Thursday, 19 February 2015

पतझड़ के बाद हरियाली की एक नई चुनरी ओढ़ प्रकृति स्वागत कर रही है वसन्त का

पतझड़ के बाद हरियाली की एक नई चुनरी ओढ़ प्रकृति स्वागत कर रही है वसन्त का

गुमला । फाल्गुन मास के आगमन के साथ ही प्रारंभ हो चुकी परन्तु फाल्गुन के दिन जैसे-जैसे व्यतीत हो रहे हैं वैसे-वैसे लोगों में होली की मस्ती छाने लगी है। गुमला जिले में रंग और गुलाल उड़ाने की तैयारी जोरों पर है। आशा है इस बार भी  शांतिपूर्वक जिले में होली के पावन अवसर पर रंग-गुलेल,मीठे पकवान , हँसी-ठिठोली के साथ नागपुरी और फिल्मी गीतों का खूब रंग चढ़ेगा। ठेठ और आधुनिक नागपुरी, भोजपुरी और फिल्मी गीतों पर जिलेवासियों के खूब कदम थिरकेंगे।
फाल्गुन आते ही फाल्गुनी हवा मौसम के बदलने का एहसास करा ही देती है। कंपकपाती ठंड से राहत लेकर आने वाला फाल्गुन मास चतुर्दिक वन-पहाड़ों , नदी-नालों से घिरे गुमला जिले के लोगों के बीच एक नया सुख का एहसास करा रहा है। गुमला जिले में रवि फसल अत्यल्प मात्रा में ली जाती है ,फिर भी फाल्गुन मास से शुरू होने वाली वसन्त ऋतु रवि फसल ले रहे किसानों के खेतों में नई फसलों की सौगात देता अनुभव करा रहा  है।मानो  पतझड़ के बाद धरती के चारों तरफ हरियाली की एक नई चुनरी ओढ़ प्रकृति स्वागत कर रही है वसन्त का और बदले में वसन्त हर छोटे–बड़े पौधों में फूल खिला देता है । जिले के प्रकृति पसन्द और वन्य-प्रांतरों में विचरण करने वाले लोगों का कहना है कि सचमुच ऐसा लग रहा है जैसे एक नये सृजन की तैयारी लेकर आया है वसन्त । ऐसे में हर कोई वसन्त  में अपनी जिंदगी में भी हँसी, खुशी और नयापन भर लेना चाहता हैं। इसी वातावरण को भारतीय मानस , भारतीय चित्त ने एक त्योहार का नाम दिया होली। जैसे बसंत प्रकृति के हर रूप में रंग बिखेर देता है। ऐसे ही होली मानव के तन-मन में रंग बिखेर देती है। जीवन को नये उल्लास से भर देती है। उधर जिले के कृषकों का कहना है, मूलतः प्रकृति का पर्व होली नई फसलों और  प्रकृति के रंगो में सराबोर होने का त्योहार है। इसलिए इस पर्व को भक्ति और भावना के साथ प्रकृति के हर रूप से तादात्म्य होकर उसके अमूल्य धरोहरों को सहेजते हुए होली का त्योहार आनन्द और उलास से मानना चाहिए ।
उधर जिले के प्रायः सभी क्षेत्रों से मिल रही सुचना के अनुसार होली को आनन्द और उल्लास से मनाने के लिए जिलेवासियों ने तैयारियों को अन्तिम रूप देना प्रारंभ कर दिया है ।घर- मकानों के रंग – रोगन का कार्य अन्तिम चरण पर है । लोग नवीन वस्त्र , रंग , गुलेल , खाद्य सामग्री, और आवश्यकता की अन्य वस्तुओं का क्रय करने में लग गये हैं जिसके कारण इन वस्तुओं के विक्रेताओं के दुकानों पर भीड़ उमड़ पड़ी है ।सवारी वाहनों में लोगों की आवाजाही बढ़ गई है।जिसके कारण जिले के प्रायः सभी बस पड़ावों के साथ ही जिला और प्रखण्ड मुख्यालयों में अकस्मात भीड़ बढ़ गई है ।



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