Sunday, 29 March 2015

गुमला जिले में श्रीरामनवमी हर्षोल्लासपूर्वक सम्पन्न

गुमला जिले में श्रीरामनवमी हर्षोल्लासपूर्वक सम्पन्न



गुमला । गुमला जिले के सभी प्रखण्डों में मर्यादा पुरुषोत्तमभगवान श्रीराम का प्राकट्य महोत्सव श्रीरामनवमी चैत्र मास की शुक्ल पक्ष नवमी दिन शनिवार को आस्था, श्रद्धा व हर्षोल्लास पूर्वक परम्परागत रूप से मनायी गई । इस निमित शनिवार को लोगों ने अपने-अपने घरों में , मन्दिरों में और श्रीरामनवमी पूजन स्थलों में पूजा अर्चना की। वहीं कुछ व्यवसायी वर्ग अपने प्रतिष्ठानों में पूजा अर्चना कर नए खाता-बही का श्री गणेश किया। इस दौरान विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। मंदिरों में पूजा अर्चना के विशेष कार्यक्रम हुए वहीं घरों में भी श्रीराम का पूजा-अर्चना  श्रद्धा के साथ किया गया।  जिला मुख्यालय के महावीर मंदिर और श्रीरामनवमी पूजन स्थलों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। जिले में कई जगहों पर अवस्थित हनुमान मन्दिरों और श्रीरामनवमी पूजा समिति के अखाड़ों में परंपरा अनुसार बजरंग बली की विशालकाय ध्वजाओं को फहराकर कर पूजा-अर्चना की गई। जिला मुख्यालय में अन्य मंदिरों में भी श्रद्धालुओं द्वारा पूजा-अर्चना की गई। शनिवार २८ मार्च को दोपहर से ही गुमला के विभिन्न मुहल्लों और शहर से लगे ग्रामीण क्षेत्रों  में अवस्थित श्रीराम नवमी पूजन स्थलों से भक्तजन कपिध्वज अर्थात रामनवमी झण्डे को लेकर जय जय हनुमान , श्रीराम भक्त हनुमान की जय, जय हो बजरंग बली की जय , बोलो सियावरराम चन्द्र की जय आदि नारों की गूँज के साथ श्रीराम कीर्तन करते और पारम्परिक हथियारों के करतब दिखलाते हुए गुमला के मुख्य पथ पर महाबीरी झण्डे के मिलन के प्रस्थान करना शुरू दिया ।मुख्य मिलन कार्यक्रम स्थल पर पूजन समितियों के पहुंचते और मिलन कार्यक्रम के समापन में शनिवार को देर रात्रि हो जाने की संभावनाओं के मद्देनजर शहर के मुख्य पथ के साथ ही सिसई पथ, पालकोट पथ , जशपुर छतीसगढ़ पथ , लोहरदगा पथ और डीएसपी पथ और थाना पथ आदि सम्पूर्ण शहर को  निकाली जाने वाली शोभा यात्रा के लिए विशेष रूप से सजाई गई है। गुमला के श्रीरामनवमी पूजन समिति के केन्द्रीय मण्डल के सदस्यों ने  बताया कि यात्रा का गुमला के विशिष्ट जन भगवा ध्वज के साथ शुभारंभ किया  तथा गुमला के अनेक गणमान्य अतिथि, पूज्य संत व राम भक्त , हनुमान भक्तों ने शोभा यात्रा को सुशोभित किया ।अनेक धार्मिक, राजनैतिक,सामाजिक, शैक्षणिक व सांस्कृतिक संगठनों के वरिष्ठ पदाधिकारी शोभा यात्रा में भाग लिया । धार्मिक –आध्यात्मिक और सामाजिक समरसता की झांकी, महिला सशक्तिकरण की अनूठी पहचान , पूजन समितियों के संकीर्तन टोली उत्साही युवकों का शौर्य प्रदर्शन इस बार आकर्षण का केंद्र रहा । वहीं श्रद्धालुओं द्वारा गाजे-बाजे के साथ शोभा यात्रा भी निकाली गई गुमला शहर में भगवान श्रीराम की शोभायात्रा विभिन्न मार्गों से होते हुए गुमला शहर के मुख्य पथ पर मिलन समारोह के पश्चात देर रात्रि जाकर सम्पन्न होगी।

जिले के सिसई, भरनो , बसिया,घाघरा, बिशुनपुर , रायडीह आदि प्रखण्ड क्षेत्र में रामनवमी धूमधाम से मनाये जाने की सूचना है ।लोगों ने शनिवार को पूजा-अर्चना के पश्चात अपने-अपने घरों में ध्वजा को प्रतिष्ठापित किया। । मालूम हो कि प्रतिवर्ष की भान्ति इस वर्ष भी सिसई के कुम्हार मोड़ में स्थापित बजरंग बली की विशालकाय मूर्ति की पूजा-अर्चना की गई । इस मौके पर मेले का भी आयोजन किया जाता है। वहीं विगत कई वर्षो से चली आ रही परिपाटी अनुसार राम जनमोत्सव पर पूजन समितियों द्वारा समिति पदाधिकारियों के नेतृत्व में गाजे-बाजे, हाथी घोड़ा के साथ भगवान राम की झांकी निकाली गई। जिले के सर्वाधिक प्राचीन ग्रामों में से एक मुरूनगुर आज के मुरगु में श्रीरामनवमी पर करीब दर्जनों स्थानों पर श्रीहनुमान के विशेष पूजन हेतु निर्मित चबूतरादी स्थलों पर भक्तों ने वानरकेतन लहराकर अष्टमी की रात्रि को ही हनुमदुपसना प्रारंभ की जो आज दोपहर को विसर्जन के बाद समाप्त हुई ।तत्पश्चात शोभायात्रा निकाली गई जिसमें मुरगु सहित आस-पास के दर्जनाधिक गाँवों के श्रीरामनवमी पूजन समिति के अधिकारी , सदस्य व स्थानीय ग्रामीणों ने भाग लिया और श्रीराम और हनुमान के जय- जयकारे लगाये। निर्मित ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखी गई। गुमला, बसिया और चैनपुर अनुमंडल अंतर्गत रामनवमी का पर्व हर्षोल्लास व शांतिपूर्ण माहौल में मनाया गया। स्थानीय पूजा समिति स्थलों और  दुर्गा मण्डपों सहित विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना श्रद्धालु भक्तों ने की। जिले के सभी क्षेत्रों में रामनवमी का पर्व काफी धूमधाम से मनाया गया। रामनवमी के अवसर पर लोगों ने अपने घरों के अलावा नजदीक के मंदिरों में पूजा-अर्चना की। गुमला थाना क्षेत्र में रामनवमी का पर्व भक्तिमय माहौल में सम्पन्न हो गया। पर्व को ले सबों ने अपने-अपने तरीके से पूजा-अर्चना की। पर्व को ले ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न मंदिरों में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखी गई ।सबों ने इस अवसर पर अपने-अपने तरीके से देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की। जिले में रामनवमी पर्व को ले शनिवार को सबेरे से ही लोग नहा-धो पूजा-अर्चना में जुट गए। इस मौके पर कई जगह भजन की‌र्त्तन का भी आयोजन किया गया।
 जिले के विभिन्न क्षेत्रों के पूजा स्थलों, मन्दिरों में भगवान श्री राम जी के जन्म दिवस पर दोपहर में श्रद्धालुओं के बीच बड़े हर्षोल्लास से श्रीराम जी आरती, प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम सम्पन्न किया गया । वैसे भी शनिवार को बजरंगवली की पूजा के लिए खास दिन माना जाता है,ऐसे में मंगलवार को ही रामनवमी पड़ने के कारण श्रीराम भक्त व दूत हनुमान के श्रद्धालु भक्तों में खासा उत्साह देखने को मिला , वे हनुमान के चरित्र को उजागर करने वाले भान्ति-भान्ति के प्रतिरूपों में दिखलाई दिए ।
अनेक जगहों पर इस पावन अवसर पर भक्तगण पुरे दिन रामायण का पाठ करते रहे। कई स्थानों पर इस दिन हर्षोल्लास पूर्वक भगवन राम, सीता, लक्ष्मण, और भक्त हनुमान की शोभा यात्रा निकली गई, जिसमे हज़ारो की संख्या में श्रद्धालुओं ने  भाग लिया ।


श्रीरामनवमी के अवसर पर गुमला प्रखण्ड के खोरा गाँव स्थित पञ्चमुखी हनुमान मन्दिर में भी हनुमदुपासना हेतु विशेष आयोजन किए जाने की सूचना है । गुमला प्रखण्ड मुख्यालय से बीस किलोमीटर दूर आंजन गांव में विशेष रूप से श्रीराम और श्रीराम के दूत हनुमान की पूजा –अर्चा की गई । आंजन के अलावा जिले के गांव-गांव में महावीरी झंडा की पूजा कर लोग अस्त्र-शस्त्र चालन का करतब दिखलाया । वहीं कई गांवों में रामनवमी के मौके पर झंडा मिलन समारोह भी आयोजित किया गया । के गुमला जिले के सदर थाना क्षेत्र अंतर्गत आंजन गांव रामभक्त हनुमान की जन्मस्थली है। ऐसी मान्यता है कि रामभक्त हनुमान का जन्म आंजन गांव में ही हुआ था। यही कारण है कि यहाँ सालों भर हर शुभ -पावन अवसर पर यहां गुमला ही नहीं बड़ी संख्या में आसपास के भक्त भी आंजन गांव पहुंचते है। राम नवमी के अवसर पर झारखण्ड की राजधानी राँची से श्रीराम भक्त भारी संख्या में आये थे , जिन्होंने 1953 में आंजन पहाड़ी मे निर्मित हनुमान मन्दिर में विशेष साफ-सफाई और साज-सजावट और पूजन की व्यवस्था स्थानीय ग्रामीणों से मिलकर की ।



जिले भर में नवरात्र पर्व के शनिवार को अन्तिम दिन देवी मंदिरों में दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मंदिरों में अनेक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। नवमी के दिन मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना के साथ ही नवरात्र पर्व का समापन हो गया।  शहर में स्थित देवी मंदिरों में सुबह से ही भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हुआ जो देर शाम तक जारी रहा। पिछले नौ दिनो से चले आ रहे नवरात्र महोत्सव का समापन भी शनिवार को धूमधाम के साथ हुआ।


चेंबर ऑफ कॉमर्स गुमला का सरकारी भवन में चलता है कार्यालय

चेंबर ऑफ कॉमर्स गुमला का सरकारी भवन में चलता है कार्यालय

 गुमला । गुमला भी गजब का जगह है ।यहाँ किसी का विरोध और प्रतिरोध कौन और कब कर देगा कहा नहीं जा सकता ? अब देखिए न जो कल तक जिस व्यावसायिक संस्था के प्रमुख हुआ करते थे आज वे उसी संस्था के कार्य प्रणाली के विरोध पर उतर नाराजगी जता रहे हैं और विरोध भी उस कार्य स्थल पर कार्यालय होने का कर रहे हैं ,जहाँ वे अपने कार्यकाल में बैठकर उस संस्था के कार्यों को निष्पादित करते  रहे हैं ।
उल्लेखनीय है कि गुमला चेंबर ऑफ कॉमर्स का अपना कोई भवन नहीं है इसलिए चैम्बर का कार्यालय एक सरकारी भवन में संचालित होता है। जानकारी यह भी है कि विगत कई वर्षों से लगातार चेंबर के अपने भवन के लिए जमीन की तलाश की जा रही है , परन्तु जमीन के खोज के नाम पर की जा रही सिर्फ खानापूर्ति पर अब चेंबर के सदस्यों ने ही विरोध करना शुरू कर दिया है। और चेम्बर के कुछ सदस्यों ने ही जिला प्रशासन से जशपुर पथ  में  अवस्थित स्टेडियम प्रबंधन की देखरेख वाले भवन में संचालित चेंबर के कार्यालय को खाली कराने की मांग प्रशासन से कर दी है। पत्र-पत्रिकाओं और कह्बरिया चैनलों कोडी वयान में भूतपूर्व चेंबर अध्यक्ष रमेश कुमार चीनी ने अब तक चेंबर के लिए जमीन की खरीदगी नहीं हो पाने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि चेंबर पूर्ण रूप से एक व्यापारिक संस्था है एवं चेम्बर के द्वारा व्यापारियों के हित के लिए काम किया जाता है। चेंबर के सदस्यों से वार्षिक शुल्क लिया जाता है। चेंबर के कई सदस्य करोड़पति व लखपतिभी हैं। ऐसे में आज तक इस जिला में चेंबर का अपना भवन नहीं होना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है।
गुमला चेंबर ऑफ कॉमर्स के भूतपूर्व चेंबर अध्यक्ष रमेश कुमार चीनी ने कहा कि सरकारी संपत्ति का उपयोग सामाजिक हित के लिए किया जा सकता है चाहे उसके लिए किराया देने का ही प्रावधान क्यों न हो। लेकिन व्यापारियों की एक मजबूत संस्था को काफी कम किराया पर सरकारी भवन देना ठीक नहीं है। उधर कुछ और व्यवसायियों ने कहा कि जब तक चेंबर का कार्यालय प्रशासन वापस नहीं लेती चेंबर के भवन निर्माण के लिए जमीन खरीद के कार्य में चेंबर के अधिकारी कोई रुचि नहीं लेंगे। प्रशासन को अविलंब चेंबर ऑफ कॉमर्स को उपयोग के लिए दिया भवन वापस लेकर उसके समाजिक कार्य करने वाले संस्था को आवंटित कर देना चाहिए। जिले के एक अन्य समाजसेवी और गुमला नगरपालिका के भूतपूर्व वार्ड आयुक्त राजेंद्र प्रसाद गुप्ता ने इस मामले पर खेद व्यक्त करते हुए कहा कि जिस सरकारी भवन में चेंबर का भवन संचालित होता है उस भवन का निर्माण खिलाड़ियों के ड्रेसिंग कक्ष के रूप में हुआ था, लेकिन प्रशासन द्वारा खिलाड़ियों की उपेक्षा करते हुए कुछ किराया वसूल करने के लिए एक व्यवसायिक संस्था चेंबर को कार्यालय के रूप मेंउपयोग करने के लिए दे दिया गया है। चेंबर के अन्य सदस्यों ने भी चेंबर के अपने भवन के लिए जमीन की खरीद किए जाने एवं जल्द से जल्द सरकारी भवन में संचालित कार्यालय को हटाने की मांग की है।उधर इस मामले पर गुमला चेंबर ऑफ कॉमर्स के वर्तमान चेंबर अध्यक्ष मो. शब्बु का कहना है कि निश्चित रूप से चेंबर एक व्यवसायिक संगठन है, परन्तु  जिस भवन में चेंबर का कार्यालय संचालित है उस भवन के उपयोग के एवज में प्रशासन को किराया दिया जाता है एवं कार्यालय का उद्घाटन तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा किया गया था। उन्होंने बताया कि चेंबर के भवन के लिए भूमि की तलाश की जा रही है। कुछ लोग बेवजह इसे मुद्दा बनाकर तूल देते रहते हैं।

