समारोह पूर्वक मनाई जा रही गुमला जिले में सरस्वती पूजन
सम्पूर्ण भारतवर्ष की भान्ति झारखण्ड प्रान्त के गुमला जिले में भी वसन्तोत्सव अर्थात मदनोत्सव के प्रारम्भण दिवस और काम के प्रतिरूप कामदेव व रत्ति के अराधना दिवस वसन्त पञ्चमी के शभ पावन अवसर पर सरस्वती पूजन का समारोहपूर्वक आयोजन किया जा रहा है । जिले के शहरी, कस्बे, गाँव - देहात के टोलो -मुहल्लों सर्वत्र मनोहारी प्राकृतिक परिवर्तनों व सरस्वती पूजा का पर्व वसन्त पञ्चमी धूम-धाम के साथ मनाई जा रही है। मन्त्र- श्लोक , भक्ति गीतों के साथ ही वीणा वादिनी देवी सरस्वती के जयकारे की गूँज जिले में चहुँओर गुंजायमान है । गुमला जिला मुख्यालय के साथ ही जिले के सभी प्रखण्ड मुख्यालयों में दर्जनों पूजा - पंडालों में विद्यादेवी सरस्वती की आकर्षक मूर्तियों का प्रतिस्थापन कर सरस्वती भक्त सरस्वती आराधना में लगे हुए हैं । ऐसे में पूजा - पाठ कर्मकाण्ड करने वाले पण्डितों की बन आई है और वे कई - कई स्थानों पर आनन् - फानन में पूजा कराकर दोनों हाथ से दक्षिणा बटोरने में लगे हैं । इस पर भी उन्हें फुर्सत नहीं।
मनोहारी प्राकृतिक परिवर्तनों को संजोए भारतीय संस्कृति व धर्म में विषेष महत्व रखने वाले इस पर्व का महत्वपूर्ण घटनाओं से सम्बन्ध होने के कारण जिले के प्रकृतिप्रेमी , साहित्यजीवी इस उत्सव का पृथक् रूप से आनन्द लेने में लगे हैं । हालाँकि दिन भर सूर्य भगवान आँख -मिचौली करते रहे हैं , तथापि आज जिले में ठण्ड का असर काम देखा गया और प्रकृति प्रेमी जहाँ मनोहारी प्राकृतिक दृश्यों का आनद लेने में लीन हैं , वहीँ वीर पुरूष केसरिया बाना व पगड़ी पहन हकीकत राय और राम सिंह कूका को नमन कर देश के प्रति समर्पित हो जाने की प्राण ले रहे हैं और साहित्यजीवी निराला जयन्ती मनाकर वसन्त पञ्चमी का स्वागत कर रहे हैं ।इस निमित जिले में विविध प्रकार के आयोजनों के आयोजित किये जाने की सूचनाएं भी जिले के विभिन्न क्षेत्रों से मिल रही हैं ।कुछ खास घरों में वसन्त स्वरुप कामदेव एवं रत्ति का अबीर - गुलाल और पुष्पों से पूजन कर गृहस्थ जीवन में विशेष सूख - शान्ति प्राप्ति हेतु आराधना - उपासना किये जाने की भी खबर है । उधर जिले के पालकोट प्रखण्ड मुख्यालय स्थित पम्पापुर की पहाड़ियों की गुफा में और तालाब के पानी के ऊपर पालकोट के सरस्वती पूजा आयोजन समितियों के द्वारा भी वृहद साज - सज्जा के साथ माँ सरस्वती की प्रतिमा का स्थापन किया गया है । प्रतिवर्ष की भान्ति इस वर्ष भी विभिन्न पूजा समितियों द्वारा प्रतिस्पर्द्धा में किये जा रहे आयोजन में विद्युत की जगमगाती साज - सज्जा लोगों को आकर्षित कर रही हैं और लोग सरस्वती -पूजन हेतु पहाड़ी पर खींचे चढ़े जा रहे हैं । यहाँ के सरस्वती पूजा के आयोजन की धूम जिले से बाहर और पडोसी राज्यों तक है ।यहाँ प्रतिवर्ष की भान्ति जिले से बाहर सिमडेगा , खूंटी , लोहरदगा और राँची के साथ ही पडोसी राज्यों छतीस गढ़ और उड़ीसा से भी कुछ श्रद्धालु सरस्वती पूजा में शामिल होने के लिये आये । हालाँकि कुछ वर्ष पूर्व तक इस क्षेत्र में पतंगबाजी का शौक काम था तथापि जिले में अब वसन्त पञ्चमी के अवसर पर पतंग बाजी भी होने की सूचना है । मीठा भोजन के साथ ही जिले भर में वसंतोत्सव की धूम मची है जो अगले कई दिनों तक जारी रहेगी जो माँ सरस्वती के प्रतिमा -विसर्जन के पश्चात ही समाप्त होगीl
