नेट से निकला आधार कार्ड लेने से
इंकार किये जाने पर उपायुक्त से शिकायत
गुमला : एक ओर सरकार सर्वोच्च
न्यायालय को जानकारी देती है कि सरकारी सुविधाओं को प्राप्त करने के लिये आधार
कार्ड की कोई अनिवार्यता नहीं है दूसरी ओर सरकारी सुविधाओं का लाभ देने के लिये
सरकारी सेवक आधार कार्ड लाभुकों और आम जनता से जबरन माँग रहे हैं जिसके कारण आम
जनता की परेशानी बढती जा रही है ।उल्लेखनीय है कि जिले में आधार कार्ड का निर्माण
पूर्व में ठेके पर विप्रो कम्पनी से कराया गया और अब यह काम जिले के प्रज्ञा
केन्द्र कर रहे हैं । जिले के अधिकांश लोगों ने आधार कार्ड का निर्माण करने के
लिये कई – कई दिनों तक कतार पर लगकर केन्द्र पर तस्वीर खिंचवा ली है , परन्तु बहुत
से लोगों का आधार कार्ड डाक के मार्फत अब तक प्राप्त नहीं हो सकी है । इसलिए
सरकारी विभागों अथवा बैंक के द्वारा आधार कार्ड मांगे जाने पर लोग मजबूरी में पैसे
खर्च कर नेट से डाउनलोड कराकर दे रहे हैं , परन्तु सरकारी सेवकों और बैंकों के
द्वारा डाक से प्राप्त आधार कार्ड मान्यता प्राप्त है यह कहकर नेट से निकलवाये
आधार कार्ड को लेने से इनकार कर रहे हैं । परिणामस्वरूप आम जन की परेशानी बढती ही
जा रही है ।कुछ ऐसा ही मामला गत दिन गुमला में प्रकाश में आया जब बैंक खाता को
आधार कार्ड से जोड़ने के लिए नेट से निकाले गए आधार कार्ड की सत्यापित प्रति को
उपभोक्ता द्वारा दिए जाने पर बैंक कर्मी ने लेने से इंकार कर दिया । जानकारी के
अनुसार गत ३ फरवरी मंगलवार को गुमला नगर पालिका के भूतपूर्व वार्ड आयुक्त राजेंद्र
प्रसाद गुप्ता द्वारा नेट से निकलवाकर आधार की छाया प्रति देने पर बैंक कर्मी ने
पोस्टल से भेजे गए आधार को ही मान्यता देने की बात कह उसे लेने से इंकार कर दिया।
इस बात की लिखित शिकायत भूतपूर्व वार्ड आयुक्त राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने गुमला
के उपायुक्त से करते हुए बैंक द्वारा बेवजह खाता धारकों को परेशान करने का आरोप
लगते हुए आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कहा
है कि आधार कार्ड की मूल प्रति साधारण डाक से भेजी जाती है जो उन्हें अब तक नहीं
मिला है । इसलिए उन्होंने नेट से आधार कार्ड को निकलवाया और उसकी प्रति बैंक में
जमा करने गए। लेकिन बैंक कर्मी ने लेने से इंकार कर दिया। इस संबंध में बैंक
प्रबंधक रवि प्रकाश ने बताया कि नेट से डाउनलोड किया हुआ आधार कार्ड की प्रति ली
जा रही है। संवादहीनता के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई होगी। उपभोक्ताओं की
कठिनाइयों को दूर करने के लिये वे अपने कर्मियों को नेट से निकाले गए आधार की
प्रति स्वीकार करने का निर्देश देंगे।उधर जिले के लोगों ने कहा है कि सरकार द्वारा
सर्वोच्च न्यायालय में सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये आधार कार्ड की
कोई अनिवार्यता नहीं होने सम्बन्धी लिखित रूप से आश्वासन दिए जाने के बाद भी
सरकारी सेवकों का जबरन लोगों से आदेहर कार्ड का संख्या अथवा छायाप्रति माँगा जाना
न्यायालय का अवमानना और न्यायालय को बरगलाना है और इसके लिये न्यायालय को इस पर
स्वतः संज्ञान लेकर सरकार और सरकारी सेवकों पर समुचित कारर्वाई करनी चाहिये ।
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