गुमला में राम नवमी शोभा यात्रा की तैयारियां ज़ोरों पर

गुमला में राम नवमी शोभा यात्रा की तैयारियां ज़ोरों पर


गुमला।  राम नवमी की विशाल शोभा यात्रा की तैयारियाँ गुमला जिले में इन दिनों ज़ोरों पर हैं। गुमला के विभिन्न मार्गों से शनिवार बारह बजे से निकलेगी भव्य शोभा यात्रा। शनिवार २८ मार्च को दोपहर बारह बजे से गुमला के विभिन्न मुहल्लों और शहर से लगे ग्रामीण क्षेत्रों  में अवस्थित श्रीराम नवमी पूजन स्थलों से भक्तजन कपिध्वज अर्थात रामनवमी झण्डे को लेकर जय जय हनुमान , श्रीराम भक्त हनुमान की जय, जय हो बजरंग बली की जय , बोलो सियावरराम चन्द्र की जय आदि नारों की गूँज के साथ श्रीराम कीर्तन करते और पारम्परिक हथियारों के करतब दिखलाते हुए गुमला के मुख्य पथ पर महाबीरी झण्डे के मिलन के प्रस्थान करना शुरू करेंगे ।मुख्य मिलन कार्यक्रम स्थल पर पूजन समितियों के पहुंचते और मिलन कार्यक्रम के समापन में शनिवार को देर रात्रि हो जाने की संभावनाओं के मद्देनजर शहर के मुख्य पथ के साथ ही सिसई पथ, पालकोट पथ , जशपुर छतीसगढ़ पथ , लोहरदगा पथ और डीएसपी पथ और थाना पथ आदि सम्पूर्ण शहर को  निकाली जाने वाली शोभा यात्रा के लिए विशेष रूप से सजाए जाने की बृहद योजना बनाई गई है। गुमला के श्रीरामनवमी पूजन समिति के केन्द्रीय मण्डल के सदस्यों ने  बताया कि यात्रा का गुमला के विशिष्ट जन भगवा ध्वज के साथ शुभारंभ करेंगे तथा गुमला के अनेक गणमान्य अतिथि, पूज्य संत व राम भक्त उद्घाटन मंच व शोभा यात्रा को सुशोभित करेंगे।अनेक धार्मिक, सामाजिक, शैक्षणिक व सांस्कृतिक संगठनों के वरिष्ठ पदाधिकारी शोभा यात्रा में भाग लेंगे। धार्मिक –आध्यात्मिक और सामाजिक समरसता की झांकी, महिला सशक्तिकरण की अनूठी पहचान , पूजन समितियों के संकीर्तन टोली उत्साही युवकों का शौर्य प्रदर्शन इस बार आकर्षण का केंद्र रहेगा।गुमला के सभी श्रीराम नवमी पूजा समिति व मंदिरों से संपर्क साधकर कम से कम एक-एक झाँकी और श्री राम भक्तों की शोभा यात्रा  में न्यूनतम सहभागिता सुनिश्चित करने हेतु निवेदन किया गया है। कई एनी प्रकार की परंपरागत व सामयिक झाँकी भी होगी। श्रीराम भक्त हनुमान की जन्म स्थली के रूप मे प्रसिद्ध गुमला जिले व गुमला प्रखण्ड के आंजन ग्राम की पहाड़ी पर अवस्थित आंजन धाम में श्रीरामनवमी को श्रीराम और उनके भक्त श्रीहनुमान के पूजन -अर्चा हेतु विशेष व्यवस्था श्रद्धालुओं के द्वारा किए जाने की खबर है ।
 श्रीराम नवमी को लेकर भान्ति-भान्ति के रंग-विरंगे कपिध्वज , पूजन सामग्रियों , खाद्य वस्तुओं की बाजार में खरीद-बिक्री में अकस्मात वृद्धि होने की सूचना है । पूजन स्थलों की साफ़-सफाई का कार्य समाप्त हो चुका है और सजावट का कार्य और झांकी निर्माण का कार्य जारी है ।प्रतिदिन सायंकाल से लेकर डरे रात्रि तक पूजन स्थलों पर संकीर्तन , वाद्य-यंत्रों के साथ युवक पारम्परिक हथियारों से भान्ति-भान्ति करतब और शौरी प्रदर्शन कार्य को और भी अधिक कुशलता के साथ निष्पादित करने केलिए अथक प्रयास कर रहे हैं ।

बिशुनपुर में पर्यावरण संरक्षण, सतत विकास एवं राजनीतिक उत्तरदायित्व पर द्विदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

बिशुनपुर में पर्यावरण संरक्षण, सतत विकास एवं राजनीतिक उत्तरदायित्व पर द्विदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन


 गुमला । विश्व विद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली एवं विकास भारती बिशुनपुर के सहयोग से कार्तिक उरांव महाविद्यालय गुमला के द्वारा रविवार को विशुनपुर स्थित विकास भारती परिसर के तक्षशिला सभागार में द्विदिवसीय पर्यावरण संरक्षण, सतत विकास एवं राजनीतिक उत्तरदायित्व पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का उद्घाटन नेशनल लॉ यूनिर्वसिटी के पूर्व कुलपति बी.सी. निर्मल ने दीप प्रज्वलित कर किया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए बी.सी निर्मल ने कहा कि पूरे विश्व में बढ़ते हुए तापमान और गिरता हुआ जल स्तर चिंता का कारण बना हुआ है। पर्यावरण की रक्षा करना हम सभी का दायित्व है। आज देश में पर्यावरण एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है। इसके निराकरण के लिए इस प्रकार के सेमीनार का आयोजन एक सराहनीय प्रयास है। हम अपने सुविधा के लिए पर्यावरण को दूषित करते हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। हम सभी का दायित्व है कि अपने विकास के साथ आसपास के प्रदूषण को ठीक रखे एवं इसका संरक्षण करने के लिए आगे आए। उन्होंने कहा कि विकास का अधिकार सिर्फ उद्योगपतियों को नहीं बल्कि देश के सभी लोगों का है। उन्होंने सरकार को भी विकास नीति पर्यावरण को ध्यान में रखकर तैयार करने की सलाह देते हुए कहा कि कहा कि सरकार सिर्फ ट्रस्टी का काम कर सकती है। हम सरकार से सहयोग लेकर अपने पर्यावरण को बचा सकते हैं। उन्होंने समग्र विकास पर चर्चा करते हुए कहा कि समग्र विकास का सिद्धांत नया नहीं है। हम सभी को राइट टू डेवलपमेंट का अधिकार प्राप्त है।
रांची विश्व विद्यालय के कुलपति एम. राजउद्दीन ने कहा कि कीटनाशक एवं रेडिएशन के माध्यम से आज वातावरण काफी दूषित हो रहा है। इसका परिणाम यह है कि गौरेया, गिद्ध जैसे महत्वपूर्ण पक्षी विलुप्त होते जा रहे हैं। उन्होंने लोगों से पर्यावरण के संरक्षण व संर्वद्धन के लिए लोगों को आगे आने की बात कही। विकास भारती के सचिव अशोक भगत ने कहा कि कुदरत सबका पेट सकता है और हवस किसी एक का। हवस के कारण ही आज पर्यावरण की क्षति हो रही है। इसके लिए उन्होंने लोगों के संयम व व्यवहार परिवर्तन करने की सलाह दी। इस मौके पर दीन दयाल विश्व विद्यालय गोरखपुर के भूगोल शास्त्री जगदीश सिंह, विरमित्रापुर महाविद्यालय के राजनीति शास्त्र के बी.सी चौधरी, रांची विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र के एस.पी सिंह, केओ कॉलेज गुमला के प्रभारी प्रचार्य डा. शशिभूषण ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण नामक पुस्तिका का विमोचन भी अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
लखनऊ से आए प्रो. जगदीश सिंह ने कहा कि पर्यावरण को हानि पहुंचाए बिना हम विकास कैसे कर सकेंगे। इसका उपाय बताते हुए उन्होंने कहा कि उपयोगितावादी विचार को छोड़कर हमें विकास की बातें करनी होगी। समाज में किसी एक व्यक्ति के पूंजीपति होने से उसके नीचे हजारों गरीब पैदा हो जाते हैं, जो गलत है। हमें विकास का मतलब जन सामान्य को सुखी बनाना है। उन्होंने सुखी समाज की कल्पना करते हुए कहा कि समाज में रोजगार की व्यवस्था करना, सुरक्षा का भाव पैदा करना, सामाजिक गरिमा का विकास करना, सामाजिक मेलजोल बढ़ाना और आत्मनिर्भरता इसके मुख्य तत्व हैं। उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रकृति में सौर ऊर्जा, प्राण ऊर्जा, पानी में असीम ऊर्जा की संभावनाएं हैं। इसका विकास कर हम पर्यावरण प्रदूषण से बच सकते हैं। विकास भारती बिशुनपुर के सचिव अशोक भगत ने कहा कि झारखंड प्राकृतिक परिसंपदा से परिपूर्ण है। यहां के रहने वाले आदिम जनजाति के लोग प्रकृति के साथ जुड़कर उसका सही उपयोग करना जानते हैं। हमने विरासत को बचाकर रखा है। लेकिन बोक्साईट आदि माइंस के खुल जाने से पेड़-पौधों का कटना शुरू हो गया है। इससे अब झारखंड भी प्रदूषण की चपेट में आने लगा है। सेमिनार को अन्य कई वक्ताओं ने संबोधित किया और इस विषय पर अपने विचार रखे।

इस अवसर पर बीसी निर्मल, अशोक भगत, रजीउद्दीन, जगदीश सिंह ने संयुक्त रूप से पर्यावरण संरक्षण नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर प्रवीण सिंह, प्रो. एसपी सिंह, प्रो. बीसी चौधरी, प्रो. शशिभूषण, प्रो. शिमला कुमारी, प्रो. ग्रेस मिंज, प्रो. सीमा कुमार, डॉ संजय पांडेय, महेंद्र भगत सहित बिहार, ओडिशा, उत्तरप्रदेश, झारखंड के कई विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, छात्र आदि मौजूद थे।





