राष्ट्रीय नवीन मेल प्रकाशित रणधीर निधि का गुमला के प्रशासनिक अधिकारियों का पोल खोल
गुमला में प्रशासनिक अधिकारियों को प्रोटोकोल की जानकारी नहीं होने के कारण विधायिका – कार्यपालिक के बीच टकराव की स्थिति
- रणधीर निधि
गुमला जिले के प्रशासनिक अधिकारियों में अपने कर्तव्यों और जनप्रतिनिधियों के साथ व्यवहार , सम्मान किये जाने सम्बन्धी जानकारी का पूर्णतः अभाव है जिसके कारण जहाँ प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों को सांसदों, विधायकों व अन्य जन प्रतिनिधियों को पूर्ण मान-सम्मान देना नहीं आता वहीँ प्रोटोकोल के तहत जनप्रतिनिधियों व लोंगों के साथ सही बर्ताव तक करना नहीं आता या फिर उद्दंडता पूर्ण व्यवहार जान - बूझकर करते हैं , जिसके कारण जिले में आये दिन अधिकारियों का जनप्रतिनिधियों अर्थात कार्यपालिका का विधायिका से टकराव और वाद - विवाद की खबरें आती ही रहती हैं । कभी - कभी तो अधिकारियों की बेवकूफी के कारण मामला जिला प्रशासन और सरकार तक के लिये मुसीबत , जी का जंजाल हो जाता है। अभी ताज़ी घटना जिले के डुमरी व पालकोट प्रखण्डों की है । गौरतलब है कि गुमला विधानसभा क्षेत्र के भारतीय जनता पार्टी के नवनिर्वाचित विधायक शिवशंकर उराँव के साथ गत २२ जनवरी गुरुवार को डुमरी प्रखण्ड के प्रखण्ड कार्यालय में आयोजित बैठक में ही प्रखण्ड विकास पदाधिकारी राजेश डुंगडुंग उलझ पड़े । विधायक शिवशंकर उराँव प्रसिद्ध शिवधाम टांगीनाथ मन्दिर में पूजा- अर्चा करने के पश्चात प्रखण्ड के ग्रामीणों और कार्यकर्ताओं के साथ प्रखण्ड कार्यालय में आयोजित बैठक में शामिल होने के लिये पहुंचे थे , जहाँ विधायक को प्रखण्ड के अधिकारियों , कर्मचारियों और ग्रामीणों की समन्वित बैठक करनी थी , परन्तु प्रखण्ड विकास पदाधिकारी राजेश डुंगडुंग ने प्रोटोकोल के अन्तर्गत विधायक व उनके साथ के लोगों से न तो सही प्रकार से वर्ताव ही किया और न ही उचित सम्मान ही दिया । इसके साथ ही प्रखण्ड विकास पदाधिकारी राजेश डुंगडुंग विधायक से बैठक की शुरुआत में ही उलझ पड़े और विधायक के साथ आये ग्रामीणों और कार्यकर्ताओं को बैठक से अलग रहने को कहा । बैठक चूँकि विधायक ने क्षेत्र के विकास की रूपरेखा तैयार करने और ग्रामीणों की कल्याण हेतु रखा था इसलिए विधायक उक्त बैठक में ग्रामीणों की सहभागिता चाह रहे थे । लेकिन प्रखण्ड विकास पदाधिकारी राजेश डुंगडुंग अपनी अनियमितताओं के उजागर हो जाने के डर से ग्रामीणों की उपस्थिति बैठक में नहीं होना देना चाह रहे थे । इसका विरोध किये जाने पर विकास पदाधिकारी राजेश डुंगडुंग विधायक के साथ उलझ पड़े और बकझक करने लगे । इस पर विधायक शिवशंकर उराँव ने प्रविपदा राजेश डुंगडुंग को प्रोटोकोल का पाठ पढ़ाया और गुमला के उपायुक्त गौरीशंकर मिंज को दूरभाष से इसकी सुचना देते हुए प्रविपदा राजेश डुंगडुंग को एक माह के लिये राजधानी राँची स्थित श्रीकृष्ण लोक सेवा शिक्षण