डूबती नजर आ रही है झारखण्ड की कांग्रेसी शिक्षा मंत्री और सिसई विधायक गीताश्री उराँव की नईया
भारतीय जनता पार्टी के द्वारा सिसई विधानसभा क्षेत्र के भूतपूर्व विधायक दिनेश उराँव को प्रत्याशी बनाये जाने और आदिवासी छात्र संघ के द्वारा सिसई विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेसी नेता शशिकांत भगत को प्रत्याशी घोषित किये जाने से जनता को बरगलाने वाली सिर्फ चुनावी वादे और ढपोरशंखी घोषणाओं की मार्ग पर अल्पसंख्यकों से घिर कर रहने वाली छवि के कारण झारखण्ड की कांग्रेसी शिक्षा मंत्री और सिसई विधायक गीताश्री उराँव की नईया सिसई विस क्षेत्र में डूबती नजर आ रही है । क्षेत्र की बहुसंख्यक जनता और अपने जनजातीय बन्धु - बान्ध्वियों का कल्याण त्याग जिस अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों के अंतिम संस्कार हेतु कब्रिस्तान और शमशान की घेराबंदी कराई वही अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के द्वारा साथ छोड़ते देख झारखण्ड की कांग्रेसी शिक्षा मंत्री गीताश्री उराँव अपने विधानसभा क्षेत्र सिसई को कांग्रेस के हाथ से गंवाती नजर आ रही है।
विधानसभा के दूसरे चरण में होने वाली सिसई विधानसभा क्षेत्र से नामांकन वापसी के अंतिम दिन निर्दलीय प्रत्याशी सुनील सुरीन के द्वारा निर्वाची पदाधिकारी को आवेदन देकर अपना नामांकन वापस ले लिए जाने के पश्चात अब कुल दस प्रत्याशी चुनाव मैदान में रह गए हैं। चुनाव मैदान में भाजपा के दिनेश उरांव, कांग्रेस की गीताश्री उरांव, झारखंड पार्टी की किरण माला बाड़ा, झामुमो के जिगा सुशासन होरो, झाविमो के एजरा बोदरा, भाकपा-माले के मनी उरांव,निर्दलीय निकोलस मिंज, ललित उरांव,शशिकांत भगत एवं सुनील कुमार कुजूर शामिल हैं।
विगत चुनाव में कांग्रेस पार्टी से हार का मुंह देखने वाले समीर उराँव को सिसई विस क्षेत्र से नहीं उतारकर भाजपा ने अपने भूतपूर्व स्थानीय विधायक दिनेश उराँव को झारखण्ड की कांग्रेसी शिक्षा मंत्री और कार्तिक उराँव की पुत्री गीताश्री उराँव के सामने उतारकर अपने तुरुप का पत्ता खेल दिया है जिसका स्पष्ट फायदा भाजपा को मिलता दिख रहा है । स्थानीय होने और पार्टी तथा क्षेत्र की जनता ,मतदाताओं के समस्त प्रकार के क्रिया – कलापों में सहयोगी होने के कारण क्षेत्र में उनको व्यापक जनसमर्थन मिलता दिख रहा है । सिसई और बसिया को अनुमंडल का दर्जा दिलाने, सिसई के पुसो और भरनो प्रखंड करंज को प्रखंड का दर्जा दिलाने की प्रक्रिया शुरू कराने एवं सिसई-बसिया रोड का चौड़ीकरण कराने की पहल करने आदि सभी कार्य क्षेत्र के भूतपूर्व भाजपा विधायक दिनेश उरांव के कार्यकाल में प्रस्तावित थे एवं एक गैर सरकारी संकल्प भी भाजपा के शासन काल में पारित कराया गया था। देश के अन्य भागों की भान्ति झारखण्ड में मोदी लहर की स्पष्ट छाप के मध्य रही – सही कसर भाजपा नेताओं ने क्षेत्र में ताबड़तोड़ जनसभाएं और चुनावी रैलियां करके भाजपा के दिनेश उराँव की राह आसान कर दी हैं और क्षेत्र में चहुंओर भाजपा – भाजपा – भाजपा ही दिखाई और सुनाई दे रहा है । विगत पाँच वर्षों तक केन्द्र में रहकर कांग्रेस के द्वारा की गई गलतियों के साथ वायदों और घोषणाओं की राह पर चलने वाली तथा क्षेत्र में कब्रिस्तानों की घेराबंदी कराने वाली के नाम पर मशहूर गीताश्री उराँव के द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान क्षेत्र में एक भी यद् रखने योग्य कार्य नहीं किये जाने कारण तथा उलटे टेट पास शिक्षकों की नियुक्ति को लटका दिए जाने के कारण क्षेत्र के शिक्षित मतदाताओं के साथ ही आम जनता अत्यन्त रुष्ट है और वह कांग्रेस के खिलाफ नजर आ रही है ।