प्रकृतिपर्व सरहुल का त्योहार अर्थात "ख़ेंख़ेल बेंजा" समारोहपूर्वक सम्पन्न

प्रकृतिपर्व सरहुल का त्योहार अर्थात "ख़ेंख़ेल बेंजा" समारोहपूर्वक सम्पन्न 

गुमला । पर्व- त्योहारों के ताने-बानों से सुवासित झारखण्ड के जनजातियों के जीवन चक्र का एक महत्वपूर्ण ऋतुपर्व, प्रकृतिपर्व सरहुल का त्योहार अर्थात "ख़ेंख़ेल बेंजा"  फाल्गुनी रंगों से सजा- संवरा चैत मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को गुमला जिला में समारोहपूर्वक व धूमधाम से संपन्न हुआ । फूलों से लदे सखुआ और पलाश के पेड़ों के मौसम में पर्व के नाम मात्र से जीवन समर्थक, प्रकृति प्रेमी, नैसर्गिक गुणों के धनी और पर्यावरण के स्वभाविक रक्षक आदिवासियों का मन-दिल रोमांचित हो उठा और उन्होंने नाच-गान व नर्तन करते हुए जुलूस के रूप में सम्पूर्ण परिवेश को गूंजायमान करते हुए पूरे नगर का परिभ्रमण किया। युवक-युवतियाँ सखुआ ,पलाशादि के फूलों की डाल लिये हुए थे , युवतियाँ जुड़े के रूप में अपनी बालों पर फूलों की श्रृंगार किए हुए थीं, उन फूलों की भीनी-भीनी महक सारे वातावरण को सुरभित कर प्रकृतिपर्व के आगमन का संकेत दे रहीं थीं।
चैत महीने के पांचवे दिन मनाई जाने वाली सरहुल तैयारी सप्ताह भर पहले ही शुरू हो गई थी । प्रत्येक परिवार से हंडिया बनाने के लिए चावल जमा की गई थी। परम्परा के अनुसार पर्व के पूर्व संध्या से पर्व के अंत तक पहान उपवास करता हैl एक सप्ताह पूर्वसूचना के अनुसार सरहुल की पूर्व संध्या गाँव की ‘डाड़ी’ साफ की जाती है ।उसमें ताजा डालियों डाल की जाती हैl उसमें ताजा डालियाँ डाल दी जाती हैं जिससे पक्षियाँ और जानवर भी वहाँ से जल न पी सकेंl सरहुल के दिन पर्व के प्रात: मुर्गा बांगने के पहले ही पूजार दो नये घड़ों में ‘डाड़ी’ का विशुद्ध जल भर कर चुपचाप सबकी नजरों से बचाकर गाँव की रक्षक आत्मा, सरना बुढ़िया, के चरणों में रखता है। उस सुबह गाँव के नवयुवक चूजे पकड़ने जाते हैं ।चेंगनों के रंग आत्माओं के अनुसार अलग-अलग होते है। किसी – किसी गाँव में पहान और पूजार ही पूजा के इन चूजों को जमा करने के लिए प्रत्येक परिवार जाते हैं।
दोपहर के समय पहान और पूजार गाँव की डाड़ी झरिया अथवा निकट के नदी में स्नान करते हैं।  किसी – किसी गाँव में पहान और उसकी पत्नी पहनाईन नदी में स्नान करते हैं| किसी – किसी गाँव में पहान और उसकी पत्नी पहनाईन को एक साथ बैठाया जाता है ।गाँव का मुखिया अथवा सरपंच उनपर सिंदुर लगाता है। उसके बाद उन पर कई घड़ों डाला जाता है।उस समय सब लोग “ बरसों,बरसों” कहकर चिल्लाते हैं ।यह धरती और सूर्य, आकाश की बीच शादी का प्रतीक है।
उसके बाद गाँव से सरना तक जूलूस निकला जाता है ।सरना पहूंचकर पूजा-स्थल की सफाई की जाती है ।पूजार चेंगनों के पैर धोकर उन पर सिंदुर लगाता है और पहान को देता है ।पहान सरना बुढ़िया के प्रतीक पत्थर के सामने बैठकर चेंगनो को डेन के ढेर से चुगाता है।उस समय गाँव के बुजुर्ग वर्ग अन्न के दाने उन पर फेंकते हुए आत्माओं के लिए प्रार्थनाएँ चढाते हैं कि वे गाँव की उचित रखवाली करें। उसके बाद पहान चेंगनों का सिर काट कर कुछ खून चावल के ढेर पर और कुछ सूप पर चुलता है ।बाद में उन चेंगनो को पकाया जाता है। सिर को सिर्फ पहान खा सकता है।कलेजे यकृत आदि आत्माओं में नाम पर चढ़ाये जाते हैं । बाकी मांस चावल के साथ पकाकर उपस्थित सब लोगों के बीच प्रसाद के रूप में बाँटा जाता है।
आदिवासी परम्पराओं के जानकार प्राचीन ग्राम मुरूनगुर वर्तमान मुरगु के ग्रामप्रधान शंकर पाहन कहते हैं, ईश्वर की सर्वोच्च का सत्ता ख्याल रख कर उनके नाम पर अलग सफेद बलि चढ़ायी जाती है जो कि पूर्णता और पवित्रता का प्रतीक है। अन्य आत्माओं के नाम पर अलग – अलग रंगों के चिंगने चढ़ाये जाते हैं । पहान पूर्व की ओर देखते हुए जिस ओर ईश्वर है, कहता है,  हे पिता ! आप ऊपर हैं, “यहाँ नीचे पंच है और ऊपर परमेश्वर है ।हे पिता आप ऊपर हैं हम नीचे । आप की आंखे हैं, हम अज्ञानी हैं; चाहें अनजाने अथवा अज्ञानतावश हमने आत्माओं को नाराज किया है, तो उन्हें संभाल कर रखिए; हमारे गुनाहों को नजरंदाज कर दीजिए।” प्रसाद भोज समाप्त होने के बाद पहान को समारोह पूर्वक गाँव के पंचगण ढोते हैं । इस समय पहान सखूआ गाछ को सिंदुर लगाता और अरवा धागा से तीन बार लपेटता है जो अभीष्ट देवात्मा को शादी के वस्त्र देने का प्रतीक है।शंकर पाहन ने बतलाया कि कहीं-कहीं  पहान सखूआ फूल, चावल और पवित्र जल प्रत्येक घर के एक प्रतिनिधि को वितरित करता है, उसके बाद सब घर लौटते हैं । पहान को एक व्यक्ति के कंधे पर बैठाकर हर्षोल्लासपूर्वक गाँव लाया जाता है| उसके पाँव जमीन पर पड़ने नहीं दिए जाते हैं, चूंकि वह इस समय ईश्वर का प्रतिनिधि है ।घर पहुँचने पर पहान की पत्नी पहनाइन उसका पैर धोती है और बदले में पति से सखूआ फूल, चावल और सरना का आशीष जल प्राप्त करती है। वह फूलों को घर के अंदर, गोहार घर में और छत में चुन देती है ।पहान के सिर पर कई घड़े पानी डालते वक्त लोग फिर चिल्लाते हुए कहते हैं, - ‘बरसों, बरसो’। चैत्र शुक्ल पञ्चमी के दिन सरहुल मनाने वाले गुमला जिले के प्रायः सभी गाँवों से मिल रही सुच्नाओंके अनुसार सरहुल पर्व को लेकर उपरोक्त सभी क्रिया- कलाप ग्राम पाहन और पूजार की देख-रेख में निष्पादित कर ली गई और फिर जुलूस समारोह पूर्वक निकाली गई, जिसमें क्षेत्र के राजनीतिज्ञ, जनजातीय समाज के स्वनाम धन्य बुद्धिजीवी और पुरोहित तथा जनजातीय संघ सदान युवाओं ने भी जोशोखरोश के साथ भाग लिया। शहर और शहर के समीपस्थ क्षेत्रों के शहरवासियों और क्षेत्रवासियों ने स्थान-स्थान पर सामियाना और पेयजल व शरबत के इंतजाम कर रखे थे,जिनमें जुलूस में शामिल होने के लिए आ रहे युवक-युवतियों, बच्चों और वृद्धों को ठहर कर सुस्ताने और प्यास बुझाने की सुविधाएँ मुफ्त में उपलब्ध कराई जा रही थी । कहीं-कहीं पर बूट अर्थात चने को भींगोकर अर्थात फूलाल बूट भी बाँटे जा रहे थे ।जिनमे नमक नहीं मिलाये गये थे, जिसे चखकर देखने के पश्चात अतिउत्साहित युवा नून अर्थात नमक की माँग कर रहे थे । जुलूस में भान्ति-भान्ति के रंग-विरंगे परिधान युवक-युवतियों ने पहन रखे थे,परन्तु मुख्य आकर्षण के केन्द्र चरका अर्थात सफ़ेद और लाल रंग की पाईर अर्थात बोर्डर वाली साड़ी और लाल ब्लाउज पहनी नृत्य कर रही युवातियाँ और सफ़ेद रंग का धोती और कुरता अथवा गंजी (बनियान) पहने हुए मांदर और अन्य परम्परागत वाद्य बजाते युवक ही थे , जो अपनी बालों में में सखुआ व अन्य वासंतिक फूलों की गुच्छों को सजाये हुए वातावरण में प्राकृतिक सौंदर्य बिखेर रहे थे ।
बताया जा रहा है कि सरहुल की यह उल्लास अभी के दिनों तक चलेगी । सरहुल के दूसरे दिन अर्थात कल पहान प्रत्येक परिवार में जाकर सखूआ फूल सूप से चावल और घड़े से सरना जल वितरित करेगा । गाँव की महिलाएँ अपने-अपने आंगन में एक सूप में दो दोने लिए खड़ी रहेंगी । सूप में रखे एक खाली दोने में सरना जल ग्रहण किया जाता है दूसरे में पाहन को देने के लिए हंडिया होता है, जिसे पाहन को दे दिया जाता है। पाहन से प्राप्त   सरना जल को घर में और बीज के लिए रखे गए धन पर छिड़का जाता है। इस प्रकार पहान हरेक घर को आशीष देते हुए कहता है, “आपके कोठे और भंडार धन से भरपूर होन, जिससे पहान का नाम उजागर हो।” प्रत्येक परिवार में पहान को नहलाया जाता है। वह भी अपने हिस्से का हंडिया प्रत्येक परिवार में पीना नहीं भूलता है ।नहलाया जाना और प्रचुर मात्रा में हंडिया पीना सूर्य और धरती को फलप्रद होने के लिए प्रवृत-प्रवृद्ध करने का प्रतीक है ।सरहुल का यह प्रक्रितिपर्व कई दिनों तक अनवरत चल सकता है क्योंकि बड़ा रजस्व ग्राम अर्थत मौजा होने से फूल, चावल और आशीषजल के वितरण में कई दिन लग सकते हैं।


चेंबर ऑफ कॉमर्स गुमला द्वारा निजी विद्यालयों की मनमानी पर रोक की मांग

चेंबर ऑफ कॉमर्स गुमला द्वारा निजी विद्यालयों की मनमानी पर रोक की मांग


गुमला । गुमला जिला में निजी व गैरसरकारी विद्यालयों की मनमानी चरम पर है । बेहतर शिक्षा के नाम पर जिले के निजी विद्यालयों द्वारा शुल्क के नाम पर अभिभावकों का दोहन किया जा रहा है। शिक्षा अधिकार अधिनियामका भी यहाँ खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। गुमला के विद्यालयों में एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जाने पर भी पुर्ननामांकन के नाम पर बड़ी राशि वसूली जाती है। विद्यालय प्रबंधन की इस तरह की मनमानी पर रोक लगाने के लिए चेंबर ऑफ कॉमर्स गुमला द्वारा उपायुक्त गुमला को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है। उपायुक्त को सौंपे गए ज्ञापन में चेंबर ऑफ कॉमर्स गुमला द्वारा कहा गया है कि निजी विद्यालयों के द्वारा प्रत्येक वर्ष अपने विद्यालय के ही छात्रों से दूसरी कक्षा में जाने पर पुर्ननामांकन के नाम पर हजारों रुपये वसूली जाती है। इसके अतिरिक्त सरकारी नियमों की अनदेखी करते हुए 25 प्रतिशत गरीब बच्चों का नामांकन नहीं लिया जाता, विद्यालय में ही बाजार मूल्य से ज्यादा मूल्य पर छात्रों को किताब, कॉपी, स्कूल यूनिफार्म आदि उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही सालाना कई तरह के फंड के नाम पर राशि वसूली की जाती है। चेंबर द्वारा दिए ज्ञापन में स्कूल बसों का भाड़ा वृद्धि व सीट से ज्यादा छात्रों को बिठाये जाने की बात कही गई है। चेंबर ने उपायुक्त से छात्र व अभिभावक हित में इस पर अविलंब उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। ज्ञापन देने वालों में चेंबर अध्यक्ष मो. शब्बू, सचिव हिमांशु केसरी, अभिजीत जायसवाल आदि चेंबर ऑफ कॉमर्स गुमला के अधिकारी व सदस्य शामिल थे।

गुमला में भूगर्भ जल संरक्षण सरकार व प्रशासन के लिए चुनौती

गुमला में भूगर्भ जल संरक्षण सरकार व प्रशासन के लिए चुनौती


गुमला । चतुर्दिक जंगलों-पहाड़ों, नदी-नालों से घिरे गुमला जिला में कुछ वर्षों से जलस्तर तीव्र गति से नीचे जा रहा है ।गुमला ऐसा जिला है जहाँ बड़ी नदियां नहीं हैं, और अगर दक्षिणी कोयल नदी , शंख , कारों , पारस आदि बरसाती नदियों को बड़ी नदी माना भी जाए तो भी यहाँ के जलस्तर में अब इन नदियों का कोई बड़ा योगदान नहीं रह गया है। गुमला की सम्पूर्ण खेती वर्षा जल अर्थात मानसून पर आधारित है। पिछले कुछ वर्षों में जिले में सामान्य वर्षा तक नहीं हो पाने के कारण यहाँ का भूगर्भ जलस्तर तेजी से नीचे गया है। ऐसे में भूगर्भ जल संरक्षण सरकार व प्रशासन के लिए चुनौती बनी हुई है। दशकों पूर्व यहाँ कोयल- कारो आदि कई वृहत व लघु जलाशय परियोजना को मंजूरी मिली थी। लेकिन विस्थापन की राजनीती करने वालों की यह परियोजनाएं भेंट चढ गईं और सरकारों के लाख प्रयासों के बावजूद कोयल-कारो सरीखी बहुमुखी विकास की परियोजनाएं शुरू होने के पहले ही दम तोड़ गई। जिले में पारस, कंस, दतली , धनसिंह डेम (आदि) आदि कई परियोजनाएं पूर्ण हुईं भी परन्तु कईयों में पूर्ण रूप से सिंचाई नाली ,केनाल आदि का काम बाकी है। कई जगह इसे पूरा होने में बीस-तीस वर्ष तक लग गया। कोयल-कारो जलाशय परियोजना में तो अरबों रूपये खर्च करने के बावजूद अब तक काम भी शुरू नहीं हो सका है। अगर कोयल-कारो परियोजना पूरी हो जाती तो काफी हद तक जिले और अस-पास के प्रमंडल का जल संकट व विद्युत संकट दूर हो सकता था।
जहाँ तक गुमला जिला में जल संरक्षण के लिए महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना अर्थात मनरेगा व लघु सिंचाई परियोजना के तहत काम किया जा रहा है। पिछले नौ वर्षों में यहाँ पचास  हजार कुआँ की स्वीकृति मिली है । उसमें से करीब छतीस हजार कुआँ बनकर तैयार हो गया है। वहीं तालाब व चेक डैम भी हजारों की संख्या में बनाया जाना था। इसमें से करीब साठ प्रतिशत काम पूरा किया जा चुका है। परन्तु इनमें से अधिकाँश  काम तय मानकों पर खरा नहीं उतर रहे।कुंओं, तालाब और चेकडैम में पानी नहीं रहते , नहीं ठहरते ।यही हाल स्वाधीनता प्राप्ति के बाद से निर्मित कुओं, तालाबों व अन्य जलाशयों की पुनर्मरम्मती के अभाव में अब हो चुकी है ।
गुमला शहरी क्षेत्र में कई तालाब का जीर्णोद्धार नहीं किये जाने का भी असर यहां के जल स्तर पर पड़ा है। दो वर्ष पूर्व यहाँ के वन तालाब , करमटोली तालाब , भट्ठी मुहल्ला तालाब ,जवाहर नगर स्थित तालाब का आकार तो नहीं बढ़ाया गया लेकिन खुदाई किये जाने लाभ भी मिल रहा है। परन्तु शहर की इन तालाबों की खुदाई और चौडीकरण का कार्य किए जाने से इन क्षेत्रों के भूगर्भ जलस्तर में वृद्धि की उम्मीद बढ़ सकती थी। जिला मुख्यालय से होकर बहने वाली पुगु नदी कभी गुमला की जल भण्डार की मुख्य स्रोत हुआ करती थी आज शहर से निकली नालियों की पानी पर जीवित है । नदी के स्रोत स्थल पर अतिक्रमण की चोट और शहर की गन्दगी के फेंके जाने से इसका जल उपयोग के योग्य नहीं रह गया है। गुमला जिला मुख्यालय के करमटोली के समीप से निकलकर शहरी क्षेत्र से होकर बहते हुए कई गाँवों से होकर दक्षिणी कोयल नदी में मिलने वाली पुगु नदी जो कभी लबालब भारी होती थी , अतिक्रमण व कूड़ा-कचरा फेंके जाने के कारण आज नाला में तब्दील हो चुकी है। शहर के निकट की नदी के क्षतिग्रस्त और गन्दगी का पर्याय बन जाने का दुष्प्रभाव यहाँ के जलस्तर पर पड़ा है ।पुगु नदी के जीर्णोद्धार से गुमला शहर व आस- पास के क्षेत्र के भूगर्भ जलस्तर में व्यापक बढ़ोतरी की आशा बलवती हो सकती है ।







