Saturday, 21 February 2015

बन्दिस्तान के रूप में अब तक प्रसिद्ध गुमला अब अफवाहों के शहर के रूप में तब्दील

राँची , झारखण्ड से प्रकाशित बिरसा भूमि साप्ताहिक पत्र के दिनांक - ०९ फरवरी - १५ फरवरी २०१५ के अंक में रणधीर निधि का आलेख
बन्दिस्तान के रूप में अब तक प्रसिद्ध गुमला अब अफवाहों के शहर के रूप में तब्दील
-रणधीर निधि

ये गुमला शहर अफवाहों का शहर है !
यहाँ रोज - रोज हर मोड़ - मोड़ पे , फैलता है कोई न कोई अफवाह , अफवाह !!
जी हाँ मित्रों ! गुमला अब तक बन्दिस्तान अर्थात बन्दी के शहर के रूप में प्रसिद्ध हो रहा था , परन्तु अब गुमला अफवाहों के शहर के रूप में जाना जाने लगा है , कारण यह है कि यहाँ सदैव ही अफवाह फैलती है और उन अफवाहों के कारण आम जन सहित पुलिस - प्रशासनिक पदाधिकारी और पत्र-पत्रिकाओं एवं खबरिया चैनलों के नुमाइन्दे तक घंटों नहीं कई - कई दिनों तक हैरान , परेशान , हलकान रहते हैं और ऐसा कोई एक बार नहीं बल्कि अक्सरहा या यूं कहिये बार - बार होता है और फिर अंततः सारा भागादौड़ी सम्पूर्ण आपाधापी का परिणाम खोदा पहाड़ निकली चुहिया भी नहीं अपितु टांय – टांय फीस साबित होता है l अफवाहों के शहर के रूप में लोकख्यात हो रहे गुमला की ताज़ी अफवाह की घटना में एक विक्षिप्त ग्रामीण के द्वारा गत तीन फरवरी मंगलवार को उड़ाई गई अर्थात फैलाई गई सामूहिक हत्याकांड की अफवाह के कारण पुलिस - प्रशासन के अधिकारियों की नींद उड़ गई और पूरी रात अधिकारियों सहित जिले के पत्रकारगण व आम जनता सभी परेशान रहे और छह घंटे तक चले सघन तलाशी अभियान में भी पुलिस को कुछ हाथ नहीं लगा ।


गौरतलब है कि मंगलवार को यह खबर उड़ी थी कि गुमला जिला के घाघरा थाना क्षेत्र के बरांग गाँव के समीप पतरा अर्थात जंगल में सात लोगों की नक्सलियों ने सामूहिक हत्या कर दी है ,परन्तु उक्त घटना की पुष्टि कोई नहीं कर रहा था। बुधवार सुबह जब गुमला के पुलिस अधीक्षक भीमसेन टुटी के नेतृत्व में घाघरा थाना क्षेत्र के बर्रांग, चटमदाग, गोरियाडीह, तुरियाडीह, बरटोली, सेहल जैसे गाँवों में सघन तलाशी अभियान चलाया गया तो कहीं से भी क्षेत्र में हत्या होने का कोई सुराग नहीं मिला और सामूहिक हत्याकांड की बात झूठी और बिलकुल निराधार साबित हुई।
घंटों तक करीब छः – सात किलोमीटर के दायरे में चलाये गये सघन तलाशी अभियान के दौरान पुलिस को पता चला कि एक विक्षिप्त किसान गोपी महतो ने यह अफवाह फैलायी थी कि घाघरा थाना क्षेत्र के बरांग गाँव के समीप पतरा अर्थात जंगल में सात लोगों की नक्सलियों ने सामूहिक हत्या कर दी है । ग्रामीणों ने बताया कि गोपी विक्षिप्त होने के साथ ही शराबी भी है । यह जान पुलिस अधीक्षक भीमसेन टूटी ने गोपी महतो से पुछताछ की तो उसने बताया कि मंगलवार को सुबह जब वह अपने खेत कि जुताई कर रहा था ,तभी उसे गोली चलने की आवाज सुनाई दी थी । सेना की वर्दी पहने हुए करीब एक सौ हथियारबन्द लोग यहां आये थे। उसने उनलोगों को अपना खाना भी खिला दिया। उनलोगों ने पांच लोगों को गोली मार दी। ग्रामीणों ने बतलाया कि
शादी में हुई आतिशबाजी से फायरिंग का भ्रम हुआ होगा । गांव के ही कुछ लोगों ने बताया कि गोपी महतो पहले भी इस तरह की हरकतें कर चुका है तथा वह मानसिक रूप से बीमार है। गाँव वालो ने बताया कि गोरियाडीह गांव में किसी परिवार में शादी थी। वहां हुई आतिशबाजी के कारण ही गोपी को गोली चलने का भ्रम हुआ और उसने यह बात फैला दी । बात यहीं खतम हो जाती तो बात और थी परन्तु गोपी महतो यहाँ के बाद बगल के सेहल गांव पहुंच गया, जहां साप्ताहिक बाजार लगा हुआ था , गोपी ने सरेबाजार गोली चलने और लोगों के मारे जाने की बात ग्रामीणों को भी बतला दी। इसके बाद देखते ही देखते जंगल में आग की भान्ति बर्रांग में सात लोगों की सामूहिक हत्या की अफवाह इलाके में फैल गयी। इस सन्दर्भ में गुमला के पुलिस अधीक्षक भीमसेन टूटी ने पत्रकारों को दिए वयान में इस पर क्षोभ व्यक्त करते हुए बताया कि सच्चाई जानने के लिए जब इलाके में सघन तलाशी अभियान चलाया गया तो यह बात निराधार साबित हुई। यह अलग बात है कि इस झूठी घटना को कई खबरिया चैनल पहले लिये गए विजुअल के साथ परोसते रहे। प्रिंट मीडिया में भी इस अफवाह को अच्छी खासी जगह मिल गई थी। इधर कुछ लोगों ने इस बात की भी आशंका जतायी है कि एक सोची समझी चाल की तहत उग्रवादियों ने यह अफवाह फैलायी थी, ताकि खोजबीन के लिए आये पुलिस बल को निशाना बनाया जा सके। खैर जो भी हो अंततः मामला शून्य साबित हुआ और पुलिस-प्रशासन के अधिकारी , पत्रकार  और ग्रामीण दिन - रात व्यर्थ परेशान होकर अपनी ऊर्जा नष्ट करते रहे ।

ऐसी ही एक अफवाह की घटना में गत २३ जनवरी २०१५ दिन शुक्रवार की सुबह अचानक यह सूचना फैली कि गुमला व जसपुर जिले के सीमावर्ती रायडीह क्षेत्र में माओवादियों द्वारा कुछ स्कूली बच्चों का अपहरण कर उन्हें बंधक बना लिया है। इस सूचना पर रायडीह, गुमला , सिमडेगा और जशपुर (छतीसगढ़) की पुलिस भी सक्रिय हुई और अपने-अपने क्षेत्र में जंगलों व पहाड़ों में बच्चों की खोज एवं अपहरण की सूचना की पुष्टि के लिए दर –बदर भटकती रही। बाद में यह सूचना महज अफवाह निकली एवं दोनों राज्य के पुलिस के अधिकारियों ने राहत की सांस ली। बाद में एक पुलिस पदाधिकारी ने बताया कि सिमडेगा जिला के कुरडेग में एक स्कूल में कुछ नक्सली शिक्षक से लेवी वसूली करने आए थे एवं इस कारण बच्चों के अपहरण की अफवाह फैल गई। इस सम्बन्ध में गुमला के पुलिस अधीक्षक भीमसेन टूटी ने बताया कि इस तरह की लिखित रूप से सूचना कोई नहीं मिली है यदि कोई लिखित सूचना मिलती है तो इस पर कार्रवाई की जाएगी। तो इस तरह स्कूली बच्चों के अपहरण हो जाने की सूचना गुमला की हवा में फैली जिस खबर पर घंटों जंगलों - पहाड़ों में भटकती रही पुलिस और फिर अंततः झूठी साबित हुई यह खबर । एक दशहरे की शाम रावण दहन के पश्चात गुमला में मेलेरूपी भीड़ में अत्यधिक वोल्ट वाले विद्युत तार के टूट कर गिर जाने की खबर फैली और फिर शीघ्र ही लोग दौड़ने लगे , लेकिन समीप ही उपस्थित पुलिसकर्मियों द्वारा लोगों को समझाने और इसे अफवाह की बात कहे जाने पर धीरे - धीरे भीड़ की दौड़ा - दौड़ी अर्थात धावकता काम हुई । इस प्रकार की दर्जनों उल्लेखनीय अफवाह की घटनाएं जिले में घट चुकी हैं जिससे अधिकारी से लेकर आम जन तक हलकान हो चुके हैं ।
गुमला जिला नक्सली बन्दी के लिये प्रसिद्ध है । बन्दी का यह सिलसिला यहाँ पूर्ववर्ती बिहार राज्य के समय से ही यदा - कदा हों प्रारंभ हुआ था , परन्तु झारखण्ड राज्य पुनर्गठन के पश्चात इसमें अकस्मात वृद्धि हुई । यहाँ अक्सर ही बन्दी बुलाई जाती है । कभी राजनीतिक पार्टियों के द्वारा , कभी सामाजिक संगठनों के द्वारा ,कभी छात्र संघों के द्वारा तो कभी नक्सलियों के द्वारा । कभी - कभी तो यहाँ के लोगों ने पूरे सप्ताह भर तक बन्दी का सामना करते हुए अथाह दुःख झेला है , परन्तु वाह रे गुमला के लोगों की दरियादिल्ली लाख दुःख के बावजूद उफ़ तक नहीं कि गुमला वासियों ने और बन्दी में सब प्रकार के दुःख हंस कर झेले । गुमला वासियों आपको स्मरण होगा आपने ऐसी बन्दी अलग राज्य हेतु और विभिन्न नक्सली संगठनों के द्वारा अपनी मांगों के समर्थन में बुलाये गये बन्दी के समर्थन में झेली है । खैर कहने की बात यह है कि गुमला में बन्दी आम बात है और यहाँ बन्दी की बात, बन्दी का नाम सुनते ही लोग अपना दूकान - दौरी बन्द कर अपने घरों में दुबक जाते हैं ,कारण यह है कि कई बार बन्दी के दिनों में लोगों के मारे जाने , सवारी और माल दोने वाले वाहनों के जलाये जाने की घटनाएँ जिले में घट चुकी हैं । इस बन्दी की अफवाह की सुचना पर भी जिले में कई महत्वपूर्ण बन्दियाँ हो चुकी हैं । एकाध वर्ष पूर्व की बात है कि गुमला में एक रविवार को खबर फैली कि कल नक्सली बन्दी है । लोगों ने पूछा कि किसने यह बन्दी बुलाई है ? उत्तर नदारद , फिर भी सोमवार को बन्दी पूर्ण सफल ।बन्द अभूतपूर्व रहा। नक्सलियों के भय से चौबीस घंटे तक गुमला की जिंदगी थमी रही। वैसे कहीं से अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली , परन्तु दिनभर नक्सली घटना की अफवाह हवा में उड़ती रही। केवल अफवाह में फैली बन्दी की इस पर नक्सलियों के डर से शहर से गांव तक सन्नाटा पसरा रहा। वाहनों का परिचालन पूर्णतः ठप रहा। चाय, पान तक की दुकान नहीं खुली। सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। बन्द से दिहाड़ी श्रमिकों पर व्यापक असर पड़ा । बंद के कारण जिले में दो करोड़ रुपए का व्यवसाय प्रभावित हुआ। नक्सलियों की भय से करीब हजार बॉक्साइट ट्रकों के पहिए रुके रहे। इससे बीस हजार लोग प्रभावित हुए हैं। ट्रकों के पहिए रुकने से मजदूर, खलासी, चालक व पठारी इलाकों में छोटे मोटे होटल करने वाले गरीब लोग सीधे नुकसान में रहे। बॉक्साइट का लोडिंग व अनलोडिंग नहीं होने से लगभग एक करोड़ रुपए का व्यवसाय प्रभावित हुआ है। बिशुनपुर व घाघरा प्रखंड में दर्जनाधिक संचालित सभी माइंस पर ताला लटका रहा। नक्सलियों की बन्दी ने गुमला जिले की अर्थव्यवस्था को भी बुरी तरह प्रभावित किया । गुमला जिले की पुलिस दिन भर परेशान परन्तु पत्ता करने पर मालूम हुआ कि बन्दी बुलाने वाला कोई नहीं ।अब पुलिस यह मालूम करने में जुटी कि आखिर बन्दी की यह अफवाह कहाँ से उड़ी ? दो दिनों की मश्शक्कत के बाद पुलिस को यह सुराग हाथ लगी कि बन्दी का यह शिगूफा बस पड़ाव से छोड़ी गई । यह भी पत्ता चला कि कुछ पियक्कड बसएजेंटों बसकर्मियों ने बस पड़ाव में पीकर यह अफवाह फ़ैलाने उद्देश्य से आपस में बातें की जो अन्य लोगों ने भी सुनी और फिर बन्दी की खबर पूरे शहर में फ़ैल गई । खबर का यह प्रभाव हुआ कि दूसरे दिन किसी भी उग्रवादी संगठन के बिना बुलाये ही नक्सली बन्दी की अफवाह मात्र से गुमला और जिले के समीपस्थ शहर पूर्णतः बन्द , ठप्प हो गये । तो यह है गुमला में बन्दी की कथा । यहाँ अफवाह मात्र से बन्दी सफल हो जाती है , इसी कारण गुमला को बन्दिस्तान के नाम से जाना जाता है परन्तु अब अफवाहों के शहर के रूप में गुमला तेजी से अपना कदम बढ़ाने लगा है , जहाँ अक्सर ही अफवाह फैलती है और आम जन के साथ पुलिस प्रशासनिक अधिकारी और पत्रकार व्यर्थ ही हैरान , परेशान और हलकान होते हैं । गुमलावासियों ! चरवाहे की भेड़िया आया , भेड़िया आया कथा आपने अवश्य सुनी होगी । कथा में अफवाह फ़ैलाने वाले चरवाहे की अंततः हुई दुर्गति के समान ही अफवाह और अफवाह फैलाने वालों का अर्थात असत्य का अन्त होना सुनिश्चित है । अफवाह से लाभ नहीं वरन स्वयं का हानि , अहित , दुर्गति और सदैव ही बुरा होना निश्चित है इसलिए गुमलावासियों ! अफवाह और अफवाह फैलाने वालों अर्थात असत्यता से बचो और व्यर्थ सरकारी अधिकारियों , पत्रकारों और भोले - भाले ग्रामीणों , शहरियों और कस्बाइयों को कठिनाई अर्थात परेशानी में मत डालो । आपका सदैव कल्याण होगा ।











