Sunday, 27 April 2014

चुनाव पश्चात लाल गलियारा अर्थात रेड कॉरिडोर के नीचे दबे हजारों बमों को हटाना एक दुश्तर कार्य



चुनाव पश्चात लाल गलियारा अर्थात रेड कॉरिडोर के नीचे दबे हजारों बमों को हटाना एक दुश्तर कार्य


भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को यह कतई अंदाजा नहीं था कि भारतीय लोकसभा चुनाव 2014 का एक असर ऐसा भी होगा। 16 मई के चुनाव परिणाम के बाद जब देश की नजर दिल्ली की गद्दी की तरफ होगी तब सुरक्षा बल पूरे नक्सल प्रभावित इलाकों की जमीन से आइईडी विस्फोटक और लैंड माइन निकालने का खतरनाक मिशन पूरा करेंगे।
मतदान प्रभावित करने के लिए माओवादियों , नक्सलियों ने यह विस्फोटक चुनाव में तबाही मचाने के मकसद से जमीन के नीचे हजारों की संख्या में बिछा रखे हैं। तीसरे और चौथे चरण के चुनाव में छत्तीसगढ़ और झारखंड में मारे गए दर्जनों सुरक्षाकर्मी और चुनाव अधिकारियों की मौत के लिए जमीन के नीचे दबे यही विस्फोटक जिम्मेदार साबित हुए हैं।


गृह मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियां इस मिशन को पूरा करने की योजना को अंतिम रूप दे रहे हैं। दरअसल दिसंबर में छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में नक्सलियों ने लोगों से चुनाव प्रक्रिया का बहिष्कार करने को कहा था।
लेकिन लोगों ने नक्सलियों को अंगूठा दिखा कर जमकर वोट डाला। जनता के इस तेवर से बौखलाए नक्सलियों ने लोकसभा चुनाव में हिंसा के भरपूर इस्तेमाल करने की योजना को अंजाम दिया।
इसी योजना के तहत रेड कॉरिडोर के करीब अस्सी फीसदी इलाके में आइईडी विस्फोटक लगाए गए। इसके लिए खासतौर पर स्कूल और सरकारी भवनों को चुना गया, जहां पोलिंग बूथ बनाए जाने की गुंजाइश थी।


छत्तीसगढ़ चुनाव से लौटे सीआरपीएफ के अधिकारी ने अमर उजाला को बताया कि आइईडी के डर से बस्तर के कई बूथ को खुले खेत में स्थानांतरित करना पड़ा।
हालांकि नक्सल इलाकों में करीब डेढ़ लाख सुरक्षा कर्मियों की मौजूदगी और पुख्ता व्यवस्था की वजह से नक्सली अपनी मनमानी नहीं कर पाए। लेकिन इस दहशत से वोट का औसत प्रतिशत घट गया।
सीआरपीएफ के महानिदेशक दिलीप त्रिवेदी के मुताबिक वोट का दस फीसदी तक घट जाना अफसोस की बात है। लेकिन इस इलाके में गुरिल्ला युद्ध जैसे हालात हैं।