जर्जर सडकों से आवागमन में परेशानी

जर्जर सडकों से आवागमन में परेशानी

गुमला । गुमला जिले के मुख्य सडकों के जर्जर होने के कारण राहगीरों, वाहन चालकों को आवागमन में काफी परेशानी होती है। जिले की जर्जर सड़के हादसों का कारण बन रही हैं। गुमला  शहर सहित आसपास के ग्रामीण अंचलो के मार्ग जर्जर होने के कारण जानलेवा साबित हो रहे है। शहर के जशपुर जाने वाली ,सिसई होकर राँची जाने वाली मुख्य मार्गो एवं ग्रामीण क्षेत्रों कि सडकों में में जगह-जगह गड्ढे हो गये हैं जिससे आये दिन दुर्घटनाएँ हो रही हैं। .
गुमला से पालकोट होकर सिमडेगा जाने वाली राष्ट्रीय उच्च पथ की हालत कई स्थानों पर अत्यन्त खराब हो गई है । गुमला से सिर्फ पालकोट तक की दूरी तय करने में  सड़क की हालत खराब होने से वाहन चालकों को अतिरिक्त समय के गंवाने के साथ ही भारी परेशानी उठानी पड़ती है। डुमरडीह, अम्बेराडीह, मर्दा नदी के पुल के पास , बघिमा के स्वास्थ्य केन्द्र के समीप,बघिमा से आगे जबरा पुल , पिंजरा डिपा और अन्य स्थानों पर सड़क की स्थिति अत्यन्त जर्जर है । जबरा पुल और पिंजराडिपा में पुल निर्माण हेतु अपव्यवर्तित मार्ग अर्थात डाईवर्शन बनाये गये हैं परन्तु पुल निर्माण में हो रहे विलम्ब और डाईवर्शन की स्थिति ठीक नहीं होने के परिणामस्वरूप वाहन चालकों को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। गुमला जिला मुख्यालय से करमटोली होते हुए बाँसडीह , परसा , माँझाटोली आदि सडकों की स्थिति वर्षों से जर्जर है परन्तु जिले की इन जर्जर सड़कों की सुध सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा आज तक नहीं ली गई है। कई जगह सड़कें गहरे गड्ढों से पट गई हैं। गुमला –घाघरा पथ भी कई जगहों पर अत्यन्त खराब स्थिति में पहुँच चुकी है ,जहाँ आवागमन करने वाले लोगों और वाहन चालकों को भारी परेशानी हो रही है ।उधर घाघरा-लोहरदगा मुख्य पथ की जर्जर स्थिति से ग्रामीणों को आवागमन में काफी परेशानी का सामना होने का मुद्दा अखबारों में सदैव ही सुर्खियाँ बनता रहा है। इस सड़क पर प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में वाहनों का आवागमन होने से लोगों को धूल की समस्या का सामना तो करना पड़ता ही है। लेकिन इससे भी गंभीर बात यह है कि वाहनों के गुजरने के दौरान सड़क से पत्थर के टुकड़े भी इधर-उधर छिटक कर दुकानों में प्रवेश कर जाते हैं। घाघरा के उच्च व मध्य विद्यालयों के समीप उक्त सड़क पर लगभग दो फीट के गड्ढे बन गए हैं। जिससे हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। जबकि इसी रास्ते से प्रतिदिन हजारों की संख्या में छात्र-छात्राओं का आवागमन होता है। इस जब वाहन सड़क से गुजरता है तब छात्रों को धूल से बचने के लिए चेहरे पर कपड़ा या रूमाल रखना पड़ता है। गत तीन वर्षों से जर्जर सड़क के पुनर्निर्माण की मांग को लेकर कई बार ग्रामीणों के द्वारा आन्दोलन किया जा चुका है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नही हुई है। तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुण्डा के घाघरा दौरे के के क्रम में भी ग्रामीणों ने इसकी जानकारी देते हुए सड़क का जीर्णोद्धार करने की माँग की थी। इसके बावजूद इस सड़क के जीर्णोंद्धार को लेकर सरकार व प्रशासन गंभीर नहीं है। घाघरा वासियों का कहना है कि सड़क के किनारे दुकान लगाने वाले दुकानदारों को इससे काफी परेशानी होती है। दुकान के भीतर धूल कण जमा हो जाता है। यदि जल्द इस दिशा में ठोस कदम नही उठाया गया तो चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा।घाघरा –बिशुनपुर , घाघरा-अरंगी पथों की भी यही स्थिति है। जिले के कई स्थानों पर सड़क मार्ग के टूट जाने के कारण ग्रामीणों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।


जंगल में लगाई जा रही आग से पेड़-पौधों सहित जीव-जन्तु , पशु-पक्षियों को क्षति

जंगल में लगाई जा रही आग से पेड़-पौधों सहित जीव-जन्तु , पशु-पक्षियों को क्षति


गुमला । यह सर्वविदित है कि जंगल में आग लगने से पेड़-पौधों सहित जीव-जन्तु , पशु-पक्षियों को क्षति होती है ,फिर भी गुमला जिले व आस-पास के जिलों के जंगलों में महुआ चुनने और अन्य उद्देश्यों को ले जंगल में लगाई जा रही है ।महुआ चुनने को लेकर जंगल में लगाई जा रही आग से पेड़-पौधों सहित जीव-जन्तु , पशु-पक्षियों को क्षति हो रही है।और ऐसा नहीं है कि जंगलों मे यह आग पहली बार लग रही है, जंगलों में यह आग प्रतिवर्ष वसन्त काल में महुआ चुनने और विभिन्न अन्य उद्देश्यों के लिए लगाई जाती है जिससे जंगलों में नए-नए पनप रहे नवीन पादप आग से जल अथवा झुलस कर मर जाते हैं।इन पादपों में जंगली ब्रिक्षों के साथ ही विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियाँ भी शामिल होती हैं।गुमला जिले के जंगलों में आग लगने वाले क्षेत्रों में पालकोट हाथी आश्रयणी के क्षेत्र से लेकर सिमडेगा जिले से होते हुए उडीसा राज्य के सीमान्त क्षेत्र तक , रायडीह , चैनपुर , डुमरी ,जारी प्रखण्ड क्षेत्रों से लेकर सरगुजा के जंगल तक का वन्य प्रान्त , घाघरा , बिशुनपुर प्रखण्ड सहित लोहरदगा जिले से लेकर लातेहार , पलामू ,चतरा आदि के जंगल क्षेत्र तथा बसिया, कामडारा से लेकर राँची , खूंटी , बानो कोलेबिरा, जलडेगा आदि के जंगल प्रमुख हैं । झारखण्ड के प्रायः सभी क्षेत्रों के जंगलों की तरह ही गुमला के जंगलों में भी आग लगती नहीं बल्कि लगाई जाती है ।वह भी आसानी से महुआ के फल चुनने के लिए।लेकिन सिर्फ महुआ चुनने के उद्देश्य से लगायी गई इस आग से महत्वपूर्ण जंगली पादप प्रतिवर्ष जल जाने से इन पादपों के प्रजातियों के नष्ट हो जाने की संकट आन खड़ी हो रही है ।
खबर है कि इस वर्ष भी अभी –अभी पालकोट प्रखण्ड के कोंजाली गाँव के समीप के जंगलों में महुआ चुनने वालों द्वारा आग लगा दिया जा रहा है। गत पन्द्रह मार्च रविवार को पूरे जंगल में आग की लपटे फैलने लगी। जिससे जंगलों में रहने वाले पेड़-पौधों,जीव जंतु, पशु-पक्षियों को हानि पहुंच रही है। बताया जा रहा है कि आज- कल महुआ चुनने को लेकर पालकोट के आसपास के जंगलों में बराबर ही आग लगाई जा रही है। एक ओर वन विभाग द्वारा वन बचाओ का नारा दिया जा रहा है, और इस कार्य पर लाखों रूपये खर्च किए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों द्वारा जंगलों में आग लगा दिए जाने से अमूल्य धरोहरों को क्षति हो रही है। उधर इस बाबत पूछे जाने पर वन विभाग के वनकर्मियो और वन क्षेत्र पदाधिकारी कामाख्या नारायण ने कहा कि वन कर्मियों को आग बुझाने के लिए जंगलों में भेजा जा चुका है। आग लगाए जाने वाले लोगों की पहचान होने पर उनके उपर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। खबर यह भी मिल रही है कि जंगलों में आग लगाये जाने का यह सिलसिला जिले के अन्य वन्य क्षेत्रों में भी शुरू हो चुका है, परन्तु विशेष क्षति अभी तक नहीं होने के कारण यह समाचार नहीं बन रहा हैजिसके कारण वन्य कर्मी राहत महसूस कर रहे हैं।परन्तु यह राहत कब तक ? जिले के अनेक क्षेत्र जंगलों में आग के लिए प्रतिवर्ष चर्चित रहे हैं
विगत वर्ष १२ १३ मार्च को जिले के रायडीह प्रखण्ड कार्यालय के ठीक सामने अवस्थित रानी मुंडी पहाड़ के जंगल में शरारती तत्वों द्वारा आग लगा दिए जाने के कारण जंगल पिछले तीन दिनों आग की लपट में जल रहा था ।उस अगलगी घटना में आग लगने से जहां छोटे पौधे व कीमती लकड़ियां जलकर नष्ट हो गये थे वहीँ जंगलों में रहने वाले जीव जंतु भी आग की चपेट में आ रहे थे । तब वनरक्षी कमलेश प्रसाद सिन्हा व नवागढ़ वन सुरक्षा प्रबंधन समिति के अध्यक्ष जीतू खड़िया के नेतृत्व में भंडारटोली व खीराखांड के पचास की संख्या में लोगों ने आग पर काबू कराने का प्रयास किया लेकिन असफल रहे थे । सूखी पत्तियों के कारण आग तेजी से फै ल रहा था । कई दिनों के अथक प्रयास के पश्चात आग पर काबू पाया जा सका था
 इसके पूर्व २७-२८ मार्च २०१२ को भी रायडीह प्रखंड के रानी मुंडी एवं केराडीह जंगल में दो दिनों से आग लगी हुई थी । आग की लपटें लगातार तेज होते जाने से जंगल के पेड़, मूल्यवान पौधे और जड़ी-बूटी नष्ट हुई थी, वन्य प्राणियों का जीवन भी संकट में आ गया था ।
३१ मार्च २०१४ को रायडीह प्रखंड अंतर्गत मांझाटोली स्थित कुड़ो पहाड़ के जंगल में पिछले दो दिनों से आग लगने की खबर अखबारों में सुर्खियाँ बनने के बाद वनविभाग हरक्कत में आई थी । कहने का अर्थ है जिले के रायडीह ,पालकोट, चैनपुर सहित वन क्षेत्र वाले सभी प्रखण्डों में जंगलों में आग लगाये जाने की खबरें प्रतिवर्ष आम हो चली हैं, परन्तु वन विभाग इस समस्या का समुचित समाधान कर पाने अब तक असफल रहा है ।प्रतिवर्ष की भान्ति इस वर्ष भी जिले के जंगलों में आग लगाये का सिलसिला वसन्त ऋतु के आगमन के साथ ही शुरु हो चला है। आग लगने से पेड़-पौधों,वन्य जीवों पर खतरा उत्पन्न हो गया है। वहीं वन को भी काफी नुकसान हो रहा है। बताया जाता है कि जंगलों को आग से सुरक्षा के लिए गांवों में ग्राम वन सुरक्षा प्रबंधन समिति का गठन किया गया है। परन्तु इनके कोशिशों के बावजूद प्रत्येक वर्ष महुआ के फल लगने के दौरान महुआ चुनने वालों द्वारा जंगल में आग लगा दिया जाता है। पतझड़ के मौसम में सूखी पत्तों में चिंगारी लगने से पूरे जंगल में आग की लपटें फैल जाती है। वन विभाग द्वारा भी आग बुझाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है।जानकर लोग कहते हैं,वन सुरक्षा समिति  सर्फ दिखावे के लिए है,इसका उद्देश्य वनों की रक्षा करना नहीं बल्कि इनके सहयोग, मिलीभगत और हस्ताक्षर से sarkarinidhiसरकारी निधि की सुरक्षित हेराफेरी की जाती है।
वन सुरक्षा समिति के सदस्य भी जंगलों में आग लगने की ओर कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं, बल्कि कई तो स्वयं महुआ चुनने और अपने स्वार्थी इरादों की पूर्ति इसकी आड़ में कर रहे हैं । नतीजतन जंगल में आग की लपटें तेज होती जा रही है। जानकारी के अनुसार गांव के ग्रामीणों का मानना है कि जंगल में गिरे पत्ते में आग लगाने से रुगड़ा का उत्पादन अधिक होता है और इसी अंधविश्वास के कारण कुछ लोग जंगल में आग लगा देते हैं, जिससे भारी नुकसान होता है।
जंगल में लगाई जा रही आग का दिन में तो पता नहीं चलता लेकिन रात होते ही जंगलों में ऊंची लपटे उठते देखी जा रही है। पतझड़ में पेडों से पत्ते सूख कर गिर जाने से लोगों को शिकार करने व महुआ चुनने में काफी परेशानी होती है। इन परेशानियों से बचने के लिए लोग सूखे पत्तों को एकत्र कर आग लगा देते है। लेकिन यही आग देखते ही देखते भयंकर रूप धारण कर पूरे जंगल को अपनी चपेट में ले लेती है। वनों में आग लगने से करोड़ों की वन संपदा जलकर राख हो जाती है। स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वन विभाग की पूरी सक्रियता के बावजूद हर बार आग नियंत्रण कार्य असफल हो जाता है।

गुमला शहर के विभिन्न इलाकों में अतिक्रमण की विकराल होती समस्या गंभीर चिन्ता का विषय

गुमला शहर के विभिन्न इलाकों में अतिक्रमण की विकराल होती समस्या गंभीर चिन्ता  का विषय

गुमला शहर के विभिन्न इलाकों में अतिक्रमण की विकराल होती समस्या गंभीर चिन्ता  का विषय बनता जा रहा है। अतिक्रमण न सिर्फ गुमला वासियों और यहाँ कार्य के सिलसिले में बाहर से आने-जाने वाले लोगों के लिए असुविधा पैदा कर रहा है और गुमला शहर को कुरूप बना रहा है, बल्कि यह शहर में कानून व्यवस्था के लिए भी बड़ी चुनौती पैदा कर रहा है। गुमला पुलिस का कहना है कि अतिक्रमण और सड़क किनारे अवैध कब्जे की समस्या शहर वासियों सहित काम के लिए आने-जाने वाले लोगों को बहुत परेशान कर रही है और वे इसे कानून व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती मानते हैं। अतिक्रमण की यह समस्या यूँ तो पूरी गुमला के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है, लेकिन शहर के मुख्य पथ , सिसई रोड, जशपुर रोड , लोहरदगा रोड,थाना रोड,  पालकोट रोड और शहर की संभ्रांत इलाका डी एस पी रोड आदि क्षेत्रों के लोग इससे ज्यादा परेशान नजर आते हैं। रिहायशी इलाकों के साथ ही शहर के के प्रमुख बाजारों, सड़कों और फुटपाथों पर अतिक्रमण एक आम बात है। शहर की मुख्य पथ , टांगरा स्कूल बाजार, लूथरन स्कूल बाजार जैसे कई बाजारों , स्थानों में तो अतिक्रमण की यह स्थिति है कि इन बाजारों में वाहन ले जाना तो दूर खरीददारों को सड़क पर पैदल चलने के लिए भी ठीक से जगह नहीं मिलती।
निराशाजनक यह है कि अतिक्रमण की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और इसके खिलाफ काम करने वाली सरकारी एजेंसियां हाथ पर हाथ धरे बैठी नजर आती हैं। अतिक्रमण और अवैध निर्माण को लेकर ये एजेंसियां कभी-कभी जागती हैं और कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर इतिश्री कर ली जाती है। नगर पंचायत द्वारा चलाए जाने वाले अतिक्रमण विरोधी अभियानों के दौरान ऐसा अक्सर देखा गया है कि अतिक्रमण हटाते ही लोग फिर से अतिक्रमण कर लेते हैं और इसकी निगरानी की कोई उचित व्यवस्था न होने से ऐसे अभियानों का कोई लाभ भी नहीं होता।शहर को खूबसूरत बनाने के लिए नगर पंचायत व अन्य संबंधित सरकारी एजेंसियों को अतिक्रमण को पूरी गंभीरता से लेते हुए उसे खत्म करने की व्यापक कार्ययोजना तैयार करनी चाहिए। अतिक्रमण की समस्या कई अन्य समस्याओं को जन्म देती है, ऐसे में अतिक्रमण करने वालों को दंडित भी किया जाना चाहिए ताकि उनमें डर पैदा हो और इस गंभीर समस्या का प्रभावी निदान हो सके। अतिक्रमण हटाने के साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि यह फिर से न होने पाए, इसके मद्देनजर निगरानी के लिए प्रभावी तंत्र विकसित किया जाना चाहिए।