गुमला विधायक शिवशंकर उराँव को झारखण्ड मंत्रीमंडल में शामिल नहीं किए जाने से लोगो में काफी निराशा

गुमला विधायक शिवशंकर उराँव को झारखण्ड  मंत्रीमंडल में शामिल नहीं किए जाने से  लोगो में काफी निराशा 

गुमला : विद्वान , शिक्षाविद और राज्य के समग्र विकास को संकल्पित गुमला विधायक शिवशंकर उराँव को झारखण्ड की चिरप्रतीक्षित मंत्रीमंडल के विस्तार में शामिल नहीं किए जाने से गुमला जिले के लोगो में काफी निराशा छाई हुई है और वे झारखण्ड मंत्रिमंडल में एक रिक्त पद को शिव शंकर उराँव के लिये सुरक्षित मान इसकी घोषणा की ओर गिद्ध भारी दृष्टि से टकटकी लगाये देख रहे हैं । भाजपा के लोग तो इस बारे में आशान्वित नजर आ ही रहे हैं , विपक्षी भी क्षेत्र के विकास हेतु इसे आवश्यक मान रहे हैं विगत विधानसभा चुनाव शिवशंकर उराँव के विरूद्ध झारखण्ड पार्टी के टिकट पर लड़ने वाले जिला परिषद सदस्य हांदू भगत ने इस सम्बन्ध में दिए गये अखबारिया वयान में कहा है कि झारखण्ड में मंत्रीमंडल के विस्तार में गुमला विधायक शिवशंकर उराँव को शामिल नहीं किए जाने से यहां के लोगो में काफी निराशा हुई है। शिक्षाविद शिवशंकर उराँव को चुनाव के बाद पत्र-पत्रिकाओं और खबरिया चैनलों ने मुख्यमंत्री के प्रमुख दावेदारों में शामिल किया था। लेकिन उन्हें मंत्रीमंडल में भी जगह नहीं दी गई। उन्होंने कहा है कि श्री उरांव द्वारा बीते दिन गुमला में लगाए गए विकास मेला में ऑनलाइन उद्घाटन का विरोध किए जाने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा है। गुमला, लोहरदगा व सिमडेगा क्षेत्र से एक भी विधायक को मंत्री मंडल में शामिल नहीं किया गया है। जबकि ये तीन जिला आदिवासी बहुल व पिछड़े हुए हैं।क्षेत्र के ग्रामीणों ने इस मामले में कहा कि अच्छे और विकास के लिये समर्पित लोगों को बेईमान अपने राह की काँटा समझ उसके समक्ष सदीव ही बाधा खड़ी करने की कोशिश करते हैं । यही कारण है कि विरोधियों ने , लूट-खसोट में संलग्न लोगों ने शिवशंकर उराँव के मार्ग में बढ़ा उत्पन्न करने की कोशिश की है परन्तु सत्य मार्ग ,लोगों के कल्याण की राह पर चलने वालों की जीत अवश्य होती है ।उधर विधायक के अतिउत्साही समर्थकों  ने कहा कि शिवशंकर मंत्रिमंडल में अवश्य स्थान पाएंगे ।

Thursday, 19 February 2015

पतझड़ के बाद हरियाली की एक नई चुनरी ओढ़ प्रकृति स्वागत कर रही है वसन्त का

पतझड़ के बाद हरियाली की एक नई चुनरी ओढ़ प्रकृति स्वागत कर रही है वसन्त का

गुमला । फाल्गुन मास के आगमन के साथ ही प्रारंभ हो चुकी परन्तु फाल्गुन के दिन जैसे-जैसे व्यतीत हो रहे हैं वैसे-वैसे लोगों में होली की मस्ती छाने लगी है। गुमला जिले में रंग और गुलाल उड़ाने की तैयारी जोरों पर है। आशा है इस बार भी  शांतिपूर्वक जिले में होली के पावन अवसर पर रंग-गुलेल,मीठे पकवान , हँसी-ठिठोली के साथ नागपुरी और फिल्मी गीतों का खूब रंग चढ़ेगा। ठेठ और आधुनिक नागपुरी, भोजपुरी और फिल्मी गीतों पर जिलेवासियों के खूब कदम थिरकेंगे।
फाल्गुन आते ही फाल्गुनी हवा मौसम के बदलने का एहसास करा ही देती है। कंपकपाती ठंड से राहत लेकर आने वाला फाल्गुन मास चतुर्दिक वन-पहाड़ों , नदी-नालों से घिरे गुमला जिले के लोगों के बीच एक नया सुख का एहसास करा रहा है। गुमला जिले में रवि फसल अत्यल्प मात्रा में ली जाती है ,फिर भी फाल्गुन मास से शुरू होने वाली वसन्त ऋतु रवि फसल ले रहे किसानों के खेतों में नई फसलों की सौगात देता अनुभव करा रहा  है।मानो  पतझड़ के बाद धरती के चारों तरफ हरियाली की एक नई चुनरी ओढ़ प्रकृति स्वागत कर रही है वसन्त का और बदले में वसन्त हर छोटे–बड़े पौधों में फूल खिला देता है । जिले के प्रकृति पसन्द और वन्य-प्रांतरों में विचरण करने वाले लोगों का कहना है कि सचमुच ऐसा लग रहा है जैसे एक नये सृजन की तैयारी लेकर आया है वसन्त । ऐसे में हर कोई वसन्त  में अपनी जिंदगी में भी हँसी, खुशी और नयापन भर लेना चाहता हैं। इसी वातावरण को भारतीय मानस , भारतीय चित्त ने एक त्योहार का नाम दिया होली। जैसे बसंत प्रकृति के हर रूप में रंग बिखेर देता है। ऐसे ही होली मानव के तन-मन में रंग बिखेर देती है। जीवन को नये उल्लास से भर देती है। उधर जिले के कृषकों का कहना है, मूलतः प्रकृति का पर्व होली नई फसलों और  प्रकृति के रंगो में सराबोर होने का त्योहार है। इसलिए इस पर्व को भक्ति और भावना के साथ प्रकृति के हर रूप से तादात्म्य होकर उसके अमूल्य धरोहरों को सहेजते हुए होली का त्योहार आनन्द और उलास से मानना चाहिए ।
उधर जिले के प्रायः सभी क्षेत्रों से मिल रही सुचना के अनुसार होली को आनन्द और उल्लास से मनाने के लिए जिलेवासियों ने तैयारियों को अन्तिम रूप देना प्रारंभ कर दिया है ।घर- मकानों के रंग – रोगन का कार्य अन्तिम चरण पर है । लोग नवीन वस्त्र , रंग , गुलेल , खाद्य सामग्री, और आवश्यकता की अन्य वस्तुओं का क्रय करने में लग गये हैं जिसके कारण इन वस्तुओं के विक्रेताओं के दुकानों पर भीड़ उमड़ पड़ी है ।सवारी वाहनों में लोगों की आवाजाही बढ़ गई है।जिसके कारण जिले के प्रायः सभी बस पड़ावों के साथ ही जिला और प्रखण्ड मुख्यालयों में अकस्मात भीड़ बढ़ गई है ।



Tuesday, 17 February 2015

गुमला जिले में श्रद्धा एवं उत्साह के साथ समारोहपूर्वक मना महाशिवरात्रि का पर्व

गुमला जिले में श्रद्धा एवं उत्साह के साथ  समारोहपूर्वक मना महाशिवरात्रि का पर्व

गुमला  । गुमला जिले में श्रद्धा एवं उत्साह के साथ  समारोहपूर्वक महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है , जो  अनवरत शिवपूजा व शिव चर्चा के साथ कल तक चलेगा । शिवभक्तों ने सुबह ब्रह्ममुहूर्त में स्थानीय जल स्रोतों में डुबकी लगाई और जल लेकर स्थानीय शिवमन्दिर पहुंचे और पंक्ति में लगकर आदि महादेव शिव को जलार्पण कर बेल, धतूरा और दूध अर्पित किया।  ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन पवित्र जल सरोवरों में स्नान करके भगवान शिव की पूजा करने से सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।महाशिवरात्रि पर्व पर सुबह-सबेरे से ही गुमला जिले के शिवमंदिरों , शिवालयों में जलाभिषेक के साथ पूजा अर्चना करने के लिए श्रद्धालुओं के बम-बम भोले और हर-हर महादेव के जयकारों के साथ पहुंचना शुरू हो गया। जिले के प्रायः सभी  शिवालयों में शिव की महिमा का गुणगान करने के लिए भक्त सुबह के चार बजे से दूध, जल, बिल्वपत्र और बेर शिव को अर्पण करने के लिए पहुँचने शुरू हो गए। जिला मुख्यालय स्थित करमटोली के बुध महादेव शिवमन्दिर , सिसई प्रखण्ड के मुरगु ग्राम अवस्थित बाबा चरणनाथ (चरैयाँनाथ) शिवमन्दिर, नागफेनी के दक्षिणी कोयल नदी तट पर स्थित अष्टकमलनाथ सती महादेव,डोइसानगर शिवमंदिर, भरनो के ब्लोकेश्वर शिवमन्दिर, पालकोट के पम्पापुर पहाड़ी व देवगांव स्थित शिवमन्दिर ,डुमरी के प्रसिद्ध शिवधाम टांगीनाथ , घाघरा के देवाकी, बिशुनपुर के कोईलेश्वर महादेव सहित जिले के प्रायः सभी छोटे-बड़े शिवमन्दिरों को महाशिवरात्रि के अवसर पर सजाया गया है। जिले के अनेक  शिव मंदिर में दर्शन करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त से ही हजारों शिव भक्त दर्शन के लिए कतार में लग गए थे। जिले के सभी प्रखण्डों में महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया गया और शिवालयों में शिवभक्तों के द्वारा लाए गए जल से भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया गया। भगवान शिव को उनके प्रिय भंगोटे का भोग लगाया गया।श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर जुलूस भी निकाले। उधर मुरगु के बाबा चरणनाथ महादेव शिवमन्दिर में दो दिनी शिव पूजन सह उत्सव का आयोजन किया गया है , जिसमें महाशिवरात्रि के एक दिन पूर्व १६ फरवरी दिन मंगलवार को दक्षिणी कोयल नदी के नागफेनी तट की राजाधारा से एक सौ आठ महिलाओं ने कलश में जल लेकर तीन किलोमीटर की दूरी कलश यात्रा के रूप में तय कर चरणनाथ शिवमन्दिर में पूजा - अर्चा व जलाभिषेक हेतु समारोहपूर्वक जल लेकर आई।इस कलश यात्रा में  स्थानीय विधायक और झारखण्ड विधानसभा के अध्यक्ष दिनेश उराँव विशेष रूप से उपस्थित थे ।