Thursday, 17 April 2014

सुदेश महतोः पांच साल में पांच गुना कमाया

सुदेश महतोः पांच साल में पांच गुना कमाया

sudeshइस मामले में झारखंड के प्रायः नेताओं की किस्मत खूब साथ देती है। अब देखिये न। आजसू के सुप्रीमो एवं निर्दलीय मधु कोड़ा औऱ भाजपा के अर्जुन मुंडा की सरकार में उप मुख्यमंत्री समेत कई मलाईदार विभागों के मंत्री रहे सुदेश महतो की संपति में पिछले पांच वर्षों में 5 गुनी बढ़ी है। यानि कि हर साल सौ फीसदी की बढ़ोतरी। 
साधारण परिवार से आने वाले श्री महतो ने वर्ष 2009 के आम विधानसभा चुनाव के समय 1 करोड़ 67 लाख रुपये मूल्य की चल-अटल संपति थी। वहीं वर्ष 2014 के आसन्न लोकसभा चुनाव तक सात करोड़ 86 लाख 24 हजार रुपये मूल्य की हो गई है।
उन्होंने यह जानकारी रांची लोकसभा सीट से अपने नामाकंन के वक्त दाखिल शपथ पत्र में दी है। उनकी संपति की बाबत वर्ष 2009 के आकड़े सिल्ली विधानसभा के नामांकन के समय दाखिल शपथ पत्र की है। संपति के इन दोनों ब्योरों में उनकी पत्नी की संपति भी शामिल है।
शपथ पत्र के अनुसार वर्ष 2009 में सुदेश महतो के पास कृषि योग्य भूमि भी नहीं थी लेकिन, वर्ष 2014 तक उनके पास करीब 16 लाख रुपये मूल्य के कृषि योग्य भूमि हो गई है।
यही नहीं, सुदेश महतो की पत्नी नेहा महतो के पास वर्ष 2009 में कुल नकदी और निवेश 49 लाख 79 हजार का था, जो 2014 के आसन्न लोकसभा चुनाव तक बढ़ कर 3 करोड़ 93 लाख 50 हजार हो गई है।
 यहां पर उल्लेखनीय है कि धन संपदा कमाने के मामले में उन्होंने पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं रांची सीट से लगातार 3 बार सांसद रहे कांग्रेस के प्रत्याशी सुबोधकांत सहाय को भी पिछे छोड़ दिया है।
वर्ष 2009 के आम लोकसभा चुनाव के समय श्री सहाय के पास जहां 2 करोड़ 63 लाख 79 हजार रुपये मूल्य की चल-अटल संपति थी, जो वर्ष 2014 के आसन्न लोकसभा चुनाव तक बढ़कर 5 करोड़ 88 लाख 95 हजार रुपये मूल्य की हो गई। जोकि लगभग दूगनी अवस्था में है।

सुदेश महतो ने कैसे हासिल की NOU से एमए की डिग्री

सुदेश महतो ने कैसे हासिल की NOU से एमए की डिग्री ?

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sunil आम आदमी पार्टी से जुड़े आरटीआई कार्यकर्ता सुनील कुमार महतो ने रांची संसदीय सीट से पहली बार अपनी किस्मत आजमा रहे आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो की स्नातकोत्तर डिग्री पर सबाल खड़ा कर दिया है।
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उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि पहली तस्वीर 9 अप्रैल 2012 को होटवार स्थित राज्य संग्रहालय सभागार में जल संसाधन विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम की है,  इसी दिन नालंदा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित स्नातकोत्तर राजनीतिशास्त्र खण्ड-1 के छ्ठे पत्र की परीक्षा पटना में संपन्न हुई।
दूसरी तस्वीर 2 अप्रैल 2012 की तत्कालीन खेल मंत्री के आवास की है, इस दिन स्नातकोत्तर खण्ड-1 के तृतीय पत्र की परीक्षा संपन्न हुई।
तीसरी तस्वीर ओरमांझी में शाहीद प्रमोद शमीम की पुण्य तिथि पर 19 अगस्त 2013 की है,  इसी दिन स्नातकोत्तर खण्ड-2 के ग्यारहवें पत्र की परीक्षा संपन्न हुई ।
चौथी तस्वीर 27 अगस्त को इटकी में आजसू पार्टी द्वारा आयोजित कार्यक्रम की है, इस दिन स्नातकोत्तर खण्ड-2 के चौदहवें पत्र की परीक्षा पटना में संपन्न हुई।
आप सहज अनुमान लगा सकते हैं कि जनाब ने नालंदा खुला विश्वविद्यालय से सत्र 11-13 में एम.ए. की डिग्री कैसे हासिल की है? 