व्याप्त होता जा रहा है कर्मचारियों में सरकार- प्रशासन के प्रत्ति रोष

व्याप्त होता जा रहा है कर्मचारियों में सरकार- प्रशासन के प्रत्ति रोष 

गुमला । झारखण्ड प्रदेश के निचले स्तर के कर्मचारियों में सरकार के प्रति  रोष व्याप्त होता जा रहा है । प्रखण्ड कार्यालयों में पदस्थापित पंचायत स्तरीय कर्मचारियों से लेकर जिला व राज्य स्तरीय कार्यालयों में पदस्थापित कर्मचारियों में सर्वत्र सरकार और प्रशासन के खिलाफ आक्रोश सुनाई दे रहा है । शनैः-शनैः यह आक्रोश आंदोलनात्मक रूख अख्तियार करने लगा है और कर्मचारी संगठन इसे धारदार बनाने में लगे हैं।गत ग्यारह मार्च को झारखण्ड  राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ गुमला के द्वारा गुमला में अराजपत्रित कर्मचारियों की 23 सूत्री माँगों  को लेकर जुलूस निकालकर  प्रदर्शन किया गया, जिले के विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारियों ने भारी संख्या में शामिल होकर अपनी माँगों के समर्थन में नारे बाजी करते हुए पटेल चौक से गुमला जिला समाहरणालय तक जुलूस निकाला और समाहरणालय स्थित उपायुक्त कार्यालय कक्ष के समीप नारे बाजी की ।उपायुक्त कक्ष के समीप कर्मचारियों ने सभा भी की ।महासंघ के गुमला जिला सचिव भूषण कुमार ने कहा कि देश में चारों ओर भ्रष्टाचार व्याप्त है । नरेन्द्र मोदी सरकार कहती है कि देश सुव्यवस्थित ढंग से चल रहा है, परन्तु देश कितना सुव्यवस्थित ढंग से चल रहा है, यह इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां योग्यता को दरकिनार कर योग्यताधारी कर्मचारियों की पदोन्नति नहीं की जा रही है।जनसेवकों को अपने पैतृक विभाग के कार्यों को छोड़ इंदिरा आवास योजना के संचालन आदि कार्य लिये जा रहे हैं और योग्यता के अनुरूप वेतन व अन्य सुविधाएँ भी नहीं दी जा रही हैं । 1986 बैच के जन सेवकों को सुनिश्चित वृत्ति योजना अर्थात एसीपी लाभ के उपरांत बिना सहमति के वेतन निर्धारण मनमाने ढंग से दिया जा रहा है।जनसेवकों , पंचायत सेवकों को गलत तरीके से निलंबित किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग में पदस्थापित कर्मियों को आवंटन के अभाव में गत 10 माह से वेतन नहीं दिया गया है।
प्रदर्शन में शामिल अन्य कर्मचारी नेताओं ने कहा कि कर्मचारियों का चारों ओर शोषण हो रहा है । हमारी मांगें जायज है ।हमारी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यदि जल्द ही हमारी माँगें पूरी नहीं की जाती है तो, वृहद रूप से आंदोलन किया जायेगा। उन्होंने उपायुक्त गौरी शंकर मिंज को ईमानदार अधिकारी बताया, वहीं एलआरडीसी अनूप किशोर शरण और कई अधिकारियों को भ्रष्टाचार में लिप्त बताया। उन पर कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने कहा कि गुमला में कई और अधिकारी हैं, जो तेलमालिश करवाकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। खुद भी पैसा खा रहे हैं और दूसरों को भी खिला रहे हैं।

भू अभिलेख आदि आवश्यक कागजात नहीं होने पर भी अब जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए नहीं पड़ेगा दर-बदर भटकना

भू अभिलेख आदि आवश्यक कागजात नहीं होने पर भी अब जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए नहीं पड़ेगा दर-बदर भटकना

गुमला ।अब जाति प्रमाण पत्र के लिए झारखण्ड वासियों को दर-बदर भटकना नहीं पडेगा और झारखण्ड वासियों का बगैर अभिलेख भी जाति प्रमाण पत्र बन सकेगा ।सरकार ने नियम में थोड़ी ढील देते सभी प्रकार के अभिलेख अथवा कागजात नहीं होने  पर भी जाति प्रमाण निर्गत करने का निर्देश राज्य के सभी उपायुक्तों को दिया है ।प्राप्त जानकारी के अनुसार अब जाति प्रमाणित करने सम्बन्धी कोई अभिलेख या कागजात नहीं होने पर भी स्थानीय जाँच के आधार पर जाति प्रमाण पत्र बनाया जाएगा।सरकार के प्रधान सचिव एस.के.शतपथी ने  सभी उपायुक्तों को पत्र प्रेषित कर इस सम्बन्ध में जारी किये गये पूर्व के नियमों में संशोधन करते हुए  नए नियमों के तहत जारी निर्देश के आलोक में प्रमाण पत्र निर्गत कराने की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। प्रमाण पत्र निर्गत करने के लिए अनुमंडल अधिकारियों को को प्राधिकृत पदाधिकारी बनाया गया है। प्रधान सचिव द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है कि सामान्य रूप से जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने के लिए भू-अभिलेख, पंचायत, नगर पंचायत, नगरपालिका, नगर निगम व निबंधन कागजातों के आधार पर जाति प्रमाण पत्र निर्गत किया जा सकता है, लेकिन किसी व्यक्ति द्वारा उल्लेखित कागजात प्रस्तुत नहीं किए जाने के बावजूद इमानदारी पूर्वक स्थानीय जाँच  कर जाति प्रमाण पत्र निर्गत किया सकता है। इसके लिए आवेदक को अपना आवेदन पत्र निवास क्षेत्र के अंचल पदाधिकारी या प्रज्ञा केंद्रों में जमा करना होगा। अंचल अधिकारी आवेदन पत्र में उल्लेखित जाति के समर्थन में कोई अभिलेख नहीं होने के सम्बन्ध में आवश्यक संस्तुति अनुमंडल पदाधिकारी को उपलब्ध कराएंगे। अनुमंडल पदाधिकारी  द्वारा आवेदक के निवास स्थान के अनुसार शहरी क्षेत्र के लिए कार्यपालक पदाधिकारी व ग्रामीण क्षेत्र के लिए अंचल अधिकारी को जांच के लिए निर्देशित करेंगे। कार्यपालक पदाधिकारी इसकी जाचं वार्ड पार्षद व अंचल अधिकारी मुखिया से इसकी जांच कराएंगे एवं जाति के सम्बन्ध में स्पष्ट उल्लेख के साथ प्राप्त प्रतिवेदन को अनुमंडल पदाधिकारी को उपलब्ध कराएंगे। अनुमंडल पदाधिकारी जांच प्रतिवेदन से संतुष्ट होने के बाद आवेदक को जाति प्रमाण पत्र निर्गत करेंगे। जांच की सारी प्रक्रिया इक्कीस दिनों के अंदर पूरी करने का निर्देश दिया गया है। प्रधान सचिव से प्राप्त निर्देश के आलोक में उपायुक्त ने सभी अंचल अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिया है।इधर इस समाचार से जिले के वैसे लोग प्रसन्न हैं जो झारखण्ड में सदियों से रह रहे हैं लेकिन उनके पूर्वजों के नाम पर भू अभिलेख नहीं होने के कारण जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने के लिए सरकारी सेवकों की खुशामद किए फिरते हैं फिर भी जाति प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया जा सकता ।





गुमला जिले में होलिकोत्सव हर्षोल्लास व धूम-धाम के साथ मनाया गया

गुमला जिले में होलिकोत्सव हर्षोल्लास व धूम-धाम के साथ मनाया गया

गुमला। आनन्द, उल्लास , मस्ती, प्रेम, सम्मिलन, मित्रता एवं एकता का पर्वोत्सव होलिकोत्सव गुमला जिले में 6 मार्च दिन शुक्रवार को हर्षोल्लास व धूम-धाम के साथ मनाया गया ।इस पवन अवसर पर  बच्चो से लेकर बुजुर्गो तक सबने होली के रंग मे डूबकर होली के रंग-विरंगे पर्व को सार्थक किया ।जिले के प्रायः सभी क्षेत्रों से मिल रही सूचनाओं के अनुसार भेदभाव भूलकर सबने होली खेली और प्रेम से गले मिलकर एक-दूसरे को होली की मांगलिक शुभ कामनाएँ और बधाइयां दी ।होली के मिठास भरे माहैल मे कही-कही कुछ हल्की- फुल्की गडबडी भी हुई , परन्तु विधि-व्यवस्था के लिए यह बाधक सिद्ध नहीं हुई ।प्रशासनिक सतर्कता और जनता की जागरुकता ने होली के इस प्यार भरे माहौल को खुशनुमा बनाये रखा । शाम को जगह-जगह होली मिलन कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया । प्रेम सदभाव व रंगो का चमकदार त्योहार होली का पर्व क्षेत्र मे परप्परागत लोक-रीति के अनुसार मनाया गया ।इस अवसर पर बड़े-बूढो व बच्चों में समान रुप से उत्साह देखा गया। नवविवाहितो व किशोरो एवं किशोरियो ने रसमयी होली खेलकर सामाजिक व राष्ट्रीय भवना को मजबूत किया । होली का हुडदंग सुबह से ही प्रारम्भ हो गया बच्चो ने पिचकारियो व गुब्बारो मे रंग भरकर आने-जाने वालो पर रंग डालना प्रारम्भ कर दिया ।इतना ही नही ग्रामीण क्षेत्रों में  लोगों ने एक जगह इकटठा होकर ढोल-ढांक , झांझ- मजीरे, ढोलक-मृदंग के साथ फाग गाकर लोगो को अनन्दित किया । लड़कियाँ और महिलाओ ने भी जमकर होली खेली । जहाँ पर कचरा, कीचड़,गोबर व ग्रीस आदि लगाने को लेकर कुछ स्थानो पर हल्की नोक झोक भी हुई।इसके पूर्व बृहस्पति वार को पूर्ण चन्द्रमा की रात्रि को होलिका दहन का आयोजन जिले के सभी गाँवों,कस्बों व नगरों में किया गया ।होली के दूसरे दिन आज भी जिले में कई जगहों पर चैती मनाई जा रही है । हालाँकि जिला और प्रखण्ड मुख्यालयों में दुकान- दौरी आज खुले हैं फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोग ढोलक- मंजीरा और ढोल-नगाड़े के साथ चैती गीतों का आनद ले रहे हैं , नाच रहे हैं, गा रहे हैं , खा- पी रहे हैं, रंग-गुलाल डाल रहे हैं और आनन्द उठा रहे हैं ,छुट्टी का सा आलम है । चैती मस्ती का यह आलम आज शाम ढले तक चलेगा । इसी के साथ बढ़ती मंहगाई एवं व्यस्त नैतिकतावादी जीवन का प्रभाव अब सभी पर्वो पर  दिखाई देने लगा है इसके बावजूद एक सप्ताह पूर्व से ही बाजारो मे होली की रौनक स्पष्ट दिखने लगी थी ।  सप्ताह भर पूर्व से ही होली का रंग छिटपुट चलने लगा था ।

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लगातार दो दिनों से समाचार पत्र नहीं मिलने से समाचार पत्रप्रेमियों के मध्य खलबली

गुमला । समाचार पत्रों के कार्यालयों में दो दिनों की छुट्टी होने के कारण समाचार पत्रों के प्रकाशन बन्द होने के परिणामस्वरूप लगातार दो दिनों से समाचार पत्र नहीं मिलने से गुमला जिले के समाचार पत्रप्रेमियों के मध्य खलबली मची और वे समाचार के लिए अवकाश का दिन होने के कारण खबरिया चैनलों पर नजरें गड़ाये रहे , परन्तु नित्य समाचार पत्र पढ़ने के आदि पत्रप्रेमियों को पत्रों का नहीं मिलना नागवार गुजरा और वे साप्ताहिक , पाक्षिक और मासिक  पत्र-पत्रिकाओं के सहारे दिन काटते नजर आए । कईयों ने ताश , कैरम बोर्ड, शतरंज आदि खेलकर दिन गुजारे ।लोगों ने बताया कि प्रतिदिन सुबह-सबेरे और फिर जब अवसर मिले अखबार पढ़ने की आदत हो गई है , ऐसे में एक दिन भी समाचार पत्र नहीं मिलने से लगता है कि कुछ खो गया है और जीवन में कुछ अधूरा है, कुछ कमी है ।



Wednesday, 4 March 2015

जनप्रतिनिधियों की दो मार्च से चल रही अनिश्चित कालीन धरना-प्रदर्शन को बुधवार की शाम सात बजे लगा विराम

जनप्रतिनिधियों की दो मार्च से चल रही अनिश्चित कालीन धरना-प्रदर्शन को बुधवार की शाम सात बजे लगा विराम

