प्रोटोकोल पर किताब प्रकाशित किया जाना चाहिये : उराँव
गुमला विधानसभा क्षेत्र के विधायक शिवशंकर उराँव से खास बात - चीत
गुमला विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक शिवशंकर उराँव ने एक खास मुलाकात में सरकारी सेवकों और जनप्रतिधियों अर्थात कार्यपालिका और विधायिका के सम्बन्धों और मान – सम्मान एवं व्यवहार पर विस्तार पूर्वक वार्तालाप की और सरकारी सेवकों , प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देश दिए कि वे सांसदों, विधायकों व अन्य जन प्रतिनिधियों को पूर्ण मान-सम्मान दें व प्रोटोकोल का हमेशा ध्यान रखे। इसके साथ ही उन्होंने उच्चाधिकारियों से लोंगों के साथ सही बर्ताव न करने और सही जानकारी न देने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ नियमानुसार कानूनी कार्यवाही करने के निर्देश दिये।
उन्होंने कहा कि प्रोटोकॉल पर किताब प्रकाशित किया जाना चाहिये ताकि अधिकारियों को यह पता रहे कि उन्हें सांसदों और विधायकों के साथ कैसा व्यवहार करना है। उनका इस संबंध में राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखने की इच्छा है। पत्र में यह भी कहेंगे कि नये नियुक्त होने वाले अधिकारियों के प्रशिक्षण में प्रोटोकोल से संबंधित विषय भी शामिल होना चाहिए।प्रोटोकोल पर पुस्तक प्रकाशित करने का निर्णय निर्णय लेने के लिये विधान परिषद की विशेषाधिकार समिति से अनुरोध करेंगे है। इस पुस्तक में उन परिपत्रों को भी संकलित किया जाएगा जिन्हें केन्द्र और बिहार सरकार व झारखण्ड सरकार ने समय-समय पर प्रोटोकोल को लेकर जारी किए हैं। इसके लिए संसदीय आचार से संबंधित जिन पुस्तकों में प्रोटोकोल को लेकर सामग्री है उन्हें भी इसमें संग्रहित किया जाएगा। जिसे विधानसभा के अन्य सदस्यों के साथ विचार – विमर्श के पश्चात एक लिखित पत्र के रूप में दिए जाने की उनकी मंशा है । वार्तालाप के क्रम में उन्होंने विधान सभा से लेकर जिला प्रशासन के द्वारा कई बार बांटे गये निमंत्रण और अन्यान्य पत्रों में संसद , विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों के नाम के पहले माननीय सदस्य न लिखे होने का मामला उठाते हुए कहा कि संसद , विधायक आदि चूंकि सदन के विशेषाधिकार प्राप्त सदस्य हैं उनका नाम इस तरह लिखा जाना उनका अपमान है। श्री उराँव ने कहा कि कि अधिकारीगण पहले भी सांसद , विधायकों और अन्यान्य जनप्रतिधियों का सम्मान न करने और उनका अपमान करने की अक्षम्य भूलें करते रहे हैं और विधानसभा में पीठ से इस विषय में कड़े निर्देश जारी होने चाहिये।
उन्होंने अधिकारियों पर ठीक ढंग से बात न करने का आरोप भी लगाया। उनका का आरोप था कि पहले तो अधिकारी फोन ही नहीं उठाते। उसके बाद फोन उठाने पर बात करने वाले सही तरह से बात नहीं करते ।उन्होंने कहा कि अधिकारियों को पता होना चाहिए कि राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री , राज्यपाल ,मुख्यमंत्री ,सांसद ,विधायक व अन्यान्य जनप्रतिधियों का क्या प्रोटोकोल है। सम्मानित सदस्य के साथ भी अधिकारियों द्वारा सम्मानित शब्दों से नहीं बोला जाता। इस पर राज्य के मुख्य सचिव और जिला उपायुक्तों को अधिकारियों को निर्देश दिया जना चाहिये कि वे सांसद , विधायकों व अन्यान्य जनप्रतिधियों के प्रोटोकोल को फोलो करें और उनके फोन उठाकर उन्हें आदरपूर्वक बात करें।
