन गुप्ता व उसके पुत्र सोनू गुप्ता के खिलाफ थाना में उसकी पुत्री को बंधक बनाकर शोषण करने का आरोप लगाते हुए दस फरवरी को थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है। उसने आरोप लगाया है कि कुछ समय पहले उसकी पुत्री कुछ मजदूरों के साथ ईंट भट्ठा कमाने गई थी। लेकिन उसकी पुत्री को आरोपी पिता-पुत्र द्वारा बंधक बनाकर मानसिक व शारीरिक रूप से शोषण किया जा रहा है। उसने इस मामले में पुलिस से कार्रवाई कर उसकी पुत्री का वापस लाने का अनुरोध किया है। पुलिस मामले की छानबीन में जुट गई है।
अपनी गायब हुई बेटी की वापसी की गुहार लगाते हुए गुमला जिले के पालकोट प्रखण्ड के लोधमा गाँव निवासी सुकरा खड़िया ने बाल कल्याण समिति गुमला को लिखित आवेदन देकर अपनी बाईस वर्षीय पुत्री परगुन केरकेट्टा की दिल्ली से वापसी की गुहार लगाई है। आवेदन में सुकरा खड़िया ने बताया है कि दस वर्ष पूर्व बसिया प्रखण्ड के आरया ग्राम निवासी ट्रैफिकर मोनिका कुमारी ने बेटी को बहला-फुसला काम कराने के बहाने दिल्ली ले जाकर प्लेसमेंट एजेंसी को बेच दिया। इसके कुछ वर्ष बाद बरसलोइया ग्राम निवासी अरूण मिश्रा ने मेरी दूसरी बेटी को यह कहकर दिल्ली ले गया कि दिल्ली गई उसकी बहन को खोजकर लाएगा। दिल्ली में मेरी दूसरी बेटी को भी काम पर लगा दिया। दो साल तक काम करने के बाद जब अपनी बहन का पता नहीं लगा तो मेरी दूसरी बेटी घर वापस आ गई है। सुकरा ने बेटी की तलाश करने व मानव तस्कर पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। इस प्रकार की दर्जनों नहीं वरन सैंकड़ों घटनाएँ जिले में मानव तस्करी से सम्बंधित घटनाएँ समुचित कारर्वाई के अभाव में वर्षों से लम्बित हैं। परदेश कमाने के लिए बाहर गये जिले के दर्जनों लोगों का कोई अता-पता नहीं है । कमाने के लिए परदेश कई स्वयं गये हैं , तो कई बिचौलिए , दलालों के मार्फत गये हैं , परन्तु जाने के बाद से उनका कोई पता-ठिकाना नहीं है कि वे कहाँ हैं ? किस हाल में हैं ? इस संसार में हैं भी कि नहीं? उनके घर वाले उनका पता लगाकर थक-हार बैठ चुके हैं।इस प्रकार के कई मामले गरीबी और निरक्षरता के कारण वर्षों भी दबी हुई हैं , जिन्हें सामने लाकर उनपर सार्थक फल करते हुए बिछुडे सदस्यों को उनके परिजनों से मिलाने की आवश्यकता है । इस कार्य में जिले कीपुलिस तो तन्मयता से लगी है और अपने कर्तव्य को निभाने में पूरी ताकत से भीड़ी हुई है। कई मामलों का पटाक्षेप होना स्वागतयोग्य है , परन्तु पुलिस के द्वारा मामला के सफल पटाक्षेप के बाद बाहर से लाये गये लोगों का , लड़कियों का समुचित पुनर्वास नहीं हो पाने , रोजगार की व्यवस्था नहीं हो पाने के कारण रोजगार के तलाश में अन्यत्र पलायन होने वालों का सिलसिला जिले से रूकने का नाम नहीं ले रहा है ।