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| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघसंचालक मोहन भागवत राँची में |
" भारत , भारतीय व भारतीयता तभी तक सुरक्षित है, जब तक सुरक्षित है हिंदू समाज व संस्कृति "- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत
"वनवासी किसी जाति का नाम नहीं है. हिंदुस्तान का 30 करोड़ समाज वनवासी है. ये वनवासी सहनशीलता से मानव बम हो गये हैं. इनके विस्फोट से जो रोशनी होगी, उससे समाज रोशन होगा. राम लला का मंदिर बाद में बनेगा, पहले 30 करोड़ लोगों के चेहरे पर हम मुस्कान लायेंगे. - एकल अभियान के केंद्रीय संगठन प्रभारी श्यामजी गुप्त
" भारत , भारतीय व भारतीयता तभी तक सुरक्षित है, जब तक हिंदू समाज व संस्कृति सुरक्षित है. इसी सुरक्षित व शुद्ध स्वरूप में वनों में रहने वाले 30 करोड़ वनवासियों को हमें जगाना है. हमें सबको जोड़ना है, हम सबको जोड़ेंगे . " गत 25 वर्षो से चल रहे एकल अभियान के तहत दूरदराज के गांवों में चलने वाले विद्यालयों , एकल विद्यालयों में कार्यरत्त एकमात्र शिक्षकों के एकल समारोह में भाग लेने के लिए राज्य के कोने-कोने से हजारों की संख्या में पहुंचे शिक्षकों , सम्बंधित अभ्यागत्तों को बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम, मोरहाबादी में आयोजित एकल संगम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने ये बातें कहीं .
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि झारखंड प्रान्त में जब एकल विद्यालय की कल्पना हो रही थी, उस वक्त मैं बिहार-झारखंड इलाके में ही था. तब यह एक कल्पना थी. एक प्रयोग था. आज मैं कह सकता हूं कि जैसा सोच था, वैसा ही हो रहा है. एकल अभियान के 25 वर्ष पूर्ण होने पर यह आयोजित इस एकल संगम में उन्होंने कहा कि जहां धर्म है वहीं विजय है. वनवासियों को जगाये बगैर भारत विश्व गुरु नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि "इनको जगाने के लिए जमीन पर काम करना होगा. श्री भागवत ने कहा कि यह काम हमें विरोध या किसी प्रतिक्रिया में नहीं करना है ." एक कहानी सुना कर वह बोले कि "करते वक्त चिढ़ाने, डराने व तिरस्कार से घबराना नहीं चाहिए. ऐसा करने वाले करेंगे, पर अपने लक्ष्य की ओर लगातार बढ़ते रहने से ही सफलता मिलेगी. संघ के सौ साल पूरे होने तक भारत माता का वैभव लौटाना है." कार्यक्रम के अध्यक्ष विकास भारती के सचिव अशोक भगत ने कहा कि "गरीबों के लिए संघर्ष को कुछ लोगों ने अपनी बपौती बना ली थी. पर एकल अभियान के तहत युवाओं ने सकारात्मक भूमिका निभायी है. हम घृणा व नफरत नहीं फैलाते, हम वनवासियों को उनकी ताकत का अहसास कराते हैं. धीरे-धीरे यह समाज आगे बढ़ रहा है." एकल अभियान के केंद्रीय संगठन प्रभारी श्यामजी गुप्त ने कहा कि "वनवासी किसी जाति का नाम नहीं है. हिंदुस्तान का 30 करोड़ समाज वनवासी है. ये वनवासी सहनशीलता से मानव बम हो गये हैं. इनके विस्फोट से जो रोशनी होगी, उससे समाज रोशन होगा." श्री गुप्त ने कहा कि राम लला का मंदिर बाद में बनेगा, पहले 30 करोड़ लोगों के चेहरे पर हम मुस्कान लायेंगे. श्रोता के रूप में निवर्तमान लोकसभा उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, सीपी सिंह, रवींद्र राय, दीपक प्रकाश सहित अन्य भाजपा नेता तथा राज्य भर से आये एकल विद्यालय व एकल अभियान से जुड़े हजारों कार्यकर्ता उपस्थित थे.
उल्लेखनीय है कि गत 25 वर्षो से चल रहे एकल अभियान के तहत दूरदराज के गांवों में चलने वाले उन विद्यालयों को एकल विद्यालय कहा जाता है, जहां एक शिक्षक होते हैं. ये शिक्षक ग्रामीण बच्चों को पंचमुखी शिक्षा (पारंपरिक शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा, समृद्धि शिक्षा, संस्कार की शिक्षा व स्वाभिमान जागरण) देते हैं. देश में एकल विद्यालय की शुरुआत झारखंड के रतनपुर टुंडी में 1989 में हुई थी. तब यहां के 60 गांवों में एकल विद्यालय शुरू किये गये थे. आज इनकी संख्या लगभग 60 हजार हो गयी है. अगले कुछ वर्षो में यह संख्या एक लाख करने का लक्ष्य है. एकल अभियान के तहत गांव के वयस्कों को जैविक खेती तथा अन्य तकनीकी जानकारी दी जाती है.कार्यक्रम के दौरान वनवासी कल्याण, एकल विद्यालय व एकल अभियान से जुड़े समर्पित कार्यकर्ताओं को सम्मानित भी किया गया. सरसंघचालक मोहन भागवत ने उन्हें खुद अपने हाथों से तिलक लगा कर, श्री फल देकर व शॉल ओढ़ा कर सम्मानित किया. सम्मानित होने वालों में मेहरंग उरांव, योगेश्वर गिरि, विष्णु उरांव, संजय साहु, देवकी नंदन यादव, जीतू पाहन, लाल मोहन महतो, विरेंद्र सोरेन, सुमित्र बड़ाइक व दुबराज हेंब्रम शामिल हैं. कार्यक्रम को दौरान एकल विद्यालय के बच्चों ने पंचमुखी शिक्षा पर आधारित लघु नाटिका पेश की.

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