गुमला विधानसभा क्षेत्र के विधायक शिवशंकर उराँव से खास बात - चीत
गुमला विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक शिवशंकर उराँव ने एक खास मुलाकात में सरकारी सेवकों और जनप्रतिधियों अर्थात कार्यपालिका और विधायिका के सम्बन्धों और मान – सम्मान एवं व्यवहार पर विस्तार पूर्वक वार्तालाप की और सरकारी सेवकों , प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देश दिए कि वे सांसदों, विधायकों व अन्य जन प्रतिनिधियों को पूर्ण मान-सम्मान दें व प्रोटोकोल का हमेशा ध्यान रखे। इसके साथ ही उन्होंने उच्चाधिकारियों से लोंगों के साथ सही बर्ताव न करने और सही जानकारी न देने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ नियमानुसार कानूनी कार्यवाही करने के निर्देश दिये।
उन्होंने कहा कि प्रोटोकॉल पर किताब प्रकाशित किया जाना चाहिये ताकि अधिकारियों को यह पता रहे कि उन्हें सांसदों और विधायकों के साथ कैसा व्यवहार करना है। उनका इस संबंध में राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखने की इच्छा है। पत्र में यह भी कहेंगे कि नये नियुक्त होने वाले अधिकारियों के प्रशिक्षण में प्रोटोकोल से संबंधित विषय भी शामिल होना चाहिए।प्रोटोकोल पर पुस्तक प्रकाशित करने का निर्णय निर्णय लेने के लिये विधान परिषद की विशेषाधिकार समिति से अनुरोध करेंगे है। इस पुस्तक में उन परिपत्रों को भी संकलित किया जाएगा जिन्हें केन्द्र और बिहार सरकार व झारखण्ड सरकार ने समय-समय पर प्रोटोकोल को लेकर जारी किए हैं। इसके लिए संसदीय आचार से संबंधित जिन पुस्तकों में प्रोटोकोल को लेकर सामग्री है उन्हें भी इसमें संग्रहित किया जाएगा। जिसे विधानसभा के अन्य सदस्यों के साथ विचार – विमर्श के पश्चात एक लिखित पत्र के रूप में दिए जाने की उनकी मंशा है । वार्तालाप के क्रम में उन्होंने विधान सभा से लेकर जिला प्रशासन के द्वारा कई बार बांटे गये निमंत्रण और अन्यान्य पत्रों में संसद , विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों के नाम के पहले माननीय सदस्य न लिखे होने का मामला उठाते हुए कहा कि संसद , विधायक आदि चूंकि सदन के विशेषाधिकार प्राप्त सदस्य हैं उनका नाम इस तरह लिखा जाना उनका अपमान है। श्री उराँव ने कहा कि कि अधिकारीगण पहले भी सांसद , विधायकों और अन्यान्य जनप्रतिधियों का सम्मान न करने और उनका अपमान करने की अक्षम्य भूलें करते रहे हैं और विधानसभा में पीठ से इस विषय में कड़े निर्देश जारी होने चाहिये।
उन्होंने अधिकारियों पर ठीक ढंग से बात न करने का आरोप भी लगाया। उनका का आरोप था कि पहले तो अधिकारी फोन ही नहीं उठाते। उसके बाद फोन उठाने पर बात करने वाले सही तरह से बात नहीं करते ।उन्होंने कहा कि अधिकारियों को पता होना चाहिए कि राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री , राज्यपाल ,मुख्यमंत्री ,सांसद ,विधायक व अन्यान्य जनप्रतिधियों का क्या प्रोटोकोल है। सम्मानित सदस्य के साथ भी अधिकारियों द्वारा सम्मानित शब्दों से नहीं बोला जाता। इस पर राज्य के मुख्य सचिव और जिला उपायुक्तों को अधिकारियों को निर्देश दिया जना चाहिये कि वे सांसद , विधायकों व अन्यान्य जनप्रतिधियों के प्रोटोकोल को फोलो करें और उनके फोन उठाकर उन्हें आदरपूर्वक बात करें।

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