सिसई प्रखण्ड के मुरगु ग्राम अवस्थित बाबा चरणनाथ (चरैयाँनाथ) शिवमन्दिर, नागफेनी के दक्षिणी कोयल नदी तट पर स्थित अष्टकमलनाथ सती महादेव,डोइसानगर शिवमंदिर, पालकोट के पम्पापुर पहाड़ी व देवगांव स्थित शिवमन्दिर ,डुमरी के प्रसिद्ध शिवधाम टांगीनाथ आदि प्राचीन शिवमन्दिर होने के कारण इन स्थलों पर महा शिवरात्रि के अवसर पर दर्शन करने वालों का सिलसिला देर शाम तक रहता है। पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था के लिए शिवालयों में पुख्ता इंतजाम किए हैं।सिसई प्रखण्ड के मुरगु ग्राम अवस्थित बाबा चरणनाथ (चरैयाँनाथ) शिवमन्दिर में मन्दिर के सेवक जनक गिरी के साथ शिवपूजन में लीन आचार्य बिनोदानन्द पाठक ने अत्यन्त व्यस्त समय में से समय निकलकर बतलाया कि इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व मंगलवार को उच्च शिगत गुरू शुक्र के मंगलकारी योग में महाकल्याणकारी होने के कारण चार प्रहर की पूजा श्रेष्ठ फलदायी होने के कारण मंदिरों में आस्था का सैलाव उमडा हुआ है। मंदिर में भगवान भोलेनाथ का रूद्राभिषेक और जलाभिषेक करने वालों का तांता लगा हुआ है। बाबा चरणनाथ शिवमन्दिर सहित बड़का पोखरा के तट पट स्थित शिवालय में पूजा अर्चना के लिए क्षेत्र के विभिन्न इलाकों से हजारों लोग पहुंचे और यहाँ सुबह से भोलेनाथ को रिझाने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।  जिले से सभी क्षेत्रो से मिल रही सुचना के अनुसार शिवमन्दिरों , शिवालयों और अन्यान्य शिव से सम्बंधित देवस्थलों में श्रद्धालु भक्तों के द्वारा  पूजा अर्चना का दौर सुबह से शुरू हो गया था। इस पवन अवसर पर कई स्थानों पर प्रतीक स्वरुप शिव - पार्वती के जुलुस निकाले जाने भी सुचना है। जिले के मुरगु के चरणनाथ ,  , टांगीनाथ, , करमटोली , पालकोट, देवगांव, देवाकी के साथ ही कई स्थलों पर स्थित शिवमंदिरों में शिव से सम्बंधित कई प्रकार के आयोजनों के साथ ही चौबीस व छतीस घंटें का अखण्ड हरिकीर्त्तन आदि भी आयोजन किये गये हैं  । इन स्थलों पर मेले का सा दृश्य उत्पन्न हो गया है जहाँ भान्ति-भान्ति के वस्तुओं की खरीद-बिक्री हो रही है ।श्रद्धालुओं ने बेर , बूटझंगरी, स्थानीय मिठाइयां और शकरकंदी की भी खरीदारी की।

Sunday, 8 February 2015

पालकोट प्रखण्ड के नाजीर निरंजन कुमार से व्यक्ति लाभ हेतु मनमाने ढंग से मनरेगा की राशि का एफटीओ करने के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण

पालकोट प्रखण्ड के नाजीर निरंजन कुमार से व्यक्ति लाभ हेतु मनमाने ढंग से मनरेगा की राशि का एफटीओ करने के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण 

महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना (मनरेगा) के अन्तर्गत गुमला जिले में  मनरेगा कर्मियों द्वारा मनमानी पूर्वक कार्य कर अपने व्यक्तिगत लाभ हेतु सरकारी निधि की बन्दरबाँट की जा रही है ।सरकारी निधि की हेराफेरी की जा रही है । मनरेगा के कार्यों में अनियमितताओं के लिये जिले में कुख्यात पालकोट प्रखण्ड में मामला उजागर होने के बाद इस सम्बन्ध में उपायुक्त सह जिला कार्यक्रम समन्वयक का कार्यालय ,गुमला (मनरेगा कोषांग) के द्वारा ज्ञापांक - २८ / गो० दिनाँक -०४/ ०२/ २०१५ के माध्यम से पालकोट प्रखण्ड कार्यालय के नाजीर निरंजन कुमार को पत्र प्रेषित कर मनरेगा अन्तर्गत निर्देशों का अवहेलना कर प्रखण्ड विकास पदाधिकारी का डिजिटल सिग्नेचर अनधिकृत रूप से अपने पास रखकर अपने व्यक्तिगत लाभ हेतु मनमाने ढंग से फण्ड ट्रांसफर ऑर्डर (एफटीओ) जेनरेट करने के सम्बन्ध मे स्पष्टीकरण पूछते  हुए कहा गया है कि आप दो दिनों के अंदर स्पष्ट करें कि क्यों नहीं , प्रखण्ड विकास पदाधिकारी का डिजिटल सिग्नेचर अनधिकृत रूप से अपने पास रखने एवं निर्देश की अवहेलना कर मनमाने ढंग से अपने व्यक्तिगत लाभ हेतु योजनाओं का एफटीओ जेनरेट करने और सरकारी राशि का दुरूपयोग करने के आरोप में आपके विरूद्ध थाने में प्राथमिकी दर्ज की जाये तथा आपको निलंबित किया जाये ? उपलब्ध जानकारी के अनुसार मनरेगा कोषांग, गुमला के पत्रांक - ५० दिनाँक - ३ / ०१ / २०१५ के द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीणरोजगार गारंटी योजनान्तर्गत संचालित योजनाओं में कृषि प्रक्षेत्र में ६० प्रतिशत से कम व्यय के कारण जिले के सभी प्रखण्ड विकास पदाधिकारियों से स्पष्टीकरण निर्गत किया गया है ।इसके साथ ही पत्रांक - ६० दिनाँक- २७ / ०१ / २०१५ के द्वारा स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि जब तक प्रखण्ड का कृषि में व्यय ६० प्रतिशत नहीं हो जाता है तब तक ग्रामीण पथों में व्यय नहीं किया जाएगा । मनरेगा कोषांग के द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए जाने के बावजूद दिनाँक ०४ / ०२ / २०१५ को एम आई एस में परिलक्षित हो रहे वित्तीय प्रतिवेदन की समीक्षा में पाया गया कि गुमला जिले के पालकोट प्रखण्ड के द्वारा ग्रामीण पथ में व्यय हेतु रोक लगाये जाने बावजूद निर्देश का खुल्लमखुला उल्लंघन कर दिनाँक - २३ / ०१ २०१५ से  दिनाँक - ०४ / ०२ /२०१५ के बीच १९.५२  लाख (उन्नीस लाख बावन हजार) व्यय किया गया है । अपने पदस्थापना काल विवादित रहे पालकोट के प्रखण्ड विकास पदाधिकारी सतीश कुमार से जब इस सम्बन्ध में मनरेगा कोषांग के अपर जिला कार्यक्रम समन्वयक , गुमला के द्वारा दूरभाष पर पृच्छा की गई तो उन्होंने बतलाया कि प्रखण्ड नाजीर निरंजन कुमार  के द्वारा अनधिकृत रूप से उनका अर्थात पालकोट के प्रखण्ड विकास पदाधिकारी का डिजिटल सिग्नेचर प्रयोग किया जा रहा है जो एक गंभीर मामला है । पालकोट प्रखण्ड कार्यालय के नाजीर निरंजन कुमार को संबोधित और उप विकास आयुक्त सह अपर जिला कार्यक्रम समन्वयक , गुमला के हस्ताक्षरयुक्त मनरेगा कोषांग के ज्ञापांक - २८ /गो० दिनाँक - ०४ / ०२ / २०१५ की प्रति जिले के उपायुक्त सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के साथ ही सभी प्रखण्ड विकास पदाधिकारियों को देते हुए नाजीर निरंजन कुमार से कहा गया है कि आप अपना स्पष्टीकरण प्रखण्ड विकास पदाधिकारी के माध्यम से दो दिनों के अंदर उपलब्ध करना सुनिश्चित करें साथ ही यह निर्देश दिया जाता है कि पत्र प्राप्ति के साथ प्रखण्ड विकास पदाधिकारी का डिजिटल सिग्नेचर उन्हें हस्तगत करा दें । पत्र की प्रति पालकोट के प्रखण्ड विकास पदाधिकारी को सूचनार्थ देते हुए निर्देश दिया गया है कि नाजीर निरंजन कुमार से ससमय स्पष्टीकरण प्राप्त कर अपने मंतव्य के साथ प्रतिवेदन उपलब्ध करना सुनिश्चित करें । पत्र में ही सभी प्रविपदाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि फर्स्ट और सेकण्ड सिग्नेचरी अपना डिजिटल सिग्नेचर अपने पास रखेंगे और उसका स्वयं उपयोग करेंगे ,किसी अन्य व्यक्ति व्यक्ति को नहीं देंगे अन्यथा किसी प्रकार की गडबड़ी के लिये वे स्वयं जिम्मेवार होंगे ।
उधर पालकोट के मनरेगा के कार्यों पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि सारी गडबड़ी प्रविपदा सतीश कुमार की जानकारी में हुई है , परन्तु मामला उल्टा पड़ जाने के कारण उन्होंने अपने को पाक साफ़ बतलाते हुए सारी जिम्मेवारी नाजीर निरंजन कुमार के ऊपर मढ़ दी । उधर कुछ लोगों का कहना है कि नाजीर सदैव ही मनमानी पूर्वक अपने व्यक्तिगत लाभ हेतु सरकारी योजनाओं में कार्य करने के लिये कुख्यात है । विश्वस्त सूत्रों ने बतलाया कि भरनो प्रखण्ड में नाजीर निरंजन कुमार ने डोम्बा ग्राम के चार मृत व्यक्तियों के नाम पर इंदिरा आवास योजना स्वीकृत कराकर सारा पैसा विचौलिये के माध्यम से हड़प ली थी , जिस मामले में निरंजन कुमार निलंबित भी हो चुका है और मामला अभी भी न्यायालय में विचाराधीन है । जानकर सूत्रों का कहना है कि मामला को ले – देकर सलटाने का प्रयास शुरू हो चुका है और इस मामले को लेकर प्रविपदा और नाजीर उपविकास आयुक्त से मिल भी चुके हैं । अब देखना यह है कि पहले से ही जारी भ्रष्टाचार के लिये प्रखण्ड के जनप्रतिनिधियों के विरोध और लिखा – पढ़ी के मध्य प्रखण्ड में मनरेगा जैसे महत्वपूर्ण योजना में उजागर इस अनियमितता और अपने व्यक्तिगत लाभ हेतु सरकारी राशि के दुरुपयोग के इस मामले में जिला प्रशासन क्या रूख अपनाता है या फिर नाजीर को जनप्रतिनिधियों के छाती पर चढ मूंग डालने को खुला सांड की भान्ति छोड़ देता है ?

Saturday, 7 February 2015

पालकोट प्रखण्ड के जनप्रतिनिधियों ने उपायुक्त से मिल प्रखण्ड कर्मियों भ्रष्ट नीति से निजात दिलाने की माँग की

पालकोट प्रखण्ड के जनप्रतिनिधियों ने उपायुक्त से मिल प्रखण्ड कर्मियों भ्रष्ट नीति से निजात दिलाने की माँग की 

गुमला । गुमला जिले के पालकोट प्रखण्ड के जनप्रतिधियों ने गत दिन बुधवार को उपायुक्त से मिल प्रखण्ड कर्मियों कीई भ्रष्ट नीति से निजात दिलाने की माँग की । पालकोट प्रखण्ड प्रमुख बिश्वासी लकड़ा के नेतृत्व में उपायुक्त से मिलने पहुंचे जनप्रतिनिधियों ने उपायुक्त को गत सोलह जनवरी को पालकोट प्रखण्ड परिसर में धोती – साड़ी वितरण कार्यक्रम में प्रमुख बिश्वासी लकड़ा के साथ प्रखण्ड विकास पदाधिकारी सतीश कुमार और मनरेगा में ठेका पर बहाल बीपीओ विनय कुमार गुप्ता के द्वारा सार्वजनिक रूप से प्रोटोकोल का उल्लंघन कर अपमानित किये जाने और फिर कार्यालय कक्ष में आकर जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए गाली – गलौज किये जाने की जानकारी देते हुए क़ानूनी कारर्वाई किये जाने की माँग की है । प्रतिनिधियों ने बीपीओ विनय कुमार गुप्ता , प्रखण्ड नाजीर निरंजन कुमार और प्रविपदा सतीश कुमार के भ्रष्ट और अनियमिततापूर्ण कार्यों की लिखित और मौखिक जानकारी देते हुए उन्हें स्थानांतरित कर उनके कार्यों की जाँच कराकर क़ानूनी कार्रवाई की माँग भी की। जनप्रतिनिधियों ने भेंट के बाद बतलाया कि उपायुक्त ने इस पर सकारात्मक फल करने की बात कही है ।जनप्रतिनिधियों नहे यह भी कहा कि वे इस मामले में तब तक चुप नहीं बैठेंगे जब तक दोषियों के विरूद्ध समुचित कारर्वाई नहीं होती । मिलने वालों में बिश्वासी ल्ज्दा के अतिरिक्त उपप्रमुख अरुण कुमार सिंह ,बंगरू पंचायत समिति सदस्य विमला देवी , बागेसेरा पंचायत समिति सदस्य वैदेही कुमारी के साथ ही अन्य पंचायत समिति सदस्य , मिखिया और वार्ड सदस्य गण  शामिल थे । अब देखना यह है कि इस मामले में क्या नया रंग लाता है अथवा जनप्रतिनिधियों की दौड – धुप टांय- टांय फीस साबित होती है ।

