Thursday, 13 February 2014

गुमला के सुगाकांटा और काशीटाँड़ गावों के मध्य मिले हैं किम्बरलाईट के चट्टानों के बीच हीरे


गुमला के सुगाकांटा और काशीटांड़ गांवों के मध्य मिले हैं किम्बरलाईट चट्टानों के बीच हीरे ।

हीरे की तराश में भारतवर्ष तो आगे रहा है , अब इसके उत्पादन में भी इसकी हैसियत अचानक बढ़नेवाली है। झारखण्ड प्रान्त के घनघोर उग्रवाद प्रभावित गुमला जिले और सिमडेगा जिले में हीरे के भंडार की खोज के बाद  हीरे के उत्पादन के लिहाज से पहले से ही दुनिया के टॉप 10 देशों में शामिल भारतवर्ष का नाम और भी ऊपर हो गया है। इस खोज का श्रेय भारतवर्ष की जानी - मानी कंपनी जिंदल कंपनी को जाता है।
झारखंड की राजधानी रांची से सटे घोर नक्सल प्रभावित गुमला जिले के पालकोट प्रखंड और गुमला प्रखंड के सीमावर्ती गांवों  के पास जिंदल कंपनी के जियोलॉजिस्टों को हीरे की खोज में सफलता मिली है। यहां हीरे के कण किंबरलाइट चट्टानों के बीच छिपे हैं। सुगाकांटा और काशीटांड़ गांवों के बीच दो वर्ग किलोमीटर में जमीन के थोड़े ही नीचे ये चट्टान फैले हुए हैं।
तीन हजार वर्ग किलोमीटर में हीरे की खोज कर रही कंपनी ने इसकी प्राथमिक पुष्टि कर दी है। रिपोर्ट जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस तथा राज्य सरकार के भूतत्व निदेशालय को सौंप दी गई है। रिपोर्ट में अलग-अलग जगह से लिए गए नमूनों और उनके फिजिकल-केमिकल टेस्ट के रिजल्ट का पूरा ब्योरा है।

उधर गुमला जिले से ही कटकर अलग हुए सीमावर्ती सिमडेगा
जिले के ठेठईटांगर प्रखण्ड के छिंदानाला इलाके में भी कुछ चट्टानों में किंबरलाइट का संकेत देने वाले खनिज मिले हैं। जियो-केमिकल मैपिंग और सिस्टमेटिक थीमेटिक मैपिंग के बाद इसके स्थान और मात्रा की पुष्टि हो सकेगी।

जिंदल कम्पनी के रिसर्च प्रोजेक्ट के प्रमुख एसके सरकार के टीम के अन्य सदस्यों ने हीरे की खोज प्रक्रिया के चरण के सम्बन्ध में बतलाया कि हीरा अमूमन किंबरलाइट चट्टानों के बीच ही भूगर्भीय हलचलों के कारण बनता है। किंबरलाइट चट्टान एक पाइप की तरह होते हैं, जिन्हें सावधानी से तोड़कर डायमंड ग्रेन निकाले जाते हैं। फिर उन्हें अलग-अलग तरीके से तराश कर आभूषण के लायक बनाया जाता है। किंबरलाइट चट्टानों की मौजदूगी धरती के नीचे एक दुर्लभ घटना मानी जाती है। इसे हीरे के मिलने की गारंटी माना जाता है। हालांकि एक ही जगह के हर किंबरलाइट पाइप में डायमंड ग्रेन की उपस्थिति नहीं होती है।

बड़ी सफलता है हीरे की खोज

जिंदल कंपनी की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट में किंबरलाइट मिलने की पुष्टि हो गई है। इसी चट्टान के भीतर हीरे पनपते हैं। किंबरलाइट का मिलना हीरे के मिलने की गारंटी है। ऐसे भी इस इलाके में समय-समय पर हीरे के टुकड़े कहीं-कहीं मिलते रहे हैं। अब व्यवस्थित तरीके से इसकी माइनिंग हो सकेगी।- जयप्रकाश सिंह, भूतत्व निदेशक, झारखंड।

रिसर्च प्रोजेक्ट के प्रमुख एसके सरकार और उनकी टीम के अन्य सदस्यों ने एक भेंट में बतलाया कि गुमला जिले के पालकोट और गुमला प्रखंडों के सीमावर्ती क्षेत्रों में सिलम गांव के पास हीरे की कितनी मात्रा होने की संभावना है? यह तो हम नहीं बता सकते , क्यूंकि यह गोपनीयता का मामला है। इस क्षेत्र में  खोज सफल है । अन्वेषण में हीरे होने की पुष्टि हो गई है। जियोकेमिकल मैपिंग हो चुकी है। राज्य सरकार से लाइसेंस मिलने के बाद ही इसके डिटेलिंग की जाएगी। जमीन के नीचे हीरा? ज्यादा गहराई मेंं नहीं है। कहीं-कहीं तो किंबरलाइट चट्टानें सतह के बिल्कुल पास आ गई है। माइनिंग कब से शुरू हो पाने के सम्बन्ध में स्पष्ट जवाब से बचते हुए उन्होंने बतलाया कि कोयले और लोहे की तरह डायमंड के बड़े-बड़े पहाड़ नहीं होते हैं। किंबरलाइट चट्टानों की पाइप में इसके छोटे-छोटे कण होते हैं। एक महीन कण भी नष्ट नहीं हो, इसका ध्यान रखना होता है। इसलिए सबसे पहले खास तरीके से किंबरलाइट पाइप का लोकेशन खोजना होता है। इसके बाद ही उन्हें काफी सावधानी से निकाला जाता है।

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