भाजपा के परम्परागत मतदाताओं का कहाँ है कि प्रदेश की शिक्षा मंत्री सह सिसई विधायक गीताश्री उराँव क्षेत्र के विकास का वायदा चाहे जितना कर लें , परन्तु क्षेत्र में कागजी घोषणाओं का जाल व विकास का हाल बेहाल नजर आता है। शिक्षा मंत्री के क्षेत्र में शिक्षकों का हाल बेहाल है। नागफेनी में कल्याण विभाग से करोड़ों की लागत से बना अस्पताल आज तक शुरू नहीं हो सका। जिले के टेट पास पारा शिक्षकों की आज तक नियुक्ति नहीं हो सकी। जबकि दूसरे कई जिलों में नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसके अलावा विधानसभा क्षेत्र के कई गावों तक जाने के लिए आज तक अच्छी सड़क का निर्माण नहीं हो सका। सिसई से बसिया प्रखंड को जोड़नेवाली सड़क का निर्माण बंद पड़ा हुआ है। यही हाल बसिया को वाया नाथपुर – पालकोट – गुमला जोड़ने वाली सड़क कभी है । विगत पाँच वर्षों में कृषकों के खेत में पानी नहीं पहुंचा, तो शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार के अवसर प्राप्त नहीं हुए। ग्रामीण जलापूर्ति का कार्य भी अधर में लटका हुआ है। गरीबी व बेकारी आज भी सिसई विधानसभा क्षेत्र के विकास की हकीकत उजागर करती है। क्षेत्र के नाराज मतदाताओं का कहना है कि विकास के नाम पर क्षेत्र का विनाश हुआ है । पिछले पांच वर्षो में क्षेत्र का विकास नहीं विनाश हुआ है। क्षेत्र में सुलभ सड़क, पेयजल, बिजली शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा का अभाव बना हुआ है। क्षेत्र की जनता को रोजगार मुहैया नहीं हो पा रहा है और जनता रोजी – रोटी की तलाश में प्रदेश के बाहर पलायन करने को विवश हो रही है।
सिसई विधानसभा क्षेत्र का वर्षों पुराना मुख्य मुद्दा सिसई को अनुमंडल का दर्जा दिलाने और पूसो व करंज को प्रखंड का दर्जा दिलाने का है ।
वादों व घोषणाओं के बीच पांच वर्ष गुजर गए, पर सिसई को अनुमंडल तथा सिसई प्रखंड के पूसो व भरनो प्रखंड के करंज को प्रखंड का दर्जा नहीं मिल सका। जनता आंदोलन करती रही और विधायक आश्वासन देती रहीं। मंत्री रहने के बावजूद गीताश्री उरांव द्वारा प्रखंड का दर्जा नहीं दिला पाने से क्षेत्र की जनता में काफी नाराजगी है। ग्रामीणों द्वारा मंत्री का पुतला भी फूंका जा चुका है। क्षेत्र की जनता को आशा थी कि अनुमंडल और प्रखंड का दर्जा मिलने से क्षेत्र का चहुमुंखी विकास होगा, पर उम्मीदों पर पानी फिर गया। इस बार के चुनाव में अनुमंडल और प्रखंड का निर्माण नहीं हो पाना इस क्षेत्र के लिए मुख्य चुनावी मुद्दा है ।