बालू उठाव नहीं होने से निर्माण और रोजगार कार्य प्रभावित

बालू उठाव नहीं होने से निर्माण और रोजगार कार्य प्रभावित 

गुमला । झारखण्ड सरकार द्वारा बालू घाटों की बंदोबस्ती रद्द किए जाने से सम्पूर्ण प्रदेश की भान्ति गुमला जिले में भी जहाँ सरकारी व व्यक्तिगत स्तर पर निर्माण कार्य बाधित हो रहे हैं वहीँ बालू उठाव कार्य में लगे मजदूरों के साथ ही बालू धुलाई में लगे वाहनों अर्थात ट्रक व ट्रैक्टर मालिकों के समक्ष रोजगार का संकट उत्पन्न खडा हो गया है । बैंकों से ऋण लेकर वाहन क्रय करने वालों वाहन मालिकों पर ऋण का बोझ के साथ ही वाहन में कार्य करने वाले मजदूरों को मजदूरी देने का अतिरिक्त बोझ बढता ही जा रहा है।उधर कुछ लोगों का कहना है कि जिले के विभिन्न नदी घाटों से बालू का उठाव चोरी छुपे आज भी जारी है और खनन विभाग आँख मूंदे है ।

दशकों से ट्रैक्टर से खेतों की जुताई व निर्माण सामग्री बालू, पत्थर के बोल्डर , चिप्स , मोरम के साथ ही सब्जी तथा अन्य कृषि उत्पादों के ढुलाई कार्य में संलग्न जिले के ट्रैक्टर मालिक बलराम बड़ाईक कहते हैं , सरकार के द्वारा बालू घाटों से बालू उठाव पर रोक लगा दिए जाने के कारण ट्रक व ट्रैक्टर वाहन मालिकों के समक्ष अतिरिक्त कठिनाई आ खड़ी हुई है। बैंक से ऋण लेकर वाहन खरीदने वालों पर तो जैसे गाज ही गिर पड़ी है और ऋण एवं मजदूरी का बोझ बढ़ता जा रहा है दूसरी ओर जिले में निर्माण कार्य व्यापक पैमाने पर प्रभावित हो रहे हैं और निर्माण उद्योग से जुड़े कई प्रकार के व्यवसाय भी प्रभावित हो रहे हैं । बलराम बड़ाईक ने सरकार  से  शीघ्रातिशीघ्र इस समस्या के समाधान की दिशा में सार्थक पहल किये जाने की माँग की है।
उधर सरकारी निर्माण कार्यों में होने वाली अनियमितताओं पर गहराई से नजर रखने वालों का कहना है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास के कड़े रुख के बाद भी अवैध पत्थर खनन व बालू उठाव पर लगाम नहीं कसा गया है ।  जिले में अवैध खनन, बालू उठाव व क्रशर का संचालन बेखौफ चल रहा है । ऐसे लोगों का कहना है कि जिला खनन विभाग भी हाथ पर हाथ धरे बैठी है और धड़ल्ले से विभिन्न नदियों से बालू का उठाव चल रहा है ।झारखंड लघु खनिज समनुदान नियमावली (संसोधन 2014) व झारखंड लघु खनिज समनुदान नियमावली 2004  का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन करते हुए अनियमित रूप से बगैर बंदोबस्ती के बालू के उठाव से सरकार को राजस्व का नुकसान अलग से हो रहा है  बालू की अवैध बिक्री प्रति ट्रैक्टर 800 से 1200 रुपये तक में हो रही है । इससे सरकार को प्रति माह एक से दो करोड रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है । उधर पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षो से जिले के प्रायः सभी क्षेत्रों में अवस्थित नदियों के घाटों में धड़ल्ले से ट्रैक्टर व जेसीबी के प्रयोग से बालू का उठाव किया जा रहा है जिसके कारण नदी के साथ आस- पास के कषेत्र का जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है , नदी अपना धारा बदल दूसरी मार्ग खोजने पर विवश हो रही है तथा नदी के साथ ही स्थानीय पर्यावरण की सुन्दरता , प्राकृतिक नैसर्गिकता नष्ट होने लगी है । प्रकृति प्रेमी पर्यवारणवादियों ने अनियमित बालू उठाव पर रोक लगाने की माँग की है ।जिले के कुछ लोगों का कहना है कि जिले में बालू घाटों की नीलामी हुई है अथवा नहीं या फिर हुई जिले में बालू घाटों की बंदोबस्ती रद की गई है या नहीं , यह पत्ता नहीं फिर भी जिले में प्रायः सभी क्षेत्रों में पूर्व की तरह नदियों से बालू ढोने का काम चल रहा है। रोक के बावजूद सुबह -सबेरे व रात्रि को गुमला के विभिन्न नदी घाटों से आंशिक रूप से बालू का उठाव हो रहा है। हालांकि यह उठाव जिले में हो रहे निर्माण कार्य में जरुरत के अनुरूप नहीं हो पा रहा है और बालू का नियमित उठाव नहीं होने से निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। ट्रैक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष दिलीप नाथ साहु ने सरकार से बालू घाटों से बालू उठाव के सम्बन्ध में शीघ्र आवश्यक कदम उठाने की माँग करते हुए समाचार पत्रों को दिए वयानों में कहा है कि जिले में बालू घाटों की नीलामी नहीं होने से बालू का उठाव नियमित नहीं हो पा रहा है। जिसका असर निर्माण कार्य पर पड़ रहा है तथा सीमेंट व छड़ का व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। वाहन मालिकों को बैंक का ऋण चुकाने में काफी परेशानी हो रही है। पालकोट प्रखण्ड मुख्यालय के सीमेंट व छड़ व्यवसायी दिलीप साहु ने बताया कि बालू घाटों की बंदोबस्ती व उठाव नियमित नहीं होने से व्यवसाय प्रभावित हो रहा है ।



Thursday, 5 February 2015

नेट से निकला आधार कार्ड लेने से इंकार किये जाने पर उपायुक्त से शिकायत

नेट से निकला आधार कार्ड लेने से इंकार किये जाने पर उपायुक्त से शिकायत

गुमला : एक ओर सरकार सर्वोच्च न्यायालय को जानकारी देती है कि सरकारी सुविधाओं को प्राप्त करने के लिये आधार कार्ड की कोई अनिवार्यता नहीं है दूसरी ओर सरकारी सुविधाओं का लाभ देने के लिये सरकारी सेवक आधार कार्ड लाभुकों और आम जनता से जबरन माँग रहे हैं जिसके कारण आम जनता की परेशानी बढती जा रही है ।उल्लेखनीय है कि जिले में आधार कार्ड का निर्माण पूर्व में ठेके पर विप्रो कम्पनी से कराया गया और अब यह काम जिले के प्रज्ञा केन्द्र कर रहे हैं । जिले के अधिकांश लोगों ने आधार कार्ड का निर्माण करने के लिये कई – कई दिनों तक कतार पर लगकर केन्द्र पर तस्वीर खिंचवा ली है , परन्तु बहुत से लोगों का आधार कार्ड डाक के मार्फत अब तक प्राप्त नहीं हो सकी है । इसलिए सरकारी विभागों अथवा बैंक के द्वारा आधार कार्ड मांगे जाने पर लोग मजबूरी में पैसे खर्च कर नेट से डाउनलोड कराकर दे रहे हैं , परन्तु सरकारी सेवकों और बैंकों के द्वारा डाक से प्राप्त आधार कार्ड मान्यता प्राप्त है यह कहकर नेट से निकलवाये आधार कार्ड को लेने से इनकार कर रहे हैं । परिणामस्वरूप आम जन की परेशानी बढती ही जा रही है ।कुछ ऐसा ही मामला गत दिन गुमला में प्रकाश में आया जब बैंक खाता को आधार कार्ड से जोड़ने के लिए नेट से निकाले गए आधार कार्ड की सत्यापित प्रति को उपभोक्ता द्वारा दिए जाने पर बैंक कर्मी ने लेने से इंकार कर दिया । जानकारी के अनुसार गत ३ फरवरी मंगलवार को गुमला नगर पालिका के भूतपूर्व वार्ड आयुक्त राजेंद्र प्रसाद गुप्ता द्वारा नेट से निकलवाकर आधार की छाया प्रति देने पर बैंक कर्मी ने पोस्टल से भेजे गए आधार को ही मान्यता देने की बात कह उसे लेने से इंकार कर दिया। इस बात की लिखित शिकायत भूतपूर्व वार्ड आयुक्त राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने गुमला के उपायुक्त से करते हुए बैंक द्वारा बेवजह खाता धारकों को परेशान करने का आरोप लगते हुए आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कहा है कि आधार कार्ड की मूल प्रति साधारण डाक से भेजी जाती है जो उन्हें अब तक नहीं मिला है । इसलिए उन्होंने नेट से आधार कार्ड को निकलवाया और उसकी प्रति बैंक में जमा करने गए। लेकिन बैंक कर्मी ने लेने से इंकार कर दिया। इस संबंध में बैंक प्रबंधक रवि प्रकाश ने बताया कि नेट से डाउनलोड किया हुआ आधार कार्ड की प्रति ली जा रही है। संवादहीनता के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई होगी। उपभोक्ताओं की कठिनाइयों को दूर करने के लिये वे अपने कर्मियों को नेट से निकाले गए आधार की प्रति स्वीकार करने का निर्देश देंगे।उधर जिले के लोगों ने कहा है कि सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये आधार कार्ड की कोई अनिवार्यता नहीं होने सम्बन्धी लिखित रूप से आश्वासन दिए जाने के बाद भी सरकारी सेवकों का जबरन लोगों से आदेहर कार्ड का संख्या अथवा छायाप्रति माँगा जाना न्यायालय का अवमानना और न्यायालय को बरगलाना है और इसके लिये न्यायालय को इस पर स्वतः संज्ञान लेकर सरकार और सरकारी सेवकों पर समुचित कारर्वाई करनी चाहिये ।



करमटोली - बाँसडीह - परसा पथ की स्थिति जर्जर होने से लोगों को काफी परेशानी

 करमटोली - बाँसडीह - परसा पथ की स्थिति जर्जर होने से लोगों को काफी परेशानी
गुमला  :  गुमला जिला मुख्यालय से करमटोली - बाँसडीह - परसा पथ की स्थिति जर्जर होने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । यही स्थिति बाँसडीह-  शिकोई रायडीह पथ की भी है । बाँसडीह , परसा  क्षेत्र से नित्यप्रति गुमला जिला मुख्यालय आने वाले ग्रामीणों ने बताया कि सड़क जर्जर होने की वजह से ग्रामीणों को जिला व प्रखंड मुख्यालय तथा हाट बाजार जाने में काफी कठिनाई होती है।जानकारी के अनुसार लगभग दो दशक पूर्व गुमला से करमटोली - बाँसडीह - परसा पथ का कालीकरण  किया गया था। जिस समय इस सड़क का निर्माण हुआ था इलाके के लोगों में भरी खुशी थी, परन्तु जर्जर होने के बाद सडक का मरम्मत नहीं होने से सड़क पैदल चलने लायक भी नहीं रह गया है। पथ की जर्जरावस्था से ग्रामीण सहित आने जाने वाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है । बीच सड़क पर बन आए बड़े-बड़े गढ्ड़े के कारण आम राहगीरों को आवागमन में काफी कठिनाई होती है।बाँसडीह-  शिकोई रायडीह पथ भी बनने के काल से फिर नहीं बन पाई है । परिणामस्वरूप इस पाठ पर चलने वाले राहगीरों और वाहन चालकों को मुसीबतों से दो - चार होना आम बात हो गई है । इन पथों पर आये दिन दुर्घटनाएं होती ही रहती हैं ।

