मतदान के बाद अब हो रही जीत-हार पर चर्चा
पहले और दूसरे चरण में सम्पन्न मतदान के बाद अब गुमला , लोहरदगा , सिमडेगा, खूंटी, राँची आदि जिलों के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में प्रत्याशियों की हारजीत पर जमकर चर्चा हो रही है। गली-मोहल्लों से लेकर चौपालों, बाजारों में यही चर्चा है कि कौन सा प्रत्याशी किसे हरा कर जीत रहा है। यह भी चर्चा हो रही है कि तीसरे नंबर पर कौन राजनितिक पार्टी अथवा प्रत्याशी रहने वाला है ।इन जिलों मे विधान सभा चुनाव हो जाने के बाद शहर , कस्बा से लेकर गांव तक हर चौक - चौराहों , नुक्कड़ो में अब प्रत्याशियों के जीत के दावे करते लोग नहीं थक रहें हैं। मतदान के बाद मतगणना की तिथि लंबी होने के कारण लोग तरह-तरह के कयास लगाने लगे है। विधान सभा चुनाव में जिस तरह गांव से लेकर शहर तक वोटरों का रुझान खुलकर सामने नहीं आया, उसके बाद लगने लगा है कि जिन दो प्रत्याषियों में कांटे की टक्कर होगी , वह मतगणना के दिन ही स्पष्ट हो पाएगा कि किसके पाले में कितना वोट गया है?
राष्ट्रीय पार्टियों और क्षेत्रीय दलों के साथ ही निर्दलीय प्रत्याशियों के समर्थक अपने-अपने हिसाब से और अपने परिचितों व सुदूर गाँव - देहात जंगली - पहाड़वर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से बातचीत के आधार पर हाथ में कागज -कलम लेकर प्रत्याशी विशेष की हार-जीत का गणित बैठा रहे हैं। जिन लोगों की राजनीति में थोड़ी सी भी रुचि है, वे अपने घर देहात क्षेत्र से दूध देने आने वाले दूधिया, अखबार देने आने वाले हॉकर, घर में साफ-सफाई के लिए आने वाली धंगरीन अर्थात बाई, गली के सफाई कर्मी तथा यार दोस्तों से यह जानने का प्रयास करते नजर आए कि तेरे यहां से कौन जीत रहा है और किसको सर्वाधिक वोट मिलने की संभावना है । दिन भर प्रशासनिक गलियारों, बसों व रेलगाड़ियों में प्रतिदिन कामडारा - राँची , बानो - राँची , लोहरदगा - राँची तक का सफर तय करने वाले यात्रियों के बीच भी यही चर्चा होती रही। लोगों की रुचि इस बात को लेकर ज्यादा थी कि गांवों में किस प्रत्याशी के पक्ष में कितनी वोट पड़ी ? इधर कई बार प्रत्याशी विशेष के समर्थक को जब अपनी आशानुरूप मतदान न होने की खबर मिलती, तो वह मायूस हो जाता। सवारी बस और बस पड़ाव में ग्रामीण मतदाताओं के बीच तो बातचीत के दौरान तनातनी भी बनी रही।गुमला शहर के लोगों के बीच भाजपा प्रत्याशी शिव शंकर उराँव , झामुमो प्रत्याशी भूषण तिर्की , कांग्रेस प्रत्याशी विनोद किस्पोट्टा को केंद्र में रखते हुए इस बात पर चर्चा होती रही कि विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख गांवों में किस प्रत्याशी ने कितने प्रतिशत मत हासिल किए हैं ? इसी तरह सिसई विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशियों भाजपा के दिनेश उराँव , कांग्रेस की कार्तिक उराँव ब्रांड गीताश्री उराँव , झामुमो के जिग्गा सुशारण होरो को केंद्र में रखते हुए सनातन सरना - हिन्दू वअल्पसंख्यक ईसाई -मुस्लिम बाहुल्य गांवों से कितनी वोट मिली, इसी पर चर्चा होती रही और समर्थन उन्हें आंकड़ों के आधार पर हार-जीत के पैमाने पर तोलते रहे और भाजपा प्रत्याशी दिनेश उराँव के समर्थकों ने कुछ स्थान पर मिठाई बाँट और आतिशबाजी कर खुशियाँ भी मना डाली ।