संस्थान (एटीआई) में प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु भेजने के लिये कहा । विधायक ने कहा कि काम करने वाले अधिकारी रहेंगे और काम नहीं करने वाले अधिकारी स्वैच्छिक सेवानिवृति लेकर घर जाने को तैयार हो जायें । उन्होंने अधिकारियों , कर्मचारियों को ईमानदारी पूर्वक सरकारी योजनाओं को धरातल पर निष्ठापूर्वक उतारते हुए कार्य करने को कहा अन्यथा परिणाम भुगतने को तैयार रहें । विधायक के इस रूख से उपस्थित ग्रामीण और कार्यकर्ता अत्यन्त प्रसन्न हुए ।इसके पश्चात प्रखण्ड कार्यालय में बैठक प्रारम्भ हुई और बैठक में अधिकारी , कर्मचारी और ग्रामीण सभी शामिल हुए ।
प्रोटोकोल का उल्लंघन और जनप्रतिनिधि को सार्वजनिक रूप से अपमानित करने की एक अन्य घटना जिले के पालकोट प्रखण्ड कार्यालय में गत सोलह जनवरी को हुई । स्थानीय सिमडेगा विधायक विमला प्रधान की उपस्थिति में प्रखण्ड की महिला प्रमुख से प्रखण्ड विकास पदाधिकारी सतीश कुमार और मनरेगा के अन्तर्गत ठेके पर बहाल प्रखण्ड कार्यक्रम पदाधिकारी (बीपीओ) विनय कुमार गुप्ता के द्वारा किया गया दुर्व्यवहार व अपमानित करने का मामला अब विस्फोटक होता जा रहा है , परन्तु जिला प्रशासन प्रखण्ड विकास पदाधिकरी और विवादित घूसखोर बीपीओ को बचने के चक्कर में इस विस्फोटक परिस्थिति को शांत करने के बजाये शुतुरमुर्ग की भान्ति आँख को छुपाये बैठी है और प्रखण्ड के अधिकारी , कर्मचारी प्रखण्ड प्रमुख से ले – देकर मामला सलटाने के चक्कर में उन्हें अपमानित पर अपमानित किये जा रहा है । उल्लेखनीय है कि जिले के पालकोट प्रखंड की प्रमुख विश्वासी लकड़ा के साथ पालकोट के प्रखंड विकास पदाधिकारी सतीश कुमार और राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना (मनरेगा) के अन्तर्गत ठेका पर बहाल प्रखण्ड कार्यक्रम पदाधिकारी (बीपीओ) विनय कुमार गुप्ता के द्वारा दुर्व्यवहार व अपमानित किये जाने के मामले में शिकायत के दो सप्ताह बाद तक उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक के स्तर से कोई कार्रवाई नहीं किये जाने से प्रखण्ड सहित जिले भर के जनप्रतिनिधियों में रोष व्याप्त होता जा रहा है और यह कभी भी विस्फोटक स्थिति का रूप अख्तियार कर सकता है । जानकारी के मुताबिक पालकोट प्रखंड की प्रमुख विश्वासी लकड़ा ने गत १८ जनवरी २०१५ को गुमला जिला के उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर प्रखंड विकास पदाधिकारी सतीश कुमार व बीपीओ विनय कुमार गुप्ता पर उनके साथ दुर्व्यवहार व अपमानित करने का आरोप लगाया था । प्रमुख ने उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक से लिखित शिकायत करते हुए प्रखण्ड विकास पदाधिकारी और नियुक्ति काल से ही विवादित रहे बीपीओ के खिलाफ आदिवासी हरिजन उत्पीडन अधिनियम के अन्तर्गत कार्रवाई का अनुरोध किया था । प्रमुख ने शिकायत पत्र में आरोप लगाते हुए कहा है कि १६ जनवरी २०१५ शुक्रवार को प्रखंड परिसर में विधायक विमला प्रधान द्वारा धोती-साड़ी का वितरण कार्यक्रम होना था। कार्यक्रम में उन्हें आमंत्रित किया गया था एवं उनके लिए मुख्य मंच पर कुर्सी की व्यवस्था की गई थी। लेकिन उन्हें अपमानित करने की नियत से बीडीओ उनकी कुर्सी पर जा बैठे एवं बीपीओ विनय कुमार गुप्ता ने उन्हें पीछे बैठने के लिये कहा। पदाधिकारियों के व्यवहार से आहत हो कार्यक्रम के दौरान वे अपने कार्यालय कक्ष में चली गई। इसी दौरान प्रखण्ड विकास पदाद्शिकारी सतीश कुमार और बीपीओ विनय कुमार गुप्ता उनके कार्यालय कक्ष में आए और जातिसूचक शब्दों को प्रयोग करते हुए गाली-गलौज की। प्रमुख ने कहा है कि वे दोनों पदाधिकारियों के बर्ताव से खुद को अपमानित महसूस कर रही हैं।अतः दोषियों पर समुचित कारर्वाई की जाये , परन्तु प्रमुख के द्वारा कि गई शिकयत पर उपायुक्त अथवा पुलिस अधीक्षक के स्तर से अब तक कोई कारवाई नहीं किये जाने से प्रखण्ड के ग्रामीणों , जनप्रतिनिधियों में प्रशासन के प्रति आक्रोश बढता ही जा रहा है जो अब कभी विस्फोटक रूप ले सकती है । हालाँकि प्रखण्ड विकास पदाधिकारी और बीपीओ ने समाचार पत्रों को दिए वयानों में इस बात से साफ़ इनकार किया है , परन्तु वे प्रमुख को पटाने में साम , दाम , दण्ड और भेद ,सभी प्रकार की नीति अपना रहे हैं और धमकी के साथ विभिन्न प्रकार के लोगों से फोन अथवा मिलकर प्रमुख पर दबाव बनाने में लगे हुए हैं ।
जिले में सुर्ख़ियों में आई एक अन्य घटना बिशुनपुर प्रखंड प्रमुख के साथ विगत २५ मार्च को घटित हुई इसके विरूद्ध बिशुनपुर प्रखंड की प्रमुख ने उच्चाधिकारियों को लिखित शिकायत कर बिशुनपुर प्रखण्ड के प्रखण्ड विकास पदाधिकारी पर मनमानी का आरोप लगाया था।अपने लिखित शिकायत में विशुनपुर प्रखंड के प्रमुख सावित्री देवी ने प्रखंड विकास पदाधिकारी अनुराग लकड़ा पर मनमानी करने का आरोप लगाया था और प्रेस विज्ञप्ति भी जरी कि थी । प्रमुख ने पत्र जारी कर कहा था कि २५ मार्च २०१२ दिन शनिवार को वे क्षेत्र भ्रमण के लिए जाने वाली थीं, जब वे प्रविपदा से वाहन मांगने गई, तो प्रविपदा ने झल्लाते हुए अशोभनीय बातें करते हुए वाहन देने से इंकार कर दिया और बहाना बनाने लगे। प्रमुख ने कहा कि उन्हें जेहनगुटवा गांव किसान गोष्ठी में भाग लेने के लिए जाना था, लेकिन प्रविपदा के इस रवैया से वे वहां नहीं जा सकी। अगर आगे भी बीडीओ का ऐसा रवैया रहा, तो वे लोग आंदोलन करेंगे।हालाँकि ले - देकर मामला बाद में शांत हुआ , परन्तु इसी प्रकार की दर्जनों घटनाएँ जिले में सुर्ख़ियों में आती रहती हैं । जिले में मुखिया , वार्ड सदस्य और पंचायत समिति सदस्य तो आये दिन ही प्रविपदाओं और निचले स्तर तक के सरकारी सेवकों द्वारा आये दिन दुत्कारे जाते रहे हैं जिनसे सम्बन्धित समाचार अख़बारों में छपती ही रहती हैं जो जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में चटखारे के साथ पढ़ी और सुनी जाती है ।