गुमला l गुमला जिले के पालकोट प्रखण्ड की प्रमुख श्रीमती बिश्वासी लकड़ा के साथ प्रोटोकोल का उल्लंघन कर प्रखण्ड परिसर में आयोजित धोती-साड़ी वितरण कार्यक्रम में स्थान नहीं देने व प्रोटोकोल के अन्तर्गत प्रखण्ड प्रमुख की निर्धारित कुर्सी पर स्वयं बैठ जाने और बाद में उसी दिन कार्यालय कक्ष में आकर महिला प्रमुख से जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर गाली- गलौज और अपमानित किये जाने और विभिन्न आरोपों के आरोपी प्रखण्ड विकास पदाधिकारी , पालकोट सतीश कुमार और घूसखोरी और अपने अनियमितता पूर्ण कार्यों के लिए कुख्यात प्रखण्ड नाजीर निरंजन कुमार को अन्तिम मार्च तक प्रखण्ड में और अनियमित कार्यों , घूसखोरी की करने की संदेह के मद्देनजर अनुमंडल पदाधिकारी बसिया अनिल तिर्की के द्वारा अप्रैल में स्थानान्तरित कर दिए जाने की लिखित मात्र आश्वासन दिए जाने और विवादित घूसखोर मनरेगा के बीपीओ विनय कुमार गुप्ता का उपायुक्त के द्वारा बर्खास्त नहीं कर डुमरी प्रखण्ड के स्थानान्तरण किए जाने के बाद पालकोट प्रखण्ड से डुमरी प्रखण्ड के लिए विरमित कर दिए जाने के पश्चात पालकोट प्रखण्ड के जनप्रतिनिधियों का दो मार्च से चल रही अनिश्चित कालीन धरना-प्रदर्शन को बुधवार की शाम सात बजे विराम लग गयाl  उल्लेखनीय है कि गुमला जिले के पालकोट प्रखण्ड प्रमुख श्रीमती विश्वासी लकड़ा के साथ गत सोलह जनवरी 2015  को पालकोट प्रखण्ड कार्यालय परिसर में धोती-साड़ी वितरण कार्यक्रम में प्रखण्ड विकास पदाधिकारी , पालकोट सतीश कुमार और महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना अर्थात मनरेगा के अन्तर्गत अनुबंध पर बहाल प्रखण्ड कार्यक्रम पदाधिकारी (बीपीओ) विनय कुमार गुप्ता के द्वारा प्रोटोकोल का उल्लंघन कर अपमानित करने और पुनः उसी दिन कार्यालय कक्ष में आकर जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर गाली-गलौज और अपमानित किये जाने का बहुचर्चित मामला और मनरेगा के बीपीओ विनय कुमार गुप्ता एवं प्रखण्ड कार्यालय के घूसखोर नाजीर निरंजन कुमार के द्वारा प्रखण्ड विकास पदाधिकारी सतीश कुमार के शह व संरक्षण पर सरकारी विकास योजनाओं में सरकारी राशि की बन्दरबांट,दुरुपयोग और घूसखोरी किये जाने के मामले ने अब विस्फोटक स्वरुप अख्तियार कर लिया है l प्राप्त जानकारी के अनुसार इसं सम्बन्ध में उपायुक्त गुमला , पुलिस अधीक्षक गुमला और अन्य वरीय पदाधिकारियों को बार - बार लिखित शिकायत करने के बावजूद कोई कारर्वाई नहीं होने के कारण पालकोट प्रखण्ड के जनप्रतिनिधियों ने बाध्य होकर प्रखण्ड क्षेत्र की जनता के साथ प्रखण्ड के सर्वांगीण विकास हेतु गत दो मार्च से पूर्वघोषित शांतिपूर्वक अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम में बैठ गये थे l बतलाया गया था कि पालकोट प्रखण्ड जनप्रतिनिधियों का क्षेत्र के ग्रामीण जनता के साथ दो मर्च से शांतिपूर्वक अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन का यह कार्यक्रम पालकोट प्रखण्ड कार्यालय परिसर में उनकी चार सूत्री मांगों के पूर्ति होने तक लगातार जारी रहेगा l इस सम्बन्ध में पालकोट प्रखण्ड के जनप्रतिनिधियों ने पूर्व में ही संयुक्त हस्ताक्षरित पत्र उपायुक्त , गुमला और जिला तथा राज्य के अन्यान्य वरीय अधिकारियों को देकर पालकोट प्रखण्ड कार्यालय परिसर में दो मार्च से अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन के सम्बन्ध में सुचना देकर आवश्यक कारर्वाई करने की माँग की थी l धरना प्रदर्शन कारी महिला- पुरुष दो मार्च की सुबह दस बजे से लेकर उस रात भी धरना स्थल पर ही बैठे  रहे , परन्तु हाय रे निर्दयी जिले की पुलिस प्रशासन वहाँ देखने तक नहीं आई कि धरनाधारी – प्रदर्शनकारी किस हाल में हैं ? दूसरे दिन भी उनका धरना –प्रदर्शन , सभा बद्द्स्तूर जारी रहा l एक आदिवासी अनुमंडल पदाधिकारी के द्वारा भी एक आदिवासी महिला के अपमान की घटना को लेकर की जा रही आंदोलनात्मक कार्यक्रम में ध्वनि विस्तारक यंत्र लगाने की अनुमति नहीं दी जाने कारण आंदोलनकारी बिना लाऊड स्पीकर के ही भाषण बाजी करते रहे और भूखे-प्यासे डटे रहे l बताया जा रहा है कि इस मामले में प्रमंडल और राज्य स्तर से हस्तक्षेप किए जाने के बाद उपायुक्त ने क्षेत्र के अनुमंडल पदाधिकारी अनिल तिर्की को प्रारम्भिक स्तर की बात करने के लिए धरना स्थल पर भेजा l उनका विचार था कि आन्दोलन कारियों का रूख भांपकर बाद में एक समिति गठित कर आन्दोलन कारियों से वार्ता के लिये भेजा जाएगा , परन्तु आनुमंडल पदाधिकारी की सूझ-बूझ के कारण प्रथम दौर में वार्ता सफल रही और बीपीओ का स्थानान्तरण और विरमन और बीडीओ और नाजीर का आगामी अप्रैल माह में निश्चित रूप से स्थानान्तरण कर दी जाने की मात्र लिखित आश्वासन देने के बाद ही जनप्रतिनिधियों का अनिश्चित कालीन धरना – कार्यक्रम का आन्दोलन समाप्त हो गया l जनप्रतिधियों ने कहा कि अगर बीडीओ और घूसखोर नाजीर का अप्रैल माह में स्थानान्तरण नहीं किया जाता और बीपीओ को यहाँ पुनः भेजा जाता है तो इस बार सीधे ओर – छोर की लड़ाई होगी l बाते जा रहा है कि इस मामले में प्रखण्ड विकास पदाधिकारी द्वारा अब बेवजह कुछ सरकारी सेवकों को प्रताड़ित किया जा रहा है और अपनी गलती को दूसरों के सिर में मढने का प्रयास किया जा रहा है परन्तु कर्मचारियों ने कहा कि प्रखण्ड विकास पदाधिकारी की इस प्रकार की कार्य-प्रणाली को वरीय अधिकारियों एवं सरकार के स्तर पर ले जाया जाएगा l

Monday, 2 March 2015

छतीस करोड की नुकसान होने की संभावना के मद्देनजर रेलवे मंजूरी नहीं दे रहा लोहरदगा- गुमला- सिमडेगा को रेलवे परियोजना का

छतीस करोड की नुकसान होने की संभावना के मद्देनजर रेलवे मंजूरी नहीं दे रहा लोहरदगा- गुमला- सिमडेगा को रेलवे परियोजना का 


सरकार अब व्यवसाय करने लगी है अर्थात बनिया बन गई है।सरकार अब लोगों के कल्याण की बात नहीं सोचकर किसी कार्य से लाभ होगा अथवा हानि होगी इस पर विचार कर योजनाएं बनाने लगी है। रेलवे को लोहरदगा से गुमला होकर सिमडेगा पहुँचाने में सिर्फ छतीस करोड की नुकसान होने की संभावना के मद्देनजर इस रेलवे परियोजना को हरी झंडी नहीं दिखला रही है । उल्लेखनीय है कि दशकों से इस आदिवासी बहुल क्षेत्र की जनता रेल लाइन की माँग करती रही है और लाइन बिछाने के लिए सर्वेक्षण भी हुआ है। लेकिन रेलवे बोर्ड सिमडेगा तक रेल लाइन लाने को घाटे का सौदा मानते हुए इसे टालता रहा है। इस बीच खबर है कि केवल छतीस करोड़ रूपयों के नूकसान होने की संभावना रेलवे को होने के कारण लोहरदगा से गुमला होते हुए सिमडेगा जिला मुख्यालय को रेल लाइन से जोड़े जाने की परियोजना को मंजूरी नहीं दे रही है । इस बात का खुलासा सूचना अधिकार अधिनियम - २००५ के तहत रेलवे द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी से हुआ है। 
उपलब्ध सुचना के अनुसार सूचना अधिकार अधिनियम – २००५ के तहत आवेदन देकर सिमडेगा जिले के सूचनाधिकार कार्यकर्ता दीपेश कुमार निराला द्वारा भारतीय रेलवे से सिमडेगा जिला मुख्यालय को रेलवे से जोड़ने हेतु लोहरदगा से गुमला होते हुए सिमडेगा तक रेल लाइन के बारे जानकारी माँगी गई थी। रेलवे बोर्ड से उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार वर्ष २००८-०९ में रेल लाइन बिछाने का सर्वे हुआ था और चौवन किलोमीटर लम्बी रेलवे लाइन के लिए करीब सात सौ करोड़ रूपए खर्च का अनुमान लगाया गया था। सूचनाधिकार कार्यकर्ता दीपेश कुमार निराला द्वारा माँगी गई सूचना के जवाब में रेलवे बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर वर्क्स टू ने सर्वे में आरओआर यानि रेट ऑफ रिटर्न को माइनस ५.२४ प्रतिशत बताया था और इस कारण इसे रेलवे के लिए घाटे का सौदा होने की बात कही थी। सात सौ करोड़ रूपए के प्राक्कलन में आरओआर के ५.२४ प्रतिशत के आधार पर यह घाटा छतीस करोड़ अरसठ लाख रूपए होता है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि सरकार को जन कल्याण के बारे में सोचना चाहिए ,उसे जन कल्याण के लिए लाभ-हानि का गणित त्याग कर योजनाओं की मंजूरी देने की नीति बनानी चाहिए । सरकार को बनिया की तरह वर्ताव कदापि नहीं करना चाहिए । 

गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी के लिए प्रसिद्ध आदिवासी-पिछड़ा बहुल गुमला जिला मानव तस्करी के शिकंजे में -रणधीर निधि

गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी के लिए प्रसिद्ध आदिवासी-पिछड़ा बहुल गुमला जिला मानव तस्करी के शिकंजे में 
-रणधीर निधि 

गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी के लिए प्रसिद्ध चतुर्दिक जंगलों-पहाड़ों से घिरा आदिवासी-पिछड़ा बहुल गुमला जिला मानव तस्करी के शिकंजे में फंसा हुआ है । जिले में गरीबी,भूखमरी व बेरोजगारी का आलम यह है कि मात्र पेट भरने अथवा चन्द पैसों के लिए लोग अपनों को बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं । और अब तो जिले से लड़कियों को जबरन बच्चे पैदा करने के लिए भी दिल्ली और अन्य शहर ले जाने की बात भी सामने आ चुकी है ।वर्षों तक परदेश अर्थात प्रदेश कमाने जाने की बात तो यहाँ सामान्य सी बात मानी जाती है और जिले के प्रत्येक ग्राम में कुछ परिवारों में यह परदेश कमाने की परिपाटी वर्षों से चली आ रही है । लोगों की इस कमजोरी का लाभ उठाते हुए यहाँ परदेश कमाने भेजने अथवा ले जाने के लिए दलालों, बिचौलियों और मानव तस्करों का सुदृढ़ व संगठित तंत्र कार्य करती हैं , जिनके सूत्र जिले के गाँव-देहात से लेकर प्रदेश की राजधानी राँची और देश की राजधानी दिल्ली तक जुड़े हुए है । इस कार्य में देश की राजधानी दिल्ली में अवस्थित कई संस्थाएं तक लगी हुई हैं और गुमला सहित सम्पूर्ण झारखण्ड के मानव सम्पदा की बलि चढ़ाकर अपनी स्वार्थपूर्ति कर रही हैं ।इस प्रकार की दर्जनों मामले सामने आने के बाद भी इस मानव सम्पदा के तस्करी के मुद्दे पर किसी भी स्तर से कोई सार्थक पहल नहीं हो सकी है जिसके कारण जिले में लोगों को बाहर प्रदेश के अन्यत्र शहरों में ले जाकर कार्य दिलाने के नाम पर लोगों को ले जाकर उन्हें विक्री कर देने अथवा अनैतिक कार्यों में लगा देने वालों का तंत्र आज भी सक्रिय है और आये दिन जिले के लोगों को बाहर ले जाते हुए दलालों , बिचौलियों को पकडे जाने , फरार हो जाने , वर्षों पूर्व गायब हुई कन्याओं के मिलने , मानव तस्करों को पिटे जाने और फिर पुलिस को सुपुर्द किये जाने की खबरें पत्र-पत्रिकाओं और खबरिया चैनलों में आये दिन सुर्खियाँ बनती ही रहती हैं। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष पालकोट प्रखण्ड के गाँवों से कन्याओं के भारी संख्या में तस्करी ,प्रमुखतः बंगरू नामक एक ही गाँव से पाँच दर्जन नाबालिग बच्चियों के तस्करी का मामला प्रकाश में आने पर इस सम्बन्ध में हेमन्त सोरेन की झामुमो-काँग्रेस सरकार द्वारा कड़े कदम उठाये जाने के बाद पुलिस यह पता लगाने में सख्ती से जुट गई थी कि किन-किन गाँवों से बच्चियां गायब है? इसी क्रम में पुलिस के कड़े रूख से मानव तस्करी के कई मामलों का उद्भेदन और पटाक्षेप होने की खबरें आम हो गई हैं ,परन्तु इस समस्या के समाधान हेतु सरकारी स्तर पर हो सकने वाली काररवाइयों के अभाव में पुलिसिया अभियान सफल नहीं हो पा रही है ।