इधर बिशुनपुर सुरक्षित सीट पर एक बार फिर टक्कर भाजपा के समीर उराँव और आदिवासी छात्र संघ छोड़ झामुमो के टिकट पर लड़ने वाले चमरा लिंडा के बीच में ही नजर आ रही है। बिशुनपुर के कस्बाई इलाकों , ग्रामीणों व वनाँचली मतदाताओं के बीच चर्चा के केंद्र में भी मुख्य रूप से यही प्रत्याशी रहे। हालांकि भाजपा प्रत्याशी समीर उराँव के समर्थकों ने दावा किया कि परिणाम चौंकाने वाले होंगे तथा उनके पक्ष में होंगे। लोहरदगा शहर और कस्बाई इलाकों के लोगों के बीच भाजपा - आजसू के संयुक्त प्रत्याशी कमलकिशोर भगत और कांग्रेस प्रत्याशी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत को केंद्र में रखते हुए इस बात पर चर्चा होती रही कि विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख गांवों में किस प्रत्याशी ने कितने प्रतिशत मत हासिल किए हैं ? सिमडेगा में क्रमशः भाजपा प्रत्याशी श्रीमती बिमला प्रधान , झापा (एनोस गुट) की प्रत्याशी मेनोन एक्का और कांग्रेस के विलियम लुगुन के मध्य त्रिकोणीय मुकाबला है वहीँ कोलेबिरा विस क्षेत्र में भाजपा के मनोज प्रधान ,
झापा के एनोस एक्का के मध्य ही मुख्य चुनावी मुकाबला होने की चर्चा है ? इसी प्रकार खूंटी और राँची जिला के विधानसभा क्षेत्रों में भी भाजपा के मुख्य चुनावी समर में होने की चर्चा जोरों पर है ।
इन जिलों के विधान सभा क्षेत्र में जिसमें भाजपा, झापा ,कांग्रेस, आजसू और दल बदलू निर्दलीय विधायक है। इसलिए कहाँ पर किस दल के प्रत्याशी के पक्ष में लोगों ने मतदान कर मजबूत करने का काम किया है। इसका आकलन भी लोग लगाते नहीं थक रहें है। फिर भी लोगों में चर्चा है कि तेईस दिसंबर को स्पष्ट हो जाएगा।
पहले और दूसरे चरण में सम्पन्न मतदान के बाद अब गुमला , लोहरदगा , सिमडेगा, खूंटी, राँची आदि जिलों के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में प्रत्याशियों की हारजीत पर जमकर चर्चा हो रही है। गली-मोहल्लों से लेकर चौपालों, बाजारों में यही चर्चा है कि कौन सा प्रत्याशी किसे हरा कर जीत रहा है। यह भी चर्चा हो रही है कि तीसरे नंबर पर कौन राजनितिक पार्टी अथवा प्रत्याशी रहने वाला है ।इन जिलों मे विधान सभा चुनाव हो जाने के बाद शहर , कस्बा से लेकर गांव तक हर चौक - चौराहों , नुक्कड़ो में अब प्रत्याशियों के जीत के दावे करते लोग नहीं थक रहें हैं। मतदान के बाद मतगणना की तिथि लंबी होने के कारण लोग तरह-तरह के कयास लगाने लगे है। विधान सभा चुनाव में जिस तरह गांव से लेकर शहर तक वोटरों का रुझान खुलकर सामने नहीं आया, उसके बाद लगने लगा है कि जिन दो प्रत्याषियों में कांटे की टक्कर होगी , वह मतगणना के दिन ही स्पष्ट हो पाएगा कि किसके पाले में कितना वोट गया है?