रायडीह प्रखण्ड के बाँसडीह के माला साहु कहते हैं  पथ जर्जर हो जाने से राहगीरों को आवाजाही करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जर्जर सड़क की मरम्मत नहीं होने से सड़क पर जहां-तहां बड़ा-बड़ा गढ्डा बन जाने से दो पहिया चारपहिया एवं साइकिल सवारी को भी आवागमन में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है  लोगों को समझ में नही आ रहा है कि सड़क पर गढ्डे है अथवा गढ्डे में सड़क।परसा के सीता राम साहु कहते हैं ,गुमला जिला मुख्यालय से करमटोली - बाँसडीह - परसा पथ एवं  बाँसडीह-  शिकोई रायडीह पथ से प्रतिदिन हजारों लोग जिला अथवा प्रखण्ड मुख्यालय आना - जाना करते हैं । क्षेत्र में किसान और महिला मण्डल जागरूक हैं इसलिए क्षेत्र में खेतों , जल भण्डार और वन्य क्षेत्र से विविध फसलोपज व अन्य उत्पाद लिये जाते हैं , जिनके खपत के लिये बाजार की आवश्यकता की पूर्ति हेतु उत्पादकों को जिला , प्रखण्ड अथवा अन्यत्र आवागमन करना पड़ता है लेकिन पथ के जर्जर होने से आवागमन के साथ ही उत्पादित वस्तुओं के धुलाई में भी काफी कठिनाई होती है तथा समय पर बाजार तक नहीं पहुँचने के कारण ग्रामीणों को अक्सरहा ही क्षति पहुँचती रहती है । परसा के ही समीर टोप्पो कहते हैं , ये सड़कें वर्षों से क्षतिग्रस्त हैं लेकिन इनके पुनर्निर्माण की ओर सरकार - प्रशासन का ध्यान नहीं हैं और गत दिनों जिला मुख्यालय में करमटोली मोड़ से वन विभाग -आर ई ओ कोलोनी तक ही सड़क का निर्माण प्रशासन द्वारा किया गया जहाँ तक सरकारी अधिकारियों की वाहनें आती - जाती हैं और शेष भाग को छोड़ दिया गया जिसके कारण जिला मुख्यालय के करमटोली सहित बाँसडीह - परसा की ओर के वाशिंदों को अत्यन्त दुखद परिणामों से दो चार होना पड़ता है ।बीमारी , दुर्घटना अथवा प्रसव के समय महिलाओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है । इस पाठ पर आवाजाही करने वाले गुमला , रायडीह , चैनपुर और डुमरी प्रखण्ड के ग्रामीणों ने इस निमित क्षेत्र के सांसद सुदर्शन भगत और विधायक शिवशंकर उराँव से सार्थक पहल की आशा करते हुए इस पथ की शीघ्र निर्माण किये जाने की माँग की है ।



Tuesday, 3 February 2015

माघी पूर्णिमा पर लोगों ने स्नान – ध्यान और दान किया

माघी पूर्णिमा पर लोगों ने स्नान – ध्यान और दान किया

गुमला : स्नान-दानादि के लिए अक्षय फलदायिनी पुण्यतिथि माघी पूर्णिमा के दिन मंगलवार को गुमला जिले के विभिन्न नदी घाटों , तालाबों व जलाशयों में भोर से स्नान-दान का सिलसिला शुरू हुआ जो दोपहर बाद तक अनवरत जारी रहा। जिले के पवित्रतम दक्षिणी कोयल नदी के नागफेनी के राजाधारा व  बसिया , शंख नदी और अन्य नदी तटों पर सुबह में स्नानार्थियों का रेला लगातार पहुँचाना आरम्भ हुआ । स्नानार्थी व श्रद्धालुओं के अनुसार पुण्य पुष्य नक्षत्र में डुबकी लगाकर श्रद्धालु त्रिविध तापों से मुक्ति पाएंगे। माघी पूर्णिमा स्नान के साथ गत माह से चल रहा त्याग-तपस्या का प्रतीक कल्पवास समाप्त हो जाएगा। पौष पूर्णिमा से विभिन्न पवित्रतम स्थानों पर रह रहे कल्पवासी स्नान के बाद अपने पूर्वजों व आराध्य का स्मरण कर पुन: अपनी घर-गृहस्थी में लौट जाएंगे। जिले के कुछ क्षेत्रों में माघी पूर्णिमा को विधि शास्त्रों में दी गई कुछ धार्मिक कर्म संपन्न करने की भी सूचनाएं प्राप्त हो रही हैं। इस निमित लोगों ने प्रातः काल नित्यकर्म एवं स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु का विधि पूर्वक पूजन किया फिर फिर पितरों का श्राद्ध किया। जिले के भगवद्भक्त व सम्पन्न परिवारों के द्वारा असमर्थों को भोजन, वस्त्र तथा आय दिए जाने की भी खबरें छन – छन कर आयी। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने तिल, कम्बल, कपास, गुड़, घी, मोदक, फल, चरण पादुकाएं, अन्न और दृब्य आदि का दान करके पूरे दिन का व्रत रखकर विप्रों, तपस्वियों को भोजन कराया और सत्संग एवं कथा-कीर्तन में दिन-रात बिताया । श्रद्धालुओं ने बताया कि वे कल दूसरे दिन ही पारण करेंगे ।
जिले के एक विद्वत पण्डित विनोदानन्द पाठक ने बतलाया कि माघ पूर्णिमा के अवसर पर मंगलवार को सुबह 5.38 से 7.38 तक स्नान-दान का पुण्यकाल है इसलिए नदी घाटों और जलाशयों पर इस बार श्रद्धालुओं का विशेष भीड़ देखि जा रही है ।विनोदानन्द पाठक ने आगे बताया कि माघी पूर्णिमा पर इस बार पुष्य नक्षत्र व स्वर्ग के भद्रा के समागम से साधकों को अक्षुण्ण पुण्य की प्राप्ति होगी। पूर्णिमा सोमवार की रात 2.01 बजे से लगकर बुधवार की भोर 3.38 बजे तक रहेगी। विनोदानन्द पाठक बताते हैं मंगलवार को स्नानदान का पुण्यकाल सुबह 5.38 से 7.38 के बीच रहेगा। इस समयावधि में श्रद्धालुओं को अरुणोदय स्नान का फल प्राप्त होगा। स्नान व पूजन के बाद सुवर्ण, तिल, कंबल, धार्मिक पुस्तकों, पंचांग, कपास के वस्त्र, अन्न का दान व भूखे मनुष्यों को भोजन कराना कल्याणकारी रहेगा। इस अवसर श्रद्धालुजन अपने क्षेत्र की नदियों एवं पवित्र सरोवरों में माघी पूर्णिमा को स्नान का पूण्य प्राप्त करते हैं। उन्होंने आगे बताया कि यद्यपि प्रत्येक महीने की पूर्णिमा को सनातन धर्मावलम्बी श्रद्धालु लोग सत्यनारायण भगवान का व्रत रखकर सायं काल कथा श्रवण करते हैं लेकिन माघी पूर्णिमा को सत्यनारायण व्रत का फल अनन्त गुना फलदायी कहा गया है। पौराणिक शास्त्रों में माघ स्नान एवं व्रत की बड़ी महिमा गई गई है। वैसे तो माघ की प्रत्येक तिथि पुण्यपर्व है और उनमें माघी पूर्णिमा को विशेष महत्व दिया गया है। माघ मास की पूर्णिमा तीर्थस्थलों में स्नान दानादि के लिए परम फलदायिनी बताई गई है। तीर्थराज प्रयाग में इस दिन स्नान, दान, गोदान एवं यज्ञ का विशेष महत्व है। संगमस्थल पर एक मास तक कल्पवास करने वाले तीर्थयात्रियों के लिए आज की तिथि एक विशेष पर्व है। माघी पूर्णिमा को एक मास का कल्पवास पूर्ण भी हो जाता है।
जिले के कुछ स्थानों पर परम वैष्णव संत रविदास जी की जयंती माघी पूर्णिमा के अवसर पर विविध आयोजनों की भी सुचना है। इस निमित जिला मुख्यालय के साथ ही भरनो प्रखण्ड मुख्यालय और अन्य जगहों पर संत रविदास जयन्ती मनाई गई और कई कार्यक्रम आयोजित किये ।

Monday, 2 February 2015

जनप्रतिनिधियों के द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर भ्रष्ट सरकारी सेवकों से निजात दिलाने की माँग

राष्ट्रीय नवीन मेल का गुमला के सरकारी सेवकों का पोल खोल


दिनाँक - ०२ / ०१/२०१५
जनप्रतिनिधियों के द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर भ्रष्ट सरकारी सेवकों से निजात दिलाने की माँग


गुमला : झारखण्ड प्रदेश के गुमला जिलान्तर्गत पालकोट प्रखण्ड में भ्रष्टाचार का बोलबाला है l इस सम्बन्ध में पालकोट प्रखण्ड की प्रमुख बिश्वासी लकड़ा और अन्यान्य दर्जनों जनप्रतिनिधियों ने संयुक्त हस्ताक्षरित पत्र झारखण्ड प्रदेश के मुख्यमंत्री को प्रेषित कर सरकारी योजनाओं में अनियमितता बरतने और सरकारी निधि की लूट - खसोट और  बंदरबाँट किये जाने से निजात दिलाने की माँग की है lमुख्यमंत्री को प्रेषित उक्त पत्र की प्रतिलिपि जनप्रतिनिधियों ने विधानसभा अध्यक्ष , झारखण्ड सरकार , राँची , मुख्य सचिव , झारखण सरकार , राँची ,झारखंड , सचिव ग्रामीण विकास मंत्रालय , झारखण्ड सरकार,सचिव , प्रशासनिक और कार्यक्रम मंत्रालय,झारखण्ड सरकार, निदेशक ,पंचायती राज्य मंत्रालय, झारखण्ड सरकार , उपायुक्त गुमला, उपविकास आयुक्त गुमला , जिला पंचायती राज्य पदाधिकारी,गुमला ,जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ,गुमला को प्रेषित की है l मुख्यमंत्री और अन्य अधिकारियों को प्रेषित संयुक्त हस्ताक्षरित शिकायती पत्र में पालकोट प्रखण्ड के मनरेगा के प्रखण्ड कार्यक्रम पदाधिकारी विनय कुमार गुप्ता और प्रखण्ड नाजीर निरंजन कुमार के द्वारा प्रखण्ड विकास पदाधिकारी , पालकोट के मिलीभगत से मनरेगा योजना में अनियमितता बरतने और सरकारी निधि की लूट - खसोट और  बंदरबाँट किये जाने से निजात दिलाने की माँग की है l पालकोट प्रखण्ड के पंचायत जनप्रतिनिधियों ने पत्र में संयुक्त रूप से कहा है कि झारखण्ड प्रदेश के गुमला जिला के पालकोट प्रखण्ड में महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना (मनरेगा) के अन्तर्गत अनुबंध पर बहाल प्रखण्ड कार्यक्रम पदाधिकारी , पालकोट विनय कुमार गुप्ता और प्रखण्ड कार्यालय के नाजीर निरंजन कुमार के द्वारा प्रखण्ड क्षेत्र में संचालित की जा रही विकास योजनाओं में व्यापक पैमाने पर रिश्वतखोरी , सरकारी निधि की बंदरबाँट और प्रखण्ड के जनप्रतिनिधि और आम ग्रामीण जनता से आये दिन दुर्व्यवहार किया जा रहा है l प्रखण्ड कार्यक्रम पदाधिकारी , पालकोट विनय कुमार गुप्ता के द्वारा प्रखण्ड क्षेत्र में संचालित की जा रही मनरेगा की योजनाओं में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरती जा रही है और सरकारी राशि की खुल्लेआम लूट - खसोट और बंदरबाँट की जा रही है l यह बंदरबाँट योजनाओं के चयन , योजनाओं को वार्षिक प्लान में शामिल करने , पञ्चायत समिति से पारित कराने , जिला ग्रामीण विकास अभिकरण और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी से स्वीकृति दिलाने , योजना आरम्भ कराने , प्रशासनिक व तकनीकी स्वीकृति दिलाने , कम्प्युटर में योजना का नाम चढाने , मापी पुस्त निर्गत करने , मस्टर रोल निर्गत करने के आवेदन पत्र में दस्तखत करने , मस्टर रोल निकलने के पश्चात योजना स्थल पर जाने के पूर्व उस पर दस्तखत करने, कार्य होने के बाद भुगतान के लिये जमा होने के पूर्व मस्टर रोल पर दस्तखत करने , मस्टर रूल व अभिश्रव भुगतान के लिये पारित होने के बाद एम आई एस एंट्री हेतु जाने के पूर्व जाँचा और सही पाया लिखने के लिये अलग - अलग बार एक तय राशि वसूल करने के पश्चात भुगतान के पूर्व अपने और प्रखण्ड विकास पदाधिकारी के लिये भुगतान की जाने वाली राशि का १५ प्रतिशत जबरन खुल्लेआम वसूली किये जाने के पश्चात ही इलेक्ट्रोनिक फण्ड मैनेजमेंट सिस्टम के तहत पैसा स्थानांतरित करने के लिये प्रखण्ड विकास पदाधिकारी के समक्ष भेजी जा रही है lप्रमुख और अन्य जनप्रतिनिधियों ने पत्र में आगे कहा है कि सिर्फ मनरेगा के कार्यों के निष्पादन के लिये बहाल किये गये प्रखण्ड कार्यक्रम पदाधिकारी को प्रखण्ड विकास पदाधिकारी के द्वारा सरकारी निधि की लूट-खसोट की मंशा से अन्यान्य सरकारी योजनाओं मसलन, इंदिरा आवास योजना, पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि ,तेरहवें वित्त आयोग से प्राप्त राशि की योजनाओं , पंचायत , अंचल व प्रखण्ड की विकास योजनाओं के लाभुक व योजना स्थल चयन , पर्यवेक्षण , प्रतिवेदन , सम्बंधित अन्यान्य कार्यों और बैठक आदि के कार्यों में लगा दिया जाता है l यही हाल प्रखण्ड के नाजीर निरंजन कुमार का भी है , निरंजन कुमार बिना पैसा का कोई कार्य नहीं करते और जो पैसा नहीं देता उसके कार्य को लटकाने में उन्हें सिद्धहस्त प्राप्त है l अगर प्रखण्ड के पंजियों , अभिलेखों और अन्य कागजातों की जाँच की जाये तो इसकी पुष्टि सहज हो जायेगी l पत्र में आगे कहा है कि अनुबंध कर्मियों और जन प्रतिनिधियों के वेतन , मानदेय व अन्य भुगतान और अन्यान्य सुविधा प्रदान करने के कार्य इन्हें चढावा चढ़ाये बगैर प्रखण्ड कार्यालय में होना सम्भव नहीं.इंदिरा आवास , मनरेगा और अन्य सरकारी योजनाओं में होने वाली भुगतान में निरंजन कुमार अपना सात प्रतिशत हिस्सा बपौती मानते हैं l तयशुदा राशि लाभुक , मेठ और ग्रामीणों से लिये बगैर ये अपना कार्य कभी नहीं करते .कुछ कहने पर कहते हैं कि काम कराना है तो पैसा दो नहीं तो जहाँ जाना है जाओ ,मुझे किसी का भी डर नहीं निगरानी व शिकायत ब्यूरो या सी बी आई का भी नहीं , सब मेरे जेब में हैं l प्रखण्ड कार्यक्रम पदाधिकारी विनय कुमार गुप्ता और प्रखण्ड नाजीर निरंजन कुमार के इन विकास और जनविरोधी कार्यों में प्रखण्ड विकास पदाधिकारी , पालकोट सतीश कुमार का शह और प्रत्यक्ष संरक्षण प्राप्त हैl जिसके कारण इनका मन बढ़ा हुआ है और ये प्रखण्ड के जनप्रतिनिधियों के साथ ही आम जनता के साथ दुर्व्यवहार करने , गाली - गलौज करने से भी नहीं हिचकते और आये दिन लोगों से उलझते रहते हैं  इनके इस प्रकार की अनैतिक , जनविरोधी रवैयों से प्रखण्ड के जनप्रतिनिधि व ग्रामीण परेशान हैं और सरकारी विकास योजनाओं का समुचित लाभ वास्तविक योग्य लाभुकों व ग्रामीणों का नहीं मिल पा रहा  है  l लम्बे शिकायती पत्र में पालकोट के जनप्रतिनिधियों ने विअकास विरोधी भ्रष्ट कार्यों को उजागर करते हुए आरोपी सरकारी सेवकों का का स्थानान्तरण करते हुए प्रखण्ड कार्यक्रम पदाधिकारी विनय कुमार गुप्ता , प्रखण्ड नाजीर निरंजन कुमार और प्रखण्ड विकास पदाधिकारी सतीश कुमार  का शीघ्रातिशीघ्र स्थानान्तरण करते हुए उनके विकास और जन हित विरोधी कार्यों की न्यायिक जांच और तत्सम्बन्धी समुचित कारर्वाई करने की निवेदन की है l