मानव तस्करी की इसी प्रकार की वर्षों पूर्व घटी एक घटना का पटाक्षेप करते हुए गुमला जिले के बसिया थाना की पुलिस की टीम ने गत दो फरवरी सोमवार को हरियाणा पुलिस के सहयोग से बाईस वर्ष पूर्व मानव तस्करी की शिकार हुई उनतीस वर्षीय युवती एतवारी उर्फ रीता को हरियाणा के हाई प्रोफाइल महिला के घर से बरामद कर गुमला लाई। बाईस वर्ष पूर्व एतवारी जब सात वर्ष की थी तब उसे गाँव के ही एक व्यक्ति राम साहु द्वारा हरियाणा के याकुब मैथ्यू के हाथों बेच दिया गया था। याकूब मैथ्यू धनाढ्य व्यक्ति हैं जो अधिकांशतः समय अमेरिका में व्यतीत करते हैं। भारत आने पर एतवारी उर्फ रीता को अपने साथ रखते थे तथा अमेरिका जाने से पूर्व वे एतवारी को अपने रिश्तेदार के यहाँ छोड़ जाते थे। पिछले वर्ष पालकोट प्रखण्ड के गांवों से नाबालिग बच्चियों के तस्करी का मामला प्रकाश में आने पर इस सम्बन्ध में पुलिस द्वारा पता लगाई गई थी कि किन-किन गाँवों से बच्चियां गायब है। इसी क्रम में 1992 से लापता एतवारी के बारे भी पुलिस को जानकारी प्राप्त हुई। अनुसंधान के उपरांत एतवारी का पता चला। इस पर गुमला के पुलिस अधीक्षक भीमसेन टूटी द्वारा टीम बनाकर बसिया पुलिस को हरियाणा भेजा गया था। हरियाणा में ढूंढने पर पुलिस को एतवारी उर्फ रीता हरियाणा के गुड़गांव स्थित गोल्फ क्रास रोड निवासी रैना रिबेलो के घर पर मिली, जो मैथ्यू के रिश्तेदार है। जहाँ से बरामद कर एतवारी को अपने साथ लेकर पुलिस गुमला आई ।

एतवारी की माँ बिरसमुनी देवी, भाई किशोर किसान एतवारी से मिलकर रो पड़े। एतवारी ने भी अपनी माँ को पहचान लिया। पूछे जाने पर बिरसमुनी ने बताया कि उन दिनों गरीबी की हालत थी। दाने-दाने के मोहताज थे। मैं और मेरे पति स्व. फेकू किसान नौकर व नौकरानी का काम करते थे। हमारी गरीबी को देखकर गाँव के एक व्यक्ति ने कहा कि तुम्हारी बच्ची को एक-दो वर्ष के लिए दे दो साहब को काम करने वाली चाहिए। इसके बाद बेटी गई फिर लौट कर नही आई। हम लोगों ने भी बेटी के आने का आस छोड़ दिया था। इधर एतवारी ने बताया कि परिवार से मिलकर अच्छा लग रहा है। गाँव जाने के बाद सोचूंगी की क्या करना है? उसने यह भी बताया कि पढ़ने लिखने का ज्ञान है। मुझे कभी घर से बाहर निकलने नहीं दिया जाता था । हर-हमेशा डांट- फटकार मिलती थी । बाईस-तेईस साल तक काम करने के बावजूद मजदूरी के नाम पर फूटी कौड़ी नहीं मिली।बाल कल्याण समिति अध्यक्ष ताग्रेन पन्ना ने कहा था कि एतवारी को उसके परिजनों को सौंप दिया गया है, लेकिन वह अभी बाल कल्याण समिति के कस्टडी में ही रहेगी। गाँव में एतवारी रहना चाहेगी तो ठीक है यदि गाँव  में नहीं रहना चाहेगी तो उसके लिए सोचा जाएगा। एतवारी को उसका हक व अधिकार दिलाया जाएगा, परन्तु एतवारी के बरामदगी के एक माह गुजर जाने के बाद भी एतवारी के पुनर्वास के लिए प्रशासन अथवा सरकार द्वार अब तक किसी प्रकार की कोई पहल नहीं की जा सकी है ।

तस्करी की इसी प्रकार की एक अन्य घटना में जिले की बसिया पुलिस की टीम ने दो फरवरी दिन सोमवार को ही मानव तस्करी की शिकार हुई एक नाबालिग बच्ची व एक युवती को दिल्ली से लेकर बाल कल्याण समिति गुमला को सौंप दिया। नाबालिग बच्ची कामडारा कटहलटोली की रहनेवाली है। जिसे गाँव के कुन्नु लोहरा ने 23 जून 2014 को दिल्ली ले जाकर प्लेसमेंट एजेंसी को बेच दिया था। इस सम्बन्ध में थाना प्रभरी विपिन कुमार दूबे ने बताया कि कुन्नू लोहरा ने गाँव की दो चचेरी बहनों को दिल्ली ले जाकर बेच दिया था। इस समबन्ध में थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इनमें से एक बहन भागकर घर वापस आ गई थी। भाग कर आई बच्ची से पूछताछ के बाद दूसरी बच्ची के लोकेशन का पता चल गया। गुमला के पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार 26 जनवरी को पुलिस की टीम दिल्ली के लिए रवाना हुई तथा बच्ची को बरामद कर गुमला लाया गया।
मानव तस्करी और मानव सम्पदा के क्षरण के इस दुर्भाग्यपूर्ण मामले का हैरतंगेज पहलू यह उभर कर सामने आया कि गुमला जिले से लड़कियों को घरेलू काम दिलाने के बहाने दिल्ली ले जाकर लड़कियों से बच्चे पैदा करवाए जाते हैं और फिर उन बच्चों को अच्छे कीमत में बेच दिया जाता है ।इस सम्बन्ध में प्राप्त जानकारी के अनुसार गुमला जिले से लड़कियों को दिल्ली ले जाकर घरेलू काम दिलाने के बहाने उनपर अत्याचार किया जाता है , बच्चा पैदा करवाया जाता है। दिल्ली से वापस लौटी बसिया प्रखण्ड की मोरेंग ग्राम पंचायत की पतुरा गाँव की सुमति ने बताया कि झारखण्ड से ले जाई गई युवतियों को बिना शादी कराए बच्चा पैदा करने के लिए विवश किया जाता है। सुमति ने बताया कि फिर उनके बच्चे को मोटी रकम लेकर बेच दिया जाता है।
इस कार्य में संलग्न लोगों और संस्थाओं का उद्भेदन करते हुए सुमति ने बताया कि दिल्ली की झारखण्ड मैन पॉवर ब्यूरो नामक प्लेसमेंट एजेंसी ऐसे कार्य में संलग्न है। इस एजेंसी को नैना कुमारी उर्फ मालती चलाती है। वह इस क्षेत्र की लड़कियों को अच्छी तनख्वाह का लालच देकर अपने एजेंटों के माध्यम से घरेलू काम के बहाने दिल्ली ले जाती है। वहाँ डरा-धमकाकर उनका शारीरिक शोषण करते हैं और जबरन बच्चे पैदा कराते हैं। सुमति ने यह भी बतलाया कि करीब सात साल पहले गाँव का ही चैन सिंह उसे अच्छा काम दिलाने की बात कर दिल्ली ले गया और नैना कुमारी के हवाले कर दिया। नैना ने चैन सिंह को उसके एवज में दस हजार रुपए दिए। नैना में उसे पीतमपुरा में राजेश सिंह के घर तीन साल तक काम कराया।
इस दौरान उसे एजेंसी के द्वारा एक पैसा भी नहीं दिया गया। फिर वहाँ से हटाकर कीर्तिनगर में संजय नरुल्ला के घर बतौर नौकरानी लगा दिया,  जहाँ करीब चार साल काम किया लेकिन वहाँ भी उसे पारिश्रमिक नहीं मिला। वह नैना के एजेंसी गई, जहाँ अन्य लड़कियों को बच्चे पैदा करने के लिए ग्राहकों के पास भेजा जाता था। उस पर इस काम के लिए दबाव डाला गया, लेकिन वह तैयार नहीं हुई। तीन महीने पहले घर जाने की जिद करने पर उसे चैन सिंह के साथ पन्द्रह हजार रुपए देकर भेज दिया गया।
पीड़िता मूलरूप से झारखण्ड राज्य के सिमडेगा जिले के सिकोरला राजूटोली कोलेबिरा की रहने वाली है। वह कई साल से अपने दीदी के साथ गुमला के बसिया प्रखण्ड स्थित पतुरा गाँव में रहती थी। मामला के मामले में सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है। सीआईडी के आईजी संपत मीणा ने बताया कि पीड़ित का बयान लेकर मामला दर्ज किया जाएगा।


मानव तस्करी की इसी प्रकार की एक अन्य घटना में गुमला जिले के रायडीह प्रखण्ड की एक नाबालिग लड़की को दिल्ली में काम दिलाने के बहाने ले जाकर बेचने के आरोपी भलमंडा निवासी छोटू लोहरा को रायडीह पुलिस ने पाँच फरवरी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। छोटू के खिलाफ लड़की के पिता ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में चार फरवरी को शिकायत दर्ज कराई थी। उसने आरोप लगाया था कि उसकी तेरह वर्षीय बेटी छठी कक्षा की छात्रा है एवं बीते पन्द्रह अगस्त को राष्ट्रीय झंडा फहराने अपने विद्यालय गई थी। लेकिन फिर घर वापस नहीं लौटी थी। पूछताछ के दौरान छोटू द्वारा अच्छा काम दिलाने का प्रलोभन देकर उसकी बेटी को दिल्ली ले जाने की बात पता बताई गई । इसके बाद छोटू से उसकी बेटी का वापस लाने का अनुरोध किया वह बार-बार टालता रहा। उसकी बेटी ने कुछ दिन पहले दिल्ली से फोन कर घटना की जानकारी दी एवं तेरह जनवरी को परिजनों ने दिल्ली से उसे लेकर घर लौटे। वहीं प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से आरोपी फरार था। गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
 इसी  प्रकार की घटना में गुमला जिले की कामडारा पुलिस ने कामडारा की बेटी मोनी कुमारी (काल्पनिक नाम) को दिल्ली से मुक्त करा दो फ़रवरी दिन सोमवार को दिल्ली से गुमला लाने में सफल हुई ।सीडब्ल्यूसी में प्रस्तुत किए जाने पर मोनी ने बताया कि घर जाऊंगी कहने पर मालकिन उसकी खूब पिटाई करती थी।अब वह कभी दिल्ली नहीं जायेगी और न किसी के बहकावे में आयेगी। गुमला पुलिस ने मोनी को दिल्ली बेचने के मामले में दो मानव तस्करों पुन्नू लोहरा व कृष्णा कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जानकारी के अनुसार मोनी को दिल्ली में बेचने की प्राथमिकी उसके पिता के द्वारा थाने में करायी जाने के बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की और पुलिस अधीक्षक भीमसेन टुटी के निर्देश पर बसिया थाना के एएसआइ विपिन कुमार दुबे, महिला सिपाही रेणु बेंजामिन, जरमीना खलखो व कांस्टेबल सोहन लाल यादव छब्बीस जनवरी को दिल्ली गये। इसके बाद वहाँ के कुछ संस्था व पुलिस से मिल कर मोनी को मुक्त करा कर वापस गुमला लाया।आठ महीने बाद मोनी वापस लौटी मोनी ने बताया कि उसे 23 जून 2014 को पुन्नू लोहरा ने दिल्ली में ले जाकर बेच दिया था। उसके साथ कांति को भी बेचा गया था, परंतु कांति भाग कर पहले ही गुमला आ गयी है. मोनी ने कहा कि काम के लिए उसे दो स्थानों पर बेचा गया. दोनों जगह उसके साथ मारपीट हुई है। जितना दिन काम की, उसका मजदूरी भी नहीं मिला।

घरेलू कार्य करने के नाम  पर बाहर गई लड़कियों के साथ मार-पीट, अत्याचार , शारीरिक शोषण और पारिश्रमिक नहीं दिए जाने की बात भी आम है ।दिल्ली से भाग कर आई जिले की रायडीह प्रखण्ड एक युवती तेतरी कुमारी (काल्पनिक नाम) ने बताया कि दिल्ली में शोषण हुआ है। उसे हर काम पर मालकिन पीटती थी। खाने के लिए भी भरपेट भोजन नहीं मिलता था। वह किसी प्रकार वहाँ से भाग कर गुमला आयी है ।दो फरवरी सोमवार को आशा महिला विकास मांझाटोली की सिस्टर सुशीला व सिस्टर इलिसा उसे गुमला लेकर आयी यहाँ तेतरी को सीडब्ल्यूसी के समक्ष प्रस्तुत किया गया।  जहाँ तेतरी ने दिल्ली में हुए शोषण की जानकारी दी। उसने कहा कि उसे रायडीह प्रखण्ड के भलमंडा निवासी छोटू लोहरा 15 अगस्त 2015 को दिल्ली ले जाकर बेच दिया ।उसके साथ ही गाँव की संगीता भी गयी थी ,परन्तु वह भाग कर गुमला आ गयी ।उसे दो स्थानों पर काम के लिए बेचा गया ।जहाँ उसके साथ मारपीट होता था ।

ईंट भट्ठा में पुत्री को बंधक बनाकर रखने का आरोप लगाते हुए गुमला जिले के सिसई प्रखण्ड  के बोंडो अंबाटोली ग्राम निवासी बंडा उराँव ने उत्तर प्रदेश के अमला स्थित पीके मार्का ईट के मालिक जाहिन गुप्ता व उसके पुत्र सोनू गुप्ता के खिलाफ थाना में उसकी पुत्री को बंधक बनाकर शोषण करने का आरोप लगाते हुए दस फरवरी को थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है। उसने आरोप लगाया है कि कुछ समय पहले उसकी पुत्री कुछ मजदूरों के साथ ईंट भट्ठा कमाने गई थी। लेकिन उसकी पुत्री को आरोपी पिता-पुत्र द्वारा बंधक बनाकर मानसिक व शारीरिक रूप से शोषण किया जा रहा है। उसने इस मामले में पुलिस से कार्रवाई कर उसकी पुत्री का वापस लाने का अनुरोध किया है। पुलिस मामले की छानबीन में जुट गई है।