राष्ट्रीय पार्टियों और क्षेत्रीय दलों के साथ ही निर्दलीय प्रत्याशियों के समर्थक अपने-अपने हिसाब से और अपने परिचितों व सुदूर गाँव - देहात जंगली - पहाड़वर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से बातचीत के आधार पर हाथ में कागज -कलम लेकर प्रत्याशी विशेष की हार-जीत का गणित बैठा रहे हैं। जिन लोगों की राजनीति में थोड़ी सी भी रुचि है, वे अपने घर देहात क्षेत्र से दूध देने आने वाले दूधिया, अखबार देने आने वाले हॉकर, घर में साफ-सफाई के लिए आने वाली धंगरीन अर्थात बाई, गली के सफाई कर्मी तथा यार दोस्तों से यह जानने का प्रयास करते नजर आए कि तेरे यहां से कौन जीत रहा है और किसको सर्वाधिक वोट मिलने की संभावना है । दिन भर प्रशासनिक गलियारों, बसों व रेलगाड़ियों में प्रतिदिन कामडारा - राँची , बानो - राँची , लोहरदगा - राँची तक का सफर तय करने वाले यात्रियों के बीच भी यही चर्चा होती रही। लोगों की रुचि इस बात को लेकर ज्यादा थी कि गांवों में किस प्रत्याशी के पक्ष में कितनी वोट पड़ी ? इधर कई बार प्रत्याशी विशेष के समर्थक को जब अपनी आशानुरूप मतदान न होने की खबर मिलती, तो वह मायूस हो जाता। सवारी बस और बस पड़ाव में ग्रामीण मतदाताओं के बीच तो बातचीत के दौरान तनातनी भी बनी रही।गुमला शहर के लोगों के बीच भाजपा प्रत्याशी शिव शंकर उराँव , झामुमो प्रत्याशी भूषण तिर्की , कांग्रेस प्रत्याशी विनोद किस्पोट्टा को केंद्र में रखते हुए इस बात पर चर्चा होती रही कि विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख गांवों में किस प्रत्याशी ने कितने प्रतिशत मत हासिल किए हैं ? इसी तरह सिसई विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशियों भाजपा के दिनेश उराँव , कांग्रेस की कार्तिक उराँव ब्रांड गीताश्री उराँव , झामुमो के जिग्गा सुशारण होरो को केंद्र में रखते हुए सनातन सरना - हिन्दू वअल्पसंख्यक ईसाई -मुस्लिम बाहुल्य गांवों से कितनी वोट मिली, इसी पर चर्चा होती रही और समर्थन उन्हें आंकड़ों के आधार पर हार-जीत के पैमाने पर तोलते रहे और भाजपा प्रत्याशी दिनेश उराँव के समर्थकों ने कुछ स्थान पर मिठाई बाँट और आतिशबाजी कर खुशियाँ भी मना डाली ।
इधर बिशुनपुर सुरक्षित सीट पर एक बार फिर टक्कर भाजपा के समीर उराँव और आदिवासी छात्र संघ छोड़ झामुमो के टिकट पर लड़ने वाले चमरा लिंडा के बीच में ही नजर आ रही है। बिशुनपुर के कस्बाई इलाकों , ग्रामीणों व वनाँचली मतदाताओं के बीच चर्चा के केंद्र में भी मुख्य रूप से यही प्रत्याशी रहे। हालांकि भाजपा प्रत्याशी समीर उराँव के समर्थकों ने दावा किया कि परिणाम चौंकाने वाले होंगे तथा उनके पक्ष में होंगे। लोहरदगा शहर और कस्बाई इलाकों के लोगों के बीच भाजपा - आजसू के संयुक्त प्रत्याशी कमलकिशोर भगत और कांग्रेस प्रत्याशी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत को केंद्र में रखते हुए इस बात पर चर्चा होती रही कि विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख गांवों में किस प्रत्याशी ने कितने प्रतिशत मत हासिल किए हैं ? सिमडेगा में क्रमशः भाजपा प्रत्याशी श्रीमती बिमला प्रधान , झापा (एनोस गुट) की प्रत्याशी मेनोन एक्का और कांग्रेस के विलियम लुगुन के मध्य त्रिकोणीय मुकाबला है वहीँ कोलेबिरा विस क्षेत्र में भाजपा के मनोज प्रधान ,
झापा के एनोस एक्का के मध्य ही मुख्य चुनावी मुकाबला होने की चर्चा है ? इसी प्रकार खूंटी और राँची जिला के विधानसभा क्षेत्रों में भी भाजपा के मुख्य चुनावी समर में होने की चर्चा जोरों पर है ।
इन जिलों के विधान सभा क्षेत्र में जिसमें भाजपा, झापा ,कांग्रेस, आजसू और दल बदलू निर्दलीय विधायक है। इसलिए कहाँ पर किस दल के प्रत्याशी के पक्ष में लोगों ने मतदान कर मजबूत करने का काम किया है। इसका आकलन भी लोग लगाते नहीं थक रहें है। फिर भी लोगों में चर्चा है कि तेईस दिसंबर को स्पष्ट हो जाएगा।
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