चुनाव पश्चात लाल गलियारा अर्थात रेड कॉरिडोर के नीचे दबे हजारों बमों को हटाना एक दुश्तर कार्य
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को यह कतई अंदाजा नहीं था कि भारतीय लोकसभा चुनाव 2014 का एक असर ऐसा भी होगा। 16 मई के चुनाव परिणाम के बाद जब देश की नजर दिल्ली की गद्दी की तरफ होगी तब सुरक्षा बल पूरे नक्सल प्रभावित इलाकों की जमीन से आइईडी विस्फोटक और लैंड माइन निकालने का खतरनाक मिशन पूरा करेंगे।
मतदान प्रभावित करने के लिए माओवादियों , नक्सलियों ने यह विस्फोटक चुनाव में तबाही मचाने के मकसद से जमीन के नीचे हजारों की संख्या में बिछा रखे हैं। तीसरे और चौथे चरण के चुनाव में छत्तीसगढ़ और झारखंड में मारे गए दर्जनों सुरक्षाकर्मी और चुनाव अधिकारियों की मौत के लिए जमीन के नीचे दबे यही विस्फोटक जिम्मेदार साबित हुए हैं।
गृह मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियां इस मिशन को पूरा करने की योजना को अंतिम रूप दे रहे हैं। दरअसल दिसंबर में छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में नक्सलियों ने लोगों से चुनाव प्रक्रिया का बहिष्कार करने को कहा था।
लेकिन लोगों ने नक्सलियों को अंगूठा दिखा कर जमकर वोट डाला। जनता के इस तेवर से बौखलाए नक्सलियों ने लोकसभा चुनाव में हिंसा के भरपूर इस्तेमाल करने की योजना को अंजाम दिया।
इसी योजना के तहत रेड कॉरिडोर के करीब अस्सी फीसदी इलाके में आइईडी विस्फोटक लगाए गए। इसके लिए खासतौर पर स्कूल और सरकारी भवनों को चुना गया, जहां पोलिंग बूथ बनाए जाने की गुंजाइश थी।
छत्तीसगढ़ चुनाव से लौटे सीआरपीएफ के अधिकारी ने अमर उजाला को बताया कि आइईडी के डर से बस्तर के कई बूथ को खुले खेत में स्थानांतरित करना पड़ा।
हालांकि नक्सल इलाकों में करीब डेढ़ लाख सुरक्षा कर्मियों की मौजूदगी और पुख्ता व्यवस्था की वजह से नक्सली अपनी मनमानी नहीं कर पाए। लेकिन इस दहशत से वोट का औसत प्रतिशत घट गया।
सीआरपीएफ के महानिदेशक दिलीप त्रिवेदी के मुताबिक वोट का दस फीसदी तक घट जाना अफसोस की बात है। लेकिन इस इलाके में गुरिल्ला युद्ध जैसे हालात हैं।



इस मामले में झारखंड के प्रायः नेताओं की किस्मत खूब साथ देती है। अब देखिये न। 