उल्लेखनीय है कि पालकोट प्रखण्ड की प्रमुख बिश्वासी लकड़ा ने एक अन्य पत्र गुमला के उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक तथा राज्य के अन्य उच्चाधिकारियों से लिखित शिकायत करते हुए प्रखण्ड विकास पदाधिकारी और नियुक्ति काल से ही विवादित रहे बीपीओ के खिलाफ आदिवासी हरिजन उत्पीडन अधिनियम के अन्तर्गत कार्रवाई का अनुरोध किया था , परन्तु इस मामले में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अभी तक कोई कारर्वाई नहीं की गई है , जिसके कारण मामला विस्फोटक हॉट जा रहा है । इस मामले को ले – देकर सुलझाने के लिये प्रखण्ड के अधिकारियों के द्वारा २९ जनवरी को पंचायत समिति की बैठक में और ३० जनवरी को अपने विशेष दूतों को प्रमुख के पास भेजकर बहुत कोशिश की ,तत्पश्चात ३१ जनवरी को जिला परिषद की बैठक में परिषद सचिव और अपने खरीदे गये सदस्यों से प्रमुख पर दबाव बनाने की अनथक प्रयास की मगर प्रमुख अपने साथ हुई दुर्व्यवहार और अपमान को नहीं भूली और दोषियों को सजा दिलाने की हर सम्भव प्रयास में लगी हुई है । गौरतलब है कि पालकोट प्रखंड की प्रमुख विश्वासी लकड़ा के साथ पालकोट के प्रखंड विकास पदाधिकारी सतीश कुमार और राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना (मनरेगा) के अन्तर्गत ठेका पर बहाल  प्रखण्ड कार्यक्रम पदाधिकारी (बीपीओ) विनय कुमार गुप्ता के द्वारा स्थानीय सिमडेगा विधायक की उपस्थिति में प्रखण्ड में आयोजित धोती- साड़ी वितरण कार्यक्रम में सोलह जनवरी को दु‌र्व्यवहार व अपमानित किये जाने के मामले में शिकायत के दो सप्ताह बाद तक उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक के स्तर से कोई कार्रवाई नहीं किये जाने से प्रखण्ड सहित जिले भर के जनप्रतिनिधियों में रोष व्याप्त होता जा रहा है और यह कभी भी विस्फोटक स्थिति का रूप अख्तियार कर सकता है । पालकोट प्रखंड की प्रमुख विश्वासी लकड़ा ने १८ जनवरी २०१५ को गुमला जिला के उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर प्रखंड विकास पदाधिकारी सतीश कुमार व बीपीओ विनय कुमार गुप्ता पर उनके साथ दु‌र्व्यवहार व अपमानित करने का आरोप लगाया था । परन्तु महिला जनप्रतिनिधि के साथ सार्वजनिक तौर पर प्रविपदा और बीपीओ के द्वारा किये गये दुर्व्यवहार और अपमान के मामले में अभी तक कोई पहल प्रशासन के द्वारा नहीं की गई है अब देखना यह है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष , झारखण्ड सरकार , राँची , मुख्य सचिव , झारखण सरकार , राँची ,झारखंड , सचिव ग्रामीण विकास मंत्रालय , झारखण्ड सरकार,सचिव , प्रशासनिक और कार्यक्रम मंत्रालय,झारखण्ड सरकार, निदेशक ,पंचायती राज्य मंत्रालय, झारखण्ड सरकार , उपायुक्त गुमला, उपविकास आयुक्त गुमला , जिला पंचायती राज्य पदाधिकारी,गुमला ,जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ,गुमला इत्यादि दर्जनों उच्चाधिकारियों को प्रेषित सरकारी योजनाओं में अनियमितता बरतने और सरकारी निधि की लूट - खसोट और  बंदरबाँट किये जाने से निजात दिलाने की माँग किये जाने के सम्बन्ध में अंततः क्या कारवाई होती है या फिर आरोपित जनप्रतिनिधियों के छाती पर चढ मूंग डालते हुए प्रखण्ड को लूटने में लगे रहते हैं क्योंकि आरोपी सरकारी सेवक खुल्लेआम कहते हैं हमें दो तब काम होगा अन्यथा जाओ जहाँ जाना है हमें किसी का डर नहीं । और यह सच है कि आरोपत बीपीओ , प्रखण्ड नाजीर और प्रविपदा अपने सहकर्मियों , मातहतों तक को रोज धमकाते ही रहते हैं और धमका कर पैसा वसूलना इनकी फितरत है , जो पैसा नहीं देते उनका वेतन भी वर्षों तक नहीं निकलता

Sunday, 1 February 2015

विस्फोटक होता जा रहा है महिला प्रमुख से बीडीओ व बीपीओ के द्वारा दुर्व्यवहार व अपमानित करने का मामला

राष्ट्रीय नवीन मेल प्रकाशित रणधीर निधि का गुमला के प्रशासनिक अधिकारियों का पोल खोल



गुमला में विस्फोटक होता जा रहा है महिला प्रमुख से बीडीओ व बीपीओ के द्वारा दुर्व्यवहार व अपमानित करने का मामला

गुमला : पालकोट प्रखंड की प्रमुख विश्वासी लकड़ा के साथ पालकोट के प्रखंड विकास पदाधिकारी सतीश कुमार और राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना (मनरेगा) के अन्तर्गत ठेका पर बहाल  प्रखण्ड कार्यक्रम पदाधिकारी (बीपीओ) विनय कुमार गुप्ता के द्वारा दु‌र्व्यवहार व अपमानित किये जाने के मामले में शिकायत के दो सप्ताह बाद तक उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक के स्तर से कोई कार्रवाई नहीं किये जाने से प्रखण्ड सहित जिले भर के जनप्रतिनिधियों में रोष व्याप्त होता जा रहा है और यह कभी भी विस्फोटक स्थिति का रूप अख्तियार कर सकता है । पालकोट प्रखंड की प्रमुख विश्वासी लकड़ा ने १८ जनवरी २०१५ को गुमला जिला के उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर प्रखंड विकास पदाधिकारी सतीश कुमार व बीपीओ विनय कुमार गुप्ता पर उनके साथ दु‌र्व्यवहार व अपमानित करने का आरोप लगाया था । प्रमुख ने उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक से लिखित शिकायत करते हुए प्रखण्ड विकास पदाधिकारी और नियुक्ति काल से ही विवादित रहे बीपीओ के खिलाफ आदिवासी हरिजन उत्पीडन अधिनियम के अन्तर्गत कार्रवाई का अनुरोध किया था । प्रमुख ने शिकायत पत्र में आरोप लगाते हुए कहा है कि १६ जनवरी शुक्रवार को प्रखंड परिसर में विधायक विमला प्रधान द्वारा धोती-साड़ी का वितरण कार्यक्रम होना था। कार्यक्रम में उन्हें आमंत्रित किया गया था एवं उनके लिए मुख्य मंच पर कुर्सी की व्यवस्था की गई थी। लेकिन उन्हें अपमानित करने की नियत से बीडीओ उनकी कुर्सी पर जा बैठे एवं बीपीओ विनय कुमार गुप्ता ने उन्हें पीछे बैठने के लिये कहा। पदाधिकारियों के व्यवहार से आहत हो कार्यक्रम के दौरान वे अपने कार्यालय कक्ष में चली गई। इसी दौरान प्रखण्ड विकास पदाद्शिकारी सतीश कुमार और बीपीओ विनय कुमार गुप्ता उनके कार्यालय कक्ष में आए और जातिसूचक शब्दों को प्रयोग करते हुए गाली-गलौज की। प्रमुख ने कहा है कि वे दोनों पदाधिकारियों के बर्ताव से खुद को अपमानित महसूस कर रही हैं।अतः दोषियों पर समुचित कारर्वाई की जाये ,  परन्तु प्रमुख के द्वारा कि गई शिकयत पर उपायुक्त अथवा पुलिस अधीक्षक के स्तर से अब तक कोई कारवाई नहीं किये जाने से प्रखण्ड के ग्रामीणों , जनप्रतिनिधियों में प्रशासन के प्रति आक्रोश बढता ही जा रहा है जो अब कभी विस्फोटक रूप ले सकती है । हालाँकि प्रखण्ड विकास पदाधिकारी और बीपीओ ने समाचार पत्रों को दिए वयानों में इस बात से साफ़ इनकार किया है , परन्तु वे प्रमुख को पटाने में साम , दाम , दण्ड और भेद ,सभी प्रकार की नीति अपना रहे हैं और धमकी के साथ विभिन्न प्रकार के लोगों से फोन अथवा मिलकर प्रमुख पर दबाव बनाने में लगे हुए हैं ।उल्लेखनीय है कि मनरेगा में ठेके पर बहाल बीपीओ विनय कुमार गुप्ता अपनी नियुक्ति के प्रार्क़म्भिक काल से ही विवादित रहे हैं और बीपीओ विनय कुमार गुप्ता पर ठेका में नियुक्ति हेतु इस्तेमाल की गई प्रशैक्षणिक (कम्प्युटर/अन्यान्य माँगी गई आवश्यक प्रमाण पत्र) व अनुभव प्रमाण पत्र जाली प्रमाण पत्र होने के साथ ही सभी प्रकार के कार्य में ग्रामीणों से पैसा वसूलने का आरोप लगता रहा है ।इसी प्रकार की कई मामले को लेकर विगत वर्ष भारतीय जनता पार्टी की पालकोट अंचल समिति ने बेमियादी भूख हड़ताल की थी । तब बेमियादी भूख हड़ताल के मामले को सलटाने के लिये जिले के उपायुक्त के द्वारा प्रतिनियुक्त किये गये अनुमंडल पदाधिकारी , गुमला ने हड़ताल स्थल पर आकर हड़तालियों से बीपीओ विनय कुमार गुप्ता और प्रखण्ड के एक अन्य घूसखोर सहायक कम नाजीर निरंजन कुमार को एक सप्ताह के अंदर समुचित कारर्वाई करते हुए स्थानांतरित किये जाने का लिखित आश्वासन देकर भूख हड़ताल को तुडवाया था , परन्तु हड़ताल और आश्वासन के एक वर्ष बीत जाने के बाद भी विवादित बीपीओ विनय कुमार गुप्ता और नाजीर निरंजन कुमार पर कोई कारर्वाई नहीं हो सकी और अब वे जिला और प्रखण्ड के अधिकारीयोंकी शह और संरक्षण पर प्रखण्ड कार्यालय में जमकर लूट मचाये हुए हैं। अब देखना यह है कि प्रमुख के साथ दुर्व्यवहार करने वाले पदाधिकारी सतीश कुमार , बीपीओ विनय कुमार गुप्ता आदि पर पुलिस प्रशासन के द्वारा कोई करवाई की जाती है अथवा जिला धिकारियों और स्वार्थी नेताओं के शह व संरक्षण पर प्रखण्ड विकास पदाधिकारी प्रमुख को मैनेज कर अपने तिकड़ी के साथ मिलकर मजे लूटते ही रहते हैं