सम्पूर्ण भारतवर्ष की भान्ति झारखण्ड प्रान्त के गुमला जिले में भी वसन्तोत्सव अर्थात मदनोत्सव के प्रारम्भण दिवस और काम के प्रतिरूप कामदेव व रत्ति के अराधना दिवस वसन्त पञ्चमी के शभ पावन अवसर पर सरस्वती पूजन का समारोहपूर्वक आयोजन किया जा रहा है । जिले के शहरी, कस्बे, गाँव - देहात के टोलो -मुहल्लों सर्वत्र मनोहारी प्राकृतिक परिवर्तनों व सरस्वती पूजा का पर्व वसन्त पञ्चमी धूम-धाम के साथ मनाई जा रही है। मन्त्र- श्लोक , भक्ति गीतों के साथ ही वीणा वादिनी देवी सरस्वती के जयकारे की गूँज जिले में चहुँओर गुंजायमान है । गुमला जिला मुख्यालय के साथ ही जिले के सभी प्रखण्ड मुख्यालयों में दर्जनों पूजा - पंडालों में विद्यादेवी सरस्वती की आकर्षक मूर्तियों का प्रतिस्थापन कर सरस्वती भक्त सरस्वती आराधना में लगे हुए हैं । ऐसे में पूजा - पाठ कर्मकाण्ड करने वाले पण्डितों की बन आई है और वे कई - कई स्थानों पर आनन् - फानन में पूजा कराकर दोनों हाथ से दक्षिणा बटोरने में लगे हैं । इस पर भी उन्हें फुर्सत नहीं।
मनोहारी प्राकृतिक परिवर्तनों को संजोए भारतीय संस्कृति व धर्म में विषेष महत्व रखने वाले इस पर्व का महत्वपूर्ण घटनाओं से सम्बन्ध होने के कारण जिले के प्रकृतिप्रेमी , साहित्यजीवी इस उत्सव का पृथक् रूप से आनन्द लेने में लगे हैं । हालाँकि दिन भर सूर्य भगवान आँख -मिचौली करते रहे हैं , तथापि आज जिले में ठण्ड का असर काम देखा गया और प्रकृति प्रेमी जहाँ मनोहारी प्राकृतिक दृश्यों का आनद लेने में लीन हैं , वहीँ वीर पुरूष केसरिया बाना व पगड़ी पहन हकीकत राय और राम सिंह कूका को नमन कर देश के प्रति समर्पित हो जाने की प्राण ले रहे हैं और साहित्यजीवी निराला जयन्ती मनाकर वसन्त पञ्चमी का स्वागत कर रहे हैं ।इस निमित जिले में विविध प्रकार के आयोजनों के आयोजित किये जाने की सूचनाएं भी जिले के विभिन्न क्षेत्रों से मिल रही हैं ।कुछ खास घरों में वसन्त स्वरुप कामदेव एवं रत्ति का अबीर - गुलाल और पुष्पों से पूजन कर गृहस्थ जीवन में विशेष सूख - शान्ति प्राप्ति हेतु आराधना - उपासना किये जाने की भी खबर है । उधर जिले के पालकोट प्रखण्ड मुख्यालय स्थित पम्पापुर की पहाड़ियों की गुफा में और तालाब के पानी के ऊपर पालकोट के सरस्वती पूजा आयोजन समितियों के द्वारा भी वृहद साज - सज्जा के साथ माँ सरस्वती की प्रतिमा का स्थापन किया गया है । प्रतिवर्ष की भान्ति इस वर्ष भी विभिन्न पूजा समितियों द्वारा प्रतिस्पर्द्धा में किये जा रहे आयोजन में विद्युत की जगमगाती साज - सज्जा लोगों को आकर्षित कर रही हैं और लोग सरस्वती -पूजन हेतु पहाड़ी पर खींचे चढ़े जा रहे हैं । यहाँ के सरस्वती पूजा के आयोजन की धूम जिले से बाहर और पडोसी राज्यों तक है ।यहाँ प्रतिवर्ष की भान्ति जिले से बाहर सिमडेगा , खूंटी , लोहरदगा और राँची के साथ ही पडोसी राज्यों छतीस गढ़ और उड़ीसा से भी कुछ श्रद्धालु सरस्वती पूजा में शामिल होने के लिये आये । हालाँकि कुछ वर्ष पूर्व तक इस क्षेत्र में पतंगबाजी का शौक काम था तथापि जिले में अब वसन्त पञ्चमी के अवसर पर पतंग बाजी भी होने की सूचना है । मीठा भोजन के साथ ही जिले भर में वसंतोत्सव की धूम मची है जो अगले कई दिनों तक जारी रहेगी जो माँ सरस्वती के प्रतिमा -विसर्जन के पश्चात ही समाप्त होगीl
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