वर्षों पुरानी माँग सिसई को अनुमंडल का दर्जा दिलाने की माँग तो क्षेत्र की मतदाताओं की पूरी तो नहीं हुई , उलटे गीताश्री के कार्यकाल में सिसई के स्थान पर बसिया को अनुमंडल का दर्जा दे दिए जाने से सिसई और भरनो प्रखंड के मतदाता कांग्रेस के साठी झामुमो से भी नाराज हैं , जिसका फायदा भाजपा को मिलता दिखाई दे रहां है । उधर ताल ठोंककर कांग्रेस के टिकट गत दो विस चुनावों नहीं मिलने से नाराज शशिकांत भगत के आदिवासी छात्र संघ के प्रत्याशी के रूप में काँग्रेस के बागी के रूप में चुनाव मैदान में उतर आने और आदिवासी छात्र संघ के द्वारा शशिकांत को जिताने के लिए दिन रत एक कर दिए जाने का नुक्सान भी कांग्रेस और झामुमो दोनों को ही हो रहा है आदिवासी छात्र संघ के प्रत्याशी शशिकांत भगत कांग्रेस के परम्परागत वोट बैंक और अन्य झारखण्ड नामधारी पार्टियों के जनाधार पर सेंध लगा रहे है शशिकांत भगत 2004 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। उसमें 422 मतों के अंतराल से भाजपा के विजित उम्मीदवार समीर उराँव से पीछे थे। झामुमो के जिग्गा सुसारण होरो , पुलिस अफसरी की नउकरी से त्याग पत्र देकर झारखण्ड विकास मोर्चा से चुनाव लड़ने वाले एजरा बोदरा , झारखंड पार्टी की किरण माला बाड़ा और अन्य निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव में अपना जलवा दिखला मतदाताओं के मध्य अपनी उपस्थिति दर्शाने के क्रम में क्षेत्र को बहुरंगी आयाम देने की कोशिश में लगे हैं , परन्तु झारखण्ड की कांग्रेसी शिक्षा मंत्री और सिसई विधायक गीताश्री उराँव अपनी नईया अपनी ही कथनी और करनी में अन्तर , मतदाताओं के सुख – दुःख से दूरी बना राँची में निवास करने , जनता से सिर्फ चुनावी वादे और ढपोरशंखी घोषणाओं की बरसात करने और बहुसंख्यकों के हित की बलि चढाकर अल्पसंख्यकों से घिर कर रहने वाली छवि के कारण सिसई विस क्षेत्र में डुबाती नजर आ रही है ।
भारतीय जनता पार्टी के द्वारा सिसई विधानसभा क्षेत्र के भूतपूर्व विधायक दिनेश उराँव को प्रत्याशी बनाये जाने और आदिवासी छात्र संघ के द्वारा सिसई विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेसी नेता शशिकांत भगत को प्रत्याशी घोषित किये जाने से जनता को बरगलाने वाली सिर्फ चुनावी वादे और ढपोरशंखी घोषणाओं की मार्ग पर अल्पसंख्यकों से घिर कर रहने वाली छवि के कारण झारखण्ड की कांग्रेसी शिक्षा मंत्री और सिसई विधायक गीताश्री उराँव की नईया सिसई विस क्षेत्र में डूबती नजर आ रही है । क्षेत्र की बहुसंख्यक जनता और अपने जनजातीय बन्धु - बान्ध्वियों का कल्याण त्याग जिस अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों के अंतिम संस्कार हेतु कब्रिस्तान और शमशान की घेराबंदी कराई वही अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के द्वारा साथ छोड़ते देख झारखण्ड की कांग्रेसी शिक्षा मंत्री गीताश्री उराँव अपने विधानसभा क्षेत्र सिसई को कांग्रेस के हाथ से गंवाती नजर आ रही है।
विधानसभा के दूसरे चरण में होने वाली सिसई विधानसभा क्षेत्र से नामांकन वापसी के अंतिम दिन निर्दलीय प्रत्याशी सुनील सुरीन के द्वारा निर्वाची पदाधिकारी को आवेदन देकर अपना नामांकन वापस ले लिए जाने के पश्चात अब कुल दस प्रत्याशी चुनाव मैदान में रह गए हैं। चुनाव मैदान में भाजपा के दिनेश उरांव, कांग्रेस की गीताश्री उरांव, झारखंड पार्टी की किरण माला बाड़ा, झामुमो के जिगा सुशासन होरो, झाविमो के एजरा बोदरा, भाकपा-माले के मनी उरांव,निर्दलीय निकोलस मिंज, ललित उरांव,शशिकांत भगत एवं सुनील कुमार कुजूर शामिल हैं।