गुमला में प्रशासनिक अधिकारियों को प्रोटोकोल की जानकारी नहीं होने के कारण विधायिका – कार्यपालिक के बीच टकराव की स्थिति
- रणधीर निधि
गुमला जिले के प्रशासनिक अधिकारियों में अपने कर्तव्यों और जनप्रतिनिधियों के साथ व्यवहार , सम्मान किये जाने सम्बन्धी जानकारी का पूर्णतः अभाव है जिसके कारण जहाँ प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों को सांसदों, विधायकों व अन्य जन प्रतिनिधियों को पूर्ण मान-सम्मान देना नहीं आता वहीँ प्रोटोकोल के तहत जनप्रतिनिधियों व लोंगों के साथ सही बर्ताव तक करना नहीं आता या फिर उद्दंडता पूर्ण व्यवहार जान - बूझकर करते हैं , जिसके कारण जिले में आये दिन अधिकारियों का जनप्रतिनिधियों अर्थात कार्यपालिका का विधायिका से टकराव और वाद - विवाद की खबरें आती ही रहती हैं । कभी - कभी तो अधिकारियों की बेवकूफी के कारण मामला जिला प्रशासन और सरकार तक के लिये मुसीबत , जी का जंजाल हो जाता है। अभी ताज़ी घटना जिले के डुमरी व पालकोट प्रखण्डों की है । गौरतलब है कि गुमला विधानसभा क्षेत्र के भारतीय जनता पार्टी के नवनिर्वाचित विधायक शिवशंकर उराँव के साथ गत २२ जनवरी गुरुवार को डुमरी प्रखण्ड के प्रखण्ड कार्यालय में आयोजित बैठक में ही प्रखण्ड विकास पदाधिकारी राजेश डुंगडुंग उलझ पड़े । विधायक शिवशंकर उराँव प्रसिद्ध शिवधाम टांगीनाथ मन्दिर में पूजा- अर्चा करने के पश्चात प्रखण्ड के ग्रामीणों और कार्यकर्ताओं के साथ प्रखण्ड कार्यालय में आयोजित बैठक में शामिल होने के लिये पहुंचे थे , जहाँ विधायक को प्रखण्ड के अधिकारियों , कर्मचारियों और ग्रामीणों की समन्वित बैठक करनी थी , परन्तु प्रखण्ड विकास पदाधिकारी राजेश डुंगडुंग ने प्रोटोकोल के अन्तर्गत विधायक व उनके साथ के लोगों से न तो सही प्रकार से वर्ताव ही किया और न ही उचित सम्मान ही दिया । इसके साथ ही प्रखण्ड विकास पदाधिकारी राजेश डुंगडुंग विधायक से बैठक की शुरुआत में ही उलझ पड़े और विधायक के साथ आये ग्रामीणों और कार्यकर्ताओं को बैठक से अलग रहने को कहा । बैठक चूँकि विधायक ने क्षेत्र के विकास की रूपरेखा तैयार करने और ग्रामीणों की कल्याण हेतु रखा था इसलिए विधायक उक्त बैठक में ग्रामीणों की सहभागिता चाह रहे थे । लेकिन प्रखण्ड विकास पदाधिकारी राजेश डुंगडुंग अपनी अनियमितताओं के उजागर हो जाने के डर से ग्रामीणों की उपस्थिति बैठक में नहीं होना देना चाह रहे थे । इसका विरोध किये जाने पर विकास पदाधिकारी राजेश डुंगडुंग विधायक के साथ उलझ पड़े और बकझक करने लगे । इस पर विधायक शिवशंकर उराँव ने प्रविपदा राजेश डुंगडुंग को प्रोटोकोल का पाठ पढ़ाया और गुमला के उपायुक्त गौरीशंकर मिंज को दूरभाष से इसकी सुचना देते हुए प्रविपदा राजेश डुंगडुंग को एक माह के लिये राजधानी राँची स्थित श्रीकृष्ण लोक सेवा शिक्षण संस्थान (एटीआई) में प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु भेजने के लिये कहा । विधायक ने कहा कि काम करने वाले अधिकारी रहेंगे और काम नहीं करने वाले अधिकारी स्वैच्छिक सेवानिवृति लेकर घर जाने को तैयार हो जायें । उन्होंने अधिकारियों , कर्मचारियों को ईमानदारी पूर्वक सरकारी योजनाओं को धरातल पर निष्ठापूर्वक उतारते हुए कार्य करने को कहा अन्यथा परिणाम भुगतने को तैयार रहें । विधायक के इस रूख से उपस्थित ग्रामीण और कार्यकर्ता अत्यन्त प्रसन्न हुए ।इसके पश्चात प्रखण्ड कार्यालय में बैठक प्रारम्भ हुई और बैठक में अधिकारी , कर्मचारी और ग्रामीण सभी शामिल हुए ।
प्रोटोकोल का उल्लंघन और जनप्रतिनिधि को सार्वजनिक रूप से अपमानित करने की एक अन्य घटना जिले के पालकोट प्रखण्ड कार्यालय में गत सोलह जनवरी को हुई । स्थानीय सिमडेगा विधायक विमला प्रधान की उपस्थिति में प्रखण्ड की महिला प्रमुख से प्रखण्ड विकास पदाधिकारी सतीश कुमार और मनरेगा के अन्तर्गत ठेके पर बहाल प्रखण्ड कार्यक्रम पदाधिकारी (बीपीओ) विनय कुमार गुप्ता के द्वारा किया गया दुर्व्यवहार व अपमानित करने का मामला अब विस्फोटक होता जा रहा है , परन्तु जिला प्रशासन प्रखण्ड विकास पदाधिकरी और विवादित घूसखोर बीपीओ को बचने के चक्कर में इस विस्फोटक परिस्थिति को शांत करने के बजाये शुतुरमुर्ग की भान्ति आँख को छुपाये बैठी है और प्रखण्ड के अधिकारी , कर्मचारी प्रखण्ड प्रमुख से ले – देकर मामला सलटाने के चक्कर में उन्हें अपमानित पर अपमानित किये जा रहा है । उल्लेखनीय है कि जिले के पालकोट प्रखंड की प्रमुख विश्वासी लकड़ा के साथ पालकोट के प्रखंड विकास पदाधिकारी सतीश कुमार और राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना (मनरेगा) के अन्तर्गत ठेका पर बहाल प्रखण्ड कार्यक्रम पदाधिकारी (बीपीओ) विनय कुमार गुप्ता के द्वारा दुर्व्यवहार व अपमानित किये जाने के मामले में शिकायत के दो सप्ताह बाद तक उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक के स्तर से कोई कार्रवाई नहीं किये जाने से प्रखण्ड सहित जिले भर के जनप्रतिनिधियों में रोष व्याप्त होता जा रहा है और यह कभी भी विस्फोटक स्थिति का रूप अख्तियार कर सकता है । जानकारी के मुताबिक पालकोट प्रखंड की प्रमुख विश्वासी लकड़ा ने गत १८ जनवरी २०१५ को गुमला जिला के उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर प्रखंड विकास पदाधिकारी सतीश कुमार व बीपीओ विनय कुमार गुप्ता पर उनके साथ दुर्व्यवहार व अपमानित करने का आरोप लगाया था । प्रमुख ने उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक से लिखित शिकायत करते हुए प्रखण्ड विकास पदाधिकारी और नियुक्ति काल से ही विवादित रहे बीपीओ के खिलाफ आदिवासी हरिजन उत्पीडन अधिनियम के अन्तर्गत कार्रवाई का अनुरोध किया था । प्रमुख ने शिकायत पत्र में आरोप लगाते हुए कहा है कि १६ जनवरी २०१५ शुक्रवार को प्रखंड परिसर में विधायक विमला प्रधान द्वारा धोती-साड़ी का