 अपनी गायब हुई बेटी की वापसी की गुहार लगाते हुए गुमला जिले के पालकोट प्रखण्ड के लोधमा गाँव  निवासी सुकरा खड़िया ने बाल कल्याण समिति गुमला को लिखित आवेदन देकर अपनी बाईस वर्षीय पुत्री परगुन केरकेट्टा की दिल्ली से वापसी की गुहार लगाई है। आवेदन में सुकरा खड़िया ने बताया है कि दस वर्ष पूर्व बसिया प्रखण्ड के आरया ग्राम निवासी ट्रैफिकर मोनिका कुमारी ने बेटी को बहला-फुसला काम कराने के बहाने दिल्ली ले जाकर प्लेसमेंट एजेंसी को बेच दिया। इसके कुछ वर्ष बाद बरसलोइया ग्राम निवासी अरूण मिश्रा ने मेरी दूसरी बेटी को यह कहकर दिल्ली ले गया कि दिल्ली गई उसकी बहन को खोजकर लाएगा। दिल्ली में मेरी दूसरी बेटी को भी काम पर लगा दिया। दो साल तक काम करने के बाद जब अपनी बहन का पता नहीं लगा तो मेरी दूसरी बेटी घर वापस आ गई है। सुकरा ने बेटी की तलाश करने व मानव तस्कर पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। इस प्रकार की दर्जनों नहीं वरन सैंकड़ों घटनाएँ जिले में मानव तस्करी से सम्बंधित घटनाएँ समुचित कारर्वाई के अभाव में वर्षों से लम्बित हैं। परदेश कमाने के लिए बाहर गये जिले के दर्जनों लोगों का कोई अता-पता नहीं है । कमाने के लिए परदेश कई स्वयं गये हैं , तो कई बिचौलिए , दलालों के मार्फत गये हैं , परन्तु जाने के बाद से उनका कोई पता-ठिकाना नहीं है कि वे कहाँ हैं ? किस हाल में हैं ? इस संसार में हैं भी कि नहीं? उनके घर वाले उनका पता लगाकर थक-हार बैठ चुके हैं।इस प्रकार के कई मामले गरीबी और निरक्षरता के कारण वर्षों भी दबी हुई हैं , जिन्हें सामने लाकर उनपर सार्थक फल करते हुए बिछुडे सदस्यों को उनके परिजनों से मिलाने की आवश्यकता है । इस कार्य में जिले कीपुलिस तो तन्मयता से लगी है और अपने कर्तव्य को निभाने में पूरी ताकत से भीड़ी हुई है। कई मामलों का पटाक्षेप होना स्वागतयोग्य है , परन्तु पुलिस के द्वारा मामला के सफल पटाक्षेप के बाद बाहर से लाये गये लोगों का , लड़कियों का समुचित पुनर्वास नहीं हो पाने , रोजगार की व्यवस्था नहीं हो पाने के कारण रोजगार के तलाश में अन्यत्र पलायन होने वालों का सिलसिला जिले से रूकने का नाम नहीं ले रहा है ।


























फूटपाथ पर दुकान लगाकर सब्जी बेचने वाली महिलाओं ने लगाईं उपायुक्त से गुहार

फूटपाथ पर दुकान लगाकर सब्जी बेचने वाली महिलाओं ने लगाईं उपायुक्त से गुहार


गुमला शहर में सड़क किनारे फूटपाथ पर दूकान लगाकर सब्जी बेचने वाली महिलाओं का कष्ट सुनने वाला कोई नहीं है । सड़क किनारे दूकान लगाकर सब्जी बेचने वाली महिलाओं से जहाँ समीपस्थ दूकानदार, घरमालिक और पुलिसिये गाली-गलौज करते , धमकाते रहते हैं वहीँ कई बार लोग सब्जी लेकर मनमानी करने लगते हैं और समुचित पैसे भी देने से इनकार कर देते हैं । कई बार समय पर सब्जी की बिक्री नहीं हो पाने से उन्हें स्वयं ही आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ती है । ऐसी परिस्थितियों का सामना कर फूटपाथ किनारे दुकान लगाकर सब्जी बेच अपनी और अपने परिवार का पेट भरने वाली महिलाओं के सामने गुमला नगर  पंचायत का अतिक्रमण हटाने के दौरान फूटपाथ पर लगी दूकान से सब्जी उठाकर कूड़ा-करकट फेंकने वाली ट्रैक्टर में डालकर फेंक दिए जाने की निरंकुश कारर्वाई कहर बनकर आई है और वे इस समस्या से निजात पाने के लिए हाथ-पाँव मारने लगी हैं । गत सताईस फ़रवरी दिन शुक्रवार को गुमला शहर में विभिन्न स्थलों पर सड़क किनारे फूटपाथ पर दुकान लगाकर सब्जी बेचने वाली महिलाओं ने उपायुक्त गुमला को ज्ञापन सौंपकर नगर पंचायत की इस गरीबविरोधी नृशंस कारर्वाई की समुचित जाँच-पड़ताल कराकर दोषियों के विरूद्ध कारर्वाई करने की गुहार लगाईं है ।


उल्लेखनीय है कि गुमला में सड़क किनारे दुकान लगाकर सब्जी अथवा अन्य दैनन्दिनी उपयोग की वस्तुओं को बेचने की बहुत पुरानी परिपाटी है और विक्रेता अपनी वस्तुओं को सड़क किनारे लगाकर आराम से अपनी वस्तुओं की बिक्री कर अपनी रोजी-रोटी कमाते रहे हैं । यहाँ अक्सर ही गुमलावासियों के द्वारा कहा जाता है कि बाहर से सब्जी लाकर सड़क किनारे दुकान लगाकर सब्जी बेचने वालों के कारण ही गुमला के निवासियों विविध व्यंजनों का स्वाद चखने का भी सौभाग्य प्राप्त है अन्यथा यहाँ मंगलवार और शनिवार को ही सब्जियां मिलती ।सब्जी और अन्य दैनिक उपभोग की वस्तुओं की बिक्री कर परिवार का पालन-पोषण करने वाले ऐसे छोटे गरीब दुकानदारों को व्यवासयीगण सहयोग कर आगे बढ़ने में सहयोग करते रहे हैं , परन्तु हाल के वर्षों में इस सहयोग की प्रवृति में कमी देखने को आई है और फूटपाथी दुकानदारों को समीपस्थ दूकानदार और समीपस्थ घरमालिक वहाँ से दूकान हटाने के लिये दबाव देने के लिए गाली- गलौज करने लगे हैं , हड़काने –धमकाने लगे हैं । लोगों द्वारा फूटपाथी दूकान दारों को दूकान हटाने के लिए जोर-जबरदस्ती भी करते देखा जाना यहाँ आम बात हो गई है । शान्ति-व्यवस्था कायम करने हेतु शहर में भारी संख्या में पुलिसियों और यातायात पुलिस के आने के बाद से फूटपाथी दुकानदारों के साथ गाली- गलौज और दुर्व्यवहार की घटनाओं में वृद्धि हुई है। ऐसे में नगर पंचायत का सब्जी उठा कूड़ा – करकट धोने वाली ट्रैक्टर में लाद कर फेंक दिए जाने से विक्रेताओं के समक्ष्र रोजी-रोटी की समस्या अकस्मात ही आ खड़ी हुई है । यही कारण है कि रोजी-रोटी कि समस्या से जूझ रही महिलाओं ने इस समस्या पर उपायुक्त से हस्तक्षेप की माँग की है । गुमला शहर में सड़क किनारे फुटपाथ पर सब्जी बेचने वाली महिलाओं ने शुक्रवार को उपायुक्त को सौंपे ज्ञापन में कहा कि अतिक्रमण हटाने के दौरान सड़क के किनारे रखी हरी और अन्यान्य सब्जियों को नगर पंचायत के कर्मी उठाकर फेंक देते हैं। इसके बाद कूड़ा-कचरा उठाने वाले ट्रैक्टर में लोड कर सब्जियों को ले जाया जाता है। जिसके कारण उन्हें आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है और कई दिक्कतों का सामना भी अतिरिक्त रूप से करना पड़ता है । वहीं इस सम्बन्ध में नगर पंचायत के कर्मियों का कहना है कि सड़क के किनारे सब्जी की दुकान लगाने से आवागमन बाधित होता है। लोगों को यातायात में काफी परेशानी होती है। संयुक्त हस्ताक्षरित ज्ञापन में महिलाओं ने उपायुक्त से मामले की जांच कर उचित कार्रवाई करने की माँग की है।






प्रमुख को अपमानित करने और भ्रष्टाचार के विरोध में पालकोट प्रखण्ड में जनप्रतिनिधियों का धरना-प्रदर्शन प्रारम्भ

प्रमुख को अपमानित करने और भ्रष्टाचार के विरोध में पालकोट प्रखण्ड में जनप्रतिनिधियों का धरना-प्रदर्शन प्रारम्भ

गुमला l घूसखोर बीडीओ ,बीपीओ और नाजीर को हटाओ , महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने वाले बीडीओ , बीपीओ को बर्खास्त करो,तानाशाही नहीं चलेगी, भ्रष्टाचार का समूल नाश करो आदि नारे के मध्य गुमला जिले के पालकोट प्रखण्ड के जनप्रतिनिधियों ने क्षेत्र के ग्रामीणों के साथ अपनी मांगों, प्रखण्ड विकास पदाधिकारी ,पालकोट सतीश कुमार और मनरेगा के बीपीओ के द्वारा प्रखण्ड प्रमुख विश्वासी लकड़ा के साथ प्रोटोकोल का उल्लंघन कर जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए किये गये गाली-गलौज और अपमान, दुर्व्यवहार की घटना पर दोषियों पर समुचित न्यायसम्मत कारर्वाई ,प्रखण्ड विकास पदाधिकारी , पालकोट सतीश कुमार के शह व संरक्षण पर बीपीओ विनय कुमार गुप्ता और प्रखण्ड कार्यालय के नाजीर निरंजन कुमार के द्वारा किये जा रहे सरकारी विकास योजाओं में सरकारी राशि के बन्दरबांट, दुरुपयोग और घूसखोरी की आरोपियों के स्थानांतरण के पश्चात समुचित जाँच पड़ताल कर दोषियों पर अधिनियमसम्मत कारर्वाई ,पालकोट प्रखण्ड पंचायत समिति की बैठकों में प्रखण्ड विकास पदाधिकारी द्वारा की जा रही मनमानी और बैठक पंजी में बैठक में नहीं रखी गई विषय-वस्तुओं की विवरणी दर्ज कर मनमानी ढंग से योजनाओं के संचालन की जाँच और तत्संबंधी कारर्वाई , झारखण्ड सरकार द्वारा प्रकाशित झारखण्ड गजट के असाधारण अंक संख्या ३२१ , राँची,शुक्रवार 20 मई 2011 पंचायती राज एवं एन० आर० इ० पी० (विशेष प्रमंडल) विभाग (पंचायत राज निदेशालय) अधिसूचना 16 मई,2011 में प्रकशित झारखण्ड पंचायत (मुखिया/उपमुखिया/प्रमुख/उपप्रमुख एवं जिला परिषद अध्यक्ष/उपाध्यक्ष के शक्तियाँ एवं कृत्य) नियमावली,2011 में प्रदत शक्तियों , दी गई निर्देशों का प्रखण्ड विकास पदाधिकारी के द्वारा की जा रही उल्लंघन का जाँच कर दोषियों पर नियम्सम्मत कारर्वाई आदि माँगों को लेकर पालकोट प्रखण्ड कार्यालय परिसर में आज सुबह दस बजे से पूर्वघोषित कार्र्यक्रम के तहत अनिश्चितकालीन धरना- प्रदर्शन कार्यक्रम का प्रारंभ कर दिया l इसके पूर्व जनप्रतिनिधियों ने ग्र्रामीणों के साथ जुलूस निकाली और पालकोट बाजार टाँड़ से जुलूस की शक्ल में नारे  लगाते हुए पालकोट प्रखण्ड कार्यालय तक पहुँचे और धरना पर बैठ गये l धरना स्थल पर जनप्रतिनिधियों ने सभा भी की और अपने संबोधनों में प्रखण्ड कर्मियों की भ्रष्टाचार , अनियमितता और मनमानीपूर्ण कार्यों की पोल खोल कर रख दी l सभा को पालकोट प्रखण्ड प्रमुख श्रीमती बिश्वासी लकड़ा , उपप्रमुख अरुण कुमार सिंह, लोकतंत्र बचाओ मोर्चा के प्रमुख प्रदीप लकड़ा कोल्हासर ,कोलेंग पंचायत की मुखिया श्रीमती सुषमा केरकेट्टा, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय सदस्य बी बी मिश्रा ,उत्तरी पालकोट मुखिया अनिल कुमार भगत ,बंगरू पंचायत की मुखिया पूनम एक्का , तपकारा मुखिया सुरीला डुंगडुंग , बंगरू पंचायत समिति सदस्य कमला देवी,  बागेसेरा पंचायत समिति सदस्य वैदेही कुमारी , उमड़ा पंचायत समिति सदस्य सुनयना देवी , उमड़ा मुखिया मनोज उराँव , बघिमा पंचायत समिति सदस्य गोविन्द बड़ाईक , झिकिरमा पंचायत के मुखिया बण्डा पाहन, बिलिंगबिरा पंचायत मुखिया मायावती देवी , डहुपानी पंचायत मुखिया अनुज सोरेंग , कुलुकेरा मुखिया अनूप लकड़ा , कुलुकेरा पंचायत समिति सदस्य नीलिमा केरकेट्टा, नाथपुर मुखिया बिश्वनाथ भगत , नाथपुर पंचायत समिति सदस्य इलियास केरकेट्टा संतोष लकड़ा , टेंगरिया मुखिया कमला देवी , डहुपानी पंसस कृति विनीता एक्का, युद्धिष्ठिर कंसारी, धर्मा गोप , प्रदीप सोरेंग , मोनिका डुंगडुंग  आदि दर्जनों वक्ताओं ने संबोधित किया और प्रखण्ड कर्मियों के कार्यों की भर्त्सना की और प्रमुख बिश्वासी लकड़ा के साथ गत सोलह जनवरी को बीडीओ और बीपीओ द्वारा गाली-गलौज और अपमानित किये जाने की घटना की घोर निंदा की और प्रोटोकोल का उल्लंघन करने वाले कर प्रमुख बिश्वासी लकड़ा के साथ दुर्व्यवहार करने वाले दोषी पदाधिकारियों पर नियमसम्मत कारर्वाई की माँग की है lधरना –प्रदर्शन के सम्बन्ध में पूछे जाने पर उपायुक्त गौरीशंकर मिंज ने कहा कि विवादित बीपीओ का पालकोट से डुमरी प्रखण्ड के लिए स्थानान्तरण कर दिया गया है , दो दिनों के अंदर नाजीर का भी स्थानान्तरण अन्यत्र कर दिया जायेगा तथा बीडीओ के विरूद्ध में नियमसम्मत कारर्वाई के लिए सरकार को लिखा जायेगा l धरना –प्रदर्शन के खात्मा के सम्बन्ध में उपायुक्त ने कहा कि शीघ्र ही एक समिति का गठन किया जायेगा जो धरना स्थल पर जाकर धरना –प्रदर्शन कारियों से सौहार्दपूर्ण वातावरण में बात कर समस्या का समाधान करेगा  l धरना –प्रदर्शन कार्यक्रम में सैंकड़ों लोगों ने भाग लिया lधरना में ग्रामीण आते रहे – जाते रहे lउधर खबर है कि बीडीओ ने धरना कार्यक्रम को असफल बनाने के लिए हर सम्भव प्रयास किया l क्षेत्रीय नेताओं से भी सम्पर्क किया लेकिन दाल नहीं गली और धरना प्रदर्शन का कार्यक्रम प्रारंभ हो गया l जनप्रतिनिधियों ने कहा कि उनकी मांगों की पूर्ति होने तक उनका कार्यक्रम चलता रहेगा l