विगत चुनाव में कांग्रेस पार्टी से हार का मुंह देखने वाले समीर उराँव को सिसई विस क्षेत्र से नहीं उतारकर भाजपा ने अपने भूतपूर्व स्थानीय विधायक दिनेश उराँव को झारखण्ड की कांग्रेसी शिक्षा मंत्री और कार्तिक उराँव की पुत्री गीताश्री उराँव के सामने उतारकर अपने तुरुप का पत्ता खेल दिया है जिसका स्पष्ट फायदा भाजपा को मिलता दिख रहा है । स्थानीय होने और पार्टी तथा क्षेत्र की जनता ,मतदाताओं के समस्त प्रकार के क्रिया – कलापों में सहयोगी होने के कारण क्षेत्र में उनको व्यापक जनसमर्थन मिलता दिख रहा है । सिसई और बसिया को अनुमंडल का दर्जा दिलाने, सिसई के पुसो और भरनो प्रखंड करंज को प्रखंड का दर्जा दिलाने की प्रक्रिया शुरू कराने एवं सिसई-बसिया रोड का चौड़ीकरण कराने की पहल करने आदि सभी कार्य क्षेत्र के भूतपूर्व भाजपा विधायक दिनेश उरांव के कार्यकाल में प्रस्तावित थे एवं एक गैर सरकारी संकल्प भी भाजपा के शासन काल में पारित कराया गया था। देश के अन्य भागों की भान्ति झारखण्ड में मोदी लहर की स्पष्ट छाप के मध्य रही – सही कसर भाजपा नेताओं ने क्षेत्र में ताबड़तोड़ जनसभाएं और चुनावी रैलियां करके भाजपा के दिनेश उराँव की राह आसान कर दी हैं और क्षेत्र में चहुंओर भाजपा – भाजपा – भाजपा ही दिखाई और सुनाई दे रहा है । विगत पाँच वर्षों तक केन्द्र में रहकर कांग्रेस के द्वारा की गई गलतियों के साथ वायदों और घोषणाओं की राह पर चलने वाली तथा क्षेत्र में कब्रिस्तानों की घेराबंदी कराने वाली के नाम पर मशहूर गीताश्री उराँव के द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान क्षेत्र में एक भी यद् रखने योग्य कार्य नहीं किये जाने कारण तथा उलटे टेट पास शिक्षकों की नियुक्ति को लटका दिए जाने के कारण क्षेत्र के शिक्षित मतदाताओं के साथ ही आम जनता अत्यन्त रुष्ट है और वह कांग्रेस के खिलाफ नजर आ रही है ।
भाजपा के परम्परागत मतदाताओं का कहाँ है कि प्रदेश की शिक्षा मंत्री सह सिसई विधायक गीताश्री उराँव क्षेत्र के विकास का वायदा चाहे जितना कर लें , परन्तु क्षेत्र में कागजी घोषणाओं का जाल व विकास का हाल बेहाल नजर आता है। शिक्षा मंत्री के क्षेत्र में शिक्षकों का हाल बेहाल है। नागफेनी में कल्याण विभाग से करोड़ों की लागत से बना अस्पताल आज तक शुरू नहीं हो सका। जिले के टेट पास पारा शिक्षकों की आज तक नियुक्ति नहीं हो सकी। जबकि दूसरे कई जिलों में नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसके अलावा विधानसभा क्षेत्र के कई गावों तक जाने के लिए आज तक अच्छी सड़क का निर्माण नहीं हो सका। सिसई से बसिया प्रखंड को जोड़नेवाली सड़क का निर्माण बंद पड़ा हुआ है। यही हाल बसिया को वाया नाथपुर – पालकोट – गुमला जोड़ने वाली सड़क कभी है । विगत पाँच वर्षों में कृषकों के खेत में पानी नहीं पहुंचा, तो शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार के अवसर प्राप्त नहीं हुए। ग्रामीण जलापूर्ति का कार्य भी अधर में लटका हुआ है। गरीबी व बेकारी आज भी सिसई विधानसभा क्षेत्र के विकास की हकीकत उजागर करती है। क्षेत्र के नाराज मतदाताओं का कहना है कि विकास के नाम पर क्षेत्र का विनाश हुआ है । पिछले पांच वर्षो में क्षेत्र का विकास नहीं विनाश हुआ है। क्षेत्र में सुलभ सड़क, पेयजल, बिजली शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा का अभाव बना हुआ है। क्षेत्र की जनता को रोजगार मुहैया नहीं हो पा रहा है और जनता रोजी – रोटी की तलाश में प्रदेश के बाहर पलायन करने को विवश हो रही है।