Sunday, 6 April 2014

लोहरदगा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में 11.16 लाख मतदाता करेंगे भाग्य का फैसला

लोहरदगा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में 11.16 लाख मतदाता करेंगे भाग्य का फैसला

अनुसूचित जनजातियों के लिए पूर्णतः सुरक्षित लोहरदगा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे नौ प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला 11 लाख 16 हजार 227 मतदाता करेंगे। इसमें पुरुष मतदाता पांच लाख 76 हजार 774 है तथा महिला मतदाता पांच लाख 39 हजार 453 है। लोहरदगा क्षेत्र  के अंतर्गत पडऩे वाले पांच विधानसभा क्षेत्रों में 1478 मतदान केन्द्र बनाए गए है। इसमें 400 मतदान केन्द्र अति संवेदनशील है। अतिउग्रवाद प्रभावित क्षेत्र होने के कारण इस क्षेत्र में चुनाव कराना प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। शहर से लेकर गांव में मतदाता जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। 


लोहरदगा संसदीय क्षेत्र में विधानसभावार मतदान केन्द्र व मतदाताओं  की संख्या 


लोहरदगा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत पांच विधानसभा क्षेत्र पड़ता है। इसमें मांडर में 316 मतदान केन्द्र  है। यहां दो लाख 81 हजार 468 मतदाता है। इसमें पुरुष एक लाख 46 हजार 401 व महिला मतदाता एक लाख 35 हजार 67 है। सिसई में 294 मतदान केन्द्र  है। यहां दो लाख सात हजार 538 मतदाता है। इसमें पुरुष एक लाख छह हजार 115 व महिला मतदाता एक लाख एक हजार 423 है। गुमला में 282 मतदान केन्द्र है। मतदाता दो लाख 5089 है। इसमें पुरुष 104983 व महिला मतदाता 100106 है। विशुनपुर में 315 मतदान केन्द्र है। यहां 209700 मतदाता  है। इसमें पुरुष 109159 व महिला वोटर 100541 है। लोहरदगा में 271 मतदान केन्द्र है। यहां 212432 मतदाता है। इसमें पुरुष 110116 व महिला 102316 मतदाता है।



लोहरदगा संसदीय क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद 


 लोहरदगा क्षेत्र मे हमेशा से भाजपा व कांग्रेस के बीच टक्कर होती रही है। लेकिन 2009 के चुनाव में निर्दलीय चमरा लिंडा के संसदीय चुनाव में उतरने से इन दोनों पार्टियों की गणित बिगाड़ दिया था। इस बार भी चमरा टीएमसी की टिकट पर लड़ रहे हैं। अगर चुनावी गणित को देखे तो इस बार लोहरदगा सीट से चतुष्कोणीय मुकाबले के आसार हैं। भाजपा के सुदर्शन भगत, कांग्रेस के रामेश्वर उरांव को तृणमूल कांग्रेस  के चमरा लिंडा टक्कर दे सकते हैं।



लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है l पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के विजयी प्रत्याशी सुदर्शन भगत को एक लाख 44 हजार 605 वोट मिले थे , जबकि दूसरे स्थान पर रहनेवाले चमरा लिंडा को एक लाख 36 हजार 344 वोट मिले थे l  कांग्रेस प्रत्याशी डॉ रामेश्वर उरांव तीसरे स्थान पर रहे , इन्हें एक लाख 29 हजार 610 वोट मिले l चौथे स्थान पर रमा खलखो रहीं,  जिन्हें 32 हजार 219 वोट मिले l आजसू पार्टी के डॉ देवशरण भगत 16 हजार 612 वोट के साथ पांचवें स्थान पर रहे l जेवीएम के डॉ बहुरा एक्का 14 हजार 798 वोटों के साथ छठे स्थान पर रहे l चमरा लिंडा को मिले वोट ने दोनों प्रमुख राजनीतिक दल (कांग्रेस और भाजपा) की नींद उड़ा दी थी l कांग्रेस पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था , चूंकि वर्ष 2004 में इस सीट से कांग्रेस पार्टी के डॉ रामेश्वर उरांव चुनाव जीते और 2009 में वे तीसरे स्थान पर चले गये l