ऑनलाइन शिलान्यास और उद्घाटन कार्यक्रम के विधायक के बहिष्कार की घोषणा का व्यापक स्वागत - रणधीर निधि

ऑनलाइन शिलान्यास और उद्घाटन कार्यक्रम के विधायक के बहिष्कार की घोषणा का व्यापक स्वागत
- रणधीर निधि


गुमला जिला मुख्यालय स्थित परमबीर अल्बर्ट एक्का स्टेडियम भाग 2 में गुमला जिला प्रशासन के द्वारा आयोजित दो दिवसीय विकास सह प्रदर्शनी मेला में जिले के पुलिस – प्रशासनिक पदाधिकारियों .जनप्रतिनिधियों , गण्य –मान्य व्यक्तियों और पत्र- पत्रिकाओं और खबरिया चैनलों के संवाददाताओं की उपस्थिति में बुधवार को गुमला विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक शिवशंकर उराँव के द्वारा समारोह के सम्बोधन में उग्र तेवर के साथ  जिला प्रशासन के द्वारा ऑनलाइन उद्घाटन और शिलान्यास का कार्यक्रम का विरोध किये जाने का जहाँ गुमला जिले के भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं सहित आम लोगों ने व्यापक स्वागत किया है , वहीँ पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर के सरकारी सेवकों समेत विचौलियों , दलालों व ठेकेदारों में हडकंप है और वे किंकर्तव्यविमूढ़ हो मन ही मन विधायक के प्रति मन ही मन दुर्भावना रखने लगे हैं  | उल्लेखनीय है कि गुमला जिला मुख्यालय स्थित परमबीर अल्बर्ट एक्का स्टेडियम भाग 2 में जिला प्रशासन के द्वारा आयोजित दो दिवसीय विकास सह प्रदर्शनी मेला में बुधवार २८ जनवरी को गुमला के स्थानीय भाजपा विधायक शिवशंकर उराँव ने समारोह को सबोधित करते हुए पूरे उग्र तेवर में कहा था कि जिला प्रशासन के द्वारा जो ऑन लाइन उद्घाटन और शिलान्यास का जो कार्यक्रम है उसका मै विरोध करता हूँ | उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में जो ऑन लाइन उदघाटन शिलान्यास की जो परिपाटी चली आ रही है | उसमे काफी अनियमितता , कुव्यवस्था व भ्रस्ताचार  ब्याप्त है | जो पदाधिकारी इनमे संलिप्त होते हैं वे चाहते हैं कि कार्य स्थल पर लोगों के जाने से उनके घोटाले का पर्दाफाश हो जायगा इसलिए वे चाहते हैं कि सब बैठे- बिठाये मुख्यालय से ही उद्घाटन और शिलान्यास हो जाय | लेकिन अब उन्हें ये परिपाटी बदलनी होगी अब सूबे में स्थायी सरकार है | इस लिए नौकरशाह ग्रामीण इलाकों में जाये और सही कार्य करें | विधयक शिवशंकर उराँव ने आगे कहा कि अब जनता जाग चुकी है आप अपने मन कि करना छोड़ें | आप ग्रामीण इलाकों में जाए आपको सुरक्षा आम जनता देगी | बाद में जब विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उराँव को बरगला कर जिला प्रशासन ने ऑन लाइन उद्घाटन और शिलन्यास करानी चाही तो एक बार फिर स्थानीय विधायक ने जमकर जिला प्रशासन को लताड़ा और उन्हें कहा कि अगर आपको उद्घाटन और शिलन्यास करना ही है तो गुमला विधानसभा क्षेत्र में जो योजनाएं हैं उन्हें छोड़कर आप अपना कार्य कर सकते हैं जब मै अपने क्षेत्र के एक - एक योजनाओं को स्वयं नहीं देख लूँगा तब तक शिलान्यास नहीं करूँगा और न होने दूँगा | उनके इस भ्रष्टाचार विरोधी तेवर के बाद जिला प्रशासन ने ऑन लाइन उद्घाटन और शिलान्यास के कार्यक्रम को स्थगित कर दिया |

विधायक के इस भ्रष्टाचार विरोधी और जनहितार्थ सार्वजनिक तौर पर उठाये गये सार्थक कदम का भाजपा कार्यकर्ताओं सहित जिले की आम जनता ने व्यापक स्वागत व समर्थन करते हुए कहा कि विधायक का यह कदम सराहनीय व प्रशंसनीय है , इससे क्षेत्र में विकास की एक नयी धारा बहने की भरपूर उम्मीद की जा सकती है  गुमला विधायक शिव शंकर उरांव का स्वागत व धन्यवाद है। भाजपा के गुमला जिला के कुछ पदाधिकारियों ने कहा कि गुमला में पहली बार किसी विधायक ने जिला प्रशासन के भ्रष्टतम गलत कार्य में शामिल नहीं होने के लिए खुले मंच से विरोध करते हुए बहिष्कार करने का सराहनीय व प्रशंसनीय कार्य किया है। एक विधायक के इस प्रकार से खुल्लेआम बहिष्कार करने का सीधा अर्थ है कि विकास योजनाओं में गड़बड़ी होती है , पैसे की बन्दरबाँट करने के लिये अनियमितताएं बरती जाती हैं एवं इस पर पर्दा डालने के लिए ऑनलाइन उद्घाटन कराया जाता है , जो सर्वथा गैरकानूनी कार्य है । सिसई प्रखण्ड के मुरगु ग्राम निवासी राजेन्द्र साहु ने विधायक का सराहना और प्रशंसा करते हुए कहा कि सरकार और प्रशासन पारदर्शिता व निष्पक्षता का दावा करती है और फिर विकास योजनाओं के लिये प्राप्त आवंटन की निधि का हेराफेरी कर योजना को पूर्ण दिखलाकर ऑनलाइन जनप्रतिनिधियों अथवा उच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों से उद्घाटन कराकर अपने पाप छुपाती भी है, जो घोर निन्दनीय है ।विधायक को पूर्व में हुई ऑनलाइन शिलान्यास और उद्घाटन कार्यक्रम की सम्बन्धित योजनाओं का जाँच कराकर दोषी पदाधिकारियों पर सच्चाई छुपा कर उच्चाधिकारियों को बरगलाने और सरकारी निधि की हेराफेरी के लिये समुचित नियमसम्मत कारर्वाई कराएँ ।गुमला प्रखण्ड के खोरा ग्राम निवासी गोंदल सिंह ने कहा कि इस तरह मुख्यालय में बैठकर ऑनलाइन उद्घाटन कराने का सीधा मतलब होता है कि योजनाओं की सच्चाई लोगों के सामने नहीं आए और कोई भी योजनास्थल तक जाकर सच्चाई पता लगाने की जहमत न उठायें। जिले के दूर दराज के क्षेत्रों से विकास मेला में आए ठेठ देहातियों , आम ग्रामीणों ने भी विधायक शिवशंकर उराँव की भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाई का स्वागत करते हुए कहा कि इससे ग्रामीण क्षेत्र और ग्रामीणों का निश्चितरूपेण कल्याण होगा। बाद में इस सम्बन्ध में पूछे जाने पर राष्ट्रीय नवीन मेल से विधायक शिव शंकर उरांव ने कहा कि उनका प्रयास हर गांव व गाने के अन्तिम व्यक्ति तक विकास को सही मायने में पहुंचाना है इसके लिए वे सदैव अपने स्तर से हर संभव प्रयास करते रहेंगे। गुमला के लोगों की आवाज बनकर वे विधानसभा में क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने के लिए आवाज उठाने का काम करेंगे। साथ ही कहा कि भ्रष्ट और गुणवत्ता से खिलवाड़ करनेवाले सरकारी अधिकारियों को भी बख्शा नहीं जाएगा। विधायक शिवशंकर उराँव ने राष्ट्रीय नवीन मेल से बात – चित करते हुए कहा कि यह केवल गुमला जिला की बात नहीं है बल्कि राज्य की सभी 81 विधानसभा क्षेत्रों की  बात है जिसको लेकर वे सभी के साथ मिलकर विधानसभा में एक प्रस्ताव लाने का प्रयास करेंगे जिससे कि राज्य में चतुर्दिक ब्यापत भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके |विधायक के इस उग्र तेवर पर विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उराँव ने कहा कि कई मामला सामने आये है इनका जल्द ही निराकरण किया जायगा | इस संबंध में गुमला के उपायुक्त गौरी शंकर ¨मिंज ने कहा  कि काफी समय से विकास मेले में योजनाओं के ऑनलाइन उद्घाटन व शिलान्यास कराये जाने की परंपरा चली आ रही है। इसी परंपरा का उन्होंने निर्वहन करते हुए योजनाओं के ऑनलाइन शिलान्यास और उद्घाटन का कार्यक्रम रखा था। लेकिन विधायक महोदय के विरोध जताए जाने के बाद इसका आयोजन रद्द किया जाता है और अब नए सिरे से योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास होगा। जितनी भी योजनाओं का उदघाटन किया जाना था वे सभी योजनाएं तैयार हो चुकी हैं। उधर जिले के निचले स्तर के सरकारी सेवकों ने कहा कि विधायक का यह रूख नहीं चलने वाला , हमाम में सभी नंगे हैं और जब सब लूट रहे हैं तो हम पीछे  क्यूँ रहें ?







प्रोटोकोल पर किताब प्रकाशित किया जाना चाहिये : शिवशंकर उराँव

प्रोटोकोल पर किताब प्रकाशित किया जाना चाहिये : उराँव

गुमला विधानसभा क्षेत्र के विधायक शिवशंकर उराँव से खास बात - चीत

गुमला विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक शिवशंकर उराँव ने एक खास मुलाकात में सरकारी सेवकों और जनप्रतिधियों अर्थात कार्यपालिका और विधायिका के सम्बन्धों और मान – सम्मान एवं व्यवहार पर विस्तार पूर्वक वार्तालाप की और सरकारी सेवकों , प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देश दिए कि वे सांसदों, विधायकों व अन्य जन प्रतिनिधियों को पूर्ण मान-सम्मान दें व प्रोटोकोल का हमेशा ध्यान रखे। इसके साथ ही उन्होंने उच्चाधिकारियों से लोंगों के साथ सही बर्ताव न करने और सही जानकारी न देने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ नियमानुसार कानूनी कार्यवाही करने के निर्देश दिये।
 उन्होंने कहा कि प्रोटोकॉल पर किताब प्रकाशित किया जाना चाहिये  ताकि अधिकारियों को यह पता रहे कि उन्हें सांसदों और विधायकों के साथ कैसा व्यवहार करना है। उनका इस संबंध में राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखने की इच्छा है। पत्र में यह भी कहेंगे  कि नये नियुक्त होने वाले अधिकारियों के प्रशिक्षण में प्रोटोकोल से संबंधित विषय भी शामिल होना चाहिए।प्रोटोकोल पर पुस्तक प्रकाशित करने का निर्णय निर्णय लेने के लिये विधान परिषद की विशेषाधिकार समिति से अनुरोध करेंगे है। इस पुस्तक में उन परिपत्रों को भी संकलित किया जाएगा जिन्हें केन्द्र और बिहार सरकार व झारखण्ड सरकार ने समय-समय पर प्रोटोकोल को लेकर जारी किए हैं। इसके लिए संसदीय आचार से संबंधित जिन पुस्तकों में प्रोटोकोल को लेकर सामग्री है उन्हें भी इसमें संग्रहित किया जाएगा। जिसे विधानसभा के अन्य सदस्यों के साथ विचार – विमर्श के पश्चात एक लिखित पत्र के रूप में दिए जाने की उनकी मंशा है । वार्तालाप के क्रम में उन्होंने विधान सभा से लेकर जिला प्रशासन के द्वारा कई बार बांटे गये निमंत्रण और अन्यान्य पत्रों में संसद , विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों के नाम के पहले माननीय सदस्य न लिखे होने का मामला उठाते हुए कहा कि संसद , विधायक आदि चूंकि सदन के विशेषाधिकार प्राप्त सदस्य हैं उनका नाम इस तरह लिखा जाना उनका अपमान है। श्री उराँव ने कहा कि कि अधिकारीगण पहले भी सांसद , विधायकों और अन्यान्य जनप्रतिधियों का सम्मान न करने और उनका अपमान करने की अक्षम्य भूलें करते रहे हैं और विधानसभा में पीठ से इस विषय में कड़े निर्देश जारी होने चाहिये।