सिसई विधानसभा क्षेत्र का वर्षों पुराना मुख्य मुद्दा सिसई को अनुमंडल का दर्जा दिलाने और पूसो व करंज को प्रखंड का दर्जा दिलाने का है ।
वादों व घोषणाओं के बीच पांच वर्ष गुजर गए, पर सिसई को अनुमंडल तथा सिसई प्रखंड के पूसो व भरनो प्रखंड के करंज को प्रखंड का दर्जा नहीं मिल सका। जनता आंदोलन करती रही और विधायक आश्वासन देती रहीं। मंत्री रहने के बावजूद गीताश्री उरांव द्वारा प्रखंड का दर्जा नहीं दिला पाने से क्षेत्र की जनता में काफी नाराजगी है। ग्रामीणों द्वारा मंत्री का पुतला भी फूंका जा चुका है। क्षेत्र की जनता को आशा थी कि अनुमंडल और प्रखंड का दर्जा मिलने से क्षेत्र का चहुमुंखी विकास होगा, पर उम्मीदों पर पानी फिर गया। इस बार के चुनाव में अनुमंडल और प्रखंड का निर्माण नहीं हो पाना इस क्षेत्र के लिए मुख्य चुनावी मुद्दा है ।वर्षों पुरानी माँग सिसई को अनुमंडल का दर्जा दिलाने की माँग तो क्षेत्र की मतदाताओं की पूरी तो नहीं हुई , उलटे गीताश्री के कार्यकाल में सिसई के स्थान पर बसिया को अनुमंडल का दर्जा दे दिए जाने से सिसई और भरनो प्रखंड के मतदाता कांग्रेस के साठी झामुमो से भी नाराज हैं , जिसका फायदा भाजपा को मिलता दिखाई दे रहां है । उधर ताल ठोंककर कांग्रेस के टिकट गत दो विस चुनावों नहीं मिलने से नाराज शशिकांत भगत के आदिवासी छात्र संघ के प्रत्याशी के रूप में काँग्रेस के बागी के रूप में चुनाव मैदान में उतर आने और आदिवासी छात्र संघ के द्वारा शशिकांत को जिताने के लिए दिन रत एक कर दिए जाने का नुक्सान भी कांग्रेस और झामुमो दोनों को ही हो रहा है आदिवासी छात्र संघ के प्रत्याशी शशिकांत भगत कांग्रेस के परम्परागत वोट बैंक और अन्य झारखण्ड नामधारी पार्टियों के जनाधार पर सेंध लगा रहे है शशिकांत भगत 2004 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। उसमें 422 मतों के अंतराल से भाजपा के विजित उम्मीदवार समीर उराँव से पीछे थे। झामुमो के जिग्गा सुसारण होरो , पुलिस अफसरी की नउकरी से त्याग पत्र देकर झारखण्ड विकास मोर्चा से चुनाव लड़ने वाले एजरा बोदरा , झारखंड पार्टी की किरण माला बाड़ा और अन्य निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव में अपना जलवा दिखला मतदाताओं के मध्य अपनी उपस्थिति दर्शाने के क्रम में क्षेत्र को बहुरंगी आयाम देने की कोशिश में लगे हैं , परन्तु झारखण्ड की कांग्रेसी शिक्षा मंत्री और सिसई विधायक गीताश्री उराँव अपनी नईया अपनी ही कथनी और करनी में अन्तर , मतदाताओं के सुख – दुःख से दूरी बना राँची में निवास करने , जनता से सिर्फ चुनावी वादे और ढपोरशंखी घोषणाओं की बरसात करने और बहुसंख्यकों के हित की बलि चढाकर अल्पसंख्यकों से घिर कर रहने वाली छवि के कारण सिसई विस क्षेत्र में डुबाती नजर आ रही है ।
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