वितरण कार्यक्रम होना था। कार्यक्रम में उन्हें आमंत्रित किया गया था एवं उनके लिए मुख्य मंच पर कुर्सी की व्यवस्था की गई थी। लेकिन उन्हें अपमानित करने की नियत से बीडीओ उनकी कुर्सी पर जा बैठे एवं बीपीओ विनय कुमार गुप्ता ने उन्हें पीछे बैठने के लिये कहा। पदाधिकारियों के व्यवहार से आहत हो कार्यक्रम के दौरान वे अपने कार्यालय कक्ष में चली गई। इसी दौरान प्रखण्ड विकास पदाद्शिकारी सतीश कुमार और बीपीओ विनय कुमार गुप्ता उनके कार्यालय कक्ष में आए और जातिसूचक शब्दों को प्रयोग करते हुए गाली-गलौज की। प्रमुख ने कहा है कि वे दोनों पदाधिकारियों के बर्ताव से खुद को अपमानित महसूस कर रही हैं।अतः दोषियों पर समुचित कारर्वाई की जाये , परन्तु प्रमुख के द्वारा कि गई शिकयत पर उपायुक्त अथवा पुलिस अधीक्षक के स्तर से अब तक कोई कारवाई नहीं किये जाने से प्रखण्ड के ग्रामीणों , जनप्रतिनिधियों में प्रशासन के प्रति आक्रोश बढता ही जा रहा है जो अब कभी विस्फोटक रूप ले सकती है । हालाँकि प्रखण्ड विकास पदाधिकारी और बीपीओ ने समाचार पत्रों को दिए वयानों में इस बात से साफ़ इनकार किया है , परन्तु वे प्रमुख को पटाने में साम , दाम , दण्ड और भेद ,सभी प्रकार की नीति अपना रहे हैं और धमकी के साथ विभिन्न प्रकार के लोगों से फोन अथवा मिलकर प्रमुख पर दबाव बनाने में लगे हुए हैं ।
जिले में सुर्ख़ियों में आई एक अन्य घटना बिशुनपुर प्रखंड प्रमुख के साथ विगत २५ मार्च को घटित हुई इसके विरूद्ध बिशुनपुर प्रखंड की प्रमुख ने उच्चाधिकारियों को लिखित शिकायत कर बिशुनपुर प्रखण्ड के प्रखण्ड विकास पदाधिकारी पर मनमानी का आरोप लगाया था।अपने लिखित शिकायत में विशुनपुर प्रखंड के प्रमुख सावित्री देवी ने प्रखंड विकास पदाधिकारी अनुराग लकड़ा पर मनमानी करने का आरोप लगाया था और प्रेस विज्ञप्ति भी जरी कि थी । प्रमुख ने पत्र जारी कर कहा था कि २५ मार्च २०१२ दिन शनिवार को वे क्षेत्र भ्रमण के लिए जाने वाली थीं, जब वे प्रविपदा से वाहन मांगने गई, तो प्रविपदा ने झल्लाते हुए अशोभनीय बातें करते हुए वाहन देने से इंकार कर दिया और बहाना बनाने लगे। प्रमुख ने कहा कि उन्हें जेहनगुटवा गांव किसान गोष्ठी में भाग लेने के लिए जाना था, लेकिन प्रविपदा के इस रवैया से वे वहां नहीं जा सकी। अगर आगे भी बीडीओ का ऐसा रवैया रहा, तो वे लोग आंदोलन करेंगे।हालाँकि ले - देकर मामला बाद में शांत हुआ , परन्तु इसी प्रकार की दर्जनों घटनाएँ जिले में सुर्ख़ियों में आती रहती हैं । जिले में मुखिया , वार्ड सदस्य और पंचायत समिति सदस्य तो आये दिन ही प्रविपदाओं और निचले स्तर तक के सरकारी सेवकों द्वारा आये दिन दुत्कारे जाते रहे हैं जिनसे सम्बन्धित समाचार अख़बारों में छपती ही रहती हैं जो जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में चटखारे के साथ पढ़ी और सुनी जाती है ।

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