उन्होंने अधिकारियों पर ठीक ढंग से बात न करने का आरोप भी लगाया। उनका का आरोप था कि पहले तो अधिकारी फोन ही नहीं उठाते। उसके बाद फोन उठाने पर बात करने वाले सही तरह से बात नहीं करते ।उन्होंने कहा कि अधिकारियों को पता होना चाहिए कि राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री , राज्यपाल ,मुख्यमंत्री ,सांसद ,विधायक व अन्यान्य जनप्रतिधियों का क्या प्रोटोकोल है। सम्मानित सदस्य के साथ भी अधिकारियों द्वारा सम्मानित शब्दों से नहीं बोला जाता। इस पर राज्य के मुख्य सचिव और जिला उपायुक्तों को अधिकारियों को निर्देश दिया जना चाहिये  कि वे सांसद , विधायकों व अन्यान्य जनप्रतिधियों के प्रोटोकोल को फोलो करें और उनके फोन उठाकर उन्हें आदरपूर्वक बात करें।

गुमला में प्रशासनिक अधिकारियों को प्रोटोकोल की जानकारी नहीं होने के कारण विधायिका – कार्यपालिक के बीच टकराव की स्थिति - रणधीर निधि

राष्ट्रीय नवीन मेल प्रकाशित रणधीर निधि का गुमला के प्रशासनिक अधिकारियों का पोल खोल


गुमला में प्रशासनिक अधिकारियों को प्रोटोकोल की जानकारी नहीं होने के कारण विधायिका – कार्यपालिक के बीच टकराव की स्थिति
- रणधीर निधि


गुमला जिले के प्रशासनिक अधिकारियों में अपने कर्तव्यों और जनप्रतिनिधियों के साथ व्यवहार , सम्मान किये जाने सम्बन्धी जानकारी का पूर्णतः अभाव है जिसके कारण जहाँ प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों को सांसदों, विधायकों व अन्य जन प्रतिनिधियों को पूर्ण मान-सम्मान देना नहीं आता वहीँ प्रोटोकोल के तहत जनप्रतिनिधियों व लोंगों के साथ सही बर्ताव तक करना नहीं आता या फिर उद्दंडता पूर्ण व्यवहार जान - बूझकर करते हैं , जिसके कारण जिले में आये दिन अधिकारियों का जनप्रतिनिधियों अर्थात कार्यपालिका का विधायिका से टकराव और वाद - विवाद की खबरें  आती ही रहती हैं । कभी - कभी तो अधिकारियों की बेवकूफी के कारण मामला जिला प्रशासन और सरकार तक के लिये मुसीबत , जी का जंजाल हो जाता है। अभी ताज़ी घटना जिले के डुमरी व पालकोट प्रखण्डों की है । गौरतलब है कि गुमला विधानसभा क्षेत्र के भारतीय जनता पार्टी के नवनिर्वाचित विधायक शिवशंकर उराँव के साथ गत २२ जनवरी गुरुवार को डुमरी प्रखण्ड के प्रखण्ड कार्यालय में आयोजित बैठक में ही प्रखण्ड विकास पदाधिकारी राजेश डुंगडुंग उलझ पड़े । विधायक शिवशंकर उराँव प्रसिद्ध शिवधाम टांगीनाथ मन्दिर में पूजा- अर्चा करने के पश्चात प्रखण्ड के ग्रामीणों और कार्यकर्ताओं के साथ प्रखण्ड कार्यालय में आयोजित बैठक में शामिल होने के लिये पहुंचे थे , जहाँ विधायक को प्रखण्ड के अधिकारियों , कर्मचारियों और ग्रामीणों की समन्वित बैठक करनी थी , परन्तु प्रखण्ड विकास पदाधिकारी राजेश डुंगडुंग ने प्रोटोकोल के अन्तर्गत विधायक व उनके साथ के लोगों से न तो सही प्रकार से वर्ताव ही किया और न ही उचित सम्मान ही दिया । इसके साथ ही प्रखण्ड विकास पदाधिकारी राजेश डुंगडुंग विधायक से बैठक की शुरुआत में ही उलझ पड़े और विधायक के साथ आये ग्रामीणों और कार्यकर्ताओं को बैठक से अलग रहने को कहा । बैठक चूँकि विधायक ने क्षेत्र के विकास की  रूपरेखा तैयार करने और ग्रामीणों की कल्याण हेतु रखा था इसलिए विधायक उक्त बैठक में ग्रामीणों की सहभागिता चाह रहे थे । लेकिन प्रखण्ड विकास पदाधिकारी राजेश डुंगडुंग अपनी अनियमितताओं के उजागर हो जाने के डर से ग्रामीणों की उपस्थिति बैठक में नहीं होना देना चाह रहे थे । इसका विरोध किये जाने पर विकास पदाधिकारी राजेश डुंगडुंग विधायक के साथ उलझ पड़े और बकझक करने लगे । इस पर विधायक शिवशंकर उराँव ने प्रविपदा राजेश डुंगडुंग को प्रोटोकोल का पाठ पढ़ाया और गुमला के उपायुक्त गौरीशंकर मिंज को दूरभाष से इसकी सुचना देते हुए प्रविपदा राजेश डुंगडुंग को एक माह के लिये राजधानी राँची स्थित श्रीकृष्ण लोक सेवा शिक्षण संस्थान (एटीआई) में प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु भेजने के लिये कहा । विधायक ने कहा कि काम करने वाले अधिकारी रहेंगे और काम नहीं करने वाले अधिकारी स्वैच्छिक सेवानिवृति लेकर घर जाने को तैयार हो जायें । उन्होंने अधिकारियों , कर्मचारियों को ईमानदारी पूर्वक सरकारी योजनाओं को धरातल पर निष्ठापूर्वक उतारते हुए कार्य करने को कहा अन्यथा परिणाम भुगतने को तैयार रहें । विधायक के इस रूख से उपस्थित ग्रामीण और कार्यकर्ता अत्यन्त प्रसन्न हुए ।इसके पश्चात प्रखण्ड कार्यालय में बैठक प्रारम्भ हुई और बैठक में अधिकारी , कर्मचारी और ग्रामीण सभी शामिल हुए ।
प्रोटोकोल का उल्लंघन और जनप्रतिनिधि को सार्वजनिक रूप से अपमानित करने की एक अन्य घटना जिले के पालकोट प्रखण्ड कार्यालय में गत सोलह जनवरी को  हुई । स्थानीय सिमडेगा विधायक विमला प्रधान की उपस्थिति में प्रखण्ड की महिला प्रमुख से प्रखण्ड विकास पदाधिकारी सतीश कुमार और मनरेगा के अन्तर्गत ठेके पर बहाल प्रखण्ड कार्यक्रम पदाधिकारी (बीपीओ) विनय कुमार गुप्ता के द्वारा किया गया दुर्व्यवहार व अपमानित करने का मामला अब विस्फोटक होता जा रहा है , परन्तु जिला प्रशासन प्रखण्ड विकास पदाधिकरी और विवादित घूसखोर बीपीओ को बचने के चक्कर में इस विस्फोटक परिस्थिति को शांत करने के बजाये शुतुरमुर्ग की भान्ति आँख को छुपाये बैठी है और प्रखण्ड के अधिकारी , कर्मचारी प्रखण्ड प्रमुख से ले – देकर मामला सलटाने के चक्कर में उन्हें अपमानित पर अपमानित किये जा रहा है । उल्लेखनीय है कि जिले के पालकोट प्रखंड की प्रमुख विश्वासी लकड़ा के साथ पालकोट के प्रखंड विकास पदाधिकारी सतीश कुमार और राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना (मनरेगा) के अन्तर्गत ठेका पर बहाल  प्रखण्ड कार्यक्रम पदाधिकारी (बीपीओ) विनय कुमार गुप्ता के द्वारा दु‌र्व्यवहार व अपमानित किये जाने के मामले में शिकायत के दो सप्ताह बाद तक उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक के स्तर से कोई कार्रवाई नहीं किये जाने से प्रखण्ड सहित जिले भर के जनप्रतिनिधियों में रोष व्याप्त होता जा रहा है और यह कभी भी विस्फोटक स्थिति का रूप अख्तियार कर सकता है । जानकारी के मुताबिक पालकोट प्रखंड की प्रमुख विश्वासी लकड़ा ने गत १८ जनवरी २०१५ को गुमला जिला के उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर प्रखंड विकास पदाधिकारी सतीश कुमार व बीपीओ विनय कुमार गुप्ता पर उनके साथ दु‌र्व्यवहार व अपमानित करने का आरोप लगाया था । प्रमुख ने उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक से लिखित शिकायत करते हुए प्रखण्ड विकास पदाधिकारी और नियुक्ति काल से ही विवादित रहे बीपीओ के खिलाफ आदिवासी हरिजन उत्पीडन अधिनियम के अन्तर्गत कार्रवाई का अनुरोध किया था । प्रमुख ने शिकायत पत्र में आरोप लगाते हुए कहा है कि १६ जनवरी २०१५ शुक्रवार को प्रखंड परिसर में विधायक विमला प्रधान द्वारा धोती-साड़ी का वितरण कार्यक्रम होना था। कार्यक्रम में उन्हें आमंत्रित किया गया था एवं उनके लिए मुख्य मंच पर कुर्सी की व्यवस्था की गई थी। लेकिन उन्हें अपमानित करने की नियत से बीडीओ उनकी कुर्सी पर जा बैठे एवं बीपीओ विनय कुमार गुप्ता ने उन्हें पीछे बैठने के लिये कहा। पदाधिकारियों के व्यवहार से आहत हो कार्यक्रम के दौरान वे अपने कार्यालय कक्ष में चली गई। इसी दौरान प्रखण्ड विकास पदाद्शिकारी सतीश कुमार और बीपीओ विनय कुमार गुप्ता उनके कार्यालय कक्ष में आए और जातिसूचक शब्दों को प्रयोग करते हुए गाली-गलौज की। प्रमुख ने कहा है कि वे दोनों पदाधिकारियों के बर्ताव से खुद को अपमानित महसूस कर रही हैं।अतः दोषियों पर समुचित कारर्वाई की जाये ,  परन्तु प्रमुख के द्वारा कि गई शिकयत पर उपायुक्त अथवा पुलिस अधीक्षक के स्तर से अब तक कोई कारवाई नहीं किये जाने से प्रखण्ड के ग्रामीणों , जनप्रतिनिधियों में प्रशासन के प्रति आक्रोश बढता ही जा रहा है जो अब कभी विस्फोटक रूप ले सकती है । हालाँकि प्रखण्ड विकास पदाधिकारी और बीपीओ ने समाचार पत्रों को दिए वयानों में इस बात से साफ़ इनकार किया है , परन्तु वे प्रमुख को पटाने में साम , दाम , दण्ड और भेद ,सभी प्रकार की नीति अपना रहे हैं और धमकी के साथ विभिन्न प्रकार के लोगों से फोन अथवा मिलकर प्रमुख पर दबाव बनाने में लगे हुए हैं ।


जिले में सुर्ख़ियों में आई एक अन्य घटना बिशुनपुर प्रखंड प्रमुख के साथ विगत २५ मार्च को घटित हुई इसके विरूद्ध बिशुनपुर प्रखंड की प्रमुख ने उच्चाधिकारियों को लिखित शिकायत कर बिशुनपुर प्रखण्ड के प्रखण्ड विकास पदाधिकारी पर मनमानी का आरोप लगाया था।अपने लिखित शिकायत में विशुनपुर प्रखंड के प्रमुख सावित्री देवी ने प्रखंड विकास पदाधिकारी अनुराग लकड़ा पर मनमानी करने का आरोप लगाया था और प्रेस विज्ञप्ति भी जरी कि थी । प्रमुख ने पत्र जारी कर कहा था कि २५ मार्च २०१२ दिन शनिवार को वे क्षेत्र भ्रमण के लिए जाने वाली थीं, जब वे प्रविपदा से वाहन मांगने गई, तो प्रविपदा ने झल्लाते हुए अशोभनीय बातें करते हुए वाहन देने से इंकार कर दिया और बहाना बनाने लगे। प्रमुख ने कहा कि उन्हें जेहनगुटवा गांव किसान गोष्ठी में भाग लेने के लिए जाना था, लेकिन प्रविपदा के इस रवैया से वे वहां नहीं जा सकी। अगर आगे भी बीडीओ का ऐसा रवैया रहा, तो वे लोग आंदोलन करेंगे।हालाँकि ले - देकर मामला बाद में शांत हुआ , परन्तु इसी प्रकार की दर्जनों घटनाएँ जिले में सुर्ख़ियों में आती रहती हैं । जिले में मुखिया , वार्ड सदस्य और पंचायत समिति सदस्य तो आये दिन ही प्रविपदाओं और निचले स्तर तक के सरकारी सेवकों द्वारा आये दिन दुत्कारे जाते रहे हैं जिनसे सम्बन्धित समाचार अख़बारों में छपती ही रहती हैं जो जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में चटखारे के साथ पढ़ी और सुनी जाती है ।